Amul is an emotion in India. It has become synonymous with dairy products. Amul not only did start a white revolution in India but also saved lakhs of farmers from exploitation. It is a brand that managed to get 40,000 Crores of Revenue. However, the story of Amul's inception is as interesting as its current business. Watch this video by Dhruv Rathee to find out how did Amul come into existence, and made India the largest producer of milk and milk products under the leadership of Verghes Kurien.
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00:00नमस्कार दोस्तों, खबरों में आपने अकसर ऐसे वीडियोस देखे होंगे, किसानों ने अपने टमाटरों को डंप कर दिया सड़क पर, ये वाला भीहार का था लेकिन ऐसी चीजे हर स्टेट में देखने को मिलती हैं, इसके लाब अगर आप न्यूज हेडलाइन स
00:30पेरिशिबल प्रोड़क्ट है दोस्त, इसे ज्यादा दिर तक
00:32स्टोर करके रखा नहीं जा सकता, ये खराब हो जाता है,
00:34प्रॉबलम यह है कि ज्यादा तक किसानों के पास अपनी कोई
00:37कोल्ड स्टोरेज की फैसिलिटी नहीं है, और जब ये अपने टमाटर
00:40बेचने जाते हैं मार्केट में, इन्हें ब्लैकमेल किया जाता है,
00:43कि इतना ही रुपया मिलेगा, लेना है तो लो, नहीं तो निकलो यहां से.
00:46इन्हें दो से तीन रुपय पर किलो का प्राइज औफर किया जाता है,
00:49कई बारी एक रुपय पर किलो, कई-कई तो ऐसे भी केसिस देखे गए हैं,
00:52यहाँ पर सिर्फ 25 पैसे पर किलो औफर किये जाता हैं इन लोगों को.
00:55और ये चीज सिर्फ टमाटरों के साथ नहीं है,
00:57यही चीज हमें देखने को मिलती है, प्याज, गारलिक, शुगर केन, वीट, कॉन,
01:02पिसानों को जब इतना कम पैसा मिलता है अपने प्रडीूस के लिए,
01:05तो ये फ्रस्ट्रेशन में आकर कहते हैं कि हमें बेचना ही नहीं है,
01:08हम इसे इस से अच्छा फैख दे, वेस्ट जाने दे.
01:11और ये कोई नई प्रॉबलम नहीं है दोस्तों, साल 1945 में,
01:14गुजरात के डेरी फार्मर्स भी सेम प्रॉबलम से सफर कर रहे थें.
01:18जब वो अपने दूद को बेचने जाते हैं मार्किट में,
01:20तो मिल्क कॉंट्राक्टर्स कहते, इतना ही रुपया मिलेगा,
01:23लेना है तो लो, वरणा निकलो यहां से.
01:25लेकिन हमारी कहानी में एक टुष्च तब आया,
01:27जब इन डेरी फार्मर्स ने डिसाइट किया,
01:29यह खटे होकर, इस प्रॉबलम की अगेंस्ट फाइट करेंगे.
01:32इतना ही नहीं, यह खुद की एक ओर्गनाइजेशन बनाएंगे,
01:35जो होगी ओफ डेरी फार्मर, फॉर डेरी फार्मर, और बाय डेरी फार्मर.
01:40एक ऐसी ओर्गनाइजेशन, जिसका पिछले साल टर्नोवर रहा था,
01:4361,000 करोड रुपीज.
01:45यह कहानी है, दोस्तों, अमुल की.
01:48आ, बुलो, क्या देगा?
01:49आ, बाजी, बाजी, पुना स्पेशल बटर था, पुना उसली बटर के साथ.
01:52अमुल बटर.
01:53अमुल, इन इंडिया की अपनी बटर की बादा रहा था,
01:5670 कर पहुँँ बटर की बादा रहा है.
02:00टाक्टर कुरियन's ग्रीम और विजिन पर इंडियान बटर,
02:02इंडिया जो पहले बादे बादे बादे का एक पड़ी जाती है,
02:07हमारी कहाणी शुरू होती है, दोस्तो, एर्ली 1940s में.
02:10इस समय के बीच, अगर आप किसी इंडियन घर में जाते,
02:12तो आपको अमुल बटर कहीं नहीं दिखाई देता.
02:15बलकि एक दूसरी कंपनी थी, जिसका बटर बहुत पॉपिलर था इंडिया में.
02:19इस पॉलसन कंपनी के शुरुवात करी गई थी पैस्तोन जी, एडूल जी के दुवारा,
02:23जब वो सिर्फ 13 साल के थे.
