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00:00बहुत जल्दी स्री कृष्ण की प्राप्ति कराने में समर्थ हैं स्री तुलशी मारानी जुए प्रिया जुका उब बताया हुआ उपाए श्री ब्रंदा सके ये ब्रंदावन के अधिश्ठात्री देवी हैं ये ब्रंदावन की पूरी विवस्था को देखते हैं प्यारी ज�
00:30भाग्यदम राधे महापुल्यम वरप्रदम
00:32श्री कृष्ण स्यापी लभ्धर्थम
00:35उनका तुलशी सेवनम्मतम
00:37मेरे मतमे यदि तुलशी जी की सेवा की जाए
00:40तुलशी जी का यदि इसपर्ष हो जाता है
00:44तुलशी जी का नाम कीर्टन किया जाता है
00:48तुलशी जी को प्रणाम किया जाता है
00:50तुलशी जी का ब्रक्ष लगाया जाता है
00:53तुलशी जी को जल अर्पित किया जाता है
00:55और तुलशी दल से नित्य भगवत सेवा की जाए
00:58बहुत जल्दी स्री कृष्ण प्रशन हो जाते है
01:01प्रति दिन जो तुलशी जी की भक्ती करता है
01:05तुलशी का पौधा रूप करके
01:08तुलशी जी का सिंचन करना
01:10तुलशी जी को दिलक लगाना
01:12तुलशी जी को माला पहनाना
01:14तुलशी जी की परिक्रमा करना
01:16तुलशी जी को प्रणाम करना
01:18वो कोटि सहास्त्र युगों तक अईशा महान शुकृत होता है
01:24कि भगवान श्री कृष्ण की नित्य समी पर रहता है
01:27जो तुलशी जी की सेवा करता है
01:29जब तक मनुश्य की लगाई हुई तुलशी की साखा प्रशाखा बीज पुष्प शुंदर दल
01:35से तुलशी जी सुशुवित होती है
01:38तब तक हजारों कल्पों में
01:44श्री हरी धाम में रहते भूय उसका कभी पूर्णिन नस्ट रही होता
01:47जिसे एक दिन, तो एक हजार कल, दो दिन, दो हजार कल
01:51वो भगवान के नित्य धाम में
01:53महान शुकृत के बल से
01:55भगवत धाम में रहेगा जो तुलसी झी का
01:58पक्का मान लीजिए
01:59जब सैमिशी में से तुलसी झी रोपड करके तुलसी झी का एब बन लगाünde
02:03और रोज नवीन नवीन मंजरी तुलसी दर लेकर प्रभू के चरणों में
02:07कहीं न कहीं तुलसी जी की कृपा हुए
02:09ब्रंदावन ये ब्रंदा अधिस्थात्री देवी ब्रंदावन की है इनकी कृपा के बिना
02:14हे चंद्राधने शंपूर्ण पत्रों और पुष्पों को जो उतार करके सम्मान पूर्वग पहले प्रयार्थना करने चाहिए
02:28हे ब्रंदादेवी हे तुलसी जी भगवान श्रीहरी की पूजा के लिए या प्रियाजु की पूजा के लिए
02:34हम आपके कुछ मंजरी कुछ दल लेकर के सिवा करना चाहते है आप करपा करके मुझे दीजिए और फिर उतार ले ऐसे नोचना नहीं बहुत सम्मान से बहुत प्यार से तुलसी जी प्रशन होते है जो मनुश्य तुलसी दल से स्रीहरी की पूजा करता है कोई भी पाप उसक
03:04मारपुलने हो जाए और तुलसी जी अंतर ध्यान अनुकूल जल जैसे महान लोग गमले पे हैं तो इतना बड़ा तामे का रोज उससे चाहिए अब भरके लोटा चढ़ा जोगे दो चार दिन में अंतर ध्यान हो जाएंगे तुलसी जी बहुत बिबेक से ज़रुरत है मु�
03:34जो तुलसी जी को जल अर्पित करके तुलसी जी की शेवा करता है हरी चिंतन करता है कभी कोई पाप उसका इस परस नहीं कर सकता सौभार सोना चार सौभार चान्दी का जो दान करने का फल होता है वो एक तुलसी दल उतार जो अपने द्वारा लगाए हुई तुलसी दल है
04:04हो सकती कितो ना महात्व है जो रोज तुलशी को नचै न करे हैं द्सी को बहुत बड़ा पराद हिसında का
