• 6 years ago
दोस्तों इसी प्रकार अर्जुन और द्रौपदी को लेकर अपने घर आए तो उन्होंने दरवाजे पर खड़े होकर देवी कुंती से कहा कि देखो मां आज हम लोग आपके लिए क्या लेकर आए हैं परंतु घर का काम कर रही कुंती ने उनकी तरफ देखे बिना ही यह कह दिया की पांचों भाई मिलकर उसका उपभोग करो दोस्तों जैसा की आप सभी जानते ही हैं कुंती सहित पांचो पांडव भाई बड़े ही सत्यवादी थे और अपनी मां के मुंह से निकली हर बात को आदेश की तरह पालन करना अपना धर्म समझते थे इस कारण अपनी मां के मुंह से निकले इन शब्दों को लेकर पांचों भाई चिंतित हो गए ,
देवी कुंती ने भी जब द्रौपदी को देखा तो वह भी बड़ी विचलित हो गई थी उसने यह क्या बात बोल दी, तभी अपने पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर से कहा कि कोई ऐसा रास्ता निकालो जिससे द्रोपती का भी कोई अनर्थ ना हो और मेरे मुंह से निकली बात भी झूठी ना हो दोस्तों जब किसी से भी इसका कोई रास्ता नहीं निकला तो इस बात से राजा द्रुपद भी बड़े परेशान हो गए और उन्होंने अपनी सभा में बैठे भगवान श्रीकृष्ण और महर्षि व्यास जी से कहा कि धर्म के विपरीत किसी स्त्री के पांच पति की बात तो सोची भी नहीं जा सकती है
तब महर्षि व्यास राजा द्रुपद को बताते हैं कि द्रोपती को उसके पूर्व जन्म में भगवान शंकर से ऐसा ही वरदान प्राप्त हुआ था भगवान शिव के उसी वरदान के कारण यह समस्या हुई है और भगवान शिव की बात अन्यथा कैसे हो सकती है महर्षि व्यास के समझाने पर राजा द्रुपद अपनी बेटी द्रौपदी का पांचो पांडवो के साथ विवाह करने को राजी हो गए थे
दोस्तों इस के बाद सबसे पहले द्रौपदी का विवाह पांडवो के सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर के साथ किया गया और उस रात द्रौपदी युधिष्ठिर के साथ ही कक्ष में अपना पत्नी धर्म निभाया फिर अगले दिन द्रौपदी का विवाह भीम साथ हुआ और उस रात द्रौपदी भीम के साथ अपना पत्नी धर्म निभाया फिर इसी प्रकार अर्जुन नकुल और सहदेव के साथ द्रौपदी का विवाह हुआ और इन तीनों के साथ में द्रौपदी ने अपना पत्नी धर्म निभाया

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