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00:00डॉक्टर जाहिद एक मशहूर डॉक्टर था जिसकी शोहरत हर तरफ फैली हुई थी। उसकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वह हर मर्ज की जड़ तक पहुँच जाते थे और हर मरीज उन्हें उम्मीद की एक आखिरी किरण समझता था। एक शाम जब क्लीनिक बंद होने �
00:30एक तूटी हुई पुकार की तरह डॉक्टर जाहिद ने उसे अंदर बुलाया, पानी का गिलास पेश किया और नर्मी से पूछा, क्या हुआ इतना परिशान क्यों हो, इस शक्स ने जो कहा, उसे सुनकर डॉक्टर जाहिद के होश उड़ गए। डॉक्टर साहब, मैं प्र
01:00पेट बढ़ता जा रहा है, जो कुछ भी हो रहा है, वह सब कुछ वैसे ही है, जैसा औरतों के साथ होता है, जब वो मा बनने वाली होती है। इस शक्स ने जो कहा, उसे सुनकर डॉक्टर जाहिद सुन रहे गए। साइंस के हिसाब से यह नामुम्किन था, लेकिन सामने बै
01:30पहले तफ्तीश करनी होगी, यासिर की आँखों से आंसु बह निकले, आप यकीन नहीं करेंगे, लेकिन मुझे भी पहले ऐसा ही लगा था, अब तो मुझे अपने वजूत पर शक होने लगा है, मेरे अंदर कुछ है, कोई चीज जो जिन्दा है, डॉक्टर जाहिद ने स्
02:00अंदर कुछ पल रहा है, लेकिन यहां इनसान है या कुछ और, मुझे नहीं मालूम, डॉक्टर जाहिद ने फॉरण टेस्ट कराने का फैसला किया, मुझे अल्ट्रा साउंड करना होगा, मुझे इस बात का साइंटिफिक जवाब चाहिए, मशीन ओन, हुई स्क्रीन पर ध
02:30आखें, हैरत और खौफ से फैल गई नहीं, यासिर, ये कोई आम बच्चा नहीं है, इसके हाथ, पैर, इनसानी बच्चों जैसे नहीं है, और इसकी हरकतें, जैसे ही किसी दूसरी दुनिया का वजूद हो, यासिर ने कांपते हुए अपने पेट पर हाथ रखा, तो फिर य
03:00जीब है, जैसे दो अलग-अलग दिल एक साथ धड़क रहे हो, और ये चीज नहायत तेजी से बढ़ रही है, इनसानी हमल, नौ महीने में मुकमल होता है, लेकिन ये कुछ हफ्तों में मुकमल हो सकता है, ये इनसान भी हो सकता है, और नहीं भी, यासिर, डर के मारे उठ ख�
03:30के बाहर किसी के दर्वाजे को खट-खटाने की आवाज सुनाई दी, रात के 11 बच चुके थे, इतनी देर को कोई मरीज नहीं आता, डॉक्टर जाहिद और यासिर दोनों की सांसे अटक गई, डॉक्टर ने होसला जमा करते हुए दर्वाजा खोला, बाहर एक औरत खड़ी
04:00जैसे कई रातों से नींद ना आई हो, मेरा नाम मरीम है, उसने धीमे लहजे में कहा, और जो यासिर के साथ हो रहा है, वह मर्ज नहीं, एक बदला है, यासिर की रूह कांप उठी, मरीम अंदर आई, और कांपते हाथों से कुरसी धामी, उसने गहरी सांस ली, यह सब कुछ
04:30यह नाम तो कभी सुना ही नहीं, उसने नीची नजर कर कहा, टॉक्टर साहब, वो कोई आम हवेली नहीं थी, वहां बरसों पहले एक औरत रहा करती थी, दलाल और बेगम बेहत खूबसूरत, मगर बदनसीब, उसकी कोक कभी आबाद नहीं हुई, कहते हैं, उसने खुदा से
