Dhruv Rathee - World’s First Flying Car Invented in Slovakia! | H..

  • 3 months ago
Flying Cars sound like a futuristic technology that we can only imagine in our dreams. But one company from Slovakia has actually done it. A company named Klein Vision has made its flying car "AirCar", and it has also been issued the certificate of airworthiness. But what is the history of Flying Cars? Are they really a thing of the future? How does this technology work? What are the problems with it? and most importantly, do we even need flying cars? Watch this video to know.

00:00​ Introduction
01:05​ History of flying Cars
05:16​ Flying cars of 21st Century
12:46​ Uses of a Flying Car
13:41​ Disadvantages of Flying Car
17:34​ Conclusion

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00:00Namaskar, दोस्तों!
00:01आज से 60-70 साल पहले, जब लोगों से पूछा जाता था
00:04कि imagine करो, साल 2020 कैसा दिखेगा?
00:07लोग सोचते थे बड़े ही futuristic दिखने वाले शेहर होंगी.
00:11हमारे पास hoverboards होंगी.
00:12आस्मान में गाडियां उड़ रही होंगी.
00:15flying cars एक हकीकत बन चुकी होगी.
00:18लेकिन unfortunately, ऐसा कुछ हुआ नहीं.
00:20आज के दिन की असलियत कुछ ऐसी है
00:22और लोग imagine करते थे कि साल 2020 ऐसा दिखेगा.
00:26लेकिन जानते हों क्या, दोस्तों?
00:27कम से कम flying car एक ऐसी चीज़ है
00:29जो धीरे-धीरे हकीकत बनती जा रही है.
00:31आज साल 2022 में, सुलुवाकिया में
00:35एक company ने successfully एक actual flying car को test out कर लिया है.
00:40तो ये कोई future का सपना नहीं, बलकि आज की हकीकत है.
00:43आये समझते हैं इस technology को आज के इस वीडियो में.
00:59Why? Why?
01:00It would never be an aircraft where you could just jump in
01:02and be able to take off and fly wherever you wanted to.
01:05सुनकर ऐसा लगता है, दोस्तों, कि flying car एक बड़ी ही futuristic शीचीज है.
01:09लेकिन असलियत में, इसको बनाने की कोशिश,
01:12लोगों ने आज से 100 साल पहले से ही शुरू कर दी थी.
01:15साल 1917 में, कहा जाता है,
01:17पहली कोशिश करी गई थी, एक flying car बनाने की.
01:20या फिर एक roadable aircraft बनाने की.
01:23एक ऐसा aeroplane जो road पर भी चल सकता हूँ.
01:26इसे नाम दिया गया था, Auto-plane.
01:28Glenn Curtis नाम के एक इंसान ने ये चीज बनाई थी.
01:31इसे उस समय में, limousine of the air भी कहा जाता था.
01:35लेकिन क्या ये flying car असली में उड़ पाई थी?
01:37कहा जाता है, कि जब इसे उडाने की कोशिश करी गई थी,
01:39ये ground से थोड़ा lift-off हो गई थी.
01:41लेकिन unfortunately, कभी properly fly नहीं कर पाई थी.
01:44तो ये Auto-plane एक failure रहा था.
01:47इसके बाद आते हम साल 1933 में,
01:49ये US के Air Commerce Bureau ने एक competition कंड़क्ट किया,
01:52The Flyover Competition नाम से.
01:53इन्होंने challenge किया लोगों को,
01:55कि कोई एक ऐसा aeroplane का design बना कर दिखा दे,
01:58जिसकी कोश्ट $700 से कम की पड़ेगी.
02:01कई models बनाये गए इस competition में,
02:03उन मेंसे एक model था,
02:04वाल्डो वार्टर मैन नाम के आदमी ने बनाया था.
02:08एक गाड़ी जैसे दिखने वाला एक aeroplane था,
02:10जो actually मैं उड़ पाया था,
02:12लेकिन कभी production में नहीं जा पाया,
02:14क्योंकि उस वक्ष्ट great depression का time था.
02:16तो पैसे नहीं मिल पाया इसे fund करने के लिए,
02:19लेकिन एक पहला proper successful attempt जैसे आप कह सकते हो,
02:23वो हुआ 1945 में.
