उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद का पीतल उद्योग इस बदलते दौर में अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जूझ रहा है. यहां के कारीगरों ने पीढ़ियों से पीतल के बर्तनों पर जटिल डिजाइन तैयार करने की कला को अपनाया है.हालांकि बारीक नक्काशी के साथ तैयार किए गए पीतल के उत्पादों के लिए मशहूर मुरादाबाद का ये उद्योग अब अपनी चमक खोता दिख रहा है. पीढ़ियों पुरानी इस विरासत पर खतरा मंडरा रहा है. मुरादाबाद के पीतल उद्योग की ओर युवाओं की कम होती दिलचस्पी की वजह सिर्फ दूसरे उद्योगों में बेहतर वेतन वाली नौकरियां नहीं हैं. इसकी एक वजह पीतल के इन सामानों को बनाने के लिए जरूरी धीरज का गुम होना भी है. वैसे इसके लिए कारीगर कई और वजह भी गिनाते हैं.कारीगरों का मानना है कि कई ऐसी सरकारी योजनाएं हैं जो इस उद्योग से जुड़े लोगों के लिए मददगार साबित हो रही है. हालांकि सवाल ये है कि क्या इन पारंपरिक कौशलों को संरक्षित करने और मदद देने के लिए मिल रहा सरकारी समर्थन काफी है? और क्या तेजी से बदल रही दुनिया अपने जरूरत से ज्यादा दबावों से आखिरकार मुरादाबाद पीतल उद्योग को गुमनामी में धकेल देगी?
Category
🗞
NewsTranscript
00:00इन कारीगरों ने पीडियों से पीदल के बर्तनों पर जटिल डिजाइन तयार करने की कला को अपनाया है
00:09हालाकि बारीक नकाशी के साथ तयार किये गए पीदल के उत्पादों के लिए मशूर मुरानबाद का यो द्योग अब अपनी चमक खोता दिख रहा है
00:21पीडियों पुराने इस विराशत पर खत्रा मड़ा रहा है
00:51मुरादाबाद के पीदल अद्योग की और युवाओं की कम होते दिल्चस्पी की वजह सिर्फ दूसरे उद्योगों में बहतर वेतन वाली नौकरिया नहीं है
01:04इसकी एक वजह पीदल के इन सामानों को बनाने के लिए जरूरी धीरज का गुम होना भी है
01:09इसके लावा कारीगर कई और बजह भी किनाते हैं
01:39हाला कि कारीगरों का मालना है कि कई ऐसी सरकारी योजना है जो इस उद्योग से जुड़े लोगों के लिए मददगार सावित हो रही है
01:53सवाल यह है कि क्या इन पारंपरी कोशनों को
02:22सनक्षित करने और मदद देने के लिए मिल रहा सरकारी समर्थन काफी है
02:26और क्या तेरी से बदल रही दुनिया अपने जरूरत से ज़्यादा दवावों से आखिरकार मुरादबाद पितल अध्यों को गुमनामी में धखेल देगी