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00:00असलिए अध्यात्मिक आदमी से तो संसारियों को इरशया होगी, बहुत मौज काट रहा है, पतही कमीना, बहुत मौज कर रहा है भाई, मैं बार-बार बोलता हूँ रिशयों को जंगल में जाना इसलिए पड़ा, संसारी इरशया के मारे उनको जीने नहीं देते हैं उनकी म�
00:30बस उतार ही नहीं रही, ठुक के मर जाए संसारी, उनकी मौज देखकर के, उन्होंने का, यहां खतरा लेना ठीक नहीं, जंगल चलो, रिशयों के बारे में कुछ कॉंसेप्ट चेंज हुआ, गैंग स्टा रिशय, मगा आ रहा है सूच के, और क्या धूम मच्ती होगी जंग
01:00लगता कि यह अभी बैठ करके श्लोग माचेंगे, हाला कि सारे श्लोग उसी मस्ती से आते हैं