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  • 4 days ago
"मीठे बच्चे- यह मुरली तुम्हें अज्ञानता के अंधकार से निकाल ज्ञान के प्रकाश में ले जाने के लिए है। इसे सुनो, समझो और अपने जीवन में धारण करो!" – शिव बाबा

यह सिर्फ शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि परमात्मा के श्रीमुख से निकला अमृत है, जो आत्मा को शक्तिशाली बनाता है। मुरली वह मार्गदर्शक है जो हमें पुराने संस्कारों से मुक्त कर नई सतयुगी दुनिया का अधिकारी बनाती है। यह हमें सच्ची शांति, अटल सुख और निर्विकारी जीवन की ओर ले जाती है।

✨ मुरली सुनें, मनन करें और इसे अपने जीवन में धारण करें! ✨
ओम शांति!

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Transcript
00:00मुरली अम्रित की धारा है धारा जो देती दुखों से किनारा
00:11ओम शान्ती आए सुनते हैं पंदरह अप्रैल दोहजार पच्चीस
00:29दिन मंगलवार की साकार मुरली
00:31शिव बाबा कहते हैं मीठे बच्चे बाप तुम रुहों से रुहरीहन करते हैं तुम आए हो बाप के पास किस जन्मों के लिए अपनी लाइफ इंशूर करने तुम्हारी लाइफ ऐसी इंशूर होती है जो तुम अमर बन जाते हो
00:49प्रश्न
00:50मनुष्य भी अपनी लाइफ इंशूर कराते और तुम बच्चे भी दोनों में अंतर क्या है उत्तर
00:58मनुष्य अपनी लाइफ इंशूर कराते कि मर जाए तो परिवार वालों को पैसा मिले तुम बच्चे इंशूर करते हो कि 21 जन्म हम मरें ही नहीं अमर बन जाए
01:08सत्यूग में कोई इंशोर कंपनिया होती नहीं
01:12अभी तुम अपनी लाइफ इंशोर कर देते हो
01:14फिर कभी मरेंगे नहीं या खुशी रहनी चाहिए
01:17गीद
01:19यह कौन आ जाया? सवेरे सवेरे
01:22ओम शांती
01:24रूहानी बाप बैठ रूहानी बच्चों से रूहरिहान करते है
01:28तुम बच्चे जानते हो बाप हमको अभी 21 जन्म
01:32तो क्या 40-50 जन्मों लिए इंशोर कर रहे है
01:35वो लोग इंशोर करते है कि मर जाये तो उनके परिवार को पैसा मिले
01:40तुम इंशोर करते हो 21 जन्मों के लिए मरें ही नहीं
01:44अमर बनाते हैं न
01:45तुम अमर थे, मुलवतन भी अमर लोग है
01:49वहां मरने जीने की बात नहीं रहती
01:51वो है आत्माओं का निवास स्थान
01:54अब यह रूहरी हन बाप अपने बच्चों से करते है
01:58और कोई से नहीं करते
02:00जो रूह अपने को जानती है उनसे ही बात करते है
02:04बाकी और कोई बाप की भाशा को समझेंगे नहीं
02:09प्रदर्शनी में इतने आते हैं
02:11तुमारी भाशा को समझते हैं क्या
02:13कोई मुश्किल थोड़ा समझते है
02:15तुमको भी समझाते समझाते कितने वर्ष हुए है तो भी कितने थोड़े समझते है
02:21है भी सेकंड में समझने की बात
02:24हम आत्माएं जो पावन थी वही पतित बनी है फिर हमको पावन बनना है
02:29उसके लिए स्वीट फादर को याद करना है
02:32उनसे स्वीट और कोई चीज होती नहीं
02:35इस याद करने में ही माया के विगन पड़ते है
02:38ये भी जानते हो बाबा हमको अमर बनाने आये है
02:41पुरुशार्थ कर अमर बन अमर पुरी का मालिक बनना है
02:45अमर तो सब बनेंगे
02:47सत्युक को कहा ही जाता है अमर लोग
02:50यहें मृत्यु लोग
