कर्ण कुंती की संतान थे। कुंती का असली नाम पृथा था। कुंती मथुरा के राजा शूरसेन की बेटी थीं। भोजपुर के राजा कुंतीभोज शूरसेन के मित्र थे। कुंतीभोज को कोई संतान नहीं थी। शूरसेन ने अपनी पहली संतान कुंतीभोज को देने का वचन दिया। शूरसेन खुद पृथा को कुंतीभोज को दे आए। कुंतीभोज के यहां पृथा का मन नहीं लग रहा था। कुंतीभोज ने पृथा को मथुरा ले जाने को कहा। पृथा ने कहा- मैं क्षत्राणी हूं, आपकी बेटी हूं। कुंतीभोज ने पृथा को कुंती नाम दिया।
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