Full Poem -
अगर जो फैसले ही फासले है
रहने दो जरा इनको और गहरे
टुटते भ्रम रहे तो चलेगा ,इस कदर कि
रोज उठते नही हम , जागते है राज मेरे
अगर वहम ही एक सिलसिला था
रोक लेते हम ,हर उस फासले को
अब करें तो ,क्या करे इस बेहिसाबपन का
तुम समझ ही नही थे , इस मनचले को ।
अगर मौत ही अंजाम था तो
रुक गए क्यू ,सिर्फ अलहदगी तक
अरे मरोड़ देते उस बेअदबीपन को
मजाल है किसकी?? तुमको तब रोक लेते
गहरी नींद मेरी तोड़ कर भी
पता रकीब का ,बता ही देते
निशवानियत जो तुमसे टपक रही थी ,
ढोंग जल्दी से उतार देते।
Full Poem -
अगर जो फैसले ही फासले है
रहने दो जरा इनको और गहरे
टुटते भ्रम रहे तो चलेगा ,इस कदर कि
रोज उठते नही हम , जागते है राज मेरे
अगर वहम ही एक सिलसिला था
रोक लेते हम ,हर उस फासले को
अब करें तो ,क्या करे इस बेहिसाबपन का
तुम समझ ही नही थे , इस मनचले को ।
अगर मौत ही अंजाम था तो
रुक गए क्यू ,सिर्फ अलहदगी तक
अरे मरोड़ देते उस बेअदबीपन को
मजाल है किसकी?? तुमको तब रोक लेते
गहरी नींद मेरी तोड़ कर भी
पता रकीब का ,बता ही देते
निशवानियत जो तुमसे टपक रही थी ,
ढोंग जल्दी से उतार देते।
अगर जो फैसले ही फासले है
रहने दो जरा इनको और गहरे
टुटते भ्रम रहे तो चलेगा ,इस कदर कि
रोज उठते नही हम , जागते है राज मेरे
अगर वहम ही एक सिलसिला था
रोक लेते हम ,हर उस फासले को
अब करें तो ,क्या करे इस बेहिसाबपन का
तुम समझ ही नही थे , इस मनचले को ।
अगर मौत ही अंजाम था तो
रुक गए क्यू ,सिर्फ अलहदगी तक
अरे मरोड़ देते उस बेअदबीपन को
मजाल है किसकी?? तुमको तब रोक लेते
गहरी नींद मेरी तोड़ कर भी
पता रकीब का ,बता ही देते
निशवानियत जो तुमसे टपक रही थी ,
ढोंग जल्दी से उतार देते।
Full Poem -
अगर जो फैसले ही फासले है
रहने दो जरा इनको और गहरे
टुटते भ्रम रहे तो चलेगा ,इस कदर कि
रोज उठते नही हम , जागते है राज मेरे
अगर वहम ही एक सिलसिला था
रोक लेते हम ,हर उस फासले को
अब करें तो ,क्या करे इस बेहिसाबपन का
तुम समझ ही नही थे , इस मनचले को ।
अगर मौत ही अंजाम था तो
रुक गए क्यू ,सिर्फ अलहदगी तक
अरे मरोड़ देते उस बेअदबीपन को
मजाल है किसकी?? तुमको तब रोक लेते
गहरी नींद मेरी तोड़ कर भी
पता रकीब का ,बता ही देते
निशवानियत जो तुमसे टपक रही थी ,
ढोंग जल्दी से उतार देते।
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