स्थान : जेतवन, श्रावस्ती
'तिस्स स्थविर वृद्धावस्था में प्रत्रजित हुए थे। वे शास्ता के रिश्तेदार थे और अपने संबंध को कभी भूल नहीं पाते थे।
वे स्थूल शरीर वाले थे तथा भिक्षु के कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करते थे। बाहर से आने वाले युवा भिक्षु उनकी उम्र का ख्याल कर उनकी सेवा करते थे पर जल्द ही उन्हें पता चल जाता था कि तिस्स का ज्ञान असंपूर्ण है तथा वे अपनी साधना तथा .......................
Source-dhammapad gatha katha-3
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