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00:00नमस्ते सर अभी कुछ दिनों पहले भारत में चुनाफ चल रहे थे और चुनाफ के दोरान प्रचार के समय में देख रहा था कि हमारे बहुत सारे राजनेता जिसमें पार्टीज के हेड और रीजनल पार्टीज के हेड भी मौझूद थे वो बार-बार जानमूच कर कैमरे प
00:30तो ऐसा कैसे हो जाता है कि भारत में ये सब चीज़ें चल जाती है
00:33मैं समझ रहा हूं तो मैं नैशनल पार्टीज के हेड भी है और रीजनल पार्टी वाले लोग भी है
00:44देखी थी मैंने भी उस अब तस्वीरें
00:47सीधी सी बात है जो लोग वो फोटो डाल रहे हैं
00:52और जिसके लिए वो फोटो डाल रहे हैं दोनों ही पक्षों को पता ही नहीं है
01:00कि आज के समय में मासाहार लगभग अपराध जैसा है
01:09ये जानकारी ये consciousness न तो political space को है न पबलिक space में है
01:19न ये नेता लोग कुछ जानते हैं और पबलिक तो कुछ जानती ही नहीं
01:25तो ये लोग फिर इस तरीके की चीज़ें कर ले जाते हैं
01:29कि देखो हम कितने कूल हैं हम मटन पका रहे हैं हम चिकन खा रहे हैं हम मचली खा रहे हैं
01:34यह सब चल जाता है
01:35अगर यही हम थोड़ा जागरुक समाज होते
01:38या यह राजनेता ही थोड़े जागरुक होते
01:41और बहतर पढ़े लिखे होते
01:43तो इस तरह की चीज़ें नहीं चल सकती थी
01:46अभी भारत में लोगों को लगता है
01:51कि मैं क्या खा रहा हूँ यह तो मेरा निजी मसला है न
01:53यह मैं कुछ भी खाऊँ
01:56आप खाने के आधार पर क्यों मुझ से बात करना चाहते हो
02:01आप खाने के आधार पर क्या भिद्भाव करे हो है
02:03लोगों को अभी भी यही है कि सवेखी जैसी चीज़ तो है
02:08शाक सबजी खाली या मास मटन खाली या सब एक ही बात है
02:15उनको अभी पता ही नहीं है कि अगर अभी आप गूगल करो
02:20करके देख लो कि दुनिया के सामने इस वक्त
02:24बड़ी से बड़ी समस्या क्या है
02:29केटिस्ट्रॉफिक चैलेंज क्या है
02:32ये गूगल भी कर सकते हो या अपने AI वगरा से पूछ लो
02:35किस AI से पूछोगे
02:37चैट जीपिटी से और एक आज से पूछ लो और कौन से है
02:41परप्लेक्सिटी से पूछ लो
02:43सब लोग अभी ये प्रयोग करके देख लो इनसे पूछ लो
02:46कि इस समय प्रत्वी के सामने
02:48सबसे बड़ी क्राइसिस कौन सी है
02:50गूगल से भी पूछ लो
02:51और जितने तरीके के
02:54तुम्हारे पास AI रिसूर्सेस हैं
02:56उनसे भी पूछ लो
02:57वो सब के सब सिर्फ एक बात बोलेंगे
03:00क्लाइमिट क्राइसिस
03:02क्लाइमिट क्राइसिस
03:04लेकिन भारत में ये बात
03:08ना पॉलिटीशियंस को समझ में आ रही है
03:09और पबलिक को तो समझने ही नहीं है
03:11भारत में
03:15क्लाइमिट केटेस्ट्रफी को ले करके
03:17इतनी पूर अवेरनेस है कि हम
03:19कुछ नहीं जानते
03:20और जबकि
03:22क्लाइमिट क्राइसिस का
03:24सबसे बड़ा असर जिन देशों पर पड़ेगा
03:26सबसे बड़ा सबसे बुरा
03:27उनमें भारत है
03:29हम बरबाद होने वाले है
03:32लेकिन हमें ये बात समझ में नहीं आ रही है
03:36और हमें ये नहीं समझ में आ रहा
03:38के climate change
03:40जिन greenhouse gases
03:42से होता है
03:43उनके emission का
03:46दूसरा सबसे बड़ा कारण
03:48food choices है
03:50पहला जो सबसे बड़ा कारण है
03:54वो तो energy है
03:55fossil fuel
03:57और उसके ठीक बात
04:00जो आता है वो है food
04:01food जिसमें खास कर
04:06मासाहार और dairy
04:10ये लोगों को पता ही नहीं है
04:14लोगों को नहीं पता कि
04:16प्रत्वी को इस वक्त जो चीज बरबाद कर रही है
04:19उसका नाम है मासाहार
04:20climate change की बात आती है तो लोग इतना तो फिर भी
04:25बोल लेते हैं जो थोड़े पड़े लिखे लोग है
04:27कि हाँ हाँ गाड़ी में इंधन जलता है
04:30तो उससे climate change होता है
04:31इतना तो फिर भी थोड़ा
04:33लेकिन ये बहुत कम लोगों को पता है
04:35कि जो second most important reason है
04:39वो है कि आप अपनी plate पे क्या रखा हुआ है
04:41आप जो खा रहे हो
04:42उसी से ही प्रत्वी बरबाद हो रही है
04:45और इतनी बरबाद हो रही है
04:48कि हमारे पास शायद अब
04:49दस बीस साल भी नहीं बचे है
04:51एक सामान ने जीवन जीने के
04:54आप अगर UN से पूछोगे
04:57या बड़े साइंटिस्ट से पूछोगे
05:00तो वो कहते हैं कि
05:01शायद अब
05:02आखरी दो साल हैं जिसमें आप
05:05कुछ कर भी सकते हो
05:08इस क्राइसिस को मिटिगेट करने के लिए
05:10उसको अब आप रिवर्स नहीं कर सकते
05:11पर जहां है वहाँ भी रोकने के लिए
05:14बस दो ही साल बचे हैं और कुछ कहते हैं कि
05:15वो दो साल भी अब नहीं बचे हैं
05:17आपने अलरड़ी जो पॉइंट ओफ नो रिटर्न है
05:19वो क्रॉस कर दिया है
05:20और अब आप जो है
05:23केटिस्ट्रोफिक फीडबैक साइकल के लूप में
05:25प्रवेश कर चुके हो
05:26जिसमें अब कोई रिवर्सिबिलिटी नहीं है
05:29जहां पर अब तापमान सिर्फ इसलिए बढ़ेगा
05:33क्योंकि तापमान बढ़ा हुआ है