04:14इस मतलब के विर्ख्ष कब इसपर स्ना करें प्रणाम नमस्का दूर से एक भी दन नहीं तूटना चाहिए द्सी को
04:21सामने महापुर्शों से शुणा है
04:23कि मंजरी और पत्र उतारना यह ठीक नहीं
04:25बिल्कुल नहीं ठीक है ब्रहमत्या का फर
04:27लगता है अगर जो पाप लगता है
04:29अगर कोई द्वादर्शी को तुल्शी चैन
04:31बहुत सावधानी से
04:32जिसके घर में तुल्शी का
04:36बगिचा होता कई पोधे होते हैं
04:39उसको कहीं तीर्थ जाने की जबुरत ने
04:41उसका घर तीर्थ है जिसके घर में तुल्शी के पोधे है
04:43और यबराज कभी उस घर में
04:45किसी भी मरने वाले को लेने नहीं आएंगे
04:47जिसके घर में तुलसी, लगा लिए या तुलसी लगा लिए घर में, काय कोई अमराज को आने दोगे
04:52सबके घर में तुलसी, कितना सुंदर पहले था
04:55घर में आगन होते थे, आगन में एक बहुत बड़ा
05:00और फिर उसमें तुर्शी जी और फिर उसमें दो-चार नर्मदिस और शाली ग्राम ऐसे और फिर घर का हर व्यक्ति जल चड़ाना प्रणाम करना नमस्कार करना चार पर कितनी पवित्र पध्धतियां हमारी थी
05:13जब रशोई बने पहली गाय के लिए फिर कुस पक्षियों के लिए फिर कोई शंत महात्मा कोई भिक्षु आइसा कितना पवित्र बेवारी यहाद जिसे अपने देखा है यह रशोई बन रही ना धुमाने खतम होने पाता वो होई सब पवित्र किये हुए है राक्षसी बु
05:43जिसके घर में तुलशी जी भी राजमान होती है उसके घर में यमराज कभी नहीं जाते है जो तुलशी जी का सेवन करता है उसकी सारी कामनाएं तुलशी जी पूर्ण कर देती है तुलशी जी को लगाना तुलशी जी का पालन करना तुलशी जी को सिंचन करना तुलशी ज
06:13आदि परंपावन नदियां ये सब जो इश्नानादी अवगाहनादी करने का फल देते हैं वो केवल तुलसी जी घर में विराजमाने उसको फल मिल जाएगा कितने बढ़िया जो तुलसी जी की नमीन मंजरी प्रभू के चलणों में अरपित करके प्रणाम करता है उचाय कितन
06:43गिशा हुआ चंदन लगाता है उसके सारे संचित भस्मो जाते हैं और क्रियमान जो वरतमान वो कभी उसको बांध नहीं सकते हैं तुलसी जी का कार्ट का गिशा हुआ चंदन जिसके घर में तुलसी की चाया होती है वाप पितरों को अपने आप कल्यान परात्थ हो जाता ह
07:13उदरफूर ब्रह्माजी शारंग धन्वा स्री हरी के महा महिम शुरूप की अंभूद करने के लिए भी कहा है कि तुलसी जी का महान महत्मै अगर तुलसीरी का सेवन करे तो भगवान स्री हरी की महिमा को जान जाएगा
07:26इस्त्री हो या पुरुष
07:28पुरुष नपुन्शक नारिवा जीव चलाचर कोई
07:32सर्व भाव भज कपट्टज मोह परम प्रिस्व
07:35सरीर वर्दी है हमारी पुशाक है
07:38हम सब एक हैं आत्मस्वरूप हैं
07:40कोछ लग नहीं है
07:41सरीर केवल पांच भौतिक है
07:43तो सबका पांच भौतिक है
07:44उसमें चिन है इस्त्री पुरुष के बस
07:46इसके लिए भगवान के आराधना निसेद्ध तोड़ी है
07:49जो इस्त्री आपुरुष
07:52श्री तुलशी जी के कास्ट के मन के मना के
07:57जैसे छुटी कंठी या बड़ी माला
08:00धारन करता है
08:01श्री कृष्ण उसके बस में हो जाते है
08:03या है तुलशी जी की महिमा
08:05परम सुहाग श्री कृष्ण मिल जाते है
08:08और कौन सी हमें उपलब्धी चाहिए
