"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!
🔹 वीडियो की खास बातें:
✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी
✅ हर उम्र के लिए अनुकूल
✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता
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00:00ए भगवान रागनी बहु तू मुझे ये बता दे कि आखिर तेरी दिक्कत क्या है अरे इतने से कपड़े तुझे फैलाने को दिये थे ये भी काम तूने बिगार दिया हर काम बस तूने खराब करना ही सीखा है
00:11क्या हुआ माजी क्या बात है शृतिका बहु देख देख इस रागनी को कपड़े डालने को बोला था और ये चत पर आते ही सारे कपड़े फेग दिये
00:20अब ये कपड़े सूखेंगे नहीं दोबारा से धोई जाएंगे क्या मूग को नीचे करके खड़ी हो गई है कामो को ढंग से करना सीख ले अब तू कोई छोटी बच्ची नहीं मेरे घर की बहु है
00:30चलिए चलिए मा जी जादा गुस्सा मत कीजे थोड़े से ही तो कपड़े हैं एक बार में मशीन में दोल जाएंगे मैंने दोलूंगे अब चंता मत कीजे
00:39शृतिका ने ऐसे बोल कर बात को संभाल लिया जिसके बाद कमला छट से नीचे आ गई
00:44शृतिका और रागनी कमला की दो बहुए थी जिन दोनों के ही तौर तरीकों और रहन सहन में जमीन आस्मान का अंतर था
00:51शृतिका हर काम को बहुत ही संभाल कर करती थी तो वहीं रागनी सभी काम बिगार देती थी
00:56आज भी रागनी ने धोले हुए सारे कपड़े छट पर फेक दिये थे, जिससे उसको डाट पड़ी।
01:01शुर्तिका ऐसे बोलकर रागनी को नीचे ले आई, जिसके बाद घर के सभी काम शुर्तिका ने ही निपटाई, ऐसे ही अगले दिन।
01:22वैसे भाबी, आज कौन-कौन आ रहा है, मेरा मतलब बाबा के दोस्त तो आ ही रही है, लेकिन उनके साथ कितने लोग हैं, पता नहीं, शायद पाँच लोग आज खाने पर आ रहे हैं, बस अभी कुछ देर में वो लोग पहुँची जाएंगे, रागनी ये काम करो, जल्दी स
01:52आई माजी, भाबी मैंने आलू बलने को रख दिये हैं, माजी मुझे बुला रही हैं तो मैं वहाँ जा रही हूँ, ठीक है, रागनी तुमने आलू में पानी कितना डाला उबालने के लिए, भाबी मैंने पानी नहीं डाला, हे भगवान तुमने पानी नहीं डाला, सीटी �
02:22कुछ नहीं माजी कुकर फट गया क्या
02:25कमला की बात पर दोनों बहुएं कुछ नहीं बोली
02:28कमला जानती थी कि इसके पीछे किसकी गलती होगी
02:31जिसकी वज़ा से वो बस रागनी को घूरने लगी
02:34माजी चिंता मत कीजे मैं हूना जल्दी से सब कुछ साफ कर देती हूँ
02:38आप चिंता मत करना मैं सब कुछ संभाल लूँगी
02:40माजी मुझे लगता है कि मैं कोई काम आज नहीं करूँ तो शैद अच्छा होगा
02:46मैं चलती हूँ
02:47रागनी ऐसे बोलती हूई सिर्फ पकड़ कर अपने कमरे में चली गए
02:50जिसके बाद
02:51इतने सबसी पकी उतने में उसने रसोई को साफ कर दिया
03:09और फिर रसोई साफ करने के बाद उसने पूरी बनाई
03:12जब महमान आ गए तो उन्हें भी शोटिका ने ही हैंडल किया
03:15और रागनी बस एक ही जगा पर बैठी रही
03:17ऐसे ही सिलसला जारी था
03:19और आज के दिन दोनों बहुएं बैठी हुई
03:21दराती से अचार के लिए आम काट रही थी
03:24रागनी आमों को ज़रा ध्यान से काटना
03:27ये दराती बहुत ही पैनी है तो इससे हाथ भी कट जाता है
03:45जल्दी से रागनी के हाथ पर पट्टी कर दी जिससे कि उसका खून बैना बंद हुआ
03:49और फिर कमला रागनी को डांटते हुए बोली
03:51कमला ऐसे ही रागनी को डांटने लगी जिससे कि रागनी को भी बुरा लगा
04:13लेकिन वो कुछ नहीं बोली क्योंकि वो जानती थी के गलती उसी की थी
04:17ऐसे ही एक दिन
04:18कमला के बोलने पर रागनी भी एक्साइटेड हो गई
04:38और उसके सोफा साफ करने को मिनी वैक्यूम क्लीनर चला दिया
04:42लेकिन वो उसकी पावर को सैट करना बोल गई
04:44जिससे कि वैक्यूम क्लीनर अपनी पूरी पावर पर चला
04:47और उसने कोडे करकट के साथ साथ सोफे की रुई को भी खिंचना शुरू कर दिया
04:51यह बगवान यह क्या हो रहा है
04:53माजी यह तो हमारे पूरे सोफे को ही खा जाएगा
04:56अरे बहु यह क्या बवाल मंगा लिया है तुने बंद कर इसको
04:59अरे सत्यानाश बंद करना
05:01यह जब तक कई हजार का नुकसान नहीं करवा देगी बंद नहीं करेगी
05:05मा जी मेरे समझ में नहीं आरा कि मैं क्या करूँ
05:09रागिनी और कमला ऐसे ही डर ही रही थी कि तबी एकदम से मशीन बंद हो गई
05:13बंद हो क्या? क्या खराब हो गया ये बहू?