02:24जब American inventor Robert Edison Fulton ने
02:27Air Fibian नाम का ये aeroplane बनाया.
02:30ये दिखने में proper aeroplane जैसे सही लगता है,
02:32बस फर्क ही है कि इसका आगे का part डिटैच हो सकता था.
02:35करीब 5 मिनट का समय लगता था इस aeroplane को car में बदलने में.
02:39और जो car थी, वो अक्शुली मैं aeroplane का front part के हिस्से जैसे दिखती थी.
02:43अपने time के लिए ये Air Fibian एक बहुत ही innovative चीज थी
02:46और इसे flight certification भी मिल गया था,
02:49Civil Aviation Authority से.
02:50लेकिन problem ये थी, यहाँ पर compromise करने की वजेसे,
02:53ये ना तो एक अच्छा aeroplane था,
02:55जो aeroplane जैसे level तक बाकी aeroplane से compete कर पाए,
02:58और ना ही ये एक अच्छी गाड़ी थी,
03:01जो बाकी गाड़ियों से compete कर पाए.
03:03उपर से 1945 में World War II की वजेसे financial problems आई,
03:09और इस company को investors नहीं मिल पाए,
03:11इस flying car के लिए.
03:13लेकिन फिर आई, Ponv Air Car.
03:15Industrial designer Henry Dreyfus का ये attempt 1947 का.
03:19अब ये चीज दिखने में ऐसा लगता था,
03:21कि एक गाड़ी है जिसकी उपर aeroplane चिपका दिया गया हो.
03:24इससे फीबियन कम से कम दिखने में पूरा aeroplane लगता था,
03:26ये ऐसा लगता है,
03:28कि एक गाड़ी गलती से चिपक गई हो एरोपलेन के उपर,
03:30और उसके साथ उड़ गई हो.
03:32इसे भी 5 मिनट का समय लगता था,
03:33convert करने में, aeroplane से car में,
03:35और इसका मतलब ये था convert करने का,
03:37कि जो aeroplane वाला हिस्सा है,
03:39उसे detatch करके side में रख दिया जाता था,
03:41और फिर इसे गाड़ी की तरह इस्तिमाल किया जा सकता था.
03:43अपने टाइम के लिए ये idea भी अच्छा था,
03:45लेकिन अपनी तीसरी test फ्लाइट में,
03:48पाइलेट ने meter पे reading देखी,
03:50कि यहाँ तो बहुत petrol बचा है,
03:52गाड़ी में मैं उड़ते रहता हूँ,
03:53लेकिन गाड़ी में बहुत petrol था,
03:55एरोप्लेइन वाले हिस्से में बहुत कम petrol था,
03:57जिसकी वज़े से एक crash हो गया unfortunately.
03:59इस crash के बाद लोगों का confidence लूज हो गया इससे,
04:01और investors भी पीछे हट गए.
04:03इन सारे attempts में दिक्कत यह थी,
04:05कि यहाँ पर एक गाड़ी है, यहाँ पर एक एरोप्लेइन है,
04:07दोनों को ऐसे के ऐसे कम्बाइन करने की कोशिश करी जा रही थी.
04:09सही माइनों में,
04:11इसकार वही होगी, जो actually में
04:13transform हो पाए एरोप्लेइन से गाड़ी में.
04:15यह ना हो कि दोनों चीज़ों को कम्बाइन कर दिया,
04:17जब गाड़ी को इस्तिमाल करना हुआ,
04:19तो एरोप्लेइन वाला हिस्सा बाहर निकाल गया,
04:21साइड में रख दिया.
04:23यह ना हो कि दोनों चीज़ों को कमबाइन कर दिया,
04:25जब गाड़ी को इस्तिमाल करना हुआ,
04:27तो एरोप्लेइन वाला हिस्सा बाहर निकाल गया,
04:29साइड में रख दिया.
04:31यह ना हो कि दोनों चीज़ों को कमबाइन कर दिया,
04:33तो यह ना हो कि दोनों चीज़ों को कमबाइन कर दिया,
04:35जब गाड़ी के पीछे एक जगह रख दिया जा सके.