02:24अपनी छोटी सी दुकान में, उन्होंने एक कॉफी ग्राइंडिंग का बिस्नस शुरू किया था,
02:28साल 1888 में.
02:31बिरितिश राज का जमाना था, तो इस नाम में एक ब्रितिश ट्विस्ट एड़ किया गया,
02:34इसे पॉलसन बना दिया गया.
02:36क्योंकि जो ज्यादधर कस्टमर्स ओते थे उस समझ में,
02:38जो ज्यादधर कस्टमर्स ओते थे उस समझ में, वो ब्रितिश लोग ओते थे,
02:41या फिर बहुती अमीर इंडियन लोग ओते थे.
02:43शुरुबात में ये पॉलसन कमपनी अपनी कॉफी के लिए काफी फेमिस थे.
02:46कहते थे इसकि कॉफी फ्रेंच रेसिपी के अकोरडिंग बलेंड करी गई.
02:49साल 1910 में एदूल जी को किसी ने वताया आई कि बरिटिश आरमी को,
02:53बटर की सप्लाय में बड़ी परब्लॉम हो रही हो.
02:55इसे पॉलसन बना दिया गया।
02:57क्योंकि जो ज्यादधर कस्टमर्स होते थे उस समय में
02:59वो ब्रितिश लोग होते थे
03:01या फिर बहुती अमीर इंडियन लोग होते थे।
03:03शुरुबात में ये पॉलसन कंपनी अपनी कॉफी के लिए
03:05काफी फेमस थे।
03:07कहते थे इसकी कॉफी फ्रेंच रेसिपी के अकॉर्डिंग ब्लेंड करी गई है।
03:09साल 1910 में एदूल जी को किसी ने वताया है
03:11कि ब्रितिश आर्मी को
03:13बटर की सप्लाय में बड़ी प्रॉबलम हो रही है।
03:15उनके बस बटर की सक्त कमी है।
03:17आर्मी ने इस मौके का फायदा उठाया
03:19और गुजरात के काईरा डिस्ट्रिक्ट में जाकर
03:21उन्होंने एक डेरी सेट अप करी।
03:23इस जगहें को वैसे खेड़ा भी कहते हैं।
03:25खेड़ा नाम से शायद आपको याद आए
03:28गांधी जी और सरदार पटेल ने खेड़ा सत्या ग्रहे लॉंच करी थी
03:31मार्च 1918 में।
03:33उस समय पॉलसन ने बहुत पैसा वनाया
03:35पॉलसन बटर बेच कर
03:37बृतिश इंडियन फोर्सिस को वॉर्ल्ड वार वन के दुरान।
03:39लेकिन उस समय जो गुझरात में किसान थे
03:41वो बड़ी ही मुश्किल परिस्थितियों से गुजर रहे थे
03:43भुकमरी आई थी, प्लेग आ रखा था
03:45और बृतिश सरकार ने टैक्सिस भी बढ़ा दिये थे
03:47और जो टैक्सिस नहीं पे करता था
03:49बृतिश जाके उनकी प्रॉपर्टीज को कॉंफिस्केट कर ले थी
03:51इन ही कार्णों की वज़े से
03:53गांधी जी और सरदार पटेल ने सत्यग रहे करें
03:55तीन महिने के प्रोटेस्ट के बाद यह सक्सेस्फुल रही
03:57बृतिश ने दो सालों के लिए
03:59टैक्सिस को सस्पेंड कर दिया
04:01और सारी कॉंफिस्केट प्रॉपर्टीज को
04:03वापस दे दिया गया
04:05लेकिन पॉलसन की कहानी पर वापस आये तो पॉलसन ने
04:07एज़ एक कमपनी बहुत मुनाफ़ा कमाया फिर भी
04:09साल 1930 तक आते आते
04:11पॉलसन बटर इस समय तक बहुत पॉपिलर बन चुका था इंडियन घरों में
04:17इसकी लावर वर्ल्ड बार टू जब आयी तो
04:19फिर से मौका मिला सोलजेट्स को सप्लाय करने का
04:21और भरपूर तरीके से ये किया गया
04:231945 तक इनकी रिकॉर्ड प्रोड़क्षन हो चुकी थी
04:27तीन मिलियन पाउंड्स हर साल ये बटर प्रडीूस करने लग रहे थे
04:301945 में ही बॉम्बे की जो गवर्मेंट थी उन्होंने एक बॉम्बे मिल्क स्कीम लॉंज करे
04:35उस वक दोस्तों वैसे बॉम्बे स्टेट ऐसी दिखती थी
04:38गुजरात और महराष्टा कंबाइंड बॉम्बे होता था
04:41बॉम्बे शहर नहीं बॉम्बे स्टेट
04:42इस बॉम्बे मिल्क स्कीम के अनुसार
04:44दूद को काईरा से बॉम्बे तक लेकर आना पड़ता था