05:34और बढ़ेगा क्योंकि बढ़ा हुआ है
05:38और और बढ़ेगा तो फिर और बढ़ेगा
05:40और और बढ़ेगा तो और बढ़ेगा
05:41आप इस तरह के एक स्पाइरल में
05:44enter कर चुके हो
05:46पर ये बात हमें पता भी नहीं है
05:49और हमारे politicians
05:50शायद जानते नहीं जानते भी तुम्हें बताना नहीं चाहते
05:53क्योंकि बताने में उनका कोई हित नहीं है
05:55लोग क्याते है पेड लगाएंगे पेड लगाएंगे
06:01जब भी बारत में बात करो
06:02climate crisis की तो लोगों को दो बाते समझ में आती है
06:06एक तो ये कि एसी मत चलाओ दूसरा हम पेड लगा देंगे
06:10तुम्हारे एक पेड लगाने से क्या होगा
06:12तुम्हें कुछ पता भी है
06:13तुम्हें एक पेड लगाओगे और दस बीस साल में बढ़ा होगा
06:16दुनिया में सबसे ज़्यादा जंगल के जंगल
06:19पेड की बात करें जंगल के जंगल किसलिए काटे जाते हैं
06:23वो काटे जाते खेती के लिए
06:25और दुनिया की 75-80 प्रतिशत जो खेती होती है
06:31वो मनुष्ये के लिए अनाज उगाने को नहीं होती
06:33वो गाय भैंस और भेड़ और बकरी और मुर्गा इनको दाना उगाने के लिए होती है
06:42अब बहुत लोग इस सुनके सन न रहा जाएंगों कि ऐसा थोड़ी हो सकता है भारत में तो नहीं होता है
06:49गम सकम ऐसा भारत में भी बिल्कुल वही आंकड़ा है
06:51दुनिया की तीन चौथाई से ज़्यादा खेती मासाहारियों के लिए हो रही है
06:59अब मासाहारी कहते हैं हमने तो मास खाया नहीं तुमने मास नहीं खाया
07:02तीन चौथाई खेती मासाहारी के लिए हो रही है
07:04वो जो वहाँ उगता है वो किसको दिया जाता है गाय, भैंस, बकरे को
07:08अब बकरा हवा खा के तो नहीं बड़ा हो जाएगा न
07:12भैंस काटते हो 500 किलो का पशु वो क्या खा के बड़ा हुआ है उसको
07:17खेती करोगे तभी तो उसको खिलाओगे, लिकिन यह बात हमारे सामानिज़ान में है नहीं
07:22और वो जो खेती के लिए जमीन है, उसकी आवश्यक्ता बढ़ती ही जा रही है क्योंकि लोगों को मसहार और करना है
07:32जंगल के जंगल साफ होते जा रहे हैं
07:36लोग कहते हैं देखो मैंने क्लाइमेट क्राइसिस के लिए किया
07:39मैं अपने हर जनम दिन पे ना दो पेड़ लगाता हूँ
07:41तुमारे दो पेड़ लगाने से क्या हो जाएगा भाई
07:44तुम किसको बेवकूफ बना रहे हो
07:46महासाहारियों ने इस पूरी प्रत्वियों का कहीं का नहीं छोड़ा
07:51उन महासाहारियों में दुगधाहारी और जोड़ दो
07:53क्योंकि महास और दूध इनमें चोली दावन का साथ है
07:56ये बिलकुल जुड़े वे उद्ध्योग है
07:57यह हमें कुछ पते ही नहीं न बात है
08:03कितने ही तथे हैं और कितनी ही बार
08:06दर्जनों बार
08:08तो मैं हर तरह के मंच पर
08:11उन तथेओं को घाटित कर चुका हूँ
08:13और कोई छुपे तथे नहीं है कि मैं ही लेके आ रहा हूँ
08:15classified से
08:16वो public information है आप थोड़े भी जागर रुक है तो आपको मिल जाएगी
08:20दर्जनों बार तो हमने ही उसको आपके सामने रखा है
08:24आप लोग भी जानते ही हो आपके पास भी उसारा data है
08:30हमारे लेक छपे हुए हैं और वीडियो उसकी तो कतार लगी हुई है
08:37कोई आर्टिकल पढ़ लो उसमें वो सब बातें कही है
08:40पर नहीं पढ़ना है ना हमारा मन political gossip में ज्यादा रहता है
08:44कोई आपके सामने scientific बात रखी जाए
08:47कोई ऐसी बात रखी जाए
08:48जिससे आपका और आपके बच्चों का भविशे निर्धारित होना है
08:51तो वो बात आप नहीं पढ़ना चाहते हो
08:53बात आगे बढ़ती है ना जब जंगल कट रहे है
08:58आपको पता है प्रति दिन
09:01तीन सौ से एक हजार प्रजातियां
09:04और कुछ उसमें अनुमानित आंकड़े कहते हैं
09:08प्रति दिन दस हजार प्रजातियां विलूप थो रही है
09:11पहले इस बात को थोड़ा सा भीतर उतरने तो प्रति दिन कितनी प्रजातियां दस हजार
09:17दस हजार का आकड़ा नहीं भी माना
09:23तो जिन्होंने आकड़ा लिया है तीन सो से हजार का
09:26वो कहते हैं अगर 300 विलूप थो रही है तो उसमें से
09:281500 विलूप थो रही है
09:29सिर्फ जंगलों के कटने से
09:32जंगल कट रहे हैं मासाहारियों की वज़े से
09:36मासाहारी सिर्फ
09:38उस जानवर को नहीं खा रहा है
09:40जो उसने कटवाया है
09:41महसाहारी ने उस जंगल की जितने जानवर थे
09:45सबको लील लिया
09:47महसाहारी ने पूरी की पूरी प्रजातियां खा डाली
09:51वो बची नहीं है, वो कभी देखने को नहीं मिलेंगी
09:53तुमने उनका हैबिटैट, उनका घर ले लिया
09:57अब वो जीएंगे क्या?
09:58प्रति दिन 137 प्रजातियां सदा के लिए इस प्रत्वी से विलुप्त हो रही है
10:02महसाहार के कारण
10:03प्रत्वी पर सिर्फ चार प्रतिशत जानवर हैं
10:11जिनको अब आप जंगली बोल सकते हो
10:12महसाहारी ने सब समाप्त कर दिये
10:16जब जंगल समाप्त कर दिये
10:17तो जंगली जानवर कहां से बचेंगे भाई?
10:20जब जंगल नहीं तो जंगली जानवर बचेगा
10:22तो प्रत्वी पे अभी कुल जितने जानवर हैं
10:24उत में से बस चार प्रतिशत जंगली हैं
10:26बताओ बाकी सब क्या है?
