"नगर के सौंदर्य की कीमत: मजेदार Tenali Ram की कहानी | बच्चों की अद्भुत कहानी!"

  • 2 days ago
Welcome to an enchanting episode of Tenali Ram's tales! In this delightful kids’ story, “नगर के सौंदर्य की कीमत,” eavesdrop on Tenali Ram, the clever hero known for his wit and wisdom. Join us as he navigates the humorous and quirky challenges of city beauty and value! Through laughter and lessons, kids will explore the importance of appreciating beauty in every form. Perfect for children and families, this charming narrative reinforces values while ensuring sheer joy! Dive into our magical world now! Don’t forget to like, share, and subscribe for more amazing kids’ stories! #KidsStory #TenaliRam #EnglishDescription ✨

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Transcript
00:00अब मैं जो तेनाली राम की कहानी तुम्हे सुनाने जा रहा हूँ, उसका नाम है नगर के साउंदर्य की किम्मत।
00:09एक बार विजैनगर सामराज्य के सम्राध कृष्ण देवराय ने तहे किया कि उनकी सामराज्य की नगरी विजैनगर उसे बहुत सुन्दर रूप से सजाया जाये।
00:21तो सम्राध कृष्ण देवराय ने सभी मंत्रियों को आधिश दिये कि दुनिया भर के फंकार, शिल्पकार, मूर्तीकार, चित्रकार, वास्तु विशारत, वनस्पती विशारत, धापत्य विशारत ऐसे सब लोगों को सन्मान से बुलाकर विजैनगर को सुशोभित करने का
00:51फंकार, कारिगर, चित्रकार, मूर्तीकार इत्यादी सब बुलाए और काम तुरंत आरम हुआ
00:59पहले पुरे नगर का नक्षा बनाया गया हर चीज का वास्तु नियोजन अच्छी तरह से किया गया
01:07और फिर उस नियोजन के अनुसार एक-एक वास्तु का निर्मान होने लगा
01:12बड़े-बड़े प्रासाद, बड़ी इमारते, बड़े उध्यान, बड़े रास्ते, चौराहे सब कुछ अच्छी तरह से निर्मान होने लगा
01:22और जैसे-जैसे ये सब निर्मान होने लगा, वैसे सच में विजैनगर स्वर्ग की भाती सुन्दर दिखने लगा
01:32हर कोई दर्बारी समराथ कृष्णदेवराय की वहा-वहाई करने में लग गया
01:37मंत्री कहने लगे कि समराथ हो तो कृष्णदेवराय जैसा
01:42फिर उन्होंने सभा में सब को पूछा
01:45अब नगर के पुनर निर्मान का काम लगबख पूरा हो गया है
01:50इस नय नगर के बारे में आप सब की क्या राय है ये इस सभा में बताईए
01:56अगर कहीं कुछ कमी रह गई हो तो बिना जिज़क बताने की अनूबती है
02:03दरबार में हर कोई नय नगर की वाहवाही कर रहा था
02:07पर तेनाली राम कोई प्रतिक्रिया दिये बिना
02:11शांती और कमभीर चेहरे से दरबार में बैठा था
02:15उसे देख कर समराट कृष्णदेव राय कुले
02:19क्यो तेनाली राम तुम जुप क्यों बैठे हो
02:22क्या तुम खुश नहीं हो
02:24नगर के सुंदरता के विशय में तुहारी कोई प्रतिक्रिया नहीं
02:28महाराज आपने नगरी तो बहुत ही सुंदर और लुभावनी बनाई है
02:33पर इसमें एक कमी रह गई
02:37ऐसे स्वर्ग के जैसे नगरी में अभी भी तेनाली राम ने कुछ एब निकाला
02:43यह सुंकर समराथ थोड़े नाराज़ गी से बोले
02:47तेनाली राम कैसे नकारात्मत बात कर रहे हो
02:51इतने सुंदर पूरन नगर में अभी भी तुम्हें कुछ एब दिख रहा है
02:56बोलू क्या है
02:58ठीक है समराथ जैसे आपकी आग्या चलिए मेरे साथ
03:02ऐसा कहकर तेनाली राम समराथ कृष्णदेव राय को दरबार से बाहर ले आया
03:08जहाँ पर सर्व सामान्य प्रजाजन रुके हुए थे
03:12वहाँ जाकर तेनाली राम ने सामान्य नागरिकों से प्रश्ण किया
03:16विजेनगर का नवदिर्बान और उसकी सुन्दरता देखकर तुम्हें बहुत प्रसंदनता होती होगी न
03:23हा हा हा क्यों नहीं क्यों नहीं
03:26और इस मूतनी करण की जो कीमण आपको चुकानी पड़ी है वह कैसे लगी आपको
03:32तेनाली राम का यह प्रश्ण सुनकर लोग चुपचाप और गंभीर हो गये
03:41मेरे प्रजाजनों जो भी आपके मन में है वह बात बिना जिजट मुझे बताईए
03:48प्रजाजनों में से एक बोला
03:52महाराज नगरी तो अति सुन्दर बनी है उसमें दो राय नहीं है बस इस निर्मान के लिए जो खर्च हुआ उसमें से कुछ हिस्सा हम सब प्रजाजनों से कर के माध्यम से वसूल किया गया
04:05ये तुम क्या कह रहे हो मेरा सब मंत्रियों को अदेश था कि नगर के नव निर्मान का पूरा खर्च राज्य के कुशागार से ही होगा
04:19महराज आपके कुछ मंत्रियों ने अपनी बुधी लगाकर लोगों को इस बारे में अन्धेरे में रखकर उनसे नगर नव निर्मान कर नाम का कर वसूल किया
04:29तो ऐसे सुन्दर नगरी के नव निर्मान और उसके सउंदर्य का आनंद सामान्य नागरिक कैसे अनुभव कर पाएगा
04:36सामान्य प्रजाजणों का सच्चा मत जानने के हितू मैं आपको यहां लाया हूँ
04:42तेनाली राम की यह बात सुनकर संबराध कृष्ण देवराय क्रोधेत हुए
04:46पर फिर दरबार में जाकर सब से पूछा
04:50कौन वह मंत्री है जिनोंने मेरी आग्या को ठुकरा कर अपने अधिकार से
04:55राज्य के सर्वसामान्य जंता से कर का नाम देकर पैसा एकठा किया है
05:00क्या इस क्रुष्ण देवराय के सामराज्य में धन की कमी है
05:04कि नगर की पुनर रचना के लिए सामान्य प्रजाजनों से कर के रूपे धनराशी कठी की जाए
05:10क्या कमी है हमारे सामराज्य में
05:12और वैसे भी मैंने तो ऐसा कोई भी आदेश नहीं दिया था
05:17तो जिस किसी ने मेरी आग्या तोड़कर ऐसा अपराज किया है
05:21उस मंत्रियों को ये आदेश है कि प्रजा से ली हुई धनराशी उन्हें वापस की जाए
05:28और वह धनराशी राज्य के कोशागा से न जाएगी
05:32बल्की दोशी मंत्रियों के वैयक्ति कोश से यह राशी सब को दे दिजाए
05:38इस तरह तेनाली राम के होशियारी के कारण सामान्य प्रजाजनों का धन भी वापस मिला
05:44और दोशी मंत्रियों को धन्ड भी मिला
05:47और सब को स्वर्ग जैसी सुन्दर नगरी में रहने का आनंद भी
05:53तो बच्चो, हैना तेनाली राम सबसे अनोखा

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