04:48और कॉंसी कंपनी ये करे
04:50कंपनीज ने बिडिंग करी और ये कॉंट्राक्ट पॉलसन को अवार्ड किया गया
04:54यहां मिल्क ट्रांस्पोटेशन के बिजनस में भी पॉलसन इंवाल्ड हो गया
04:57और ज्यादा मुनाफ़ा कमाने लगी ये पॉलसन कंपनी
05:00लेकिन ये मुनाफ़ा ट्रिकल डाउन करके डेरी फार्मर्स तक नहीं पहुंचा
05:04किसानों को अपना दूत, कॉंट्राक्टर्स को अभी भी एक फिक्स्ट प्राइस पर बेचना पड़ता था
05:08और ये प्राइस बहुत कम होता था अकसर
05:11गुजरात के किसानों के अंदर फ्रस्ट्रेशन जाग रही था
05:13और यहां हमारी काहानी में एंट्री होती है हमारे हीरो की
05:16त्री भुवनदास पटेल
05:18त्री भुवनदास पटेल एक गांधी जी से इंस्पायर लीडर थे
05:20जो साल 1930 में सॉल्ट सत्यागरे के लिए जेल भी जा चुके थे
05:24इन्होंने गांधी जी के दूरा चलाई गई
05:26बहुत सी मूव्मेंट्स में पाटिस्पेट किया था
05:28सिविल डिसोबीडियंस, हूरल डेवलप्मेंट,
05:31तो इनकी गाइडेंस के अंदर जो गुझरात के किसान थे
05:35वो मिलने गए सरदार वल्ला भाई पटेल से साल 1945 में
05:39किसानों ने अपनी प्रॉबलम्स के बारे में समझाया सरदार पटेल को
05:41और उनकी बात समझने के बाद सरदार पटेल का जवाब था
05:45Farmers of Kaira District United
05:48Basically उन्होंने कहा कि एक जूट हो जाओ, एकखटे हो जाओ, साथ में लडो
05:51उन्होंने किसानों को आइडिया दिया कि यहाँ पर एक Farmers Cooperative बनाई जा सकती है
05:55किसान अपना दूद खुद बेच सकते हैं
05:57और इस Cooperative का अपना खुद का Pasteurization प्लांट हो सकता है
06:01लेकिन सवाल यहाँ पर यह था कि क्या उस वक्त की बृटिश सरकार, किसानों के इस Cooperative से directly दूद को खरीट थी?
06:07अगर सरकार ही मना कर दे कि हमें इस Cooperative से दूद नहीं खरीटना, तो यह किसान क्या करेंगे फिर?
06:12सरदार पटेल ने सजेस्ट किया कि यह किसान फिर Strike कर ले, दूद ही बेचना बंद कर दे, ऐसा करने से कुछ loss खुद को उठाना पड़ेगा कुछ time के लिए, लेकिन अगर सब एक जूट होकर दूद ही बेचना बंद कर देंगे इन Milk Contractors को, तो क्या करेंगे यह सब?
06:26सरदार पटेल की यह बात बड़ी convincing लगी, इन्होंने अपने trusted deputy मुराजी भाई देसाय को काईरा district में भेजा, और कहा कि किसानों की मदद करें वो इस cooperative को बनाने में, और अगर जरूरत पढ़ी तो एक Milk Strike भी करें, एसे स्थापना होती है दोस्तो काईरा District Cooperative Milk Producers Union Limited की, यह cooperative
06:56Milk Strike पर चले जाते हैं, इन Milk Merchants को दूद ही बेचना बंद कर देते हैं,
07:00नतीजा यह होता है कि Bombay Milk Scheme पूरी तरीके से almost collapse कर जाती है, एक बूंद दूद तक नहीं पहुंच पाता बॉंबे,
07:07पंधरा दिन के बाद जो Milk Commissioner थे बॉंबे के, एक बृटिश इनसान थे,
07:11वो जाते हैं काईरा में, और Farmers की demand को फिर जाकर accept करते हैं,
07:15और किसानों का reaction कुछ ऐसा होता है,
07:18आत्मा को धर्टी से लाने वाला चाहिए
07:22मजाग कर रहा हूँ, लेकिन इस point पर हमारी कहाणी में,
07:24किसानों को success की पहली जलग देखने को मिलती हैं.