10:27बाकी सब वो जानवर हैं जो मासाहारियों के लिए खिला पिला के बड़े करे गए हैं कि अब इनको काटा जाएगा
10:33प्रत्वी के सिर्फ चार प्रतिशत जानवर जंगली हैं
10:3996 प्रतिशत तो यही हैं सब
10:41बकरी, मुर्गा, सुवर, गाए, भैंस, भेड, मचली
10:47जिसको इनसान ने कृत्रिम रूप से पैदा करा है और कृत्रिम रूप से खिला खिला के बड़ा करा है ताकि फिर इनसान उसको खा सके
10:59हमने पूरा ग्रह खा लिया
11:02अब बड़ी थे बड़ी वज़ा है मासाहार
11:05और उस पर भी मासाहारियों
11:07कि दाद दूँगा उनमें
11:11इतना दम रहता है कि बोल देते हैं
11:12मेरी मर्जी मैं कुछ भी खाऊ
11:13थोड़ा भी अगर हम जगे हुए लोग होते
11:19तो कोई अगर पॉलिटीशियन मतन बनाते हुए
11:21मतन खाते हुए अपनी फोटो डाल रहा है
11:23उसकी पार्टी का दिवाला पिट गया होता
11:25एक एक उम्मीदवार की जमानत जब्थ हो गई होती
11:29सिर्फ इस एक तस्वीर पर
11:31कि तुम्हारा राश्ट्री अध्यक्ष तो मतन चबा रहा है
11:33तुम्हें वो बात इसमें नहतिकता धर्मिकता की नहीं है
11:36बात प्रत्वी के भविश्य की है
11:38और भविश्य भी कोई 100-200 साल बात का नहीं
11:4210-20 साल का
11:4310-20 साल बात का भी नहीं आज का
11:45पिछले साल के 365 दिनों में लगभग
11:48साड़े 300 दिनों में भारत में ही
11:51कोई न कोई extreme weather event हुआ है
11:53इस साल जितनी लंबी heat wave है
11:56इतनी पहले कभी नहीं देखी गई
11:57ये सब क्या हो रहा है
11:59ये climate crisis है
12:00climate crisis कहां से आ रही है
12:01दूसरा सबसे वड़ा कारण मासाहार है
12:04तो ये बात भविष्य की भी नहीं
12:08ये बात आज की है
12:10और मैं कितने आंखड़े दू
12:12हर दिशा से आंखड़े
12:13आप GDP हो क्या नुकसान हुग
12:14आप वो निकाल सकते हो
12:15गरीबों की कितनी दुर्गती हो ही
12:18आप वहाँ से वो निकाल सकते हो
12:19आप हर दिशा से आंकड़े ला सकते हो, इस पे तो इतना विस्तृती एक शेत्र है, कि इसमें बहुत लिटरेचर उपलब्द है, अब जितना पड़ो उतना कम है, लेकिन एक एक लेख, एक शोध, चला-चला के यही कह रहा है, मासाहार एकदम अभी शून्य कर दो, अगर प्
12:49पशु हिंसा, पशु कुरूरता, एनिमल वेलफेर, एनिमल राइट्स, वो तो अभी बहुत दूर की बाते हैं, एनिमल राइट्स तो ठीक है, इसमें तो हुमेन राइट्स का भी बहुत तगड़ा वाइलेशन है, जब आप मासाहार करते हो, आप इस प्रत्वी पर गरीब
13:19यही है बात, प्रस कुछ नहीं, अंधिर नगरी चौपट राजा,
13:29सर मैंने जब यह वीडियो देखें नेताओं के, तो मुझे तो यही लगा साफ साफ की, यह एक पर्टिकुलर वोट बैंक को प्रभावित करने के लिए बनाए गये हैं, कौन सा वोट बैंक?
13:43मुस्लिम वोट बैंक
14:13अगर आप मुस्लिम को यह दिखा के रिजहा रहे हो कि मैं तो मटन खाता हूँ, तो आप मुस्लिम के साथ भी बड़ी नाइनसाफी कर रहे हो,
14:24क्योंकि उस मटन बाजी का सबसे घातक दुश परिणाम गरीब ही जहलने वाले हैं, गरीबों में मुसल्मानों की तादाद बहुत है, और वो लोग जहलने वाले हैं जो हाथ के काम करते हैं,
14:40हाथ के काम समझते हो, जो मैनुफैक्ट्रिंग में हैं या इस तरह के कामों में हैं, जिसमें उन्हें मैनूवल लेबर करना होता हूँ, उनमें भी मुसल्मान बहुत हैं,
14:51तो मतन दिखा के किसी को
14:54खुश करा रहे हो क्या और रिष्टा क्या है कि मुसल्मान माने मतन
14:57ये क्या रिष्टा है
14:59बन गया है
15:01प्रचलित हो गया है कि
15:02मानसाहार और मुसलिम
15:05क्योंकि उनमें थोड़ा
15:06मुसलिम वर्क जो हम में मांसाहार के तोड़ी प्रवित्तिजाद रहती है
15:09देखो पहली बात तो ऐसा कोई रिष्टा होना नहीं चाहिए
15:12दूसरी बात अगर ऐसा कोई रिष्टा है
15:15तो मुसलिम समुदाय के लिए ही
15:16बड़े खत्रे की बात है
15:18क्योंकि अगर आप मासाहार को अपनी धार्मिक पहचान से जोड रहे हो
15:24तो आपका भविश्य बहुत चौपट है
15:27और कोई धर्म ऐसा नहीं होता जो मास खाने को अनिवारे बताए
15:34कहें कि अगर तुमने मास नहीं खाया तो तुम बुरे आदमी हो
15:37ये कौन सी धर्मिकता है न कोई धर्म ऐसा बोलता है
15:40कोई धर्म मत संप्रदाय, रिलिजन, मजभब ऐसा नहीं बोलता
15:44कि मास खाये बिना तुम अच्छे आदमी नहीं हो सकते
15:47कुछ बाते हैं मैं समझ रहा हूँ वो रिष्टा कहां से बनता है
15:57उधारन के लिए बकरीद आती है
15:58अब बकरीदे बकरे कटेंगे तो मटन आएगा
16:01तो वहाँ से उरिष्टा बन जाता है
16:02पर हमें समझना होगा आज की हकीकत क्या है
16:07आपकी कोई होगी धर्मिक मानने ता है
16:12डॉक्टर आपको बता दे
16:13कि अगर रेड मीट खाओगे तो मर जाओगे
16:16तुम्हारा दिल खराब हो चुका है
16:17तो खाओगे क्या
16:18खाओगे
16:20तुम हिंदू हो, मुसल्मान हो, इसाई हो, कुछ हो
16:23किसी वज़े से तुमको लाल मास बहुत पसंद है
16:26डॉक्टर ने बता दिया
16:27कि तुम्हारी सेहत के लिए हानिप्रद है ये
16:30तु नहीं खाते न फिर
16:31नहीं खाते
16:32वैसे ही आज
16:34प्रत्वी की सेहत के लिए
16:36तुम्हारे बच्चों की सेहत के लिए
16:38बिल्कुल जान लेवा है मास
16:40पूरा ग्रह कहीं का नहीं बचा
16:42तुम कैसे मास खा सकते हो
16:44बात इसकी नहीं तुम किस धर्म के हो
16:47बात साधारन
