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00:00सिकंदर कोई लेखे एक कहानी है, सिकंदर पूरब की तरफ आता जा रहा था, आता जा रहा था उदर युनान से और पंजाब में आ करके रुख गया, भरा दिया था पोरस को फिर वहां से लेकिन वापस लोट गया, वोगों ने का महाराज आप आप जीत के वापस जा रहे है
00:30के लिए सब बाकी सब चीजों को छोड़े चाड़े बैठे होते हैं, सन्यासी, तो ठीक है इस आदमी को ऐसा कोई पकड़ो उसको ले चलते हैं, कोई मिल गया होगा कहीं पर, उसके लोगों ने बताया यह है, यह है सन्यासी, बोले ले चलो इसको, रखेंगे वहां पर अप
01:00पिल रहा है कि दुनिया का बाधिशाह हूं मेरा हुकम मानना पड़ेगा तो मैं रहा है कि दुनिया का हुकम मानना मैंने बंद कर दिया जा को तो उसमीं को शरीर के भी तरवास कर दी गmeye
01:23चीज थे जो शरीर के भी तरवास करती है, फिर उसने उपनिशतों की बात कर दी, बोले, जैसे तुम देखोगे, कि कटा हुआ सरपड़ा, ऐसे हम भी देख लेंगे, सिकंदर चला गया, साध हो तो नहीं मरा, सिकंदर मर गया,
01:34करुणा में जो मांगोगे सब देदेंगे, जो आए पास नहीं है वो भी देदेंगे, पर भिखारी नहीं है, हमसे चल करोगे, हम पे चड़ोगे, या हमको लालच दिखाओगे तो हमसे कुछ नहीं पाओगे