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दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को महाराष्ट्र के लिए विभिन्न परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आजादी से पहले देश में जो सामाजिक हालात थे, जो गरीबी और भेदभाव था उन हालातों में हमारी बेटियों के लिए शिक्षा बहुत मुश्किल थी। सावित्रीबाई फुले जैसी विभूतियों ने बेटियों के बंद शिक्षा के दरवाजों को खोला लेकिन आजादी के बाद भी देश उस पुरानी मानसिकता से पूरी तरह मुक्त नहीं हुआ। कितने ही क्षेत्रों में पिछली सरकारों ने महिलाओं की एंट्री बंद कर रखी थी। स्कूलों में शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव था इसके कारण स्कूल होने के बावजूद भी स्कूलों के दरवाजे बेटियों के लिए बंद थे। जैसे ही बच्चियां थोड़ी बड़ी होती थीं उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ता था।

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00:00सामाजिक चेतना के उज्जन आन्दोलन की इस बृतियों को जीवन्त करेगा।
00:07ये मेमोरियल हमारे समाज को, हमारी नई पीड़ी को प्रेरिणा देगा।
00:17भाईयो और भहनों, आजादिक के पहले देश में जो सामाजिक हालात थे,
00:27जो गरीबी और वेदभाव था, उन हालातों में हमारी बेटियों के लिए सिख्षा बहुत मुश्किल थी।
00:41सावीत लिबाई फूले जैसी बिभुतियों ने बेटियों के बंद सिख्षा के दरबाजों को खोला,
00:52लेकिन आजादि के बाद भी देश उस पुरानी मांसिकता से पुरी तरह मुक्त नहीं हुआ,
01:02कितने ही खेत्रों में पिछली सरकारों ने महिलांगों की एंट्री बंद करके रखी थी,
01:12स्कूलों में सौचालई जैसी मुल्बुत सिविदाओं का भाव था, इसके कारण स्कूल होने के बावजुत भी स्कूलों के दरबाजे बेटियों के लिए बंद थे,
01:27जैसे ही बच्चियां थोड़ी बड़ी होती थी, उन्हें स्कूल छोड़ना पढ़ता था,
01:34सैनिक स्कूलों में तो बेटियों के एड्मिशन पर रोग थी, सेना में जादातर कारक शेत्रों में महिलाओं की नियूगती पर रोग थी,

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