04:37यह चीज़ हकीकत बनी साल 1949 में,
04:39इसे कहा गया टेलर्स एरो कार.
04:41इन्हें सर्टिफिकेशन भी मिल गया,
04:43लेकिन दिक्कत यह थी कम से कम पांसो एडवांस ओडर्स चाहिए थे इस चीज़ के,
04:47जिस से पहले कि इसकी मास प्रड़क्शन शुरू हो पाती.
04:50और इतने लोग ही नहीं थे,
04:52जो इस चीज़ में इतने इंटरेस्टिट थे,
04:55इसलिए उस डिल को खतम कर दिया गया.
04:57एक टाइम पर फॉर्ड कमपनी भी काफी करीब आ चुकी थी,
04:59स्टेलर एरो कार को खरिदने के,
05:01लेकिन वो डिल भी फाइनलाइज नहीं हो पाई.
05:04यहाँ पर पैसे की तो एक कमी थी ही,
05:06लेकिन उससे भी ज्यादा बड़ी प्रॉबलम शायद यहाँ पर थी,
05:09टेकनॉलॉजिकल एडवांसमेंट की.
05:11हमारे पास उतनी टेकनॉलॉजी ही नहीं थी,
05:13कि सही माईनों में एक फ्लाइंग कार बनाई जा सके.
05:16लेकिन आज के दिन,
05:18और टेकनॉलॉजी 1950s के कमपारिजन्स से बहुत आगे निकल चुकी है.
05:22तो आज के दिन जो एटेम्प्स किये गए हैं फ्लाइंग कार बनाने के,
05:26वो कमाल के ही हैं.
05:27वो सही माईनों में फ्यूचरिस्टिक हैं.
05:29ओक्टूबर 2021 में,
05:31एक स्वीडिश कंपनी जैटसिन एरो नाम से,
05:33उन्होंने अपना जैटसिन वन जहाज दुनिया के सामने लाकर रखे.
05:44जैसा आप देख सकते हो, ये दिखने में गाड़ी जैसा तो बिल्कुल नहीं है.
05:47बल्कि इसे एक एक्स्ट्रा लार्च ड्रोन कहा जा सकता है.
05:50क्योंकि उड़ने में ये बिल्कुल एक ड्रोन जैसा है.
05:52जिसके अंदर एक आदमी बैठता है और उसे पाइलेट की तरहे उडाता है.
05:57ये एक सिंगल सीटर वेहिकल है, सिरफ एक ही आदमी बैठ सकता है इसके अंदर.
06:01और इस पर इन्होंने काम करना शुरू किया था 2017 से.
06:04पहला प्रोटोटाइब जैनुवरी 2018 में रेडी हो गया था
06:07और उसकी पहली सक्सेस्ट्विल फ्लाइट भी हो गयी थी.
06:09लेकिन इन्होने अपनी कंपनी को इंटरिडूस किया
06:12और अपने सेकंड जेनरेशिन प्रोटोटाइब को अब दिखाया दुनिया के सामने
06:16सिरफ ओक्टूबर 2021 में.
06:17इसकी खास बात इसका डिजाइन है.
06:19एक हेलीकॉप्टर को तो फिर भी एक हेली पैट चाहिए होता है उड़ने के लिए.
06:22तेकिन ये इतना कॉमपैक्ट है, इतना चोटा है कि ये आपकी घर की छट पर भी लैंड कर सकता है.
06:27और आपके पढोस वाले गारडन से भी टेक औफ कर सकता है.
06:30वजन कम रखने के लिए पूरा एल्यूमिनियम का बनाया गया इसका फ्रेम है.
06:34सबसे इंटरेस्टिंग चीज़ शायद ये है कि आपको इसको उड़ाने के लिए कोई पाइलेट्स लाइसेंस की जरुवत नहीं है.
06:46इसके लिए पाइलेट्स लाइसेंस की जरुवत नहीं होती एक होम बिल्ट सिंगल सीटर एरक्राफ्ट के लिए.
06:52ये एक ऐसा एर्क्राफ्ट है जो सिंगल सीटर है सिर्व एक ही इंसान इसमें बैठ सकता है.
