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00:00एक लंबने समय पहले एक गाउ में सुरेश और कीर्टना नामक पती-पत्नी रहते थे
00:05उनके गीति का नामक एक सुन्दर सी बेटी थी
00:09सुरेश हमेशा सब के सामने बेवजा कर्व से पेशाता था
00:14एक दिन शाम के समय में कीर्टना उनके घर पे बड़ा पाव बनाती है
00:19कीर्टना तुम्हारे हाथ का ये बड़ा पाव सच में बहुत स्वादिष्ट है
00:25और इतने में उनके घर सुरेश के रिश्टेदार आते है
00:30अरे सही समय पे आये हैं
00:34मेरी बीवी अभी अभी कर्मा गरम वड़ा पाफ बना रही है
00:37बहुत स्वादिष्ट है
00:38किर्तना जारा मेरे रिष्टेदारों के लिए भी वड़ा पाफ बना के ले आना
00:44जी अभी लाई
00:45ये कहके कर्मा गरम वड़ा पाफ बना के वहाँ लाती है और उनके रिष्टेदारों को परोस्ती है
00:54उनके रिष्टेदार उसे खाने के बाद कहते हैं
00:57सुरिश तुमने ठीक कहा हम वाके ही सही समय में आये हैं
01:05वरना इतने स्वादिस्ट वड़ा पाव हम नहीं खा पाते।
01:09मेरी बीवी जब भी वड़ा पाव बनाती है, ऐसे ही एक दम स्वादिस्ट वारे ही बनाती है।
01:14इसलिए जितने भी बार बनाती है, मैं उन्हें उतने ही प्यार से खाता हूँ।
01:19हाँ, बहुत तो सही है, इतने स्वादिष्ट वड़ापाव तो कोई आसानी से नहीं बना सकता, अगर तुम्हारी बीवी ने दुकान लगाया, तो लोग घरीद के खाएंगे ने?
01:30हाँ, नरेश, अगर मैं इतना स्वादिष्ट वड़ापाव बनाती, तो पक्का दुकान लगा देती, अगर मैं अपने बीवी के साथ एक वड़ापाव का दुकान शुरू करूँगा, तो सभी वही आके खाएंगे, और उन्ही स्वादिष्ट वड़ापाव के बारे में सार
02:00उनके पास जाकर कहती है
02:02क्या हुआ जी, किस चीज के बारे में इतना सोच रहे हैं आप
02:06कीर्टना, तुमने तो सुना है ना कि मेरे रिष्टेदारों ने क्या कहा
02:10हम हमारे घर के सामने ही एक बड़ापाओ का दुकान लगाएंगे
02:15तब मेरे रिष्टेदारों के ही तरह इसको की सारे लोग उसी के बारे में बात करेंगे
02:20ठीक है, आपके विचार के अनुसार ही हम बड़ापाओ बना के बीचेंगे
02:26लेकिन आपको अपसे ऐसे बेवजा गर्ब की बाते करना बंद करना पड़ीगा
02:31अगर आप इसी बात को मानकर अपनी बड़ापाओ को बदलने का बचन देंगे
02:35तो ही हम ये व्यापाओ शुरू करेंगे
02:37हाँ, अप अगर मैं अपनी बीवी की बातों को नहीं मानूगा
02:41तो वो शायद व्यापाओ शुरू करने के लिए नहीं मानेगी
02:44और मैं खायलों के अनुसर और मेरे खायलों के अनुसर कुछ नहीं होगा
02:49ठीक है किर्थना तुम्हारे इच्चा के ही अनुसर मैं अपना बरताफ बदलूँगा
02:54हम कल से ही बड़ा पाफ बना के बेचेंगे
02:57और ऐसे ही वो बाहर जाकर बड़ा पाव की तयारी के लिए जरूरी सामकरी लेकर आता है
03:03और अगले दिन नरेश उनका दुकान शुरू करके उसके बीवी को बड़ा पाव बनाने के लिए कहता है
03:09किर्टना उसके पती के बातों के अनुसार ही बड़ा पाव बनाना शुरू करती है
03:15स्वादिश्ट और गर्मा गरम बड़ा पाव आईए बाबू आईए
03:20ऐसी जोर जोर से चिलाने के खारण उस तरब जाते हुए सारी लोग आकशित होकर उसके दुकान आते हैं
03:29और वड़ा पाव लेके उन्हें खाने लगते हैं
03:32सुरिश्ट वड़ा पाव तो बहुत करम और स्वादिश्ट है
03:38हाँ अब तक मैंने इतने स्वादिश्ट वड़ा पाव कही नहीं खाया है
03:44हाँ मेरी पत्मी बहुत अच्छा वड़ा पाव बनाती है
03:48उसकी दरत और कोई नहीं बना सकता है
03:52ऐसे उनको वड़ापव देकर उनसे पैसे लेता है
03:56उस रात को जब बैटकी वो आई हुए पैसों की गिंती करने लगते हैं
04:01तो कीरतना कहती है
04:02अरे वाँ, पहले ही दन हमें लाब आया है जी
04:08निवेश के पैसों से ज्यादा पैसे तो हमने कमाया है
04:11क्या? सच में?
