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00:00ये दिबत में मौझूद दरिया का वो जुकाउ है जिसे ग्रेट बेंड भी कहते हैं
00:04यारलंग जैंकबो रिवर में एक शांदार यूटर्न जो अपना रास्ता बदल कर पानी को इंडिया और बंगलादेश की तरफ लेकर जाता है
00:12जहां इसी रिवर को ब्रहमापुत्रा कहा जाता है
00:15इंडिया में इसका नाम चाहे जो कुछ भी हो इस से चायना को कोई लेना देना नहीं
00:20चायना की नजर तो कई सालों से इसी यूटर्न पर है जो के कोई मामूली यूटर्न नेहीं
00:26बल्के ये आने वाले सालों में शायद इस रीजन में नई जंगें भी पैदा करवा सकता है।
00:31जैम टीवी के वीडियो's में एक बार फिर से खुशाम दी।
00:34नाजरीं यारलंग जेंगबो रिवर का ये हिस्सा हिमालियास के उंचे तरीन पहाडों से लिब्टा हुआ है।
00:40जिसको यारलंग जेंगबो ग्रेंड कैनियन भी कहते हैं।
00:44लंबाई में ये वादी 505 किलो मीटर तक फैली हुई है
00:47जो एरीजोना के दी ग्रेंड कैनियन से 50 किलो मीटर बड़ी और 3 कुना गहरी है।
00:53कैनियन दर असल किसी भी वादी को कहते हैं जिसके बीच से पानी गुजर रहा हो।
00:57इस वादी का फायदा उठाते हुए चाइना ने यहां पर दुनिया का सबसे ताकतवर डैम बनाने का फैसला किया है।
01:04ठीक इस जगा पर जो दुनिया की सबसे रिमोट लोकेशन है।
01:08इस यू टर्न पर पिछले 20 सालों से चाइना की नजर है और इसकी खास बात इसकी धलान यानी सलोप है।
01:16ठीक इस जगा से देखा जाये तो दर्या 7000 मीटर उंचे पहार के साथ साथ होता हुआ एक यू टर्न बना कर पहार की दूसरी साइड से वापस आता है।
01:25मज़े की बात ये है कि ठीक इस लोकेशन पर दर्या की उंचाई 2870 मीटर है लेकिन यू टर्न करने के बाद ठीक इस जगा पर दर्या की उंचाई सिर्फ 870 मीटर रह जाती है।
01:38ये करीब 2000 मीटर की सलोप बनती है यानी पहार के वेस्ट में वोही दर्या जो 2870 मीटर उपर बह रहा था
01:47वोही दर्या सिर्फ थोड़ा सा फासला तै करने के बाद 2000 मीटर नीचे आ जाता है।
01:53चाइनीज एक्सपर्ट्स ने यहां डैम बनाने के कई प्रोपोजल्स दे रखे हैं जिसमें से एक है इस 7000 मीटर उंचे पहार के बीच टनल खोद कर हाईड्रो पावर स्टेशन बनाना।
02:04अब क्यूंकि पहार के वैस्ट में बहने वाला दर्या 2870 मीटर की उंचाई पर है,
02:09तो अगर यहां से इसका रास्था बंद करके पहार के अंदर टनल खोदा जाए और दर्या के पानी को सीधा पहार के इस्ट में बहने वाले दर्या में गिराया जाए,
02:20तो ये प्रोजेक्ट एक अन्दाजे के मताबेग
02:2260 Giga Watt Electricity आसानी से जेनरेट कर पाएगा।
02:26ये दुनिया के सबसे बड़े
02:293 Gorgeous Dams से जेनरेट होने वाली बिजली से भी 3 times ज्यादा है।
02:33इस प्रोजेक्ट को Motuo Hydropower Station का नाम दिया गया है,
02:38जिसके टनल की लंबाई करीब 40-50 km लंबी होगी,
02:42जिसके बीच में एक दो नहीं बलके Multiple Turbines लगाई जा सकेंगी।
02:47जहां Conventional Dams में पानी को स्टोर किया जाता है,
02:51वहीं यहां पर Dam बनाने के लिए ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी।
02:55क्योंके दो तरफ से तो उंचे पहाड हैं जो Dam की नैचरल दिवार के तौर पे काम करेंगे।
03:01जबके इस लोकेशन पर एक दिवार खडी करके पानी को रोका जा सकता है।
03:06अब अगर यहीं दिवार पर टर्बाइन लगा कर पानी को परली साइड पे गिराया गया,