02:52यह अमर कथा है ऐसे नहीं कि सिर्फ शंकर ने पारवती को अमर कथा सुनाई
02:57वह तो सब हैं भक्ति मार की बाते
03:00तुम बच्चे सिर्फ मुझ एक से ही सुनो
03:03मा में कम याद करो
03:05ग्यान मैं ही दे सकता हूँ
03:07ड्रामा प्लैन अनुसर सारी दुनिया तमो प्रधान बनी है
03:11अमरपुरी में राज्य करना
03:13उसको ही अमरपद कहा जाता है
03:16वहां इंशोर कंपनियां आदी होती नहीं
03:19अभी तुमारी लाइफ इंशोर कर रहे है
03:21तुम कभी मरेंगे नहीं
03:24ये बुद्धी में खुशी रहनी चाहिए
03:26हम अमरपुरी के मालिक बनते हैं
03:28तो अमरपुरी को याद करना पड़े
03:30वाया मूलवतन ही जाना होता है
03:33ये भी मनमनाभव हो जाता
03:35मूलवतन है मनमनाभव
03:37अमरपुरी है मध्याजी भव
03:40हर एक बात में दो अक्षर ही आते हैं
03:43तुमको कितने प्रकार से अर्थ समझाते हैं
03:46तो बुद्धी में बैठे
03:48सबसे जास्ती मेहनत है ही
03:50इसमें अपने को आत्मा निश्चे करना है
03:52हम आत्मा ने यह जन्म लिया है
03:5584 जन्म में भिन भिन नाम
03:58रूप देश काल फिरते आये है
04:00सत्युग में इतने जन्म त्रेता में इतने
04:05यह भी बहुत बच्चे भूल जाते है
04:07मुखे बात है अपने को आत्मा समझ स्वीट बाप को याद करना
04:12उटते बैठते यह बुद्धी में रहने से खुशी रहेगी
04:15फिर से बाबा आया हुआ है जिसको हम आधा कल्प याद करते थे
04:20कि आओ आकर पावन बनाओ
04:22पावन रहते हैं मूलवतन में और अमरपुरी सत्युग में
04:27भक्ति में मनुष्य पुरुशार्थ करते हैं
04:30मुक्ति में वख कृष्णपुरी में जाने के लिए
04:33मुक्ति कहो अथ्वा निर्वान धम कहो
04:36वानप्रस्थ अक्षर करेक्ट है
04:38वानप्रस्थी तो शहर में ही रहते है
04:41सन्यासी लोग तो घरबार छोड जंगल में जाते है
04:45आजकल के वानप्रस्थियों में कोई दम नहीं है
04:48सन्यासी तो ब्रह्म को भगवान कह देते
04:51ब्रह्म लोक नहीं कहते
04:53अभी तुम बच्चे जानते हो
04:55पुनरजन्म तो किसका भी बंद नहीं होता
04:57अपना अपना पाट सब बजाते है
05:00आवागमन से कभी छूटना नहीं है
05:02इस समय करोडो मनुश्य है
05:05और भी आते रहेंगे
05:06पुनरजन्म लेते रहेंगे
05:08फिर फर्स फ्लोर खाली होगा
05:10मुलवतन है फर्स फ्लोर
05:12सुक्ष्मवतन है सेकेंड फ्लोर
05:15यह है थर्ड फ्लोर
05:17अथ्वा इनको ग्राउंड फ्लोर कहो
05:19दूसरा कोई फ्लोर है नहीं
05:22वो समझते हैं स्टार्स में भी दुनिया है, ऐसे है नहीं, फर्स फ्लोर में आत्माइम रहती है, बाकी मनुश्यों के लिए तो यह दुनिया है, तुम बेहत के वैरागी बच्चे हो, तुम्हें इस पुरानी दुनिया में रहते हुए भी इन आँखों से सब कुछ देखते ह
05:52पुरानी दुनिया से वैराग्य, भक्ति, ग्यान और वैराग्य, भक्ति के बाद है ग्यान, फिर भक्ति का वैराग्य हो जाता, बुद्धी से समझते हो कि यह पुरानी दुनिया है, यह हमारा अंतिम जन्म है, अभी सब को वापिस जाना है, छोटे बच्चों को भी शिव
06:22संग तारे कुसंग बुरे
06:24यह विशे सागर वेश्याले है
06:26सत तो एक ही परमपिता परमात्मा है
06:30गौड इजवन कहा जाता है
