The Mona Lisa Mystery | Mona Lisa Painting Hidden ..

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The Mona Lisa Mystery | Mona Lisa Painting Hidden Secrets | Himmat sh




In this video, Sh world fact dives deep into the captivating tale of the Mona Lisa. Set in the bustling city of Paris, an audacious theft occurs at the Louvre Museum. The mastermind, Vincenzo Peruggia, along with accomplices Michele Lancelotti and Vincenzo, manage to steal Leonardo da Vinci's iconic painting, the Mona Lisa. Astonishingly, the theft has remained unnoticed for nearly 30 hours. Eventually, the world is alerted to the crime, and even the legendary artist Pablo Picasso is questioned! The painting remains missing for 16 months, and its return to the Louvre only adds to its global fame. We then delve into the woman's identity depicted in the painting, Lisa Gherardini, and the various theories surrounding her. The painting's artistic traits, the science behind Mona Lisa's elusive smile, and the discovery of another possible version of the painting are also discussed. Join us as we unravel the mysteries behind one of the world's most celebrated artworks and its intriguing history

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Transcript
00:00उस टैब एक खोड़ा है जिम्तीग बिट्टे की पैंटिंग पर...
00:03भरका वाला का प्रसार रहती है
00:06जिम्ती पर कोई कोई पेंटिंग सूट बाड़े लियोनाडू में...
00:13दोस्तो हमारी इस दुन्या में एक ऐसी पैंटिंग भी मूझूद है
00:17जिसको बनाने में 16 साल का अर्शा लगता है
00:24और इस पेंटिंग को देखने के लिए
00:26दुनिया के दूर दरास इलाइकों से लोग आते हैं
00:28और इस पेंटिंग की एक जलत देखने के लिए
00:30लोगों के लाइने तक लग जाती है
00:32जी आप दोस्तो हम बात करें
00:33दुनिया के लार्जिस्ट पेंटिंग मोनालीजा के बारे में
00:4621 अगस्ट, 1911 को
00:48फ्रांस के केपीटल पेरिस में
00:50मंडे मॉर्निंग का टाइन होता है
00:51और म्यूजिम तक्रीबन खाली होता है
00:53इसी बात का फाइदा उठाकर
00:54म्यूजिम के अंदर से
00:55तीन लोग निकलते हैं
00:56जिनके हाथों में
00:57मौनालीजा की पेंटिंग होती है
00:59और ये तीनों आदमी नज़दी की
01:00रेलिवेटेशन पर पोचकर
01:01सुबा की ट्रेन में
01:02बैठकर भागने की कोशिश करते हैं
01:04मगर ये तीनों पकड़े जाते हैं
01:06क्यूंके इनके जो हाथों में पेंटिंग थी
01:08वो कोई शोटी मूटी पेंटिंग नहीं थी
01:09वो दुनिया की फेमेस और महेंगी तरीन पेंटिंग थी
01:121662 में इस पेंटिंग की प्राइस
01:14100 मिलियन अमिर की डौलर थी
01:16और 2019 में इस पेंटिंग की प्राइस
01:19850 मिलियन अमिर की डौलर थी
01:21ज्याने कि 600 करोड की पेंटिंग को
01:23कोई भी चुराने की कोशिश कर सकता है
01:25मगर दोस्तों हिरान करने वाली बात तो यह है
01:27कि एक पेंटिंग बनाने में 16 साल का अरसा लगा था
01:3116 साल एक बहुती बड़ा अरसा होता है
01:33वो भी पेंटिंग बनाने में
01:35और यह पेंटिंग 1519 में कमप्लीट हुई थी
01:37असल में मोनलीजा की पेंटिंग
01:39बनाने में ज्यादा अरसा इस वज़ा से लगा था
01:41क्यूंकि मोनलीजा के सिर्फ होंट
01:43बनाने में 12 साल का अरसा लगा था
01:45मेरे दुनिया में आज भी बहुती फेमस नाम है
01:47जिस पर मेनी सॉंग भी बन चुके है
01:49लेकर यह वर्ड एंग्लिश नहीं है
01:51यह इटैलियन है
01:53जिसका मतलब है माई लेडी
01:55लेकर मायरीन कहता है कि लिउनाडो देविंची
01:57पेंटिंग अभी भी अदूरी है
01:59देविंची इसको अभी भी यूनिक बनना चाते थे
02:01मगर इसकी डेव्ट होने के कारण
02:03ये मुकमल ना हो पाई
02:05कहते हैं कि देविंची पेंटर के इलावा
02:07एंजिनियर, साहिसदान, एथ्यूस
02:09और आर्किटेक्स भी थे
02:11इस पेंटिंग में नजर आने वाले उरत आखिर कौन थे?
02:13और क्यों आजकल लोग इस उरत को लेकर
02:15अलग-अलग चनाख बताते हैं?
02:17पेंटिंग को लेकर सबसे पहला
02:19खुलासा जोरजो वसारी नामी इटैलिन
02:21आर्टेस्ट ने किया था
02:23जिसने 1550 में दे विंची की पेंटिक
02:25के उपर मालूमात लिखी थी
02:27जोरजो वसारी के मदाबिक
02:29इस उरत का नाम लिजा गिरादीन है
02:31और इस उरत ने फिलोरिंड शहर में