06:56और ये होम बिल्ट है क्योंकि अगर आप इसे खरीदोगे तो सिर्व 50% एसेंबल्ड हुआ आपको ये मिलता है.
07:02जहां भी इसे ओर्डर कराओगे दुनिया में, इस कम्पणी आपको बेचती है इस तरीके से कि आपको इसे खोलने के बाद खुद से एसंबल करना पड़ता है.
07:10तो ये होम बिल्ड की कैटेगरी में आ गया है.
07:12इस से कम्पणी का लीगल जंजट भी कम हो जाता है क्योंकि अब कम्पणी रिस्पॉंसिबल नहीं होगी अगर कोई एकसिडन्ट हो रहा है तो.
07:18क्योंकि ये आपने खुद से बनाया है.
07:19जैटसिन 1 सही माइनों में एक बहुत ही फ्यूटुरिस्टिक सी चीज़ है लेकिन इसका प्राक्टिकल इस्तिमाल ज्यादा नहीं किया जा सकता.
07:25क्योंकि आप इसे रात में नहीं उड़ा सकते, सिटी ट्रैफिक के उपर नहीं उड़ा सकते, ये सारी रिस्टिक्टिड एर स्पेस हैं.
07:30और आम तोरपे कैमेरा वाले ड्रोन को ही उड़ाना इतना मुश्किल होता है आज के दिन, तो इसके लिए परमिशन मिलनी तो बहुत ही मुश्किल चीज है.
07:37इनके जो को-फाउंडर हैं, पीटर टेन्स्ट्रॉंग, उन्होंने कहा है कि ये कोई बड़ी प्रॉबलम सॉल्फ करने की नहीं देख रहे हैं दुनिया में, ये बस इसे ऐसा फ़न आक्टिविटी प्रमोट कर रहे हैं, इसे उड़ाने में बड़ा मज़ा आता है, ये कह
08:07इंस्पिरेशन लेने की कोशिश करी है, तो ये जेट्सन वन एक प्रॉपर फ्लाइंग कार इसे नहीं कहा जा सकता, क्योंकि ये सडको पर नहीं चल सकती ये चीज़, लेकिन एक दूसरी कम्पनी है स्लुवाक्या में, जिन्नोंने पिछले महिने अपनी एर कार को दुनिया
08:37ये है कि इंडिया में धेर सारे इंजिनियर्स के पास डिग्रीज तो हैं,
08:41लेकिन मुस्किल्स नहीं है जिसकी अक्शुली में जॉब्स में ज़रूरत होती है.
08:4490% से भी ज्यादा इंजिनियर्स इंडिया में इसलिए इंप्लॉयबल नहीं है.
08:48एर कार की क्या खास बात है?
08:50इसने पिछले साल जून में अपनी पहली इंटर सिटी फ्लाइट कमप्लीट करी,
08:54इंटरनाशनल एरपोर्ट नीतरा से वराटिस लावा के एरपोर्ट तक.
08:57ये दोनों शहर स्लोवाकिया देश में हैं.
08:59स्लोवाकिया इस्टन एरोपियन कंट्री हैं.
09:01पिछले महिने स्लोवाकिया की जो ट्रांसपोर्ट अथारोटी है,
09:04उन्होंने इसे क्लियरेंस भी दे दिया है,
09:06टेक औफ करने के लिए, इसे सर्टिफिकेट औफ एर वर्धिनस मिल चुका है.
09:10और एरोपियन एवेशिन सेफ्टी एजन्सी के सारे टेस्टिंग सेफ्टी स्टेनिड्स को ओबे करती है ये फ्लाइंग कार.
09:16अब दिखने में ये पहली ऐसी फ्लाइंग कार है,
09:18जो अक्शुली में एक फ्लाइंग कार की तरह लगती है.
09:20बीमडब्ल्यू की गाड़ी को एज़ बेस इस्तिमाल किया गया है, जिस पर विंग्स अटैश किये गए.
09:25आज से 60-70 साल पहले जो अटेम्ट्स किये गए थे, उसमें एरोपियन को गाड़ी से जोड़के चिपकाने की कोशिश करी जा रही थी.