06:32वहाँ आकर सत्य बात समझाते है
06:35बाप कहते हैं
06:37हे रूहानी बच्चों
06:38मैं तुम्हारा बाप तुमसे रूहरीहन कर रहा हूं
06:41मुझे तुम बुलाते हो न
06:42वही ग्यान का सागर पतित पावन है
06:46नई स्रिष्टी का रचीता है
06:48पुरानी स्रिष्टी का विनाश कराते है
06:51यह त्रिमूर्ती तो प्रसिद्ध है
06:53उँचते उँच है शिव
06:56अच्छा
06:57फिर सूक्ष्म वतन में है
06:59ब्रह्मा विष्णुशंकर
07:00उन्हों का साक्षातकार भी होता है
07:03क्योंकि पवित्र है न
07:05उन्हों को चैतन्य में
07:07इन आंखों से देख नहीं सकते
07:08बहुत नोदा भक्ती से देख सकते है
07:11समझो
07:12कोई हनुमान का भक्त होगा
07:14तो उनका साक्षातकार होगा
07:16शिव के भक्त को तो जूट बताया गया है कि परमात्मा अखंड जोती सुरूप है
07:22बाप कहते हैं मैं तो इतनी छोटी सी बिंदी हूँ
07:26वह कहते अखंड जोती सुरूप अरजुन को दिखाया
07:30उसने कहा बस मैं सहन नहीं कर सकता
07:33उनको दीदार हुआ तो ये गीता में लिखा हुआ है
07:36मनुष्य समझते हैं अखंड जोती का साक्षातकार हुआ
07:40अब बाप कहते हैं ये सब भक्ति मार्क की बातें दिल्खुश करने की है
07:45मैं तो कहता ही नहीं हूँ कि मैं अखंड जोती सुरूप हूँ
07:50जैसे बिंदी मिसल तुम्हारी आत्मा है वैसे मैं हूँ
07:53जैसे तुम ड्रामा के बंधन में हो वैसे मैं भी ड्रामा के बंधन में बांधा हुआ हूँ
07:58सब आत्माओं को अपना अपना पाट मिला हुआ है
08:01पुनर जन्म तो सब को लेना ही है
08:04नंबरवार सबको आना ही है
08:06पहले नंबरवाला फिर नीचे जाता है
08:09कितनी बाते बाप समझाते है
08:11यह समझाया है कि स्रिष्टी रूपी चक्र फिरता रहता है
08:15जैसे दिन के बाद रात आती है
08:17वैसे कलियुक के बाद सत्युक
08:19फिर त्रेता
08:20फिर संगम युग आता है
08:22संगम युग पर ही बाप चेंज करते है
08:25जो सतो प्रधान थे अब वही तमो प्रधान बने है
08:29वही फिर सतो प्रधान बनेंगे बुलाते भी है
08:33हे पतित पावनाव
08:34तो अब बाप कहते हैं मन मनाभव
08:37मैं आत्मा हूँ, मुझे बाप को याद करना है
08:41यह यथार्थ रीती कोई मुश्किल समझते हैं
08:44हम आत्माओं का बाप कितना मीठा है
08:47आत्मा ही मीठी है ना
08:48शरीर तो खत्म हो जाता है
08:51फिर उनकी आत्मा को बुलाते है
08:52प्यार तो आत्मा से ही होता है ना
08:55संसकार आत्मा में रहते हैं
08:58आत्मा ही पढ़ती सुनती है
09:00देह तो खत्म हो जाती है
09:01मैं आत्मा अमर हूँ
09:04फिर तुम मेरे लिए रोते क्यों हो
09:06यह तो देह अभिमान है ना
09:09तुम्हारा देह में प्यार है
09:10होना चाहिए आत्मा में प्यार
09:13अविनाशी चीज में प्यार होना चाहिए
09:16विनाशी चीज में प्यार होने से ही लड़ते जगडते है
09:19सत्युग में हैं देही अभिमानी
09:22इसलिए खुशी से एक शरीर छोड़ दूसरा लेते है
09:25रोना पीटना कुछ भी नहीं होता
09:27तुम बच्चों को अपनी आत्म अभिमानी अवस्था बनाने के लिए बहुत प्रैक्टिस करनी है
09:33मैं आत्मा हूँ
09:34अपने भाई आत्मा को बाप का संदेश सुनाता हूँ
09:39हमारा भाई इन और्गेंस द्वारा सुनता है