16:49सेंसिबिलिटी की है
16:50थोड़ा सोचो कुछ तुद तरकिकता
16:53होनी चाहिए न
16:54और कोई वर्ग
17:01अपनी उस मास
17:03संबंधित पहचान
17:04को बनाई रखना चाहता हो कि न रखना
17:07चाहता हो ये वोट बैंक पॉलिटिक्स
17:09के चलते नेताओं का जरूर
17:11इसमें स्वार्थ है
17:12कि मास को एक समुदाई विशेश से जोड़ कर
17:15दिखा दो
17:15ये बहुत घातक बात है
17:21ये जनतंतर के लिए भी घातक है
17:24राश्टर के लिए पूरे विश्व के लिए घातक है
17:27आपके बच्चों के भविशे के लिए घातक है
17:28कुछ कहना चाहते हैं उधर
17:36शिवा
17:38अचारे जी जैसे मैं मासाहर पर और पढ़ रहा था
17:43तो एक बड़ा रूचक तथे मेरे सामने आया
17:45कि 77 प्रतीशत एगरिकल्चर लैंड मासाहर यूज़ करता है
17:50और उससे जो हमें ग्लोबल जो हमारी कैलरी सप्लाई है
17:56जो हमारा प्रोटीन सप्लाई है
17:57वो केवल 18 परसेंट है
18:00बिलकुल और जितने ये मास बाज लोग हैं
18:04ये सब के सब प्रोटीन प्रोटीन का गाना गाते रहते हैं मास खाने के लिए
18:0777 प्रतिशत जमीन लगाके 37 प्रतिशत प्रोटीन आया उससे
18:12एकदम प्रोटीन की दृष्टी से भी मास एकदम पूर इंवेस्टमेंट है
18:18पूर इंवेस्टमेंट ऑफ लैंड, पूर इंवेस्टमेंट ऑफ मनी
18:22और कैलरी की दृष्टी से तो 18%
18:25लेकिन अशिक्षा के चलते
18:28तथियों की जानकारी के अभाव के चलते
18:32यह सब खूब चलता है कि अगर तुम
18:34चिकन नहीं खाओगे तो प्रोटीन कहां से मिलेगा
18:37चिकन नहीं खाओगे तो प्रोटीन कहां से मिलेगा
18:41दूध नहीं पियोगे तो केलशियम कहां से मिलेगा
18:47तुम्हें पता नहीं है क्या कि यह सारी बातें मास उद्द्योग
18:50और डेरी उद्धियोग दोरा फैलाई गई है
18:53तुम्ही लोग हो यहाँ
18:57सब के
18:58सब
18:59स्पोर्ट्स एक्टिविटीज में भी हो
19:01जिम में भी जाते हो
19:02और मास छोड़ दो
19:05यहाँ
19:06दूद भी कोई नहीं ले रहा है
19:07किसी को तकलीफ आ रहे हैं
19:10यह खेलने कुदने में
19:11और बहतर फिटनेस के साथ खेलते हैं
19:16बहतर स्टेमिना बहतर एनरजी
19:18बहतर पावर के साथ खेलते हैं
19:20इतनी समझ हमें अगर आ जाए तो
19:31जो पूरा राजनेतिक परिद्रिश्य है वही ना बदल जाएगा
19:39तक्त पलट जाएंगे
19:40सरकारें किर जाएंगी
19:41क्या देख रहे हैं वही संजे बताओ और कुछ सूचना निकाली है
19:49अचरजीर हम वाटर क्रैसिस की बात करते हैं
19:59अभी हमने बैंगलोर में देखा था और देश के और भागों में हम देख रहे हैं
20:03अभी मेरे सामने एक तत्य है कि एक केजी बीफ पैदा करने के लिए पंद्रह हजार लीटर एवरेस पानी का इस्तमाल होता है
20:10जो सबसे ज्यादा कार्बन इंटेंसिव मास होता है वो इन ही बड़े जानवरों का होता है
20:21विशेशकर जो बीफ है गाय और भैंस का स्लोटर जो किया जाता है
20:26वो सबसे ज्यादा घातक होता है
20:29क्लाइमेट की दृष्टी से
20:30और सबसे ज्यादा वो पानी का भी कंजम्शन करता है
20:32इसमें कोई
20:38धार्मिक कोण
20:41तुम नहीं भी लाओ
20:41कि अरे गोधन है
20:44गोहत्या नहीं होनी चाहिए
20:46तो भी यह समझो
20:47कि पहली बात तो
20:50मासाहार
20:51घातक है प्रत्वी के लिए
20:53और मास में भी जो बीफ होता है
20:55वो तो एकदम
20:58प्राण घातक है
20:59और क्या निकाल रहे हो
21:11अचार जी मैं इसी विशे में पढ़ रहा था
21:17जैसे अभी आपने बीफ की बात करी
21:19तो अक्सर भारत में भारती तो इस बात से पल्ला जाड़ लेते हैं
21:22तो हम तो बीफ खाते नहीं
21:23पर वो यह भूल जाते हैं कि भारत दूसरे तीसरे नमबर का सबसे बड़ा बीफ का
21:27एक्सपोर्टर है और उसका सीधा रेलेशन्शिप है दूद से तो मैं दूद के विशे में पढ़ रहा था
21:32कि जो डेरी का हमारा दूद होता है वो तिगुना
21:35एमिशन्स प्रेडियूस करता है दस गुना जादा लैंड का यूज यूज करता है और दो से बीस गुना जादा फ्रेश वाटर का यूज करता है
21:44जो प्लांट बेस मिलकुत है उससे अगर प्लांट बेस प्रोड़क्ट्स पर सब आ जाएं तो जितने फूड रिलेटेड कार्बन एमिशन्स हैं सीधे आधे हो जाएंगे एकदम आधे स्ट्रेट अवे
21:55पूरा आकड़ा समझो फॉसिल फ्यूल के बाद सबसे ज्यादा कार्बन एमिशन्स कहां से होते हैं फूड से और फूड में किस से मासाहार और डेरी अगर आप मासाहार छोड़ दें और डेरी में भी प्लांट बेस्ट मिलक पर आ जाएं तो जो फूड से कार्बन एमिशन
22:25इतनी सीधी सी चीज है
22:28एक हमें फैसला करना है
22:30और जो पूरी
22:32climate crisis है उसको
22:34रोकने की दिशा में हम बहुत बड़ा कदम उठा लेंगे
22:36पर उस फैसला हम करना नहीं चाहते
22:38जबान के स्वाद के मारे, धार्मिक मानेताओं
22:40के मारे, मुर्खता पूर्ण
22:42हट के मारे
22:43हमको वो चीज
22:45माननी नहीं है
22:46पर इसमें मैं एक चीज और दीखे
22:54कि जो लोग अभी भी
22:55मासहार के पक्षमे या दूद पीने के पक्षमे
22:58तरक देते हैं, उनका आखरी तरक हमेशा यह होता है
23:00कि अब मतलब क्या करें
23:02हमारा ट्रेडिशन ऐसा रहा है
23:04या हमें उसका स्वाद अब जबान पर लग गया है
23:06और उससे आगे फिर कुछ बात करते हैं
23:08आपको बता दिया जाए
23:11आप घर में सिगरेट पीते हो
23:13आपको बता दिया जाए
23:15आपके बच्चे के फेफड़े में कुछ समस्या है
