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चेन्नई. ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने के बाद भारतीय टीमों के सदस्यों का मंगलवार को यहां चेन्नई लौटने पर प्रशंसकों, अधिकारियों और परिजनों ने स्वागत किया। डी गुकेश, आर प्रज्ञानानंदा, आर वैशाली और पुरुष टीम के कप्तान श्रीनाथ नारायणन मंगलवार अलसुबह चेन्नई पहुंचे। भारतीय पुरुष और महिला दोनों टीमों ने रविवार को इतिहास रचते हुए हंगरी में शतरंज ओलंपियाड में पहली बार स्वर्ण पदक जीते। उनकी असाधारण जीत ने भारत की नई शतरंज महाशक्ति के रूप में स्थिति को मजबूत किया। चारों के एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही प्रशंसकों ने जयकारे लगाकर स्वागत किया।

गुकेश ने अपने व्यक्तिगत और टीम स्वर्ण पदक दिखाए
टूर्नामेंट में अजेय अभियान के साथ भारतीय पुरुष टीम के दबदबे में अहम भूमिका निभाने वाले गुकेश ने अपने व्यक्तिगत और टीम स्वर्ण पदक दिखाए। अप्रैल में कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतकर विश्व चैंपियनशिप मुकाबले के लिए चुनौती पेश करने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बने 18 वर्षीय गुकेश अब नवंबर में चीन के डिंग लिरेन के खिलाफ विश्व चैंपियनशिप मुकाबले के लिए तैयार हैं।

गुकेश से पहले प्रज्ञानानंदा और वैशाली की भाई-बहन की जोड़ी पहुंची
गुकेश ने कहा यह बहुत खास है क्योंकि दोनों टीमों ने स्वर्ण पदक जीता है। गुकेश से पहले प्रज्ञानानंदा और वैशाली की भाई-बहन की जोड़ी पहुंची। सभी का स्वागत माला, गुलदस्ते और पारंपरिक स्टोल के साथ किया गया और प्रशंसक उनके साथ सेल्फी लेने के लिए पहुंचे। प्रज्ञानानंदा ने कहा, मुझे बहुत खुशी है कि हमने पहली बार ओलंपियाड जीता है, हमने इससे पहले केवल कांस्य पदक जीता था और हम दोनों वर्गों में जीतने में सफल रहे इसलिए यह हमारे लिए बहुत खास अहसास और गर्व का क्षण है। उन्होंने कहा, हम अच्छी शतरंज खेल रहे थे, इससे पता चला कि हम सर्वश्रेष्ठ टीम हैं। ओलंपियाड एकमात्र ऐसा टूर्नामेंट है जिसमें हम देश के लिए एक टीम के रूप में खेलते हैं।
यह एक स्वप्निल क्षण

महिला टीम की जीत की नींव रखने वाली वैशाली ने कहा चेन्नई में पिछले सत्र में स्वर्ण पदक से चूकना दुखद था। यह एक स्वप्निल क्षण है। मुझे खुशी है कि दोनों टीमों ने स्वर्ण पदक जीता है। यह ऐतिहासिक क्षण है। हमने लगातार छह मैच जीते और फिर पोलैंड से हार गए, यह दुखद हार थी लेकिन मुझे खुशी है कि हमने वापसी की। हमने अगले मैच में अमेरिका से ड्रॉ खेला और स्वर्ण पदक जीतने के लिए हमें आखिरी दो मैच जीतने थे। हमने निर्णायक क्षण में अच्छा प्रदर्शन किया।

स्वर्ण पदक वर्षों की कड़ी मेहनत का परिणाम
पुरुष टीम के कप्तान नारायणन के लिए स्वर्ण पदक वर्षों की कड़ी मेहनत का परिणाम है। नारायणन ने कहा, यह बहुत अच्छा लगता है कि मैं सबसे मजबूत टीमों में से एक का कप्तान था जिसने इतने प्रभावशाली अंदाज में ओलंपियाड जीता। जब ऐसा कुछ शानदार होता है तो यह आमतौर पर वर्षों के प्रयास का नतीजा होता है और यहां भी यही हुआ। हम प्रयास करते रहे और आगे बढ़ते रहे। हमें कई सफल नतीजे मिले और हम कई बार पोडियम के करीब पहुंचे। इस 30 वर्षीय ग्रैंडमास्टर ने कहा गुकेश, अर्जुन एरिगेसी और प्रज्ञानानंदा सहित खिलाडिय़ों की नई पीढ़ी विश्व विजेता है। हम 2016 में चौथे स्थान पर आए थे लेकिन युवा खिलाडिय़ों की यह पीढ़ी विश्व विजेता है। उन्होंने न केवल यहां बल्कि कैंडिडेट्स और अन्य टूर्नामेंटों में भी यह दिखाया है। भारत का अगला लक्ष्य विश्व चैंपियन जीतना होगा और इस साल के अंत में इसे हासिल करने के प्रयास में हर कोई गुकेश की हौसला अफजाई करेगा। हमारे पास ओलंपियाड स्वर्ण पदक है, अब हम भारत में विश्व चैंपियन भी चाहते हैं इसलिए हम गुकेश का उत्साहवर्धन करेंगे।

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