09:31लेकिन ये पहला ऐसा अटेम्ट है, जिसमें गाड़ी से ही विंग्स निकलने लग रहे हैं.
09:34इसे हवा में उड़ाने के लिए किसी special fuel की ज़रूरत नहीं है.
09:38जो petrol station पे आपको petrol मिलता है, उसी पर ये गाड़ी उड़ भी सकती है, क्योंकि इसके अंदर 1.6 litre BMW का इंजन लगा हुआ है.
09:45उडान भरते वक्ष ये 8,000 feet की हाइट तक पहुँच सकती है ये air car.
09:49और 190 kmph की speed हो सकती है इसकी हवा में, दो maximum लोग बैठ सकते हैं गाड़ी के अंदर.
09:55और इससे aeroplane से गाड़ी में transformation करने में सिर्फ 3 minute का समय लगता है.
09:59और ये transformation कुछ इस तरीके से होता है, ये wings fold किये जा सकते हैं पीछे की तरफ.
10:05और सब कुछ automatically हो जाता है, कुछ ऐसा नहीं कि वहाँ से unscrew करके separate करना पड़े, ये पूरा एक ही piece है.
10:11आप वीडियो में देख सकते हो कि कैसे ये धीले धीले wings पीछे जा रहे हैं और एक compact गाड़ी बन रही है.
10:18तो सडक पर ये air car चलती हुई कुछ ऐसी दिखेगी, almost एक normal car की तरह लग रही है सडक पर चलती हुई, लेकिन पीछे से थोड़ा कुछ बार निकला हुई.
10:26जोकि ज्यादा बुरा नहीं है क्योंकि कुछ गाड़ियां वैसे ही इतनी बड़ी होती हैं पीछे से.
10:30एक चीज़ जरूर है इसे उड़ाने के लिए आपको एक पाइलिट के लाइसेंस की जरूरत पढ़ेगी, क्योंकि इसे उड़ने के लिए एक प्रॉपर रनवे चाहिए होता है.
10:36ये एर कार 200 से जदा टेक औफ और लैंडिंग्स कमप्लीट कर चुकी है, तो इसमें कोई दो राहे नहीं है कि ये एक सक्सेस्ट्वल फ्लाइंग कार है.
10:42अगर आपको एक खरीदनी है, क्या कॉस्ट पढ़ेगी इसके?
10:45कहा जा रहा है, 5 लाग डौलर से लेकर 1 मिलियंड डौलर के बीच में इसकी कॉस्ट पढ़ेगी,
10:50डिपेंडिंग अपन आप कॉंसा मॉडल खरीदना चाहते हैं.
10:52और सिरफ 12 महीने के अंदर अंदर, ये कमर्शिली एविलेबल बन जाएगी.
10:57यानि आप इसे मार्केट में जाकर खरीद सकते हैं.
10:59अब जैटसिन 1 के फाउंडर ने कहा था कि वो अपने विमान को एक मनूरंजन के तौर पर देखते हैं,
11:03कि ऐसा फ़न आक्टिविटी लोग उसे इस्तिमाल करेंगे,
11:07लेकिन यहाँ पर ये कमपनी जिसने एर कार बनाई है, इसका नाम है क्लाइन विजिन.
11:11यहाँ पर इनका विश्वास है कि ये एर कार, हेलीकॉप्टर्स को रिपलेस कर देगी फ्यूचर में.
11:15क्यूंकि इसमें एक साधारन गाड़ी के इंटरनल कमबश्चन इंजिन का इस्तिमाल किया गया है,
11:19इसका मतलब यह है कि ये बहुत एनर्जी एफिशेंट है.
11:22आम तौर पर हेलीकॉप्टर को उडाने के लिए, एरो प्लेइनस को उडाने के लिए,
11:24बहुत ज़्यादा फ्यूल का इस्तिमाल किया जाता है,
11:26special फ्यूल की जगवत पड़ती है.
11:28और ये अगर एक गाड़ी के इंजिन पर उड़ सकती है ये एर कार,
11:31तो इसका मतलब यह है कि आने वाले टाइम में ज्यादा मुश्किल नहीं होगी,
11:35एक एलेक्ट्रिक कार का इंजिन इस्तिमाल करने में इस एर कार को उड़ाने के लिए.