08:11हे गोपनंदनी
08:14तुलशी जी का सेवन करने से
08:16श्री कृष्ण बस में हो जाते है
08:18जो तुलशी की माला से नामजब करता है
08:25काउंटर वाली बात तो इस्मती के लिए प्राई है
08:29हम निशेद ने करते ने बहुतों के भजन बंद हो जाएंगे
08:32पर हम इतनी महिमा जरूर बताये देते हैं
08:35कि तुलशी माला से जो नामजब किया जाता है
08:37उस्षे अध्यात्मिक शिद्धी बहुत जल्दी होती है
08:40गुर्दे भगवान के रहे थे जो अंगुलियों शे रगड़ होती है मनका से
08:46उस्षे में अध्यात्मिक उर्जा सकती तुलशी माला से पलाक्टिक
08:49पर भई करो निशेद ने कहले ने बंद हो जागा वो भी रादा रादा कहना
08:54वो हमें बंद ने करना हम कहरें तुम जैसे बने वैसे करो
08:58लेकिन माला का बहुत बड़ा प्रिभाव है
09:00तुलशी परम पवित्र भगवान से हरी की प्रिया और उनके कास्ठ को
09:04जब हम ऐसे नाम के साथ विशेश उर्जा सकती है अध्यात्मिक सकती हमें जागरत होती है
09:09हो शके जिनको ऐसा बन सके तो छुटी एक वाती है सुमिरनी उसको रख लो पनीचे में रख लो उससे करो
09:17और नए रवया तुम इसी से करो नाम जब करो भाव को भाव अनकालस हो नाम जबत मंगल दिस्दस हो
09:23शुन्दर शुन्दर तुलशी जी के विरक्षों के सम्मिप बैठ करके जो अनुष्ठान किया जाए उन बहुत लाबद है
09:34श्रीमत भागवत का गुपाल शाहस्त्र नाम का कोई भी पाठ तुलशी जी के सम्मिप बिराजमान करके किया जाए
09:40आचारी को बुला करके तुलशी पूजन करना चाहिए विवित प्रकार के अनुष्ठान अरे तभी तो सब मंगल होता है
09:49पहले था उन्हें देखा है चार बजे माता जी दर्वाजे के सामने लीपती रोज का का जो पुराने घरों है देहरी के आ गया के चार बजे लीप करके वहां पना चोगपूर के दीपक जला क्या पवित्रत आये जी क्या मंगल था जब किसी को निमंत्र दिया जाता तो सब
10:19कितना पवित्रता जो हमारी पूरू पवित्रता थी धरती कृता चोटी पवित्रता मालो अगर बहा जाये तो प्रजावां कृता ऐसे बहुत पवित्र पूशा गये थी पवित्र आचरन थे पवित्र खान पान था घर में जाओ तो एक पवित्रता एक किसी भी घर में ऐसा
10:49है उनका आप दुख्ध देखिए दुखर रख दीजिए स्वरणिम कामतिछाई मिलेगी यह हमारी भारती प्रद्धती है हविश्यान इसे देवताओं का भगवान का सबका अब इसे पूजन उटा है शुद्ध गायर हमारी भारती है तीला है उसके जिसे निकला हुआ भग�
11:19जिसार की तरफ से वैराग्य होने लगता है और उसका भजन पुष्ट अनेल लगता है और जहांँ भजन पुष्ट हुआ तो नित्य निरंतर अपने चित्त में भगवान वासु देव को देखने लगता ह। जित्त सुद्ध हो जाता है उसकी पहँचान है Nu कोई अपना ल�
11:49रह जाती है जब चित्व सुद्ध होता है तो उसका अनुराग केवल परमात्मा और महत्मा में होता है पूरे संसार में कहीं होता ही नहीं यह चित्व सुद्धी का लक्षन है चित्व सुद्धी का उपाए विवेप और निरंतर नाम जब चित्व सुद्धी का लक्षन रा�
12:19जिस पदार्थ के
12:22जिस इस्थाद के
12:24ऐसी आसकती हो जाए कि
12:27इसके बिन जिया नहीं जा रहा उसे राग कहते है
12:29जैसे
12:32मा में राग, पिता में राग, पत्री में राग, पुत्र में राग, धन में राग, मकान में राग, सरीर में राग
12:37बहुत है
