आगरा। 'मां' जिसने 9 महीने कोख में रखकर दो बच्चों को जन्म दिया। उन्हें पाला-पोसा, खुद भूखा रही, लेकिन जिगर के टुकड़ों का पेट भरती रही। खुद प्यासी रही, लेकिन बच्चों का गला सूखने नहीं दिया। उस मां को बच्चों ने उम्र के उस पड़ाव में बेसहारा छोड़ दिया, जब उसके शरीर ने साथ देना छोड़ दिया। लेकिन बूढ़ी मां ने भी हार नहीं मानी, दूसरों के आगे हाथ नहीं फैलाए। कुछ करने की ठानी और फुटपाथ पर चूल्हा लगाकर रोटी-सब्जी बनाने लगी। चार रोटी और दो सब्जी की कीमत है 20 रुपए और दो रोटी और दो सब्जी को 10 रुपए की कीमत पर बेचकर बूढ़ी मां अपना जीवन यापन करने लगी। धीरे-धीरे बूढ़ी मां 'रोटी वाली अम्मा' के नाम से मशहूर हो गईं, लेकिन कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते अम्मा का काम ठप पड़ गया। अब मुश्किल से ही ग्राहक आते हैं। अम्मा को लोगों की मदद की दरकार है।
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