03:10तो सिर्फ ये 200 मीटर ही नीचे गिरेगा, जिससे कम फोर्स जेनरेट होगी और अल्टिमेटली कम बिजली बनेगी।
03:18लिहाज़ा दिवार के पास से 40 या 50 किलो मीटर का टनल खोद कर उसको 2000 मीटर नीचे इस लोकेशन पे गिराया जाएगा।
03:26अब आप सोचें कि जहां त्री गॉर्जस डैम की दिवार 180 मीटर उंची है और वो अभी तक का सबसे ज्यादा बिजली जेनरेट करने बाला डैम है।
03:36तो यहां तो पानी 2000 मीटर तक नीचे जाएगा, पर जहां इसके फाइदे हैं वहीं धेर सारे नुकसानात भी।
03:43एक्सपर्ट का मानना है कि चाइना को ये प्रोजेक्ट बनाने में काफी मुश्कलें पेश आ सकती हैं।
03:48सबसे पहले तो ये जगा तिबत की रिमोट लोकेशन पे है जहां अभी तक कोई प्रॉपर रोड नेटवर्क नहीं है।
03:55इस डैम को बनाने के लिए मशीन कैसे पहुंचाई जाएंगी जिसमें क्रेंज वगारा का पहुंचना तो शायद इतना बड़ा मसला ना हो।
04:03लेकिन 6000 टन वजनी और 1500 मीटर लंबी टनल बोरिंग मशीन को इस उंचे पहाडों के बीच पहुंचाना इंजिनियर्स के लिए काफी मुश्किल टास्क हो सकता है।
04:14याद रहे कि जितना बड़ा टनल यहां बोर किया जाएगा उतना ही फ्रांस और युके को आपस में जोडने के लिए भी बोर किया गया था जिसको चैनल टनल कहा जाता है।
04:24उसमें टोटल 6 साल का वक्त और 6 बिलियन पाउंड से ज्यादा का खर्चा आया था वो भी 1988 में
04:32यानि आज के एस्टिमेट्स के मताबिक अगर चाइना यह दुनिया का सबसे बड़ा हाईड्रो पावर स्टेशन बनाता है
04:38तो इसमें सिर्फ टनल खोदने में ही 30 से 40 बिलियन डौलर्स का खर्चा आ सकता है।
04:44जी हां 3400 अरब रुपे जिसमें टर्बाइन्स का खर्चा शामिल नहीं है
04:49और क्यूंके इस टनल से हजारों क्यूबिक मेटर पानी गुजरेगा
04:53तो जाहर है इसको मजबूत बनाने के लिए टनल की दिवारों को कॉंक्रीट और स्टील के मोल्ड से धखा भी जाएगा
05:00ये सब तो उस कंडिशन में होगा जब सब कुछ प्लैन के मताबिक चल रहा हो
05:05लेकिन अगर आपको नहीं पता तो आपको बताते चलें
05:08कि ये जगा ठीक फॉल्ट लाइन के उपर मजूद है
05:12जहां एंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट आपस में आकर मिलती हैं
05:16यही वो जगा है जो दुनिया के सबसे खतरनाक अर्थकोईक्स का एपी सेंटर थी
05:221950 में यहां से सिरिफ 200 किलोमेटर दूर एंडियन स्टेट असाम में 8.5 में जलजला आया था
05:30और एर 1901 से लेकर आज तक पूरे हमालिया में
05:344000 से ज्यादा छोटे बड़े अर्थकोईक्स रिकॉर्ड किये जा चुके हैं
05:39एक्सपर्ट का मानना है कि वो डैम्स जिनकी उंचाई 100 मीटर से ज्यादा है
05:44और वो फॉल्ट लाइन पर मौझूद हों
05:46तो वो आसानी से 6 मेगनिट्यूट का जलजला पैदा कर सकते हैं
05:50क्यूंकि वो अर्थ का नैचरल वेट शिफ्ट खराब कर देते हैं
05:53जिसकी वजासे नीचे मौझूद टेक्टॉनिक प्लेट्स को भी उस हिसाब से अज्जस्ट होना पड़ता है
05:59इसके इलावा ये एरिया जहां मोटूओ हाईड्रो पावर इस्टेशन का प्रोपोजल दिया गया है
06:05ये जान लेवा लैंड स्लाइड़ का गड़ भी है
06:082021 में यहां लैंड स्लाइड की वजासे यारलंग जैंकबो रिवर का एक हिसा बलॉक हो गया था
06:15जिसकी वजासे पानी को अपना रास्ता बदलना पड़ा
06:18इसी एरिया में इंडियन हेमालिया में भी लैंड स्लाइड की वजासे फलेश फलड्स ट्रिगर हुए
