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00:00प्रेम माने भी यही है सब विकल्पों का त्याग हो गया और एक विकल्प को पूरी निष्ठा एक विकल्प के प्रते पूरी तरह संकल्पित यही है प्रेम
00:13जिन्दगी कभी लाकर खड़ी भी कर देती है ऐसी जगे जहां से बारह रास्ते फूटते हैं तो भी पल भर लगाए बिना आप एक रास्ते पर चल देते हो तो आके पूछता है इतनी जल्दी फैसला कैसे कर लिया बाकी ग्यारह ठुकरा कैसे दिये आप कहते हो मुझे बाकी
00:43तो बहुत लोग कहते हैं आप ठीक है जैसे ही ज़्यादा संस्कृत होने लगती है मैं खट से कोई फूहड फिल्म ले आता हूं बीच में और सब को सब समझ में आ जाता है

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