11:39इसका मतलब यह हुआ कि एक फुली एलेक्ट्रिक एर कार बन पाएगी यहाँ पर.
11:43जो इन्वायमेंट के लिए काफी अच्छा है,
11:45एलेक्कॉप्टर और नॉर्मल एर प्लेंज के कमपरिजन में.
11:47सबसे इंपोर्टंट सवाल शायद यहाँ पर उड़ता है कि ज़रूरत क्या है?
11:51कोई प्राक्टिकल यूज हो सकता है इन फ्लाइंग कार्स का?
11:53सबसे पहला उप्योग बताये जाता है इन फ्लाइंग कार्स का होगा एमरजन्सी सर्विसिस के लिए.
11:58जैसे कि एमबिलेंस, फायर इंजन्स या पिर पुलीस के लिए.
12:01एक एडवांटेज ये हो सकता है कि हेलिकॉप्टर से कमपेरेजन में इनें यूज करना ज्यादा असान होगा.
12:05और कोई अलग से इंफरास्चक्चर बनाने की ज़रूरत नहीं पड़ेंगे इनकी.
12:09रेल्वे ऎस के लिए रेल्वे लाइंस भिचाणी पड़ती हैं, मेट्रोस के लिए अंडर गराунд खोधना पड़ता हैं,
12:13गाड़ियों के लिए सडके बनानी पड़ती हैं.
12:15लेकिन flying cars के लिए वही infrastructure का इस्तेमाल किया जा सकता है
12:18जो पहले से already exist कर रहा है.
12:20एक और बड़ा advantage इनका ये है कि ये काफ़ी flexible है.
12:23Jetson One जैसे विमानों की बात करें,
12:25तो वो कहीं पर भी उतर सकते हैं,
12:27कहीं से भी take-off कर सकते हैं,
12:29तो end-to-end connectivity हमें यापर मिल पाएगी.
12:31और obviously जो environmental impact है,
12:33वो भी काफी कम हो सकता है क्योंकि
12:36आम तोर पर गाड़ियों को लंबा distance cover करने में
12:38ज्यादा समय लगता है,
12:39जो कि flying cars कम समय में कर पाएंगी,
12:41और कम energy भी consume करेंगी.
12:44लेकिन अगर इनके disadvantages की बात करें,
12:46तो वो शायद कहीं ज्यादा और हैं
12:48advantages के comparison में.
12:49पहला तो यही है कि
12:51क्या हमें जरूरत भी है flying cars की?
12:53जड़ा गाड़ियों से ही compare करके देख लो.
12:55आज के दिन गाड़ियां बड़ी आम बात बन गई है,
12:58almost हर देश में, दुनिया के हर शहर में.
13:00हर किसी को गाड़ी सीखने के लिए
13:02एक driving license का test लेना पड़ता है,
13:04लेकिन उसके बावजूद भी,
13:06बहुत ही गन्दे तरीके से ढेर सारे लोग गाड़ी चलाते हैं,
13:09accidents होते हैं,
13:10traffic accidents में,
13:12कितने लोग मारे जाते हैं दुनिया भर में.
13:14तो अगर सड़क पर लोग ढंग से गाड़ी नहीं चलाना सीख सकते हैं,
13:17तो हवा में कहां से सीख पाएंगे?
13:19वो तो डस गुना और ज्यादा मुश्किल होगा,
13:21वहाँ पर accident होनी की डस गुना और ज्यादा गुनजाईश होगी,
13:25और अगर कोई वहाँ पर accident होगा हवा में,
13:27वो accident जान लेवा भी उतना ही ज्यादा होगा.
13:30तो ये एक बहुत serious issue है,
13:31कि यहाँ पर कितने सारे लोगों को
13:33sufficient pilot की training देनी पड़ेगी इन्हे उडाने के लिए.
13:37इस problem का एक solution हो सकता है,
13:39automated flying cars,
13:41कि ये flying cars खुज से उड़ें बिना
13:43pilot की interference के.
