संसार में मनुष्य का डेवलपमेंट कैसे?

  • 2 months ago
संसार में एक इन्द्रिय से लेकर पांच इन्द्रिय और मनुष्य में आने तक डेवलपमेंट कैसे होता है? आदमी का जन्म क्यों होता है और उससे संबंधित वास्तविकता क्या है? इस डेवलपमेंट में वह मोक्ष को कब और कैसे पा सकता है?
Transcript
00:00सनसार की स्थीती क्या है। ये डेवलप्मेंट है।
00:21जैसे बच्चा पढ़ाई प्ले ग्रूप में जाता है।
00:24केजी, नर्सरी, प्ले ग्रूप, नर्सरी, केजी, सिनियर, जुनियर, बाद में फर्स, सेकंड, करते करते पीज़्डी तक जाता है न।
00:35चोटा बच्चा जब डेवलप्मेंट होता है, तो पढ़ाई क्यूं करने की? वो पीज़्डी हो गया, बाद में नौकरी करेगा, वाही बच्चे तो।
00:43तो यह सब डेवलप्मेंट है, यह पढ़ाई का डेवलप्मेंट है, उसका घ्यान, जो स्टांडर्ड अभ्यास करम डिसाइट किया है, वो डेवलप्मेंट होता है।
00:53संसार भी एक इंद्रिया से लेकर पंच इंद्रिया तक, और मनुष्यमें भी डेवलप्मेंट होते होते, आत्म साक्षात कर पाने तक डेवलप्मेंट होता है।
01:04डेवलप्मेंट क्या है, संसार में अनुभव लेता है, पैसे में सूख है, पती होने में सूख है, मा होने में सूख है, बाप होने में सूख है, कि इसमें सूख है वो ढूंटता है, और नहीं, छोटा बच्चा भी अब देखो, पहले खिलोना लेगा, डो, चार दिन खेले
01:34तक बाहर की चीज़ों का अनुभव करता है, सूख कहा, सच्चा ढूंटता है, अनुभव लेके उपर चरता है, चोरिया करेगा, लुट, लुटबाजी करेगा, और कितने अवतार के बाद उसको अनुभव होगा कि ये गलत है, नहीं करना चाहिए, तो वो छुटेगा, औ
02:04एक बुद्धी विकास होती है, तो क्रोध, मान, वैलोग भी विकास होते हैं,
02:08हिंदुस्तान में तो साथ-साथ जनरेशन तका लोब रहता है,
02:14साथ-साथ जनरेशन, तो अपने घर रहेंगे, हम अम्मा, अम्मी, पपा रहेंगे,
02:21तो ये लोब उनका कम है, मम्ता कमती है, हमारी मम्ता तो साथ-पेडी तक है,
02:26ये देवलप्मेंट है, और ज़्यादा बुद्धी देवलप हुई,
02:30बाद में उसको दुख होता है, कि मुझे सच्चा सुख, सच्ची शांती नहीं मिलती, कुछ कमी है,
02:36लास्ट में वो देखेगा, बै, आत्मा में सुख है, और आत्मग्न्यान हो गया, तो आत्मा का सुख मिल जाता है,
02:42नए कर्मबंदन से चुट्ड कारा पाके, मुक्ष पा लेता है, ये देवलप्मेंट है, समझ में आया?
02:50हाँ, देवलप्मेंट है, मगर आदमी का जनम ही क्यों हुआ?
02:53हाँ, उक, नहीं, रो फर्म हीरा रहता है, उसको पहलु लगा, लगाल के, डाइमंड बनाते हैं, तो ये देवलप्मेंट होता है, पाके पत्रा है, उसमें से हीरा हुआ,
03:04ऐसे रो फर्म वाला आत्मा आवरण में है, आवरण तुट्टे, तुट्टे, तुट्टे, अनुभव हुआ, उतना निरावरण हुआ, उतना प्रगट होते जाता है, व्यक्त हुआ बोला, व्यक्ती प्रगट होता है आत्मा उसका, तो ये देवलप्मेंट है,
03:17कमप्लीट आवरण वाला आत्मा में, ऐसे कमप्लीट निरावरण आत्मा हो गया, तो मोक्स गति पाता है, एक संसार देवलप्मेंट है, एक इंद्रिय से लेकर पंच इंद्रिय, मनुष्य तक, और आत्म घ्यानी, केवल घ्यानी तक, ये देवलप्मेंट की करिच क्यों हो
03:47तो अनन्त बाकी रहेंगे, ऐसे संसार अनाधे काल से है, अनन्त काल तक, अइसा ही चलेगा
03:54यहने फिर आत्मा को मोक्ष मिलेगा कि नहीं देवल?
03:56मिलेगा ना, आत्म घ्यान पाएगा, बाध में दो चार अवतार में मोक्ष में चले जाता है
04:02मौक्षम मिलते बिलते सब लोगों को अगर मौक्षम मिल गा तो धर्थी पर कोम रहगा?
04:09नहीं नहीं, गंगा जी का पाणी कलकता से बात में समुद्र में मिल गया, सब पानी मिल जएगा एक दिन में,
04:15नहीं, थोड़ा इस्सा मिलेगा, बाद में दुसरा इस्सा मिलेगा, वह नया एड होते जाता है, यहां निकल के मिलते जाता है.
04:22वो प्रवा अनाधी काल से चालू है, अनन्त काल तक चालू रहेगा.
04:26क्योंकि संसार ऐसा development है, प्रवा है, प्रवा.
04:29एक प्रवा मुक्स में जाता है, प्रवा का थोड़ा इस्सा, दुसरा प्रवा का इस्सा में एड होते है, संसरन मार्ग बोला जाता है.
04:36एक degree से लेके 360 degree तक development होते रहता है.
04:41अनाधी काल वाला प्रवा है, अनाधी अनन्त बोला जाता है उसको.