Panchtantra Ki Kahaniya - The Clever Lombdi and Wise Saras!"

  • 2 days ago
✨ Welcome to the enchanting world of "Panchtantra Ki Kahaniya"! Join us on an exciting adventure with the Clever Lombdi and the Wise Saras! In this vibrant storytelling video, your children will learn essential values like cleverness and wisdom wrapped in delightful tales that echo ancient wisdom. Perfect for bedtime or daytime fun, these timeless fables will capture kids’ imaginations while teaching important life lessons! Subscribe now for more engaging Children's stories that will spark creativity and build moral values. Don't miss out on this adventure of friendship, wit, and wisdom! #Panchtantra #ChildrensStories #EducationalFun

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Transcript
00:00एक जंगल में एक लोमडी रहता था।
00:04एक बार भाग्यवश उसे एक प्राणी का मास खाने को मिल गया।
00:10वह उसी जगपर बैठ कर वह मास खाने लगा।
00:14मास तो बहुत था पर वह लोमडी किसी के साथ भी अपना खाना बातना नहीं चाहता था।
00:22क्योंकि वह बहुत स्वार्थी था।
00:25चलबाजी में खाने की वज़ेसे गडबड़ा हट में एक छोटी हड़ी उसके गले में अटक गई।
00:33उसने उस हड़ी को निकालने की बहुत कोशिश की।
00:37ना तो वो हड़ी निगल पा रहा था, ना तो गले से निकाल पा रहा था।
00:43वह बहुत अस्वस्थ महसुस कर रहा था।
00:46उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि करें तो क्या करें।
00:51जैसे जैसे वह गले से हड़ी निकालने की कोशिश करता गया,
00:56वैसे वैसे वह हड़ी उसके गले में और फस्ती गई।
01:01वह दर गया और वह सोचने लगा,
01:09अरे ये हड़ी तो विरे गले में फस्ती ही जा रही है।
01:18अब मैं उसे बाहर कैसे निकालूंगा।
01:26उसे सोचते सोचते एकदम से याद आया,
01:30कि उसका दोस्त सारस, जो नज़दी के तालाग के पास ही रहता था,
01:36वह शायद उसकी मदद कर सकता है।
01:39उसने सोचा,
01:41हाँ, यही ठीक रहेगा।
01:46सारस के पास लंभी चोच है,
01:49जिस से वह मेरे गले में भसी हुई हटि को बढ़ी आसानी से निकाल पाएगा।
01:57वह लोम्रि सारस के पास चला गया और उसे बोला,
02:01अरे, अरे मेरे दोस्त,
02:05मेरे गले में हट्टी भस गईँ हैं।
02:09कुपाकर की उसे मेरे गले से निकाल पाऊगे
02:14मैं तुम्हारा शुक्र गुजार रहूंगा
02:19उसकी बाते सुनकर सारस ने उसके लंभी चोच से
02:24लोमडी के गले में से फसी हुई हड़ी बहार निकाल ली
02:28और फिर सारस ने लोमडी से कहा
02:31आ, आ, आ, पेरे दोस्त, मैंने तुम्हारी जो मदब की है, उसके पतले में जा तुम, मुझे तुम्हारे पास का जो थोड़ा खाना है, वो दे सकते हो, मुझे बहुत दिन से अच्छा खाना नहीं मिला है।
02:48ये बात सुनकर, लोमडी सोच में पढ़ गया।
02:52लोमडी तो बहुत स्वार्थी था, तो उसने थोड़ा सोच कर सारस से कहा।
02:59ओ अरे मेरे प्यारे दोस्त, तुम्हें तो मुझे धन्यवाद देने चाहिए।
03:07क्योंकि जब घड़ी निकालने के लिए तुमने तुम्हारी चौच मेरे मुँ में डाल दी थी, तब मैं तो तुम्हें कच्चा चबा जा सकता था।
03:20आँ पर मैंने ऐसा नहीं किया और शुकर करो के मैंने तुम्हें जिन्दा छोड़ दिया है।
03:31लोमडी की बात सुनकर सारस बहुत निराश हो गया और दुखी होकर वह लोमडी से बोला
03:39आँ आँ आँ मेरे दोस्ती कभी भी इस तरह से नहीं निभाई जाती, तुम तो पुरी तरह से स्वार्थी और दुधगन हो, मैं तुम्हारे साथ दोस्ती नहीं रहना चाहता।
03:56इस तरह से लोमडी ने उसके स्वार्थ की वजह से एक पुराना और सरधै मित्र खो दिया।
04:05तो बच्चों, इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है, जिस किसे ने अपने कथिन समय में हमारी मदद की है, उसके प्रती हमेशा कृतग्न रहना चाहिए, न कि उसे कृतगन होकर निराश करना चाहिए।

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