यो वै भूमा तत्सुखम्।
( छान्दो.७-२३-१)
“ वो अनन्त आनन्द स्वरुप तुम्हारा अंशी तुम्हारा पिता,जो सदा तुम्हारे साथ रहता है।वो आनन्द है या वहाँ आनन्द है या उसमें आनन्द है,ये मान लो।मान लो,जान लो नहीं,मान लो,बस और कुछ करना है ही नहीं।”
*- जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज*