साथियों ने बताया Emergency के दौरान कैसे संघर्ष करते रहे Narendra Modi

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इंदिरा गांधी के शासनकाल में 1975 में जब आपातकाल लगाया गया तो उस समय नरेंद्र मोदी महज 25 साल के थे। लेकिन उन्होंने तब भी सरकार के इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाई थी। वह लगातार सरकार विरोधी प्रदर्शन का हिस्सा रहे। उस वक्त नरेंद्र मोदी हर ऐसे परिवार के लोगों से मिल रहे थे जिनके परिवार का मुखिया या तो जेल में था या फिर पुलिस के डर से छिपता फिर रहा था। वह सभी परिवारों से मिलते उनकी जरूरतें समझते, उनका कुशल क्षेम पूछते और हर संभव मदद करते और मदद का आश्वासन भी देते थे। ऐसे ही कुछ लोगों ने आपातकाल के उस दौर को याद किया और बताया कि कैसे नरेंद्र मोदी उस दौर में भी उनके साथ परिवार के एक सदस्य के रूप में तटस्थ होकर खड़े रहे।
राजन दयाभाई भट्ट ने बताया कि 1975 में आपातकाल के दौरान मेरे पिताजी भूमिगत हो गए थे, मैं छोटा था और मेरी मां अकेली थी। इस दौरान नरेंद्र मोदी हमारे घर आया करते थे। मां से मिलते और कहते थे कि किसी भी चीज को लेकर चिंता मत करो। अजीत सिंह भाई गढ़वी ने बताया कि 1975 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई थी। उस वक्त नरेंद्र मोदी पूरे भारत में भेष बदलकर इधर-उधर जाया करते थे। वो पंजाब में सरदार बनकर गए थे।
देवगन भाई लखिया ने कहा कि 1975 में इमरजेंसी लगाई गई थी। इसके तुरंत बाद नरेंद्र मोदी को एक आयोजक बनाया गया। जो सभी लोगों को नया फोन नंबर देते थे। उस समय गुजरात में 5 डिजिट का फोन नंबर होता था। ऐसे में नरेंद्र मोदी ने एक तरीका बताया कि आखिर के दो नंबर उसको उल्टा कर दो। जिसके जरिए सभी वर्कर एक दूसरे के संपर्क में आ गए। डॉ. आर के शाह ने बताया कि 1975 में इमरजेंसी के दौरान देश के सभी नेताओं के साथ चाहे विरोधी पार्टियों को नेता क्यों न हो। हसमुख पटेल ने बताया कि आपातकाल के दौरान जो आंदोलन चल रहा था उसमें नरेंद्र भाई के पास जो साहित्य आता था उसको कहां रखना है किन लोगों को देना है इसके लिए मार्गदर्शन वही करते थे। वह बताते थे कि यह साहित्य नाई की दुकानों पर रखो जहां ज्यादातर सामान्य लोग आते हैं।

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