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देहरादून, 22 सितंबर। उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है। यहां की संस्कृति और पौराणिक विरासत को स्थानीय लोगों ने आज भी संभाल रखा हैै। जो कि पीढ़ी दर पीढ़ी आगे चल रही है। ऐसी ही एक संस्कृति और विरासत की झलक देखने को मिलती है, उत्तराखंड के सीमांत जनपद उत्तरकाशी के टकनौर क्षेत्र में। जहां इन दिनों सेलकू पर्व की धूम रहती है। करीब 15 दिनों तक टकनौर के अलग-अलग गांवों में अलग- अलग तरीके से मनाया जाता है। उद्देश्य भी अलग होता है लेकिन एक समान होती है तो वो ही पूर्वजों की परम्परा को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी। सेलकू पर्व में स्थानीय लोगों की आस्था जुड़ी रहती है। सेलकू शब्द का अर्थ है सोएगा कौन?

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