12:38समझना चाहिए हमारा राग हो गया है
12:42जिसका बार-बार इश्मरन आये
12:43और बार-बार खिचाव हो रदे से
12:45जो हमारे ध्यान पत्थ में
12:47प्रभू की शिवा और आ रहा है
12:48वो सब राग का ही किया कराया खेल है
12:51द्वेश
12:52इसमें मूल राग है
12:54जिससे राग होता है उसी से द्वेश होता है
12:56राग नहीं होगा तो द्वेश होगा ही नहीं
12:58जब वो हमारे प्रतिकूल चलने लगता है तो द्वेश हो जाता है
13:02प्रतिकूल पदार्थ, प्रतिकूल वस्तु, प्रतिकूल व्यक्ति
13:05तो हमारा द्वेश हो जाता है
13:07यही रागद्वेश जीव के जनम मरण की स्रंखला है
13:11और इसका मूल कारण देहा भिमान आहंकार है
13:16महराज साधक को समय किस प्रकार भिताना चाहिए
13:23सबके लिए एक जैसा उपदेश नहीं होगा
13:26पुजिबाबा बोलने
13:28जो गुरु के पास रहते हैं
13:31उनको सब समय गुरु की शेवा में लगाकर
13:34भगवदिश्च्मर्ति, युक्त, जीवन भितीत करना चाहिए
13:40और जिनको गुरु का सानिध नहीं मिला
13:42उनको भजन में अधिक समय लगाना चाहिए
13:45यदि गुरुदेव सेवा के लिए आदेश करे
13:49वह ही सब्सक्रे बड़ा भजन है
13:52यदि वो कह रहे हैं कि बैटकर भजन करो
13:55तो अधिक समय भजन में लगाना चाहिए
13:57अगर गुरुदेव सेवा तो फिर सेवा ही भजन है
14:00जो ग्रहस्त हैं
14:03उनको अपने ग्रहस्ति के कारी को
14:06गुरु शेवा भगवत सेवा मान करना चाहिए
14:08यदि गुरु जी कुछ स्वईकार करते हैं
14:12तो ठीक है नहीं सरवस्त गुरु का है
14:14ऐसी भावना करनी चाहिए
14:15बिरक्त उपासक को
14:18गुरु की अधिनता स्वईकार करनी चाहिए
14:22गुरु की अधिनता से
14:24अपने आप सारे पाप दो श्राग सब नष्ठ हो जाता है
14:28सब को ये तो ध्यान रखना है कि भगवति
14:32जो हमारी परम करुणा में इस्तमर्ती स्वरूपा है
14:38वो हमारे दिमाग में चाहिए
14:41बढवान तुमें देखते नहीं
15:09बड़े आश्चर की बात है
15:11ये सब भगवाली तो है
15:13पूझी बवाग अब उनकी ब्रह्म मईदरष्टी है
15:18चलो भगवान नहीं दीखते तो भगवान का नाम
15:22भगवान की महिमा भगवान के भगत ये तो दीख रहे हैं
15:27आप इनकी बात मानो नाम जब करो भगवान की लीला गुणगाओ
15:31जैसे आदेश उतावे से सिद्धान से चलो भगवान दिखाई देने लगेंगे
15:35जब तुम्हारे हरदय में शांती आनंद किशी के प्रति कोई भी द्वेश नहीं
15:43जान लो अब भगवान प्रकासित होने वाले हैं हरदय में
15:45आनंद भगवान का शुरूप है
15:47शांती भगवान का सांताकारम जो आनंद सिद्ध किराषी
15:51जो भगवान को देखा नहीं और भगवान की तरण होकर नाम जब करते भगवान बहुत रीज जाते हैं उनसे
15:57वो तो देखी रह nawet
15:58मालाज जी आप बार बार भजन की बात करते हैं
16:03भजन में तो नीद आ जाती है
16:04फिर क्या करें
16:06मालाज शूट जाती है भजन में
16:08ऐसे बैठे रो प्रपंच सोचते रो नीद नहीं आईगी
16:11तीन गंटा फिलिम देखते रो नीद नहीं आईगी
16:13पता नहीं कैसा तमोगुन का प्रभाव है
16:15बावा कहते हैं कि जब
16:19नाम जब करने में नीद आने लगे
16:21तो जोर-जोर से कीरतन करने लगो
16:23ये
16:26एक आंते में करना चाहिए
16:29सामोहिक जाँ वासो वानी करना चाहिए