13:44जैसे automated गाडियां होती हैं,
13:46आज के दिन Tesla में features आ गए हैं,
13:48कि खुज से गाड़ी drive कर सकती है,
13:50तो एसे ही self-drivingving flying cars बने,
13:52तो इस problem को avoid किया जा सकता है.
13:54लेकिन Tesla की बात करें,
13:55तो Elon Musk को लगता है,
13:56कि flying cars एक बहुत ही बेकार idea है.
13:59क्योंकि उनके हिसाबस से,
14:00ये जब चीज़े,
14:01हजारो flying cars आसमान में उड़ेंगे,
14:04तो कही ना कही, कोई ना कोई accident जरूर होगा,
14:06और एक गाड़ी नीचे गिरी,
14:08किसी के सर पर गिरी,
14:09उस इनसान की तो जान खतम हो जाएगी.
14:11Accident से लोगों के मरने का खतरा बहुत-बहुत जादा है.
14:14और आम तोर पर भी,
14:15जब आपकी गाड़ी खराब होती है,
14:16आप उसे सडक में साइड पर ले जाते हैं,
14:18उसे ठीक करने के लिए.
14:19लेकिन आस्मान में,
14:20अगर गाड़ी खराब होगी,
14:21तो कहाँ पर लेकर जाएंगे उसे आप?
14:22इस प्रॉबलम्स,
14:23खराब वेदर में और भी ज़्यादा बढ़ जाएंगी,
14:26आप अपनी फ्लाइंग कार को उड़ा रहे हैं,
14:28और बहुत तेज हवा चल रही है,
14:30या फिर थंडर स्टॉम्स आने लग रहे हैं,
14:31बिजली कड़क रही है,
14:32बहुत ज़्यादा टॉर्बिलेंसिस हो रही हैं,
14:34आम तोर पर जो एरो प्लेइन्स होते हैं,
14:36एरो प्लेइन्स बहुत बड़े होते हैं,
14:37तो वो इसे बेर कर पाते हैं,
14:39लेकिन छोटे प्राइविट जेट्स में,
14:41इन चीज़ों का ज्यादा खतरा रहता है,
14:42टॉर्बिलेंसिस का और खराब वेदर का,
14:44और फ्लाइंग कार्स क्योंकि इतनी बड़ी नहीं होंगी,
14:46तो उनमें भी यही खतरा रहेगा,
14:48इसके बाद प्रॉबलम उठती है सेफ्टी की,
14:50एक, दो फ्लाइंग कार्स के लिए,
14:52कोई नया इन्फरस्ट्रेक्चर बनाने की जरूत नहीं है,
14:54वो बात सही है,
14:55अगर हजारो फ्लाइंग कार्स हवा में उड़ रही होंगी,
14:57तो किसी ना किसी तरीखे का,
14:59यहाँ पर एक नया ट्राफिक लाइट्स का सिस्टम बनाना पड़ेगा,
15:02जैसे गाडियों के लिए होता है,
15:04यहां से गाड़ी आ रही है, वहां से गाड़ी आ रही है,
15:07नए टेकनिकल स्टैंडर्ड्स बनाने पड़ेंगे यहाँ पर,
15:10क्यों सारे फ्लाइंग कार्स एक दूसरे से कमीनिकेट कर पाएं,
15:14कहीं पर कलूजियन्स नहीं देखने को मिले,
15:16क्रैशिस ना हो,
15:17और यह चीज़ करनी आसान नहीं होगी,
15:19क्योंकि आज के दिन,
15:20इसके लिए ही रेगुलेशिन्स बनाना कितना मुश्किल हो जाता है सरकारों के लिए,
15:24कि सरकारे ड्रोन्स को सीधा बैन कर देती हैं,
15:26और यह ड्रोन्स तो सिर्फ हवा में उड़कर फोटो वीडियोस खीचते हैं,
15:29फ्लाइंग कार्स के लिए करना कितना जादा मुश्किल होगा,
15:32एक गवर्मेंट के पस्पेक्टिफ से,
15:34आप इमाजिन कर ही सकते होगी,
15:36फिर प्रॉबलम उठती है,
15:37नॉइस पॉलूशन की,
