पांच कारणों से शिव को जल और सावन प्रिय

  • 2 months ago


पांच कारणों से शिव को जल और सावन प्रिय
शिवमहापुराण में देवाधिदेव महादेव को सावन सर्वाधिक प्रिय होने के पांच प्रमुख कारण बताए गए हैं। ब्रह्मा के पुत्र सनत कुमारों ने शिवजी से प्रश्न किया था कि आपको सावन का माह क्यों प्रिय है तो शिवजी ने स्वयं उन्हें ये पांच कारण बताए थे।

पहला : राजा दक्ष के यज्ञ में आत्मदाह करने के बाद माता सती का दूसरा जन्म माता पार्वती के रूप में हुआ था। माता पार्वती ने शिवजी को प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था। उसके चलते सावन के माह में शिवजी ने माता से विवाह किया था। इसलिए मुझे यह माह प्रिय है।
दूसरा : देव-दैत्यों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। मंथन में सबसे पहले विष निकला विष को शिव ने अपने गले में धारण कर लिया था। विष के कारण उनके शरीर का तापमान बढ़ने लगा तो देवताओं ने उनपर शीतल जल डालकर उस ताप को शांत किया। तब से शिवजी को जल अति प्रिय है।
तीसरा : कई जगहों पर बारिश में शिवलिंग पानी में डूबे रहते हैं। शिवलिंग के ऊपर एक कलश लटका रहता है जिससे बूंद-बूंद जल टपकता रहता है, उसे जलाधारी कहते हैं। जहां भी प्राकृतिक शिवलिंग हैं, वहां जल की धारा भी है। सावन में यह शीतलता प्रदान करती है।
चौथा : शिवजी के मस्तक पर चंद्रमा और गंगा मैया विराजमान हैं। जिनका संबंध भी जल से है। कैलाश पर्वत के चारों ओर बर्फ जमी रहती है और उसके पास है। मानसरोवर सावन में इस जल की शीतलता विशेष रूप से बढ़ जाती है, इसलिए शिवजी को सावन और जल प्रिय हैं।
पांचवां : यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव सावन के महीने में धरती पर अवतरित होकर अपने ससुराल गए थे। वहां उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया था। तब से माना जाता है कि प्रत्येक वर्ष सावन में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं, इसीलिए यह माह उन्हें प्रिय है।

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