07:27त्री भुवनदास पटेल ये इंशौर करते हैं,
07:29कि ये जो cooperative हैं, कि गाओं के सारे milk producers के लिए खुला होगा,
07:33लोगों का धर्म नहीं देखा जाएगा, लोगों की जाती नहीं देखी जाएगी.
07:36दूसरी चीज़ ये इंशौर करते हैं,
07:38कि इस cooperative में one person, one vote का फंडा चलेगा.
07:41जितने भी किसान इस cooperative से जुड़े होए हैं,
07:43उनका economic status क्या है, social status क्या है, फरक नहीं पड़ता,
07:46हर कोई एक बराबर से vote कर सकता हैं.
07:48ये एक three tier structure बनाते हैं इस cooperative का,
07:51एक bottom-up approach लेते हैं.
07:53गांधी जी की socialism की philosophy थी,
07:55आत्म निर्भर ग्रामीन अर्थ व्यावस्ता,
07:58उसी socialist ideology के राउंड ये idea center करता है.
08:00Bottom level पर होंगे village cooperative societies,
08:03इसके उपर दूसरे level पर member unions आएंगे,
08:06और top level पर होगी एक federation इन सारे member unions की,
08:09एक state के level पर.
08:10आज के दिन अगर हम उल का example लेंगे,
08:12तो इस bottom level पर 18,600 village cooperative societies हैं.
08:1636,00,000 से ज़्यादा farmers इन cooperative societies का हिस्सा हैं.
08:19इसके उपर जाकर 18 member unions हैं हर district level पर.
08:22और फिर top पर एक federation है इन member unions की.
08:25लेकिन ये सब तो बात की बाते हैं.
08:27शुरू में जब त्री भोवनदास पटेल ने इसकी शुरुवात करी,
08:29सिरफ दो village cooperative societies थी,
08:32साल June 1946 में.
08:34Caira District Cooperative Milk Producers Union Limited को formally register किया गया
08:386 महीने बाद, December 1946 में.
08:40इसके बाद 15 August 1947,
08:43देश को अपना political independence मिलता है.
08:45और Caira में रहने वाले dairy farmers को अपना economic independence मिलता है.
08:50फाइदा यहाँ पर अक्शुली में सिरफ किसानों को ही नहीं हो रहा था.
08:52बल्कि Bombay Mill scheme के भी ही काफी पैसे बच रहे थें.
08:56क्योंकि उन्हें जो दूद किसानों से मिल रहा था,
08:58वो काफी कम प्राइस पे था as compared to जो Paulson से मिलता था.
09:01टाइम के साथ-साथ यह cooperative बड़ा होता गया.
09:03June 1948 में इन्होंने milk की pasteurization भी शुरूब करें.
09:07Pasteurization का मतलब होता है किसी भी food product को
09:10100 degree Celsius से नीचे heat करना
09:12ताकि कोई भी उसमें microorganisms हैं और diseases हैं तो वो मर जाएंगे.
09:17उससे shelf life बढ़ जाती है.
09:181948 के end तक करीब 432 किसान इन village societies में इसका हिस्सा बन चुके थे.
09:24और जो milk की quantity supply हो रही थी वो 5000 litre प्रती दिन हो चुकी थी.
09:29Actually, आगे चलकर Amul के success के पीछे एक बड़ा कारण यही था
09:32कि यह constantly टाइम के साथ-साथ अपने आप को upgrade करते रहे और नई technologies को adopt करते रहे.
09:38अभी recently हुए COVID-19 pandemic के दुरान भी इनकी digitization strategy successful prove हुई.
09:44ऐसे टाइम में भी इन्होंने अपनी growth बरकरार रखी.
09:46इस मारी काहानी में entry होती होती है, दोस्तो, दूसरे बड़े hero की.
09:49Dr. Varghese Kurien, जिनने हम father of the white revolution भी कहते हैं.
09:53बहुत ही बड़ा title है, लेकिन साल 1949 में यह सिर्फ 28 साल के लड़गे थें.
09:58इस age में इन्होने physics में अपना graduation किया था, mechanical engineering पढ़ी थी
10:02और Tata Steel Technical Institute को join किया था जमशेटपूर में.
10:06इन्होने सरकारी scholarship के लिए एक interview दिया, जहाँपर interview में इनसे पूछा गया,
10:09what is pasteurization?