04:14अगर हमने ऐसे ही से बरकरा रखा न
04:17तो जल्दी हमारा बहुत बड़ा व्यापर बन जाएगा कीरतना
04:20हाँ, आप सही कह रहे हैं
04:23पहले ही दन उतने पैसे देख, पती-पती दोनों खुश होते हैं
04:29ऐसे ही वो हर रोज उनके सोच के मताबिक बड़ा पाव बना के उसे बेचते हैं
04:34और कुछी दिनों में उनका व्यापर अच्छा चलने लगता है
04:37मेरे सोच के मुताबिक ही हमारा व्यापार अच्छा चल रहा है
04:41किसी और के दुकान में तो इतने लोग ही नहीं आते हैं
04:46कुछ दिन पहले शुरू करने के बावजूद हमारा व्यापार बाकियों से बहुत बैतर चल रहा है
04:51और हमेशा की तरह सुरेश वापस बेवचा के गर्व में डूब जाता है
04:57और बाकियों को भी वही बाते सुनाते रहता है
05:00उस दिन दुकान को आए एक आदमी को बड़ा पाव ला कर देता है
05:05मैं यहाँ जब भी वड़ा पाव खाता हूँ बहुत स्वादिश होता है
05:10एक भी बार इसका स्वाद नहीं बदला
05:13हाँ हाँ आपने सही कहा
05:17मेरी बीवी बहुत अच्छा वड़ा पाव बनाती है
05:19नाया व्यापर होने के बावजूद बाकियों से हमारा बहुत अच्छा चल रहा है
05:24ऐसे ही वहाँ मौजुद सभी से बात करता है
05:29और ऐसे ही बात करते हुए वो उन लोगों से पैसे लेना भूल जाता है
05:34उसके पैसे ना लेने के कारण सभी वहाँ आके
05:38उसकी गर्व की बाते सुनकर पैसे दिये बना चले जाते थे
05:42कुछ दिन बाद सबको जब सुरेश की कमजोरी का पता लग गया
05:47तो वो वड़ापाव मंगाके उसे खाके पैसे देने के लिए उसके पास जाकर
05:53वड़ापाव के बारे में बात करना शूरू करते थे
05:55सुरेश उनके बातों में पढ़के गर्व की बाते करता था
06:00और उनसे पैसे लेना भूल जाता था
06:02और कुछ तेर बात वो लोग वहां से पैसे दिये बेना चले जाते थे
06:06सुरेश की इस बरताफ के कारण उनके व्यापार में नुक्सान होता है
06:11और अचानक उनकी सपने टूट जाने पर पती-पत्नी दोनों बहुत निराश होते है
06:17किर्टना मुझे माफ करो इस सब का कारण मैं हूँ
06:22मेरे इस जूटे गर्व के कारण ही सब को मेरी कमजोरी का पता लग गया
06:27और उन्होंने उसका फैदा उठाया
06:30इसलिए हमें अब नुकसान भुगतना पड़ रहा है
06:34ऐसे कहके बहुत दुखी होता है
06:37आपको अपनी कलती का ऐसास हो गया
06:40बस ये काफी है
06:42अब से हम हमारा व्यापार ढंक से चलाएंगे
06:45ठीक है किर्टना
06:48और तब से पती पतनी दोनों उनका वड़ापार का व्यापार
06:52बहुत अच्छे से चलाते हुए खुश रहते हैं