Story Introduction:
Story 1st : क़ातिल डॉक्टर
मल्रयेशिया की पुलिस एक इश्तेहार देती है इश्तेहार केरल के अख़बार में छपता है। इस इश्तेहार में एक मुर्दे की तस्वीर थी। तस्वीर देखते ही केरल पुलिस की नज़रों के सामने 22 साल पुराना एक चेहरा अचानक तैरने लगता है। यह चेहरा था एक ऐसी कातिल डॉक्टर का जिसने अपनी मोहब्बत के टुकड़ों को दो बैग में बंद कर दिया था।
Story 2nd : भूतिया स्टेशन
सदियों से ये बहस चली आ रही है कि क्या सच में भूत.प्रेत होते हैं? हालांकि हमारा कानून और संविधान भूत.प्रेत को नहीं मानता। लेकिन इसके बावजूद हमारे देश का एक रेलवे स्टेशन पूरे 42 सालों तक सिर्फ एक भूत की वजह से बंद रहा। पूरे 42 सालों तक इस रेलवे स्टेशन पर एक भी ट्रेन नहीं रूकी। पूरे 42 सालों तक रेलवे ने इस स्टेशन पर किसी स्टाफ की ड्यूटी नहीं लगाई। आखिर कौन थी वो भूत और रेल गाड़ी से इतनी नफरत क्यों थी? पश्चिम बंगाल के पुरूलिया ज़िले का बेगुनकुडोर रेलवे स्टेशन हिंदुस्तान के किसी भी आम रेलवे स्टेषन जैसा है।
Story : 3rd चंबल का डाकू
आम सुबह जैसी। आज सुजीत को किसी काम से आगरा जाना था। वो सुबह ही नाश्ता करके घर से ये कह कर निकल गया कि देर शाम तक लौट आएगा। मगर अब तो शाम रात की तरफ करवट ले रही थी। पर सुजीत अभी तक घर नहीं लौटा था। बबली कई बार फोन भी कर चुकी। मगर फोन बंद आ रहा था।
Aakriti Advertising Present Kahaniyan Zindagi Se
Produced by Chaman Gupta
Written By : Savitri Balooni
Background Music : Nand Kishore
Sound Engineer : Vinita Banerjee
Cinematographer : Munesh Kumar
Video Editor : Dalvir Singh
Voice : Suchitra Gupta & Neeraj Sharma
Co-ordinator : Ms. Ritu Kumari
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Story 1st : क़ातिल डॉक्टर
मल्रयेशिया की पुलिस एक इश्तेहार देती है इश्तेहार केरल के अख़बार में छपता है। इस इश्तेहार में एक मुर्दे की तस्वीर थी। तस्वीर देखते ही केरल पुलिस की नज़रों के सामने 22 साल पुराना एक चेहरा अचानक तैरने लगता है। यह चेहरा था एक ऐसी कातिल डॉक्टर का जिसने अपनी मोहब्बत के टुकड़ों को दो बैग में बंद कर दिया था।
Story 2nd : भूतिया स्टेशन
सदियों से ये बहस चली आ रही है कि क्या सच में भूत.प्रेत होते हैं? हालांकि हमारा कानून और संविधान भूत.प्रेत को नहीं मानता। लेकिन इसके बावजूद हमारे देश का एक रेलवे स्टेशन पूरे 42 सालों तक सिर्फ एक भूत की वजह से बंद रहा। पूरे 42 सालों तक इस रेलवे स्टेशन पर एक भी ट्रेन नहीं रूकी। पूरे 42 सालों तक रेलवे ने इस स्टेशन पर किसी स्टाफ की ड्यूटी नहीं लगाई। आखिर कौन थी वो भूत और रेल गाड़ी से इतनी नफरत क्यों थी? पश्चिम बंगाल के पुरूलिया ज़िले का बेगुनकुडोर रेलवे स्टेशन हिंदुस्तान के किसी भी आम रेलवे स्टेषन जैसा है।
Story : 3rd चंबल का डाकू
आम सुबह जैसी। आज सुजीत को किसी काम से आगरा जाना था। वो सुबह ही नाश्ता करके घर से ये कह कर निकल गया कि देर शाम तक लौट आएगा। मगर अब तो शाम रात की तरफ करवट ले रही थी। पर सुजीत अभी तक घर नहीं लौटा था। बबली कई बार फोन भी कर चुकी। मगर फोन बंद आ रहा था।
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Produced by Chaman Gupta
Written By : Savitri Balooni
Background Music : Nand Kishore
Sound Engineer : Vinita Banerjee
Cinematographer : Munesh Kumar
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