05:00जाहिद को यह सब किसी अफसाने जैसा लग रहा था, मगर यासिर की आँखों में अभी खौफ था, एक रात, दल और बेगम गायब हो गई, मरीन की आवाज में एक ठंडक थी, और कुछ महीनों बाद उस वीरान हवेली से बच्चे की चीखें सुनाई देने लगी, किसी न
05:30मुझे अंदर खींच रही हो, और वहाँ एक परचाई थी, उसने मुझसे कुछ कहा था, मगर आब मुझे याद नहीं, मरीम ने गहरी नजर से उसे देखा, तुम भूल नहीं रहे, यासिर तुमने वहाँ कुछ किया था, और आब वहाँ चीज तुम्हारे अंदर पल रही
06:00डॉक्टर जाहिद ने धीरे से रिपोर्ट उसकी और बढ़ाई, यासिर तुम्हारे जिस्म में कुछ ऐसे हार्मोन एक्टिव हो गए हैं, जो सिर्फ एक हामिला औरत में होते हैं, तुम्हारा जिस्म अब एक औरत की तरह बरताव करने लगा है, कमरे में सननाटा च्छाग
06:30जैसे कोई चीज अंदर ही अंदर सरक रही हो, जिन्दा थी और जाग रही थी, डॉक्टर साहब मरीम चीक पड़ी, यह यही है जो यासिर के साथ हुआ है, वह अब मुकमल रूप ले चुका है, डॉक्टर जाहिद ने फॉरण उसे उठा कर बेट पर लिटाया, उसकी पे�
07:00नबूत था या किसी जुर्म की सजा, मगर एक बात यकीनी थी, जो कुछ यासिर के अंदर पल रहा था, वह अब अपने अंजाम के बहुत करीब था, यासिर कराह रहा था, डॉक्टर जाहिद ने स्टेथोस्कोप लगाया, मगर जो आवाज उन्होंने सुनी, उससे उनकी �
07:30मरीम की आंखों में एक अजीब साया था, जैसे डर और अफसोस का संगम तुमने चू लिया था, कुछ ऐसा जिसे चूना, हराम था, यासिर की यादे, अतीत में उलजने लगी, चार महीने पहले, शराब के नशे में धुत, वह और उसके दो दोस्त, वह पुरानी हवेली, �
08:00बोले, तो मतलब, जो दलावर बेगम चाहती थी, वह अब यासिर की कोक में पल रहा है, मरीम ने धीमे से सिरह लाया, उसके पेट में कुछ उभरने लगा था, जैसे कोई चीज बाहर आने की कोशिश कर रही हो, डॉक्टर, बच्चाहिए मुझे यह चीज, मुझे खा चा�
08:30यह खुदा, यह क्या माजरा है, जाहिद के हाथ से इंजेक्शन गिर पड़ा, यासिर बेट पर तडप रहा था, उसकी आँखें सुर्ख हो चुकी थी, उसके पेट की चमडी खीचने लगी थी, जैसे अंदर से कोई रूह, कोई साया बाहर आने को बेताब हो, बचाहिए �
09:00यह कोई और ही केस था, धक, धक, धक, इस बार आवाज और जोर से गूंजने लगी, जैसे अंदर से कोई जिन्दा चीज दीवारें चीर कर बाहर आने वाली हो, यासिर की आँखें उलट गई, उसका जिस्म अकड़ने लगा, डॉक्टर कुछ अंदर हिल रहा है, डॉक्ट
09:30यासिर की आँखों से आंसू बहने लगे, डॉक्टर ये मेरी जान ले लेगा, निकाल दो इसे, मगर अब डॉक्टर भी बेबस थे, यह लड़ाई अब इंसानी समझ के बाहर की थी, और फिर यासिर की नाख से खून टपकने लगा, उसके कानों से भी लाल बूंदे बहने
