“ अरे मन ! लाख टका की बात सुन ! जो पुत्र,पिता,भाई आदि तुझे अपना मानते रहते हैं,यह सब धोखा है।क्योंकि वो लोग अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए ही ऐसा करते हैं।अरे मन ! जब ये लोग अपना ही वास्तविक हित नहीं समझते और सांसारिक विषयों में भटकते रहते हैं तब भला ये तेरा क्या हित करेंगे।तू इन पर क्या विश्वास करता है।अरे मन ! अब तू सबसे नाता तोड़कर एकमात्र श्यामसुन्दर से नाता जोड़ ले।”
*- जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज*
*- जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज*
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00:00If we bow to a deity, a goddess, a human being, then it is not our fault to bow to them.
00:12We are just making a bet.
00:16We should bow to them with the thought that,
00:19my Shyam Sundar Upanishad people are sitting inside this.
00:24It is a bet, not an idea.
00:28What is the problem in admitting the fact?
00:31He is sitting inside everyone.
00:34So, we have to see our God.
00:37Even in a demon, who can call him a deity?
00:42There should be no weakness anywhere,
00:44neither in Tamasim, nor in Rajasim, nor in Satvik.