10:11इन्होने जवाब दिया, इसका कुछ लेना देना है दूद की heating से.
10:15उन्होने कहा, thank you, आपको select कर लिया गया है scholarship के लिए for the dairy engineering.
10:20यह एकलोती ही scholarship बची थी.
10:22इसकी मदद से इन्होने specialized training करी,
10:24Imperial Institute of Animal Husbandry and Dairying, Bangalore में.
10:27फिर यह Michigan State University में पढ़ने चलेगा, यह अमेरिका में.
10:30हाला कि इन्हे scholarship, dairy engineering पढ़ने की मिली थी,
10:34लेकिन इनके खुद के शब्दों में, इन्होने यापर थोड़ी सी cheating करी,
10:37और actually में, metallurgy और nuclear physics पढ़ने लग गये.
10:40Actually में, इनका interest, nuclear physics में था.
10:42जब यह इंडिया वापस लोटे, तो Union Government ने इन्हे कहा,
10:45कि सरकारी scholarship पर पढ़े हो,
10:47तो भाई, अब सरकार के लिए कुछ तो करना होगा ना.
10:50सरकार की तरफ से एक bond थी, तो उन्हें सरकार की सुननी पढ़ी.
10:53सरकार ने इन्हे officer बना दिया,
10:55Dairy Division का माई 1949 में.
10:57इन्हे आनन्द शहर में,
10:58Government की एक butter making facility में भेज़ दिया गया,
11:01तीनसों पचास रुपए की salary पर.
11:03इनकी जो पूरी situation थी उस वक्त,
11:05वो बिल्कुल ऐसी थी जैसी अभिशेक की थी ये Panchayat web series में.
11:21उस वक्त इनका सिर्फ एकी मकसद था कि बही जल्दी से अपना ये bond खतम करो और निकलो यहां से.
11:26लेकिन chance की बात थी,
11:27कि ये जिस सरकारी building में काम करने लग रहे थे,
11:30वो एक shared building थी,
11:31जिसे काइरा cooperative union भी इस्टिमाल करने लग रहा थी.
11:34Chance की बात थी,
11:35कि एक दिन ये त्री भुवनदास पटेल से मिलते हैं,
11:38जो बड़े passionately काम करने लग रहे थे,
11:40अपने cooperative को build up करने के लिए.
11:42और Paulson company के खिलाफ fight करने के लिए.
11:45Dr. Varghese Kurien उनके इस जस्बे को देखकर बड़े impressed हो जाते हैं.
11:49त्री भुवनदास पटेल अकसर उनसे पूछा करते थे,
11:51जब भी कोई मदद की जरौत होती थी,
11:53जब कोई equipment तूट जाती थी तो.
11:55और Dr. Kurien ये पुरानी equipment ठीक करते-करते ठक गए,
11:59तो एक दिन उनने कहा या भाई तुम लोग एक नया प्लांट क्यों नहीं खरीद लेते?
12:03त्री भुवनदास पटेल ने का बड़ा अच्छा idea है,
12:05लार्सन & टूबरो कम्पणी का वो एक नया प्लांट खरीद लेते.
12:08जिस समय उनकी equipment आने वाली थी,
12:10डॉक्टर कुरियन को बदा चलता है,
12:12सरकारी सर्विस में जो उनको काम करना था,
12:14उसकी requirement अब खतम हो चुकी है,
12:16उनने सरकारी सर्विस से release कर दिया गया है,
12:18और अब वो चाहें तो बॉम्बे जाकर
12:20किसी बड़ी जॉब में अच्छे से काम कर सकते हैं.
12:22त्री भुवनदास को यह पढ़ा चलता है,
12:24तो यहाँ पर emotional हो जाते हैं.
12:26वो कहते हैं, तुस्सी जा रहे हो,
12:28तुस्सी ना जाओ. और किसी फिल्म
12:30की कहानी की तर है,
12:33अगले साल 1950 में, उन्हें
12:35cooperative का executive head बना दिया जाता है.
12:37अब यह कहानी सुनकर आपको लगेगा कि
12:39यह तो पुरी स्वधेस की मोहन भारगव वाली कहानी हो गई.
12:42कितना patriotism है इन में.
12:44कितना अच्छा moral character है इनका कि यह वापर वापस रुग गया.
12:46लेकिन reality में,
12:48डॉक्टर कोरियन अपनी autobiography में बताते है,
12:52एक बड़ा interesting view point देते हैं वह इस चीज के regard.
12:55वह कहते हैं कि वह वापर इसलिए नहीं रुके क्योंकि
12:57उनका कोई बड़ा noble intention था.
