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वैदिक ज्योतिष मुताबिक अखंड साम्राज्य योग का निर्माण उन कुंडलियों में होता है जिनका लग्न स्थिर होता है- जैसे वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ।
वहीं जब गुरु ग्रह दूसरे, 5वें या 11वें भाव के स्वामी होते हैं तब इस योग का निर्माण होता है।
साथ ही कुंडली के दूसरे, नौवें और ग्यारहवें भाव में गुरु ग्रह मजबूत चंद्रमा के साथ स्थित हो तो अखंड साम्राज्य योग बनता है।
वहीं जब जन्म कुंडली के दूसरे, दसवें और ग्यारहवें स्थान के स्वामी एक साथ केंद्र में विराजमान हो तो ये दुर्लभ योग का निर्माण होता है।
द्वितीयेश, नवमेश और एकादशेश से इस योग का निर्माण होता है। वहीं जब चंद्रमा केन्द्र में हो व लग्न में हो, लेकिन साथ-साथ गुरु पंचम व एकादश भाव का स्वामी हो। यह योग बहुत शुभ होता है।
अखण्ड साम्राज्य योग बनने के लाभ
ज्योतिष शास्त्र अनुसार जिस व्यक्ति की जन्मकुंडली में अखण्ड साम्राज्य योग ऐसा व्यक्ति राजनीति में उच्च पद को प्राप्त करता है। साथ ही ऐसे लोग कारोबार में अच्छा नाम कमाते हैं। ये लोग धनवान भी होते हैं। इस योग के होने से जातक के पास संपत्ति बहुत होती है।

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