10:00अगर तभी यासिर का पेट अंदर से बुरी तरह हिला, जैसे किसी ने जोर से भीतर से ठोकर मारी हो, यासिर की दर्दनाग चीक से कमरा गूंज उठा, उसके पेट की चमडी के नीचे कुछ सरसर आने लगा था, काली साया सी कोई चीज चो बाहर आने को बेताब थी, क्या,
10:30अगर जोस ने वहाँ देखा, उससे उसकी रूह तक जम गई, स्क्रीन पर अब सिर्फ हाथ नहीं था, वह हाथ और बड़ा हो गया था, और अब वहाँ एक चेहरा भी था, एक चुडरियों से भरा हुआ, अजीबो गरीब चेहरा, जिसकी आखें कोईले जैसी स्याह थी, औ
11:00पीछे हट गई, डॉक्टर जाहिद ने टॉर्च जलाने की कोशिश की, मगर अफसोस बैटरी मर चुकी थी, यासिर के शरीर में एक जोड़दार जटका आया, उसका पेट अब इस कदर उभर आया था, कि लग रहा था, जैसे किसी भी लम्हे फट कर कुछ बाहर निकल आए
11:30धीरे-धीरे पीछे लोडग गई, उसकी सांसे थमने लगी, नहीं यासिर, होश में आओ डॉक्टर, जाहिद ने उसे जोर से हिलाया, मगर यासिर का जिस्म अब ठंडा पड़ चुका था, क्या वह मर रहा था, या कुछ और हो रहा था, अचानक यासिर के पेट की चमड़
12:00अल्ला, ये इंसान नहीं है, डॉक्टर, जाहिद ने कापते हुए यासिर की नब्ज टटोली, मगर अब उसका जिस्म बेहिस हो चुका था, यासिर होश में आओ, मगर उसकी आँखें अब भी सफेद थी, जैसे उसकी रूहु कहीं और जा चुकी थी, कमरे में अचानक एक
12:30एक बूडी औरत जैसा, मगर आँखों में जिन्दगी का नामोनिशा नहीं मरीम, चीक पड़ी, ये ये तो दलावर बेगम है, डॉक्टर जाहिद के रोंग्टे खड़े हो गए, यासिर का जिस्म अब पूरी तरह ठंडा था, मगर जो कुछ अंदर से बाहर आ रहा था, व
13:00हैरानी और खौफ से देखा, क्या वह चीज वापस चली गई? डॉक्टर जाहिद ने हरबडा कर कहा, मरीम ने कापते हुए यासिर की तरफ देखा, यासिर अभी बेहोश था, मगर उसके होठों पर एक हलकी सी मुस्कान खत्म नहीं हुआ, मरीम की आवाज काप रही, ये अ
13:30यासिर तुम ठीक हो, मरीम ने धीमे से पूछा, यासिर ने उनकी तरफ देखा, और धीरे से मुस्कुराया, हाँ मैं ठीक हूँ, मगर उसके आवाज में कुछ अजीब था, कुछ बिलकुल अलग, डॉक्टर जाहिद ने उसकी आँखों में जहांका, और फिर एक सवाल उ�
14:00डॉक्टर जाहिद ने घबराई हुई आवाज में पूछा, यासिर ने सिर छुका लिया, जैसे किसी पुरानी याद को पकड़ने की कोशिश कर रहा हो, फिर धीरे से बोला, वो आ चुकी है मरीम, और डॉक्टर जाहिद का खून सुन पड़ गया कौन, यासिर ने अपनी ह
14:30मर चुकी थी, लेकिन मैंने उसे चू लिया था, मैंने उसका जूला हिला दिया था, और अब वो मेरी रगों में बह रही है, डॉक्टर जाहिद बुरी तरह काम कए, नहीं, ये सिर्फ दिमाग ही असर है, हमें तुम्हारे कुछ और टेस्ट करने होंगे, मगर उससे पहले क
