• 2 months ago
यथा गुरुस्तथैवेशो यथैवेशस्तथा गुरु:।
( योगशिखोपनिषद् ५-५८ )
ये भगवान् जैसे हैं न वैसे ही गुरु हैं।पॉइन्ट वन परसेन्ट भी कम माना कि नामापराध हुआ,गये।

*- जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज*

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