“ अरे मन ! लाख टका की बात सुन ! जो पुत्र,पिता,भाई आदि तुझे अपना मानते रहते हैं,यह सब धोखा है।क्योंकि वो लोग अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए ही ऐसा करते हैं।अरे मन ! जब ये लोग अपना ही वास्तविक हित नहीं समझते और सांसारिक विषयों में भटकते रहते हैं तब भला ये तेरा क्या हित करेंगे।तू इन पर क्या विश्वास करता है।अरे मन ! अब तू सबसे नाता तोड़कर एकमात्र श्यामसुन्दर से नाता जोड़ ले।”
*- जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज*
*- जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज*
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00:00Krishna bol, Krishna bol, Vrindavan ki galiye na dol, Radhe bol, Radhe bol.