Category
📚
LearningTranscript
00:00मेरे पास मेरे खरगोश हैं, मैं उनका पूरा ख्याल रखता हूँ
00:03उनको सुब ऐसा मैसे घास पर छोड़ना होता है, दिन भर अपना घास में मिट्टी में खेलते कुथते हैं
00:08फिर शाम को बिल्ली का खतरा होता है, तो सूरज ढलने के बाद उनको जल्दी से उनके घर में बंद करना होता है
00:13कितने चक्कर तो डॉक्टरों के लगाने पड़ते हैं बीच बीच में, उनकी भी न्यूटरिंग औगेरा होती है
00:19बड़ा समय लगता है, बड़ी मेहनत करी है, उनको बचपन से बड़ा करने में
00:23पैसा भी लग रहा है, ध्यान भी लग रहा है
00:25उनको मैं उठाता हूँ, तो बस वो इतना कर देते हैं, कि मेरा हाँ चाटने लगते हैं
00:29वो अपनी चेतना के तल पर, जो मुझे दे सकता है, दे रहा है
00:33मैं क्या करूँ, मैं भी उसे चाटने लगूँ
00:35मेरी चेतना का तल दूसरा है न, तो मैं उसे वो देता हूँ, जो मेरी समझदारी मुझे पताती है
00:40मैं यह नहीं करूँगा कि मैं उतना ही दूँगा खरगोश को जितना खरगोश ने मुझे दिया
00:44मावा पर बच्चों के रिष्टे पर आ जाईए
00:46आपने मेरे लिए वो किया जो आपको अच्छे से अच्छा लगा
00:50आपने सोच विचार किया आपको लगा आपको अपने बच्चे के लिए ऐसा ऐसा करना चाहिए
00:54अब मेरे भी एक समझदारी है और प्रेम मुझे आपसे खूब है
00:57लिकिन मैं घास और घास की बराबरी नहीं करूँगा
00:59मैं अब वो करूँगा आपके लिए जो आपके लिए वास्ताओं में उचे थे