06:23जिसमें कई लोगों की जान गई और उसने दो हाईड्रो पावर इस्टेशन को भी नुकसान पहुंचाया
06:30इन सब मसलों के साथ साथ चाइना को अगर दुनिया का सबसे बड़ा हाईड्रो पावर इस्टेशन बनाना है
06:36तो उसको इंडिया को भी फेज करना होगा
06:39जैसा के आप देख सकते हैं कि यारलंग जेंगबो रिवर का वो हिसा
06:43जो डैम के बाद नीचे जा रहा है
06:45कुछ ही फासले के बाद वो इंडियन इस्टेट आरुनाचल पर्देश में दाखिल हो जाता है
06:50ये वो इंडियन इस्टेट है जिसको चाइना अपना हिसा मानता है
06:54और इसी बात को लेकर यहां कई मरतबा इंडियन और चाइनीज का कलैश भी हो चुका है
07:001960 से लेकर इंडिया और चाइना की कई बार इसी डिस्पूटिड एरिया को लेकर लड़ाई हो चुकी है
07:07हाल ही में 2020 की बात है जब इंडियन और चाइनीज सोलजर्स के बीच गल्वान वैली में एक जडब देखी गई
07:14जिसकी वज़ा से एक ज़वान की मौत भी हुई
07:30क्योंके इंडिया और चाइना दोनों नुकलियर पावर कंट्रीज हैं
07:34यहां डैम बनाने की वज़ा से चाइना का इंडिया और बंगलादेश में जाने वाले पानी पर भी फुल कंट्रोल पैदा हो सकता है
07:41जो चाइना अपने हत्यार के तौर पे भी इस्तमाल कर सकेगा
07:45पुल मिलाकर बात यह है कि मौटवो हाइड्रो पावर स्टेशन ना सिरिफ एंवार्मेंट के लिए खतरनाक है
07:51बलके इस पूरे घित्ते में नई जंगों का आगाज भी कर सकता है
07:55तो फिर चाइना के लिए ये इतना ज्यादा जरूरी ही क्यों है
07:59देखा जाये तो अबादी के लिहाज से चाइना दुनिया का दूसरा बड़ा मुल्क है
08:04लेकिन अलेक्ट्रिसिटी की कंजंब्शन में इसका पहला नंबर है
08:07इंडिया जिसकी पपुलेशन चाइना से भी ज्यादा है
08:10यहाँ सालाना बिजली की खपत 14 लाक गीगा वाट्स है
08:14जबके चाइना की 78 लाक गीगा वाट्स
08:17इसकी में वज़ा चाइना में पाई जाने वाली फैक्ट्रीज है
08:21यानि ये चाइना की बढ़ती हुई एकनोमी की रीड की हड़ी है
08:25जिसे चाइना किसी भी सूरत कम नहीं कर सकता
08:28अपनी एलेक्ट्रिसिटी डिमांड्स को पूरा करने के लिए
08:31चाइना ने पूरे मुल्क में 98,000 से भी ज्यादा
08:35हाइड्रो पावर डैम्स बना रखे हैं
08:37लेकिन इसके भावजूत भी अभी तक चाइना की
08:4070% एलेक्ट्रिसिटी फॉसल फ्यूल के जरीए पैदा होती है
08:44चाइना का विजन है कि उनको 2060 तक
08:47कार्बन एमिशन पर कंट्रोल पाना है
08:50क्योंके जैसा के आप सब जानते हैं
08:52कि वो वक्त दूर नहीं जब दुनिया से
08:54फॉसल फ्यूल का खातमा हो जाएगा
08:57तो अगर 2060 तक चाइना ने
08:59अपनी डिपेंडेंसी फॉसल फ्यूल पर से खातम ना की
09:02तो वो अपना ये मकाम खो सकता है
09:05मोटूओ हाइड्रो पावर स्टेशन
09:07जो के 60 गीगा वाट अलेक्रिसिटी जेनरेट करेगा
09:10वो चाइना की 78 लेक गीगा वाट की
09:13खपत के सामने ऐसे ही है
09:15जैसे डूबते को तिंके का सहारा
09:18एक्सपर्ट का ख्याल है कि अगर चाइना को
09:20फॉसल फ्यूल पर से डिपेंडन्सी खतम करनी है
09:22तो उनको डेम्स के साथ साथ
09:24दूसरे ग्रीन एनर्जी के सौर्सिस पर भी काम करना होगा
09:28तब जाकर वो अपनी डिमांड्स को पूरा कर पाएगा
09:31उमीद है जैम टीवी की ये वीडियो भी आप लोग भरपूर लाइक और शेयर करेंगे
09:36आप लोगों के प्यार भरे कॉमेंट्स का बेहद शुक्रिया
09:39मिलते हैं अगली शांदार वीडियो में

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