09:41ऐसी अवस्था जमाओ
09:43बाप को याद करते रहो तो विकर्म विनाश होते रहेंगे
09:46खुद को भी आत्मा समझो
09:48उनको भी आत्मा समझो
09:50तब पक्की आदत हो जाए
09:51यह है गुप्त महनत
09:53अंतर मुखो इस अवस्था को पक्का करना है
09:57जितना समय निकाल सको उतना इसमें लगाओ
10:00आठ घंड़टा तो धंदा आदी भल करो
10:03नींद भी करो
10:04बाकी इसमें लगाओ
10:06आठ घंड़टा तक पहुँचना है
10:08तब तुमको बहुत खुशी रहेगी
10:10पतित पावन बाप कहते हैं
10:13मुझे याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश हो
10:16ग्यान तुमको अभी ही संगम पर मिलता है
10:19महिमा सारी इस संगम युक्की है
10:21जबकि बाप बैट तुमको ग्यान समझाते है
10:24इसमें स्थूल कोई बात नहीं
10:27ये जो तुम लिखते हो
10:28वो सब खत्म हो जाएगा
10:30नोट भी इसलिए करते हैं
10:32तो पॉइंट्स नोट होने से याद रहेगी
10:34कोई की बुद्धी तीखी होती है
10:36तो बुद्धी में याद रहती है
10:38नंबर वार तो है ना
10:40मुख्य बात
10:41बाप को याद करना है
10:43और स्रिष्टी चक्र को याद करना है
10:45कोई विकर्म नहीं करना है
10:47ग्रियस्थ व्यवार में भी रहना है
10:50पवित्र जरूर बनना है
10:52कई गंदे खयालात वाले बच्चे समझते हैं
10:55हमको यह फलानी बहुत अच्छी लगती है
10:57इनसे हम गंधर्वी विवाह कर ले
10:59परन्तु यह गंधर्वी विवाह तो तब कराते हैं
11:03जबकि मित्र सम्बंधियादी बहुत तंग करते हैं
11:06तो उनको बचाने लिए
11:07ऐसे थोड़े ही सब कहेंगे
11:09हम गंधर्वी विवाह करेंगे
11:11वो कभी रह नहीं सकेंगे
11:13पहले दिन ही जाकर गटर में पढ़ेंगे
11:16नामरूप में दिल लग जाती है
11:18ये तो बड़ी खराब बात है
11:21गंधर्वी विवाह करना
11:23कोई मासी का घर नहीं है
11:24एक दो से दिल लगी
11:26तो कह देते गंधर्वी विवाह करें
11:28इसमें सम्बंधियों को बड़ा
11:30खबरदार रहना चाहिए
11:32समझना चाहिए ये बच्चे काम के नहीं
11:35जिससे दिल लगी है
11:37उससे हटा देना चाहिए
11:38नहीं तो बातें करते रहेंगे
11:40इस सभा में बड़ी खबरदारी
11:43रखनी होती है
11:43आगे चल बड़े काईदे सिर सभा लगेगी
11:47ऐसे ऐसे खयालात वाले को
11:49आने नहीं देंगे
11:50जो बच्चे रूहानी सर्विस पर ततपर रहते हैं
11:54जो योग में रहकर सर्विस करते हैं
11:57वही सत्यूगी राजधानी स्थापन करने में
11:59मददगार बनते हैं
12:01सर्विसिबल बच्चों को बाप का डायरेक्शन है
12:04आराम हराम है
12:05जो बहुत सर्विस करते हैं
12:08वह जरूर राजारानी बनेंगे।
12:10जो जो मेहनत करते हैं, आप समान बनाते हैं, उनमें ताकत भी रहती है।
12:16स्थापना तो ड्रामा अनुसार होनी ही है।
12:19अच्छी रीती, सब पॉइंट्स धारण कर फिर सर्विस में लग जाना चाहिए।
12:24आराम भी हराम है।
12:26सर्विस ही सर्विस, तब उच पद पाएंगे।
12:30बादल आए और रिफ्रेश होकर गए सर्विस पर।
12:34सर्विस तो तुम्हारी बहुत निकलेगी।
12:36किस्म किस्म के चित्र निकलेंगे, जो मनुष्य जट समझ जाए।
12:41ये चित्रादी भी इंप्रूव होते जाएंगे।
