रही रीत जहाँ सत्य विजय की
उस कुलधरा के मूल बिन्दु में ,
रचेता भी है , चकित कतिपय
विच्छेद प्रवाहित सिंधु में |
तनिक क्षणों की बात नहीं है
आकस्मिक हो जाए , ये जज़्बात नहीं है
जब हुआ विभाजन , बँटी वसुंधरा
रहा नहीं भारत ,सिंध धरा के बिन्दु में |
काल- खंड मे बँटने वाली
आर्यावर्त मे जपने वाली
सिंधुदेश के हालत कहो तुम
जनमानस की बात कहो तुम |
अगर मान लो ,यही समय है
बैर नहीं है , सिर्फ विनय है |
तुमको सिर्फ यह कहना होगा
सिंधु को हिन्द मे बहना होगा |
उस कुलधरा के मूल बिन्दु में ,
रचेता भी है , चकित कतिपय
विच्छेद प्रवाहित सिंधु में |
तनिक क्षणों की बात नहीं है
आकस्मिक हो जाए , ये जज़्बात नहीं है
जब हुआ विभाजन , बँटी वसुंधरा
रहा नहीं भारत ,सिंध धरा के बिन्दु में |
काल- खंड मे बँटने वाली
आर्यावर्त मे जपने वाली
सिंधुदेश के हालत कहो तुम
जनमानस की बात कहो तुम |
अगर मान लो ,यही समय है
बैर नहीं है , सिर्फ विनय है |
तुमको सिर्फ यह कहना होगा
सिंधु को हिन्द मे बहना होगा |
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