16:31नहीं पता चले कर मनीरा लेकर
16:33बारा बजे से सुरू हो गए तो साधक जो
16:35दिन्चर्या में है उनको परिश्प
16:37मालू बगल वाले कमरा वाला ध्यान साधक कर रहा है
16:40तो फिर आपका अपराद बन जाएगा
16:42यदि आप मनीरा लेकी किरतन कर रहे हैं
16:44और उसके ध्यान में विक्षे फुरा तो अपराद बन जाएगा
16:46इसलिए जो भी साधना करो
16:47वो ऐसी करो कि दूसरे साधकों को विक्षे इपना पड़े
16:50अपने कमरे के बाहर आवाज न जाए
16:52दूसरा उपाए
16:54खड़े ओकर जब करो
16:55यह बहुत बढ़िया उपाए
16:58इस नींद रूपी दुस्मन से लड़ो
17:00यह खड़े ओकर भजन करने का अभ्यास
17:04गायत्री अनुष्ठान में
17:06नैस्टिक ब्रह्मचर में क्यों नई अवस्था में
17:08नींद ज्यादा सताती है
17:09जोपड़ी थी
17:10तो खड़े ओकर एक रस्षी ऐसे डाल लिये थे
17:13और इसे पकड़ लिये थे
17:14कभी एक पैर के बल खड़े है
17:16कभी बाये पैर के उठा लिया दाये पैर
17:18और मंत्र में एक आग्रता पूरी जबते हुए
17:20बहुत अच्छा लगता
17:225-5-6-6 घंटे
17:23क्योंकि गायत्री का 24 लाग
17:24गायत्री का एक पुरश्चरन होता है
17:26भाक्त को चाहिए
17:30किसी भी स्थिती में भजन के समय में
17:33नीद ना आने पावे
17:34बहुत लड़ना पड़ता है
17:37नीद से बहुत लड़ना पड़ता है
17:39बड़ी सावधानी से जब पता नहीं कब गोल हो गया
17:43माला चुट गया
17:44जब देखा माला चुट गया तो अब पूरा माला गया
17:47अब फिर एक से सुरू करना प्राइब
17:48जैसे वालो आप निन्यान में मनका पे पहुंच चुके है
17:51वो आपका चुट गया
17:52तो अुषठान में नहीं माना जाएब
17:56नहीं क्वोंच भी पकड़लियों से शुरू कर वैसा नहीं
17:57जब अनुषठान किया जा जाता है तो अगर
17:59जितने पे छुटा अभे काउंटर दिखाने से चले
18:02काउंटर आज चला है
18:07हमने गुर्दु भग्वान से है
18:09ये तो अभी कुछ समय से चलाए ये तो दिखाई नहीं दिया पहले कभी दिखाई नहीं दिया अब तो नहीं रचना है नहीं तो छुटा माला हाफ सुमेरणी जिसे और बड़ा माला ये दोई थेट चलाने के लिए अब ये काउंटर भगवान की वहल्यूग महाराज की किर�
18:39पर इसमें यह सुविधा है कि 50 में छोड़ दिया छोड़ ने माला में छोड़ सकते हैं जैसे 11 माला का अनुस्ठान दिया गया उसमें बोलना नहीं
19:00अगर बोला तो जहां से बोला वो फिर वहां से चुरू करो, या फिर उसकी पद्धती है, उस्माला को ऐसे करके निकाल के मन का रखो, आच्मन करो, भगवान से प्रार्थवना करो, अत्यन तावस्यक होने पर बात करो, फिर प्रणाम करो, फिर उसके नीचे वाली मन का से, ज
19:30महराज
19:31जो नींद
19:34है उससे लड़ना पड़ता है
19:37भजन करना
19:39बहुत उची बात है
19:41इसलिए हमको
19:42खड़े हो जाना पड़े चहलना पड़े
19:45हमें नाम जब करना हमें मंत्र जब करना
19:47उस समय नींद नहीं आनी चाहिए
19:48अभ्यास बहुत बड़ी ताकत होती
19:51आँख मूंद के ठीक लक्ष पे
19:52गोली मारदे जिसका अभ्यास है
19:54और अपने अभ्यास नहीं किये तो
19:56कुछ नहीं होने वाला
19:57अभ्यास योग युक्तेन चेतसा नान्य गामिना
20:00आज भी वही दिन चर्या है
20:02जो बाल्य आउस्थासी गुरुजनों ने सिखाई थी
20:04वैसे ही दिन चर्या