23:32आपको बता दिया जाए कि उन चीजों का छोड़ना ज़रूरी है
23:34आपकी बच्चे की जिन्दगी के लिए
23:36ये बात जनरल अवेरनेस में आनी रही है पब्लिक में
23:39कि हमारे बच्चे
23:42एकदम नारकी है जीवन जीने वाले हैं
23:46वो पीडिया बीत गई
23:50जिन्होंने प्रत्वी पर किसी तरीके का संतुलन देखा था
23:56आस्मान आग उगलेगा
24:00प्रत्वी सिरे से बंजर हो जानी है
24:04शहर ही नहीं देश के देश डूब जाने है
24:08क्लाइमेट माइग्रेशन इस सदी की बड़ी से बड़ी त्रासदियों में होगा
24:15करोडों अर्बों लोग अपनी जगह छोड़कर दूसरी जगहों पर जाने को मजबूर हो जाएंगे
24:19आज के शहर कल की रेगिस्तान है उन्हें छोड़ना पड़ेगा
24:24ये नदियां सब सूख जानी है
24:26नदी किनारे जितने शहर बसे थे उन्हें शमशान होना पड़ेगा
24:30ये है आने वाली पीड़ी का भविश्य और उसके लिए आप कह रहे हो कि
24:37आप जबान पर सुख लग गया है मैं दूद नहीं छोड़ सकता मैं मास नहीं छोड़ सकता
24:40और ये मत भुलिये भारत में ठीक है बीफ नहीं खाया जाता है और बफ खाया जाता है
25:04और दूसरा ये है कि वो बहांसों का गरवदान करने काम आता है उसके लिए एक भथाका गाफी है
25:10वो 100 भैसो के लिए आपको दे देगा
25:14सीमन
25:16जो तीसरा काम है भैसे का वो यही भैसा कटता है
25:21और बहुत सस्ता आता है भैसा
25:23मुर्गी मटन से सस्ता आता है
25:27तो बलकि हमारे राजनेता कहते हैं
25:29कि ये गरीबों के लिए सस्ते प्रोटीन का काम कर रहा है
25:31भैसा
25:33बिना ये जाने कि वो जो भैसा है वो विशेश कर भारत जैसे देश को कहीं का नहीं छोड़ रहा उसका मास उसका स्लोटर
25:48अभी तक भी शायद हमारी टेक्स्ट बुक्स में जो पूरा क्लाइमेट चेंज का विज्ञान है बच्चों को पढ़ाया नहीं जारा ठीक से
25:56मुझे बहुत हैरत होती है जब मैं देखता हूँ कि जवान लोगों को भी नहीं पता कि क्लाइमेट क्राइसिस के पीछे की साइन्स क्या है
26:04वो भी इधर उधर की बहकी-बहकी बाते करते हैं
26:07अकसर इसमें एक चीज मनें आड़ दिखे कि जिन लोगों का जो लाइवली हुड है
26:19वो इन सारे उध्योगों से जड़ा हुआ है वो इस पर बहुत मतलब गुसा भी हो जाते हैं राक्रोशिद भी
26:24कि हमारी हमारी लाइवली हुड का क्या होगा अब बहुत सारे देशों बहुत तरह की चीज़ें किसी समय पर चलती थी फिर उनको वर्जित कर दिया जाता है
26:38वर्जित कर दिया जाए तो जो लोग उसमें लगे तो सब बोलेंगे कि हमारा क्या होगा
26:41माल लो किसी देश में चोरी चकारी चलती थी
26:45फिर नियम सक्त करके कानून लाके वर्जित कर दिया जाए
26:48तो सारे चोर बोलें कि आप हमारी आजीवी का, रोजी रोटी का क्या होगा तक और इक कौन सा तरक है ?
27:00कितनी चीज़े थी जो पहले अनुमत थी अब वर्जित है, उसमें आप तरक दो कि उनलों की लाइवलिवूट का क्या होगा तक और इक बात बताता हूँ
27:08aggregate level पर
27:10climate change economy को loss देता है
27:12मानि अगर आप उसको रोक दो
27:15ये सारे धन्दे रोक दो जिनसे
27:16climate change और बढ़ता है
27:18तो economy
27:20को फाइदा होगा
27:21वो जो फाइदा होगा
27:23वो जो surplus generate होगा
27:25वो उन लोगों को दे दो ना
27:26जिनकी livelihood पर असर पड़ा था
27:28नहीं समझे
27:31एक महले में एक बहुत छोटा उधारन ले रहा हूँ
27:35उधारन है
27:37समझना चाहोगे तो समझ पाऊगे
27:39एक महले में
27:40एक साहब
27:42कहीं से एक सड़ा उवा
27:45diesel generator ले आए थे
27:46और उसको खूब चलाते थे
27:49कोई पूछा कि क्यो चलाते रहते हो और समय
27:53मेरे घर के भीतर कुछ काम होता है
27:57जिसमें मुझे चाहिए होती है बिजली
27:59और अगर यह मैं नहीं चलाओंगा
28:01diesel का generator
28:02तो मुझे हर महीने
28:0410,000 रुपय का नुकसान हो जाएगा
28:06तो मैं इसलिए चलाता हूँ
28:07अब जो diesel का generator चल रहा है
28:10उसके धुए से
28:11महले में 20 लोग बीमार पड़े है
28:14और वो जो 20 लोग है
28:17वो सब प्रतिमाह अपनी दवाईयों पे
28:20डॉक्टर पे 5,000 का खरचा कर रहे है
28:2120 लोग बीमार पड़े हैं और वो प्रतिमाह
28:25खरचा कर रहे हैं
28:26तो पूरे महले पे उस diesel generator का
28:30क्या आसर हुआ है
28:30जिसके घर में चल रहा है
28:32उसको 10,000 का फाइदा
28:33और पूरे महले को क्या हुआ है
28:3520 लोगों को 5,000 का नुक्सान
28:36माने 1,00,000 का नुक्सान
28:37ठीक है
28:40कुल मिला करके
28:43महले को क्या हो रहा है
28:4490,000 का नुक्सान
28:45अब अगर हम वो diesel set फेक देते हैं
28:48तो पूरे महले को क्या हो गया
28:5090,000 का फाइदा
28:51ये जो भाई रो रहे हैं
28:53कि मेरे 10,000 का नुक्सान हो गया
28:54उस 90,000 में 10,000 इनको दे दो
28:55तो अभी 80,000 का
28:57net social surplus निकला न
29:00निकला न
29:02यही climate change की भी economics है
29:04it's a social tragedy
29:07it's a tragedy at the aggregate level
29:102-4 लोगों को इससे फाइदा हो जाता है
29:12उधारण के लिए
29:13अब कोई slaughter house है उसको
29:15तो फाइदा हुई रहा है भाईस काटने से
29:17पर वो जो भाईस का तुम कर रहे हो
29:19वो aggregate level पर
