कर्ताभाव से कर्मबंधन

  • 3 months ago
ज्ञानविधि से कर्म बंधन कैसे बंध हो जाता है? ज्ञान प्राप्त करने पर चार्ज अहंकार चले जाता है और डिस्चार्ज अहंकार बाकी रहता है इस डिस्चार्ज अहंकार का समभाव से निकाल कैसे करना चाहिए?
Transcript
00:00ज्ञान वीजी से कैसे कर्मबंद हो जाएगी।
00:05मैं ही विज्या हूँ, वो अज्ञान मन्यता छुड़ जाती है।
00:09मैं खुद कौन हूँ, वो जागरती प्राप्त हो जाती है।
00:12और करने वाला कौन है ये बता देने से,
00:15अमारा कर्तापन का एहंकार भी चले जाता है।
00:18कर्तापन की ब्रांक्ति छुड़ गई,
00:20कर्मबंदन से हम मुक्त हो गयें।
00:22नया कर्मबंदन बंध हो गया, स्टॉप हो गया।
00:25पिर डिस्चार्ज कर्म है,
00:27उसमें घ्यान में रेके, समता भाव में रेके पुरा करो।
00:30उसके लिए पाँच आज्या बताते हैं।
00:33कैसे घ्यान में रहने का, शौर्ट में,
00:36आज्या में रहने से नया कर्मबंधन नहीं हो जाएगा,
00:39पुराना खतम होते जाएगा,
00:41और अनुभव की कक्षा, आत्मा क्या?
00:43स्वाष्ट अनुभव तक पहुँच सकेंगे।
00:45समझ में आया आप?
00:46जी हैं।
00:57घ्यान लेने के बाद,
00:59चार्ज अहंकार तो फैक्चल हो जाता है।
01:02चले जाता है।
01:03उसके बाद डिस्चार्ज अहंकार बच्चता है।
01:12वो क्या है, उसका कैसे संभाव से निकाल करें?
01:14क्या है, कि मैं प्रदीप हूँ, मानना।
01:17और प्रदीप को कोई बोला कि बुरा आदमी है,
01:19तो इतना अप्शट है, क्या समझता है,
01:21तो मैं तेरे को देख लूँगा।
01:23तो मैं प्रदीप हूँ, बिलीफ गुज़ गई है।
01:26वो रौन बिलीफ, उसी को ही अहंकार बोलते हैं।
01:29जो खुद नहीं है, उसको मैं हूँ मान लिया।
01:32और हो रहा है, प्रदीप नहीं विगाडा,
01:35और मैंने नहीं विगाडा, तु मेरे पर गलत बोलता है,
01:38नहीं, अहंकार खड़ा हो जाता है।
01:41हो रहा है, संजोग आदिया, उसको बोलता है, मैंने किया।
01:44और अच्छा किया, तो खुश हो जाते हूँ, मैंने अच्छा किया।
01:47विगड़ गिया, तो दुखी हो जाते हूँ।
01:49तो करता पद, खुद मान लेता है, मैं करता हूँ।
01:53वो करता भाव से कर्मबंदन चार्ज होते हैं।
01:56वो ही जीवनत अहंकार था।
01:58वो घ्यान लेने के बाद चले गया, मैं प्रदीप भी नहीं,
02:01मैं शुधात्मा हूँ, और प्रदीप जो भी कर रहा है,
02:04वो साइंटिफीक सर्कंपिशन्सल एविडिन्स के आधिर है, मैं नहीं करता।
02:08तो करता भाव छूटने से जीवनत अहंकार चले गया।
02:12अभी डिस्चार्ज अहंकार प्रदीप में है,
02:15वो थो खाना, पीना, नौकरी, वाइफ, सब व्यवार तो
02:18डिस्चार्ज अहंकार से पुरा हो जाएगा।
02:21क्योंकि बीज डाल चुके है, इस लाइफ में फल भुगत लेने का है।
02:25फल तो भुगतना वो डिस्चार्ज अहंकार से हो जाएगा।
02:28वो हो रहा था, उसको मैं हूं मानने से कर्म बनता था, वो छूट गया हमारा।
02:49साप को सिंसेरली काम करो, किसी की गल्टी मत निकालो, वो से प्रदीप विहार करेगा।
02:56किसी को दुख पहुंचा दिया तो प्रदीप जी के बोलने का प्रदीप जी प्रतिकमन करो, इससे दुख मत दो।
03:01सुध हो जाएगा, डिस्चाज अंकार खतम होते जाएगा।