12:59वह दुनिया को बदलना चाहते थे.
13:01वह वहाँ इसलिए रुके क्योंकि बस,
13:04उन्होंने realize किया कि सिर्फ पैसा कमाना ही satisfaction नहीं है.
13:08जिंदिगी में satisfaction वो काम करने से मिलती है,
13:10जो काम करने में मज़ा आता है.
13:12जहांपे आपका passion है, जहांपर आपका interest है.
13:14और अपने काम में इस satisfaction को धूनते धूनते,
13:17उन्होंने देश बदल दी.
13:201953 तक आते आते इतना दूद produce होने लग रहा था
13:23कि Bombay Milk Scheme इतना दूद absorb भी नहीं कर पा रही थी.
13:26क्या किया जाए उस extra दूद के साथ?
13:28एक ही solution बचता है.
13:30उस extra दूद का इस्तिमाल करके उससे और milk products बनाने लग जाओ.
13:33यहाँपर milk powder बनाने का फैसला किया गया,
13:35लेकिन problem यह थी कि भैस के दूद को इतनी आसानी से spray dry करके
13:39milk powder में नहीं बदला जा सकता था.
13:41एक technological innovation की जरुवत थी.
13:43यह innovation दिया Dr. Kurian के दोस, Dr. Harichand Megha Dalaya ने.
13:48यह एक tech wizard थे और इनकी मदद से
13:50दुनिया का पहला buffalo milk spray dryer बनाया गया.
13:5331st October 1955, सरदार पतेल के birthday पर,
13:56इस दिन को चुना गया कि यह वो दिन होगा जब
13:59Caira Union का पहला milk powder plant inaugurate किया जाएगा.
14:03अपने समय में एशिया का largest plant,
14:05एक लाख नीटर milk हर दिन process करने की capacity.
14:08और दुनिया का पहला plant जो milk powder बनाता है buffalo milk से.
14:12Prime Minister पंडित जवहाला नहरू को guest of honour के तौर पर invite किया गया.
14:17Inauguration बड़े smoothly carry out करी जाती है
14:19और एक यह बड़ी famous picture है उस opening ceremony के दिन की
14:22जहाँ आप पंडित नहरू और इंद्रा गांधी को भी देख सकते हैं.
14:25जब यह decide कर लिया जाता है कि अब dairy products भी बनाए जाएंगे,
14:28तो एक brand name की भी जरूरत पड़ती है.
14:31अगर यह cooperative अपना खुद का milk powder और butter बना कर बेचेगा,
14:34तो कोई ना कोई brand का नाम थो चाहिए होगा जिस label पर इसे बेचा जाएगा.
14:38साल 1957 में, lab में काम कर रहे है एक chemist,
14:41नाम suggest करते है अमुल.
14:43आप पुछोगे यह अमुल नाम ही क्यों?
14:45यह अमुल शब्द आता है अमुल्य से, एक संस्कृत शब्द है,
14:49जिसका मतलब होता है priceless.
14:51लेकिन इतना ही नहीं, अगर आप आननद milk union limited का short form बनाओगे,
14:54तो वो भी अमुल निकलता है.
14:56तो दोनों तरफ से नाम बड़ा च्या fit बैठता है.
14:58तो अमुल बटर भी बनाने लग जाता है,
15:00लेकिन पॉलसन के बटर के सामने,
15:02अमुल का बटर फ्लॉप हो जाता है.
15:04दूद को क्रीम में बनाये जाता था सेमी दिन में,
15:06जिसकी वज़े से उसका कलर वाइट आ जाता था.
15:08उसी तरफ पॉलसन का जो बटर होता था,
15:10वो बासी क्रीम से बनता था.
15:12दूद को बिना रेफरिजिरेशन के दस दिन तक रखा जाता था,
15:15ताकि थोड़ा खटा टेस्ट आ जाए,
15:17लैक्टिक ऐसिट का जो बैक्टिरिया होता है,
15:19वो भी अपना काम दिखा पाए.
15:21और फिर पॉलसन बहुत ज़्यादा नमक डालता था अपने बटर में,
15:23ताकि उसके शेल्फ लाइव ज्यादा हो सके,
15:25ताकि उसको ज्यादा टाइम तक स्टोर किया जा सके.
15:27और एक और चीज थी,
15:29पॉलसन बटर गाय के दूच से बनता था,
15:31जिसकी वज़े से उसमें येलो कलर आता था.