29:21social level पर
29:22national और global level पर
29:24बहुत बड़ा एक
29:26negative economic factor है
29:28समच भी आरही बात
29:32तो ये गलत तर्ख है कि
29:33कुछ लोगों को नुकसान हो जाएगा
29:35जिनको नुकसान हो जाएगा उनकी भरपाई करी आ सकती है
29:37और ये बात
29:41moral भी नहीं है कि तुम्हारा नुकसान है
29:44तुम काम गलत कर रहे हैं तुमने काम चुना क्यों
29:46और ये जागरुक नक्रिक होने के नाते
29:49तुम्हें खुद भी कहना चाहिए कि मैं काम नहीं करूँगा
29:51चल कोई बात नहीं मैं समझता हूँ
29:53रोजी रोटी का सवाल है पेट चलाना होता है
29:55समाज भरपाई कर देगा
29:56लेकिन ये काम बंद करो
29:58इससे जुड़ा एक तथ्य मेरे सामने था अभी
30:03World Economic Forum ने पूरी दुनिया के लिए
30:06एक रिपोर्ट निकाली थी उसमें उन्होंने बात कही थी
30:08कि यदि अभी हम ऐसे
30:10स्टेप्स लें जिससे हम
30:11क्लाइमेट चेंज को रोक सकें उसे दो डिग्री से नीचे
30:13रोक सकें तो उसमें खर्चा आएगा
30:156 trillion dollar का USD का
30:17पर यदि हम ऐसा नहीं करते हैं
30:19तो सिर्फ 2050 था कि
30:212050 का माने अगले 20 साल के अंदर हमें
30:23नुकसान होगा कम से कम 40 trillion dollar का
30:25तो ये है
30:27Net Global Surplus
30:29जो आप बचा सकते हो
30:31और नहीं बचाओगे तो उसके opportunity cost
30:33कितने trillion dollar की अभी सुन लिया तुमने
30:36पूरी दुनिया के लिए
30:39ये sensible बुद्धिमानी की बात है
30:42कि तुम इसको रोको
30:43और ये बात सिर्फ नैतिक नहीं है
30:45इसमें फिर्फ कोई moral benefit नहीं है
30:48इसमें सीधा सीधा
30:49economic benefit भी है
30:51इसमें कई लोग ये भी आकड़ा देते हैं
30:55कि जो emissions की कमी होगी
30:57वो तो एक तरफ है
30:58साथ में जो agriculture land अभी हम use कर रहे हैं
31:00जानवरों के लिए खाना बनाने के लिए
31:02वो सारा land हम दुबारा से
31:03forested बना सकते हैं
31:05जिसकी अपनी और benefits हैं
31:07लोग कहते हैं पेड़ लगाना है
31:14भाई पेड़ मत लगाओ
31:15वो काम रोक दो जिससे जंगल कट रहे है
31:17पर ये सीधी सी बात नहीं समझ में आरी
31:20कह रहे हम पेड़ लगाएंगे
31:21अरे यार तुम पेड़ रोप दोगे
31:23बीस साल में बड़ा होना से बखरी चर जाएगी
31:25पेड लगाएंगे तुम दिन रात उसकी तुम देखभाल करोगे क्या
31:29और जंगल में पेड आता है
31:31पेड के लिए भी एक एको सिस्टम होता है
31:32वहाँ पर पेड बड़ा हो सकता है
31:34तुम अपने मुहले में पेड लगा रहे हो
31:35पूरे ग्रेटर नोडा में खो जो तुमको मिलते हैं
31:39बड़े बड़े वरिक्ष
31:39ये जो तुम यहाँ पे ये बबूल और काटेदार ज़ाड बो रहे हो
31:45जिस ज़ाड को तुम पेड का नाम दे रहे हो
31:47ये कितनी कार्बन एब्सॉर्ब कर लेगा
31:49बड़े विशाल, जंगली, वरिक्ष चाहिए होते हैं
31:55कार्बन सोखने के लिए
31:56उतने बड़े वर्ट तुमको कहां मिलेंगे
32:00यहाँ नोड़ा ग्रेटर नोड़ा में तुमने कब देखा भारी तने वाला पेड
32:03यहाँ तो वही होते हैं जो सड़क किनारे बिचारे जो अपनी जान को रो रहे हैं
32:07मरील सूखे हुए, गिरे हुए पेड़ उनको पेड़ भी नहीं बोल सकते हैं
32:10जाडियां हैं
32:11उनको पेड़ बोल करके धोखा दिया जा रहा है
32:13पेड़ नहीं लगाने
32:17वो काम रोक दो जिससे पेड़ कटता है
32:19और पेड़ के कटने में
32:21बहुत बड़ा योगदान मासाहार का है
32:23मैं पेड़ लगाने को मना नहीं कर रहा हूँ
32:28मैं बस बता रहा हूँ
32:29कि एक तो पौधे रोप करके
32:31कहीं आपको ये ना लगे कि आपने
32:33अपना फर्ज अदा कर दिया
32:34और अजार जी
32:39बहुत सारी स्टेडीज ये भी बता रही है
32:41कि ये जो मासाहारी
32:43खाते हैं
32:45जो भी बकरा और गाये खाते हैं
32:48इनसे इनका भी
32:49कैंसर रिस्क लगातार बढ़ता जा रहा है
32:51जो इनको
32:53बीफ को फुलाने के लिए
32:55उक्सिटोसिन यूज होता है या फिर जो भी इनको
32:57खादेपरदार्दार्द देते हैं
32:59उससे इनका भी कैंसर इसका एकदम
33:01एकदम रेड मीट तो
33:03प्रूवन कार्सिनोजन है
33:04और जब आप
33:06मासाहार की economic cost calculate करोगे
33:09तो उसे medical cost तो आएगी
33:11मासाहार हर तरीके से
33:14दुनिया को बरबाद करने वाली चीज है
33:16न ethical न religious न moral ground पे
33:19बोल रहा हूँ सीधे सीधे
33:20health grounds और economic grounds पे बोल रहा हूँ
33:23health grounds तो मुझे एक बात और याद आई
33:28कि यह जितने भी भारती है
33:30सभी के अपने मतलब अनुभव की बात होगी
33:32कि डॉक्टर्स आज कल बोलते हैं कि
33:34antibiotic resistance जो है वो हमारी population
33:36बढ़ गई है तो उसमें भी जो सबसे
33:38बड़ा कारण है वो मासाहार है क्योंकि
33:40जितने भी जानवर हैं उनको सबसे जादा
33:42antibiotics गए जाते हैं और उनका वो सारा
33:44पानी नदियों में अहर जगा पॉश्त है
33:46यह तो मासाहारी को दूर दूर तक भनक भी नहीं लगती
33:50कि वो मुर्गी जो एकाद दो अंडे देती महीने में
33:56उसने दरजनों कैसे दे दिये
33:58वो जानवर जिसको तुम खाने जा रहे हो
34:03जिसको कम से कम डेड़ दो साल लगने थे
