श्री ब्रह्मा विष्णु महेश अपनी-अपनी देवियों के कहने पर माता सती अनुसुइया की परीक्षा लेने जाते हैं और वहां जाकर खुद फंस जाते हैं I तीनों देवता जाते हैं देवता बनकर और बन जाते हैं वहां बच्चे I
सती अनुसुइया के सामने श्री ब्रम्हा विष्णु महेश और उनकी तीनों देवियों को भी हार मानना पड़ा I क्योंकि सती अनुसुइया को मजबूरन माता मानना पड़ा जो नारदजी का सब किया धरा था I श्री ब्रह्मा विष्णु महेश ऐसा कहने से लगता है जैसे यह तीन अलग-अलग देव अथवा शक्तियां हैं परंतु यह सत्य नहीं है वास्तव में यह तीनों एक ही शक्ति के तीन रूप हैं असल में एक ही परम ब्रह्म परमात्मा है जिसकी इच्छा अथवा संकल्प से इस जगत की सृष्टि होती है उस सृष्टि का पालन होता है और फिर उसी सृष्टि का संघार हो जाता है एकमत ए भी है कि सारा संसार एक माया है यह उत्पत्ति का पालन या फिर सारा नाटक केवल माया का भ्रम है जैसे स्वप्न में देखा हुआ सत्य नहीं होता उसी प्रकार यह सारा संसार मिथ्या है केवल स्वप्न मात्र है |
सती अनुसुइया के सामने श्री ब्रम्हा विष्णु महेश और उनकी तीनों देवियों को भी हार मानना पड़ा I क्योंकि सती अनुसुइया को मजबूरन माता मानना पड़ा जो नारदजी का सब किया धरा था I श्री ब्रह्मा विष्णु महेश ऐसा कहने से लगता है जैसे यह तीन अलग-अलग देव अथवा शक्तियां हैं परंतु यह सत्य नहीं है वास्तव में यह तीनों एक ही शक्ति के तीन रूप हैं असल में एक ही परम ब्रह्म परमात्मा है जिसकी इच्छा अथवा संकल्प से इस जगत की सृष्टि होती है उस सृष्टि का पालन होता है और फिर उसी सृष्टि का संघार हो जाता है एकमत ए भी है कि सारा संसार एक माया है यह उत्पत्ति का पालन या फिर सारा नाटक केवल माया का भ्रम है जैसे स्वप्न में देखा हुआ सत्य नहीं होता उसी प्रकार यह सारा संसार मिथ्या है केवल स्वप्न मात्र है |
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