05:18खराब नहीं हुआ है मा जी मैंने इसे बंद कर दिया है पीछे से इसका प्लग निकाल कर
05:22शृतिका मेरी बहु तू हमेशा ही सही वक्त पर काम संभाल लेती है
05:27माजी सोफिकी एक गद्धी तो गायब हो गई
05:32तेरे तो पता नहीं काम ही कैसे है
05:35तू तो बस मेरे घर का नुकसान ही करवाने पर लगी रहती है
05:38मैं तो गिना भी नहीं सकती कि तूने आज तक क्या-क्या बिगाड़ा है
05:41माजी ऐसे मत बोलिए ना मैं जान बुझकर थोड़े ही काम कराप करती हूँ
05:47अपनी जिठानी और सास की बाते सुनकर बस रागनी विचारी योही खड़ी रह गई
06:07ऐसे ही कामों को बिगाड़ने और संभालने का सिलसिला रोजाना ही जारी था
06:10ऐसी सब कुछ चल रहा था कि आज के दिन
06:13शुतिका आज तो मुझे तुम ब्रेक्वस्ट में चाय के जगा औरेंज जूस दे दो
06:19जी अरे रागनी मुझे अभी मुकुल और माधव जी दोनों के ही टेफिन पैक करने है तो जूस तुम जरा बना दो
06:27माधव जी भी पीने को बोल रहे थे
06:28जी उमीद है कि आज मुझे से कोई गलती नहीं होगी
06:33रागनी ऐसे ही सोचती हुई रसोई में आ गई और उसने जूस बनाने के लिए फ्रिज से संतरे निकाल लिए
06:39मैं तो भूल गई कि संतरों का जूस बनता कैसे था
06:42रागनी आज भी गायब दिमाग से ही काम कर रही थी
06:45जिसका नतीजा ये सामने आया कि ना तो उसने फ्रिज को बंद किया
06:49और उसने मिक्सी के जार को भी बिना कुछ ड़के ही चला दिया
06:52जिसे कि सारा संतरों का पल्प वगेरा उड़ गया और उससे रसोई की दीवारे खराब हो गई
06:57वहीं दूसी तरफ मिक्सी का भी बैलेंस बिगड़ गया और उसका जार भी उड़कर तूट गया
07:02अरे नहीं मैंने पिर से काम बिगार दिया आप में क्या करूँ
07:05रागनी जैसे ही रसोई के हालात को सिधाने के लिए भागी तो उसके फैलाए रायते पर ही उसका पाउं फिसल गया और वो गिर पड़ी
07:12इतनी सब आवाजे सुनकर रसोई में कमला, मुकुल, शुतिका और माधवा गई और कुछ देर बाद
07:18पंद्रा हजार? तुने आज मेरे पूरे पंद्रा हजार से भी उपर कर रुक्सान करवाया रागनी
07:23तेरी लापरवाहियों की वज़े से मेरा फ्रिज खराब हो गया
07:26क्योंकि पता नहीं वो कब से खुला हुआ था तेरी लापरवाही से मेरी मिक्सी खराब हो गई
07:30पिरसोई की दीवारे खराब हो गई और प्रिज में रखा हुआ खाने पीने का सामान सड़ गया अब बता बता की तेरा क्या इलाज है मुझे माफ कर दीजे माजी अब माफी की गुंजाइश बची ही कहा है बहू बस अब मैं एक बात कहती हूँ आज से तेरा घर में काम करना
08:00शुतिका की बात पर रागिनी राजी हो गई बस फिर क्या था उसी दिन से रागिनी ने एक हफ़ते तक शुतिका को काम करते हुए देखा उसके तौर तरीकों को देखा जिसके बाद उसने भी उसी की तरह काम करने शुरू कर दिये अब रागिनी के काम कम बिगड रहे थे