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अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क से नर शावक को रामगढ़ में शिफ्ट किया

कोटा. अभेड़ा में पल रहे रणथंभौर की बाघिन के नर शावक को रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के 5 हैक्टेयर के एनक्लोजर में छोड़ा गया। दो साल पहले बाघिन टी-114 की मौत के बाद उसके दो शावकाें को अभेड़ा में शिफ्ट किया गया था। संभवतया प्रदेश का पहला ऐसा मामला है, जिसमें जंगल से लाए शावक को जू में रखकर फिर से जंगल में छोड़ा गया। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति मिलने के बाद नर शावक को रामगढ़ में रिलीज किया गया, जबकि मादा शावक को मुकुन्दरा हिल्स में छोड़ा जाएगा। फिलहाल नर शावक की एनक्लोजर में 24 घंटे मॉनिटरिंग की जाएगी। जब वह जंगल के वातावरण में ढल जाएगा और स्वाभाविक रूप से शिकार करने लगेगा तो हार्ड रिलीज किया जाएगा।

यो किया शिफ्ट

शावक की शिफि्टंग के लिए प्रोसेस सुबह 10 बजे शुरू हुआ। मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व के चिकित्सक तेजेन्द्र रियाड़, रणंथभौर से विशेषज्ञ चिकित्सक राजीव गर्ग, वाइल्ड लाइफ के डॉ विलास राव गुल्हाने की टीम ने 10.30 बजे शावक को ट्रेंकोलाइज किया। उसका स्वास्थ्य परीक्षण कर 11.30 बजे टीम शावक को लेकर रामगढ़ के लिए लेकर रवाना हो गई। शिफि्टंग की प्रक्रिया संभागीय मुख्य वन संरक्षक आरके खैरवा, मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व के उपवन संरक्षक मुथु एस, वाइल्ड लाइफ के अनुराग भटनागर व रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के उप वन संरक्षक संजीव शर्मा, पूर्व वन अधिकारी दौलत सिंह शक्तावत, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के राजशेखर की मौजूदगी में हुई।


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