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केसरिया रंग तने लाग्यो ना गरबा..., ढोलिडा ढोल रे वगाड़ा मारे हीच लेवे छे...,पंखिड़ा रे उड़ने जाजे पावागढ़ रे.., राधे-राधे बरसानी वाली राधे..., ओढऩी ओढूं तो उड़ी-उड़ी जाए..., झूमे रे गोरी, घूमे रे गोरी... समेत सरीखे कई गीतों की धुनों पर जमकर गरबा खेला गया। गुजराती-पंजाबी गीतों और परंपरागत वेशभूषा की जुगलबंदी ने माहौल संस्कृति से लबरेज कर दिया। देर रात गरबा व डांडिया का खुमार रहा।

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