34:06adult मैच्योर होने में
34:09वो दो महीने मैच्योर कैसे हो गया
34:11यह तो हम सोचते भी नहीं कि भैस का तुम्हारे पास दूर आ रहा है
34:17तो भैस रोज सुबह दूर दे कैसे देती है
34:20भैस का दूर तो भैस के बच्चे के लिए पड़वे के लिए होता है
34:23उसने तुम्हें कैसे दे दिया
34:24उन्हें पता भी नहीं है जब तक ऑक्सिटोसिन नहीं मारो
34:26भैस दूर नहीं छूडती
34:28और वो जो injection मारा जाता है
34:31उससे भैस को इतनी जबरदस्त पीड़ा होती है
34:35जैसी कि डिलिवरी के समय औरतों को दर्द होता है न
34:39गरभाशे में उतना दर्द होता है भैस को
34:42उसका दूद छूड जाता है
34:43फिर उस दूद की आप सुबह सुबह चाय बना के पीते हो
34:46ये तो हम सोचते ही नहीं हम कभी पूछते भी नहीं कि भैस के तो
34:53नर्मादा दोनों होते होंगे
34:57काम की तो हमारे भैस है
35:01तो नर्बच्चे का क्या होता है ये तो हम कभी सवाल ही नहीं पूछते
35:07नर्बच्चे को क्यों जिन्दा रखा जाए
35:10वो कोई economic asset तो है नहीं
35:13वो क्या करेगा वो तो भैसा बनेगा भैसे का क्या करना है आपको
35:15उसका क्या किया जाता होगा हमें बुद्धी नहीं है
35:18उसे जिन्दा रखोगे तो दूध पिएगा
35:20और दूध पिएगा तो आपका नुकसान होगा
35:22आप डेरी चला रहे हो भैस का बच्चा जिन्दा है तो आपका नुकसान करेगा
35:26तो उसका क्या होता होगा सुचो
35:27जानते हो कुछ राज्यों में नियम ला करके
35:31जो ये male carbs होते हैं भैस के उच्चे इनको मारने को प्रतिबंधित किया गया
35:36तो वहां क्या किया जाता है
35:38उनको भूखा रखके मार दिया जाता है
35:41कहते हैं स्लोटर थोड़ी किया खुद मर गया
35:43उसकी आप चाय पीते हो
35:46और फिर वो जो स्लोटर जब भैस होती है
35:52भैस तो अब सदा तो दूद देगी नहीं
35:54भैस हो गाए हो इनकी जो कुल आयू होती है
35:58उसकी आधी ही आयू में ये दे सकती है दूद
36:02जैसे आप मनुष्यों में जो नारियां होती है
36:07जैसे अगर उसे असी बरस जीना है
36:11तो चालिस की उमर में मीनो पॉज हो जाता है
36:13लगभग वही बात गाए भैस पर भी लागव होती है
36:15तो दूद तो उसकी आधी उमर में मिलना है
36:18अभी आधी उमर उसकी शेश है अब उसका क्या होगा
36:20उसको खिलाओगे क्या होता है उसका
36:22उसका स्लोटर होता है
36:24ये बात हमें पता ही नहीं है
36:26और ऐसा नहीं कि पता हो नहीं सकती
36:32सारुजनिक आंकड़े हैं
36:33सब पता चल जाए
36:34जबान का स्वाद
36:37और जेब का स्वार्थ
36:39हमें वो देखने भी नहीं देता
36:42जो चीज सामने हैं बिलकुल
36:44अभी कुछ दिनों पहले की बाती की
36:50जो हमारी गीता कम्यूनिटी है
36:52वहाँ पर एक साथी ने एक फोटो शेयर करी थी
36:55जहाँ पर क्योंकि एक भहस दूद नहीं दे रही थी
36:57तो उसके मरेवे बच्चे की खाल के अंदर भूसा भरके
37:00उसको वहाँ टिका दिया था
37:02उसको भरम देने के लिए के तुमारे बच्चा बास में
37:04यह बहुत common practice है
37:07और बहुत सारी ऐसी जगहें हैं
37:15और बहुत सारे ऐसे विन्जन है
37:18जिसमें जो छोटा बच्चा होता है न
37:21चाहे वो भेड का हो गाय का हो भैस का हो
37:25इसका जो मास होता है नर्म
37:29वो दुगने तिगने दाम पे जाता है
37:32तो उस छोटे बच्चे को स्लॉटर करने का ये एड़ेड इंसेंटे होता है
37:38इसका मास दुगने तिगने चौगने दाम पे जाएगा
37:42ये है मासाहार
37:45खेर ये जो भी आप बाते कर रहे हो ये climate change से थोड़ा हटके हैं
37:50अब हम आ गए है एनिमल वेलफेर वाले मुद्दे पे जो आप बात बोल रहे हो शुरुआत होई थी क्लाइमिट चेंज से
37:56जितनी दूर तक जाओगे जिस दिशा में जाओगे आप यही पाओगे कि मासाहार जैसी नारकी ये चीज दूसरी नहीं है फिर एथिकली नहीं बोल रहाँ
38:04किसी पंथ, दल, समुदाय, सम्प्रदाय का होने के नाते नहीं बोल रहाँ
38:11सीधे सीधे एक मनुष्य के नाते प्रत्वी के भविश्य को देखकर बोल रहा हूं
38:18इसी में काचले जो मचली के बात थी
38:25मचली कहीं पर ऐसा होते कि वो और चीज़े नहीं खाते है
38:28मास में लेकिन मचली खाते हैं
38:29तो मचली उपर मैं देख रहा था
38:312.7 trillion मचलियां पर एर
38:35marine animals पूरे तो कटते हैं
38:38जो कि अगर हम एक दिन का निकाले
38:40तो पूरी धरती के हावादी के बरावर
38:42एक दिन में मचली कटती है
38:44जिसको आप marine life बोलते हो
38:47उसका और climate change का भी बड़ा गहरान आता है
38:52मचलियां जो अंडे देती है
38:58वो बहुत temperature sensitive ecology में देती है
39:03बहुत सारी मचलियों की species
39:05ocean सबसे बड़ा temperature sink होते है
39:09जब temperature बढ़ेगा न सबसे यादा उसे ocean absorb करते है
39:14तभी तो glacier पिखलेगा तभी तो जलस्तर बढ़ रहा है
39:19और ये जो oceanic temperature का change है
39:24ये marine life को बिलकुल धौस्त कर देगा
39:27जब मचली का अंडा ही नहीं न बचेगा न मचली अंडे देगी
39:31पूरा जो उसका ecosystem है वो गडबड है हो जाएगा
39:35तो कहां से उसकी पूरी प्रजाती ही बचेगी
39:38और मचलियों को तो तुमने जब इतने trillion बोला
39:43तो पता नहीं तुमने इतने trillion units individuals बोले या kilogram बोला