12:44इसमें भी जो हमारे ब्रामन कुलके होंगे, वह अच्छी रीती समझेंगे।
12:49समझाने वाले भी अच्छे हैं, तो कुछ समझेंगे।
12:52जो अच्छी रीती धारणा करते हैं, बाप को याद करते हैं, उनके चेहरे से ही मालुम पड़ जाता है।
12:59बाबा हम तो आपसे पूरा वर्सा लेंगे, तो उनके अंदर खुशी के ढोल बचते रहेंगे, सर्विस का बहुत शौक होगा।
13:06रिफ्रेश हुए और यह भगे। सर्विस के लिए हर एक सेंटर से बहुत तयार होने चाहिए। तुमारी सर्विस तो बहुत फैलती जाएगी, तुमारे साथ मिलते जाएंगे, आखरीन एक दिन सन्यासी भी आएंगे, अभी तो उन्हों की राजाई है, उन्हों के पैरों प
13:36को भाग्यशाली रत का जाता है। इस समय तुम बच्चे बहुत सौ भाग्यशाली हो, क्योंकि तुम यहां ईश्वरिय संतान हो। गायन भी है, आत्माएं परमात्मा अलग रहे बहुकात। तो जो बहुत काल से अलग रहे हैं, वही आते हैं, उनको ही आकर पढ़ाता हू�
14:06आकर समझाते हैं, मैं हूँ परमात्मा, परमधाम में रहने वाला हूँ, तुम भी वहां के रहने वाले हो, मैं सुप्रीम पतितपावन हूँ, तुम अभी इश्वरिय बुद्धि वाले बने हो, इश्वर की बुद्धी में जो ग्यान है पनुवत तुमको सुना रहे हैं,
14:36हम रूहानी बच्चों की रूहानी मात पिता बाप दादा को याद प्यार, गुड मॉर्निंग और नमस्ते।
14:46धारना के लिए मुख्य सार
14:481. अंतर मुखी होकर अपनी अवस्था को जमाना है, अभ्यास करना है।
14:54मैं आत्मा हूँ, अपने भाई आत्मा को बाप का संदेश देता हूँ, ऐसा आत्म अभिमानी बनने की गुप्द मेःनत करनी है।
15:052. रूहानी सर्विस का शौक रखना है, आप समान बनाने की मेहनत करनी है।
15:11संग का दोश बड़ा गंदा है
15:13उससे अपने को संभालना है
15:16उल्टे खान पान की आदत नहीं डालनी है
15:19वर्दान
15:20विश्व कल्यान के कार्य में सदा बिजी रहने वाले विश्व के आधार मूर्त भवा
15:26विश्व कल्यान कारी बच्चे स्वपन में भी फ्री नहीं रह सकते
15:30जो दिन रात सेवा में बिजी रहते हैं
15:33उन्हें स्वपन में भी कई नई नई बाते
15:35सेवा के प्लैन वव तरीके दिखाई देते हैं
15:39वे सेवा में बिजी होने के कारण
15:41अपने पुरुशार्थ के व्यर्थ से और औरों के भी व्यर्थ से बचे रहते है
15:45उनके सामने बेहत विश्व की आत्माएं सदा इमर्ज रहती है
15:50उन्हें जरा भी अलबेलापन आ नहीं सकता
15:53ऐसे सेवाधारी बच्चों को आधार मूर्थ बनने का वर्दान प्राप्त हो जाता है
15:58स्लोगन
16:00संगम युक का एक एक सेकंड वर्षों के समान है इसलिए अलबेलेपन में समय नहीं गवाओ
16:07अव्यक्त इशारे
16:09कंबाइंड रूप की स्मृती से सदा विजयी बनो
16:13जिसके साथ स्वयम सर्वशक्तिमान बाप कंबाइंड है
16:17सर्वशक्तियां स्वतह उनके साथ होंगी
16:20जहां सर्वशक्तियां हैं वहां सफलता ना हो यह असंभव है
16:25कोई अच्छा साथी लौकिक में भी मिल जाता है तो उसको छोड़ नहीं सकते
16:30ये तो अविनाशी साथी है
16:32कभी धोखा देने वाला साथी नहीं है
16:35सदा ही साथ निभाने वाला साथी है
16:37तो सदा साथ साथ रहो
16:39ओम शांती
17:00बड़ा वर्दानी

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