02:33रहने वाले एक सिलिट केडर के साथ
02:35मिरेज की थी जिसका नाम है
02:37वसारी के अकोर्डिंग
02:39फ्रांसको ने ये पेंटिंग
02:41अपने बेगम के लिए बनवाई थी
02:43इस पेंटिंग के दो नाम थे
02:45जिनमें पेला नाम जो आज भी मशूर है
02:47मोना लिजा और इसका दूसरा नाम
02:49लेजा गिरादीन है और आज भी
02:52आज भी अगर आप पेरेस में इस पेंटिंग को
02:54देखना चाहोगे तो इस पेंटिंग के उपर
02:56लेजा गिरादीन ही लिखा हुआ है
02:581550 में लोग ये यकीनी नहीं करते
03:00कि वसारी ने जो बताया है वो
03:02रियल स्टोरी नहीं वो fake है
03:04कि इसको अलग-अलग समझने लगे कि देविंची
03:06की मॉदर होगी तो कोई लोग समझने लगे
03:08कि एटलेन कोई राणी होगी तो पर ये
03:10पेंटिंग किसी उरत थी नहीं बलके जो
03:12कॉंडो ने इस पेंटिंग में खुद को ही बनाया था
03:14और इसने एमाइजन किया कि अगर वो एक उरत होते तो वो कैसे देखते हैं
03:18और ये सब बाते में अपनी तरफ से नहीं कह रहा हूँ
03:20बलके 1987 में
03:22लेलिम सचौर्टिस नामी एक उरत ने
03:24आर्टिकल लिखवाया था इस उरत ने
03:26अगर इस बात में कोई भी सचाई नहीं थी
03:28फैक्ट तो यही है कि ये पिक्चर
03:30मोना लीजा की थी
03:32इसी बात को प्रूफ करने के लिए
03:34फॉरोसिंग में रहने वाले एक प्रोफेसर
03:36ने इस पैंटिंग के उपर 25 साल तक
03:38रीसर्च की
03:40इसको ये भी सबूत मिला कि
03:42दवांची का करीबी रिष्टा था
03:44फ्रांस को जोकोंटो की फैमिली से
03:46इसको ये भी एवेडिन्स मिला कि
03:48लीजा की मेरेज पांश मर्झ
03:501495 के होई थी जब
03:52लीजा की एज़ 16 साल थी
03:54और फ्रांसको की एज़ 30 साल थी
03:56और इनको ये भी सबूत मिलता है कि
03:58दवांची के फादर और लीजा के अस्पेंड
04:00एक दूसरे के बोहती अच्छे दोस्त थे
04:02ये भी हो सकता है कि इस पैंटिंग
04:04मो बनने का काम मोना लीजा के अस्पेंड
04:06नहीं दवांची के फादर के दोरा
04:08करवाया गया हो
04:10पिलांटिंग के मताबगे
04:12जब ये पैंटिंग बनाए गए थी उस टाइम
04:14पे मोना लीजा की 24 साल थी
04:16इस पैंटिंग को बनाने के पिछे
04:18तीन कारण बताए जाते हैं जिनमें पहला
04:20कारण 1503 में जब मोना लीजा
04:22ने अपने खुद का घर पर्चेस किया था
04:24या फिर दूसरा उठ जब 1502 में
04:26इनका दूसरा बैटा पैदा हुआ था
04:28और तीसरा कारण थोड़ा अजीबी है
04:30क्योंकि जब आप इस पैंटिंग को
04:32जूम करके देखोगे तो आपको
04:34मोना लीजा के सर पर एक परदा चड़ा हुआ लज़र आएगा
04:36क्योंकि इतालियन कल्चर में ये परदा तब चड़ाया जाता है
04:38जब घर में किसी की डेथ हो गई हो
04:40अब सवाल ये उठता है
04:42कि देवांची और मोना लीजा इतालियन थे
04:44तो ये पैंटिंग इतली में होने के बज़े
04:46फरांस में क्यूं है
04:48इस पैंटिंग को चुराने की कोशिश की थी
04:50इतनी महंकी पैंटिंग को चुराना
04:52कोई आसान काम भी तो नहीं है
04:54असल में इस चोरों का मकसल सिर्फ यही था
04:56कि ये पैंटिंग इतली के अंदर होनी चाहिए थी
04:58जैसा कि हमने आपको पहले बताया
05:00कि ये पैंटिंग अखिर इतनी पापूलर हुई कैसे
05:02दर असल ये पैंटिंग सुर्ख्यों में तब आती है
05:04जब इस पैंटिंग को चुराया जाता है
05:06असा कि हमने आपको पहले ही बताया
05:08कि ये पैंटिंग 21 अगस्त 1911 को चोरी हुई
05:10दर असल ये पैंटिंग सुर्ख्यों में तब आती है
05:12जब इस पैंटिंग को चुराया जाता है
05:14असा कि हमने आपको पहले ही बताया
05:16कि ये पैंटिंग 21 अगस्त 1911 को चोरी हुई
05:18जहां से ये पैंटिंग चोरी होती है
05:20वहाँ का अमला परिशान होता है
05:22कि इतनी बड़ी पैंटिंग को आखे कैसे चुराया गया
05:24कहा जाता है कि इस पैंटिंग के चोरी के बाद
05:26पहला शक बाबु पकास उपर गया था
05:28मगर पुष्टाश के बाद और सबूत
05:30ना मिलने के कारिन इसको बात में
05:32रियाख कर दिया गया
05:34पाफी दिनों की पुष्टाश के बाद
05:36पता चलता है कि ये चोरी
05:38किसी और नहीं बलके म्यूजियूम के
05:40एक एपलोई ने की है वो भी एक
05:42इतालिन शक्त ने जिसका नाम वैं
05:44सैंजो पर गया और ये इतालिन शक्स
05:46था वो बताते हैं कि ये पैंटिंग चुरा
06:04पाफी दिनों की पुष्टाश के बाद
06:06पता चलता है कि ये एक एपलोई ने की है वह
06:08पता चलता है कि ये एक एपलोई ने की है वह
06:10पता चलता है कि ये एक एपलोई ने की है वह
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