holi celebration at varanasi manikarnika ghat
वाराणसी। वैसे तो होली पूरे देश मे मनाई जाती है, लेकिन पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र की होली कई मायनों में खास होती है। दरसअल, देवों के देव महादेव के काशी में महाश्मशान पर भी होली खेलने की परम्परा सदियों से चली आ रही है, जिसकी शुरुआत राजा मानसिंह ने की थी। इस होली में अबीर और गुलाल नहीं, बल्कि जली हुई चिताओं की राख से होली खेली जाती है। यही नहीं चिता भस्म की इस होली का आयोजन वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर होता है, जिसमें काशीवासियों के साथ ही महाश्मशान पर रहने वाले अघोरी भी शामिल होते हैं। एक तरह 'खेले मशाने में होली, दिगम्बर खेले मशाने में होली' का संगीत बजता है और लोगों एक दूसरे के साथ भस्म और चिताओं की राख से होली खेलते हैं।
वाराणसी। वैसे तो होली पूरे देश मे मनाई जाती है, लेकिन पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र की होली कई मायनों में खास होती है। दरसअल, देवों के देव महादेव के काशी में महाश्मशान पर भी होली खेलने की परम्परा सदियों से चली आ रही है, जिसकी शुरुआत राजा मानसिंह ने की थी। इस होली में अबीर और गुलाल नहीं, बल्कि जली हुई चिताओं की राख से होली खेली जाती है। यही नहीं चिता भस्म की इस होली का आयोजन वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर होता है, जिसमें काशीवासियों के साथ ही महाश्मशान पर रहने वाले अघोरी भी शामिल होते हैं। एक तरह 'खेले मशाने में होली, दिगम्बर खेले मशाने में होली' का संगीत बजता है और लोगों एक दूसरे के साथ भस्म और चिताओं की राख से होली खेलते हैं।
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