15:00अब देर हो चुकी है, वह अंदर आ चुकी है, और अब मैं इस दुनिया को वैसे देखता हूँ, जैसे वह देखती थी, डॉक्टर जाहिद ने कापते हुए यासिर के चेहरे की तरफ देखा, यासिर के होंट हिल रहे थे, मगर आवाज अब किसी बूढ़ी औरत की थी, ठ
15:30और उसकी सांसे अब इंसानी नहीं लग रही थी, धीमी भारी, और किसी और की यासिर, तुम वही हो ना, मरियम ने कापते हुए पूछा, यासिर ने सिर जुका लिया, मैं हूँ, और नहीं भी हूँ, डॉक्टर जाहिद ने मरीम की तरफ देखा, हमें इसे रोकना होगा, क
16:00अब उसकी आखें पूरी तरह सुर्क थी, उसकी उंगलियां और ज्यादा काली जुलसी हुई, और किसी राकसी चीज से ढकी लग रही थी, अब खेल शुरू हो चुका है, यासिर ने, हलकी मुसकान के साथ अपने पेट पर हाथ फेरा, वह पूरी तरह बाहर नहीं आई, ल
16:30अपने आप हिलने लगे, और एक ठंडी डरावनी आवाज गूंजी, अब तुम मुझे नहीं रोक सकते, मरियम की आखों में उस वक्त डर भी था, और मोहबबत भी, वो उसके पास जाने लगी, लेकिन डॉक्टर जाहिद ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया, रुको, ये अ
17:00पर देखा, नहीं ये मत करो, अब उसके मुंग से दो आवाजें एक साथ निकल रही थी, एक यासिर की और दूसरी, किसी बुढ़ी औरत की, डॉक्टर जाहिद ने कापते हुए कहा, अल्लाह का नाम लो, रियासीन की, तिलावत करो, मरियम ने रोते हुए फॉरन बिसमिल्
17:30की तिलावत तेज हो गई, अचानक कमरे की सारी खिड़कियां जोर से खुल गई, और यासिर के जिस्म से काला धुआ निकलने लगा, डॉक्टर जाहिद और मरियम सांसे रोके या मंजर देख रहे थे, वह अब कमजोर पढ़ने लगा था, जमीन पर पड़ा तडप रहा थ
18:00लेकिन कोई हरकत नहीं थी, नहीं नहीं, यासिर उठो, वो बेबस होकर चीक पड़ी, मगर यासिर की आँखें बंद थी, और उसका जिस्म बर्फ जैसा ठंडा हो चुका था, हमें देर हो गई, डॉक्टर जाहिद की आवाज कांप रही थी, अचानक यासिर के होट हिलने �
18:30हमें सुन सकते हो, यासिर ने धीरे धीरे अपनी उंगलियां हिलाई, फिर एक धीमी, मगर भारी से आवाज निकली, मरियम डॉक्टर जाहिद ने रहत की सांस ली, अलहम्दो लिल्लाह लगता है, अब वो ठीक है, लेकिन तभी यासिर के होटों पर एक अजीब सी मुसकान �
19:00चुके थे, तुमने समझा कि सिर्फ दिलावत से मैं चली जाओंगी, अब ये आवाज यासिर की नहीं थी, ये थी दिलावर बेगम की आवाज, जाहिद पीछे हट गया, या अल्लाह, यानि वह मुकमल तोर पर निकली ही नहीं थी, अब बहुत देर हो चुकी है, यासिर उ
19:30लौट आई, मरीम, भाग जाओ इससे पहले कि मैं तुम्हें चोट पहुँचा दू, डॉक्टर जाहिद ने फौरन दर्वाजे की तरफ दौड लगाई, और मरीम को खींचते हुए कमरे से बाहर निकाला, दर्वाजा जोर से बंध हो गया, अंदर से सिर्फ एक तेज डरा
20:00यह कहानी यही नहीं रुकती