15:33तो बड़ा ही स्पेशल टेस्ट जो था पॉलसन बटर का,
15:35नमकीन टेस्ट,
15:37और ये येलो दिखने वाला कलर,
15:39लोग इससे काफी यूस्ट चूँ हो चुके थे.
15:41अमुल का बटर दूसरी तरफ ना ही नमकीन था,
15:43और वाइट कलर का दिखता था.
15:45लोगों को लगता था ये क्या है, ये बटर नहीं है.
15:47तो अमुल को कम्पीट करने के लिए,
15:50यहाँ पर अपने बटर में भी नमक डालना पड़ा,
15:53येलो कलर करना पड़ा, कलरिंग देकर.
15:55और डॉक्टर कुरियन ऐसा करने से खुश नहीं हुए.
15:57वो काफ़ी आइडियलिस्ट इंसान थे.
15:59लेकिन ओवर टाइम उन्होंने भी रेलाइज कर लिया,
16:01कि कंस्यूमर सैटिसफैक्षन यहाँ पर बहुत जरूरी है.
16:04उसके बिना ये कंपनी सर्वाइब नहीं करेगी.
16:06ये स्ट्राटेजी सक्सेस्फुल प्रूव होई,
16:08टाइम के साथ साथ अमुल का बटर,
16:10पॉलसन की बटर से बेटर परफॉर्म करने लगा.
16:12ज्यादा बिकने लगा.
16:13और यहाँ पर एंट्री होती है,
16:15हमारी स्पेशल मार्केटिंग स्ट्राटेजीस की.
16:17यह जो अमुल गरल है, इसे हर कोई जानता है,
16:19आज के दिन. इसे अक्शुली में,
16:21गिनीज बुक को वर्ल रिकॉर्ट्स में भी एंट्री मिली हुई है,
16:23इसे साल, 1966 में बनाय गया था,
16:25सिल्वेश्टर दा कुना के द्वारा.
16:27और यह अक्शुली में एक response था,
16:29पॉलसन की बटर गरल के अगेंस.
16:31मार्केटिंग के लिए, जैसे आज के दिन,
16:33अमुल की बटर गरल है,
16:35एसे ही उस समय पॉलसन की बटर गरल हुआ करती थी.
16:39काईरा यूनियन और उनके ब्रैंड अमुल के सक्सेस के बाद,
16:41सिमिलर यूनियन्स आने लगे गुजरात के और डिस्ट्रिक्ट्स में.
16:45जैसे की बरोडा और सुरत में.
16:47लेकिन, ये अवाइड करने के लिए,
16:50अपने यूनियन्स बनाये और ये सब एक दूसरे से कम्पीट करें.
16:52ये सारे डिस्ट्रिक्ट यूनियन्स कमबाइन होकर साथ में आ गए,
16:55इन्होंने गुजरात कॉपरेटिव मिल्क मार्किटिंग फेडरेशिन बनाया,
16:59साल 1973,
17:01और काइरा यूनियन ने एगरी कर दिया,
17:02कि वो अपना ब्रैंड नेम अमुल,
17:04इस गुजरात कॉपरेटिव मिल्क मार्किटिंग फेडरेशिन को भी दे देगा.
17:07इसके सक्सेस के बाद,
17:08पंडित नहरूने कुछ important protectionist measures लिये,
17:11milk cooperatives को protect करने के लिए,
17:13बाकी बड़ी companies से.
17:15उनके बाद, प्रदान मंत्री लाल भाधुर शास्त्री ने भी,
17:17उनके इस vision को continue रखा.
17:19पॉल्सन की बात करें,
17:20तो पॉल्सन already कमजोर पड़ चुकी थी,
17:22company अमुल के सामने,
17:24क्योंकि अमुल की policy ज्यादा बेथर थी.
17:26लेकिन इस company को पूरी तरीके से,
17:28dairy business बंद करना पड़ा अपना,
17:30जब सरकार की policy ने कहा,
17:32कि dairy sector सिरफ cooperatives के लिए reserved रहेगा.
17:34ऐसा नहीं है कि इस company,
17:36आज के दिन पूरी तरीके से ख़तम हो चुकी है,
17:38इसके बाद, एक Operation Flood प्रोग्राम को लाउंच किया जाता है,
17:401969-70 में.
17:42दुनिया का सबसे बड़ा dairy development प्रोग्राम.
17:44इसका नतीजा क्या होता है?
17:46इंडिया अक्शुली में,
17:48milk-deficient dairy,
17:50प्रोग्राम को लाउंच किया जाता है.