15:38अगर आपने कोई भी छोटा सा ड्रोन उड़ाया,
15:39तो आपने देखा होगा कि कितना शोर मचता है उससे,
15:42या फिर अगर आप किसी हेलीकॉप्टर के पास गए हैं,
15:44वो तो नेक्स्ट लेवल है विल्कुल,
15:46हेलीकॉप्टर में इसलिए वो पहनने पढ़ते हैं हेडफोन्स,
15:49फ्लाइंग कार्स में यही सेम प्रॉबलम्स एकजिस्ट करेंगी,
15:51और जेटसन वन और एरो कार में भी यही प्रॉबलम्स एकजिस्ट करती हैं,
15:55बहुत नॉइस उठता है उनसे,
15:57बहुत शोर मचता है उनसे,
15:58कि उन्हें प्राक्टिकल नहीं है,
16:01शेहरों में इस्तिमाल करना आज के दिन,
16:03इसके लिए एक और नए टेकनिलोजिकल इनोवेशन की जरूत पढ़ेगी,
16:06कि यह फ्लाइंग कार्स अपना नॉइस लेवल काफी हद तक कम कर पाएं,
16:10नॉइस के लावा एक और जेक हैं,
16:12जहाँ पर बहुत ज़्यादा इनोवेशन की जरूत पढ़ेगी,
16:14वो है फास्ट चार्जिंग टेकनिलोजी,
16:16आज के दिन जो ड्रोन हावा में उड़ता है,
16:18वो सिरफ 20 मिनिट तक हावा में रह पाता है,
16:20आज की टेकनिलोजी के इसाबसे,
16:22ये सिरफ 50 किलो मिटर दूर तक उड़कर जा सकती हैं,
16:24और उसके बाद ये चार्ज करने की जरूत पढ़ेगी,
16:26ये रीफियूल करने की जरूत पढ़ेगी,
16:28जिसमें काफी समय लगता है,
16:31तो ये सारी प्राक्टिकल प्राब्लम्स हैं,
16:33जिनने सॉल्फ करना पढ़ेगा आने वाले टाइम में,
16:35अगर इस टेकनिलोजी को सिक्सेस्फुल होना है तो,
16:37अगर ये सारी प्राब्लम्स सॉल्फ हो भी गई,
16:39तो फाइनल प्राब्लम यहापर जो आएगी,
16:42वो होगी कोस्ट की.
16:43इतनी सारी इनोवेशन्स के बाद,
16:45जो एक फाइनल प्राइज होगा फ्लाइन कार का,
16:47क्या वो इस लेवल तक आप आएगा,
16:49कि लोग उसे अक्शुली में खरीदना चाहें,
16:51क्या लोगों के लिए वो प्राक्टिकल बन पाए,
16:54आज के दिन इस एरो कार की कोस्ट,
16:56वन मिलियन डॉनर्स के पास है,
16:58अगर इसकी कोस्ट अफोर्डवल नहीं बन पाए,
17:00तो बहुत ही मुश्किल है इसके लिए,
17:02सही माइनों में सक्सेस्फूल होना,
17:04ये चीज किसी भी नई टेकनॉलॉजी के लिए वैलिड है,
17:06अगर कमपीटिंग टेकनॉलॉजीज इससे कोस्ट के मामले में कहीं ज्यादा भैतर है,
17:10तो वही टेकनॉलॉजीज आगे सक्सेस्फूल रहेंगी,
17:13अगर गाडी को इस्तिमाल करना,
17:15ट्रेन्स को इस्तिमाल करना,
17:16और एरो प्लेइन्स को इस्तिमाल करना,
17:18अगर कमपीटिंग टेकनॉलॉजीज इससे कोस्ट के मामले में कहीं ज्यादा भैतर है,
17:20तो वही टेकनॉलॉजीज आगे सक्सेस्फूल रहेंगी,
17:22तो वही टेकनॉलॉजीज आगे सक्सेस्फूल रहेंगी,
17:24यहाबर आपकी क्या राय है?
17:25नीचे कॉमेंट्स में लिखकर बताइए,
17:27और प्रसंद आया इस प्लेलिस्ट में और ऐसे वीडियो देख सकते हैं,
17:29और मिलते हैं फिर अगले वीडियो में.
17:31बहुत-बहुत धन्यवाद.

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