17:52लेकिन, 1970s तक आते आते,
17:54इंडिया self-sufficient बन गया,
17:56milk की production को लेके.
17:581998 तक,
18:00इंडिया ने,
18:02इस प्रोग्राम को लाउंच किया जाता है.
18:04इसके बाद, एक Operation Flood प्रोग्राम को लाउंच किया जाता है,
18:061969-70 में.
18:08दुनिया का सबसे बड़ा
18:10हमें 55,000 टन milk powder
18:12import करना पड़ता था हर साल बहार के देशों से.
18:14लेकिन, 1970s तक आते आते,
18:16इंडिया self-sufficient बन गया,
18:18milk की production को लेके.
18:201998 तक, इंडिया ने
18:22US को पीछे चोड़ दिया, और इंडिया
18:24दुनिया का largest milk producing nation बन गया.
18:26Amul के success की कहानी,
18:28ये सिरफ एक company के success की कहानी नहीं है,
18:30बलकि ये पूरे देश की success की कहानी है.
18:32इस एक cooperative ने
18:34पूरे देश को milk surplus nation बना दिया.
18:36इतने लाखों किसानों को
18:38uplift किया इसने poverty से.
18:40ये इंडिया का largest self-sustainable
18:42rural employment प्रोग्राम भी है.
18:44Dr. Kurian ने Amul को protect करके रखा
18:46सरकारी बाबुज और बाकी corporate से.
18:48आज के दिन तक इस company को
18:50इस cooperative को stock exchange पर नहीं
18:52लिस्ट किया गई. इसका मतलब ये है कि
18:54इस cooperative के owners
18:56actually में farmers हैं. 80%
18:58revenue उनहीं के ही पास जाता है.
19:02Managing committee जो है village cooperative
19:04societies की उन्हें democratically elect
19:06किया जाता है. आज के दिन
19:08Amul अपने managing director RSOD की
19:10leadership के अंदर इतना grow कर चुका है
19:12कि इसका sales turnover 46,000
19:14करोड रुपीज क्रॉस कर चुका है.
19:1636 लाग से जाधा किसान इसका हिस्सा है.
19:18और इसकी collection capacity
19:202.63 करोड लीटर्स पर
19:22day की है. Amul की इस पूरी दासता
19:24को actually में बढ़िया तरीके से दिखाया
19:26गया है Manthan film में.
19:28तो सुबह के दूद के पैसे शाम को
19:30और शाम के दूद के पैसे सुबह मिल जाएगे.
19:32सब जाधी के लोग member बन सकते हैं
19:34और सब को बराबर के अधिकार मिलेंगे.
19:36एक बहुत ही बढ़िया फिल्म थी अपने जमाने की
19:38और अमरीशपुरी जैसे actors भी हैं.
19:40दो नैशनल अबोर्ड्स भी जीते थे इसने.
19:42और साल 1976 जब इसे बनाया गया था
19:44ये एंडिया की official entry भी थी
19:46ओसकर्स में. इस फिल्म को बनाने के लिए भी
19:48जो बज़ेट चाहिए था दस लाक रुपए का
19:50उसे crowd finance किया गया था
19:52पांच लाग किसानों के दुबरा.
19:54तो हर किसान ने दो रुपए दिये थे इस फिल्म को
19:56बनाने के लिए. इस फिल्म में दिखाई की
19:58success story इतनी inspirational थी कि
20:00बाद में जाकर इसे United Nations के
20:02development program में भी screen किया गया.
20:04और Africa और Latin America के देशों में
20:07आज के दिन ये फिल्म आप फ्री में देख सकते हैं
20:09अमुल के YouTube चैनल पर. इसका लिंक मैं
20:11नीचे description में डाल दूँगा अगर आप देखना चाहें थो.
20:13Unfortunate चीज बस इतनी है कि
20:15आज के दिन जो co-operatives है इंडिया में
20:17वो बाकी और चीजों में spread नहीं कर पाए.
20:19इतने successful तरीके से.
20:21तभी हमें खबरे देखने को मिलती हैं
20:23कि टमाटरों को सड़क पर गिरा दिया गया है,
20:25onions को dump किया जा रहा है.
20:27तो उमीद है आप में से कोई inspiration लेगा इस कहानी से
20:29और हो सकता है आप में से कोई ही.
20:31अगले डॉक्टर कोरियन यात्री भुविंदास पटेल बन जाएं.
20:33संधाय यहां क्लिक करके
20:35ऐसे ही और interesting वीडियो देख सकते हैं
20:37historical topics पर. बहुत-बहुत धन्यवाद.