39:48मचलियों की तो मासाहारी ये वकात मानते हैं कि उनको गिनते भी नहीं
39:54how many units ये how many individuals उनको गिना जाता है किलो के भाव
39:58अभी आप से पूछा जाए कितनी गाय, कितनी भैंस, कितनी बगरी, भीड़ कटी वो तो आप फिर भी बता पाओगे
40:04मचलियों में वो बता पाना मुश्किल हो जाता है उनको किलो के भाव गिनते हैं
40:09जबकि मचली अपने आप में एक intelligent जीव होता है
40:16वो दर्द उतनी अनुभाव करता है जितना कोई भी mammal
40:21पर mammal होता है तो हमें उसका दर्द दिखाई देता है
40:25मचली हमें लगता है कि ये दूर की किसी प्रजाती की हमें उसका दर्द नहीं दिखाई देता
40:30अगर आप उसके ethical और emotional issues पर जाओगे
40:43तो बात बहुत दूर तक निकल जाएगी
40:45कई सारी photos और videos recent में आई है
40:53जिसमें पूरे के पूरे lakes की मचलियां मरी हुई है
40:57मर जाती है और load कर दिये और ये भी climate change के कारण
41:03जो भी उनका oxygen depletion और temperature बढ़ जाता है उसके कारण होता है
41:07और ये recently बहुत instances आ रहे है
41:09ये basic science हमने पढ़ी ही नहीं न
41:14कि जो dissolved oxygen होती है मचली उसी से जिन्दा रहती है
41:19उपर आके हवा तो वो लेती नहीं है अपने फेफ़डों में
41:23dissolved oxygen और इतनी हमने science पढ़ी नहीं कि dissolved oxygen कोई भी gas किसी भी liquid जब dissolve होती है
41:30तो उसका saturation उसकी solubility ये सब temperature dependent होते हैं
41:41तुम temperature के साथ छेड़ शाड़ करोगे तो ये जो अलग-अलग गैसे है पानी में घुलती है
41:47इनका concentration भी खराब होगा तो पूरी जो aquatic life है उसका क्या होगा फिर
41:53और क्या होगा नहीं दूर की बात नहीं कर रहा है स्पेकुलेटिव नहीं है क्या हो रहा है
41:58we are in the middle of it we are in the middle of the sixth mass extinction
42:03anthropocene बोल रहे हैं इसको क्योंकि ये मनुष्य नहीं किया है
42:11जैसे सिर्फ global warming नहीं बोलते है anthropogenic global warming बोलते हैं
42:17वैसे ही हम जैसे यूग में चल रहे है anthropocene है यह हमने कर आए
42:23anthropo मने मनुष्य से related
42:26मैं पढ़ रहा है जैसे society पे economy पे impact पढ़ रहा है इसका तो
42:32फिर माइन की और मतलब city बढ़ेगे food insecurity बढ़ेगा साथ में जो आप क्लाइमेट की विए
42:41से displacement के लिए अभी जो पुरा migration होगा उसके विए से वार के chances काफी जाद हैं साथ में जो आपने पहले भी समझा रहे हैं कि जो mental issues बढ़ेगे mental health
42:51issues बहुत सारे रहेंगे कि anxiety और जो stress हो रहा है उसके विए से काफी data आ रहा है इसमें भी ये बात मैं तो बहुत बार समझा चुका हूँ हमारे politicians हो क्यों नहीं समझ में आ रही है
43:02ये साधारन सी बात जिसके लिए कोई PhD नहीं करनी है बस साधारन शिक्षा होनी चाहिए साधारन जाग रुकता
43:12कि आज के समय में ये मास बाजी वोट इससे पता नहीं कितने मिलेंगे पर तबाही पूरी होगी
43:22हम तुम्हें कुछ बोल रहा है इदर है सर मैं पढ़ रहा था कि आपने बताए 77 परसेंट यूज कर रहे हैं हम जो अक्रिकुल्ट्रल लैंड का वह हम लाइफ स्टॉक को फीड करने के लिए कर रहे हैं
43:42तो बायो मास में मैंने देखा कि 62 परसेंट जो बायो मास है धरती पर वो लाइफ स्टॉक है 34 परसेंट है और सिर्फ 4 परसेंट लाइफ वाइफ लाइफ है
43:55तो उसे ट्रेस डाउन करते करते मैंने देखा कि टोटल अर्थ पर क्या है
43:59तो टोटल अर्थ का जो बायमास
44:02एक्जिस्ट करता है वो 80%
44:03ओशन्स में करता है
44:06और बाकी लैंड पे करता है
44:08ओशन्स में क्या हो रहा है यह तो हम देखी नहीं रहे हैं
44:10वो तो एकदम चुपा दिया जा रहा है
44:11और देखा तो पता चला कि
44:13करीब 50 से 85%
44:18जो हमारा ऑक्सीजन आता है
44:19वो ओशन्स से आता है
44:21और करीब 25 से 40%
44:24जो CO2 है
44:26वो अब्जॉब करते हैं ओशन्स
44:27और 90%
44:30हीट अब्जॉब करते हैं ओशन्स
44:32थोड़ा सा और देखा तो
44:34इसमें निकल के आया
44:36कि जो
44:37फिश्श हैं और जो हम फिशरीज हैं
44:40जितना पूरा
44:41बायो स्टॉकर्स को पुछली संचुरी में हम
44:43फुली एक्स्प्लॉइट कर चुके हैं
44:4580%
44:45ओवर एक्स्प्लॉइट 60%
44:47डिप्लीटेड बिल्कूल ही खतम हो गया हो
44:4940%
44:50इन दे स्टेट अफ को बलाप्स
44:52बिल्कुल 20%
44:53तो बिल्कुल है ही नहीं वहाँ पर
44:54पूरे ओशन रिजन का
44:55तो 60% डिप्लीटेड और कॉलाप्स्ट है
44:57कॉलाप्स्ट है
44:58और फुली एक्स्प्लॉइट की रेंज में 80% आ चुगा
45:01तो ये
45:04पर मचली अभी और खानी है
45:06मचली को तो हमने एकदम छुपा दिया कि
45:09क्योंकि वो तो दिखता ही नहीं धरती पे तो हो
45:11वो है ही नहीं और वो उसके लिए तो बड़ी-बड़ी
45:12मतलब
45:14बड़ी-बड़ी लॉबीज हैं जो छुपके काम कर रहे हैं
45:18इसके लिए
45:19तो वो मचली खाना तो ऐसे छोटी सी बात हो गई
45:22कि मचली खा रहे हैं
45:22और जब तुम कहते हो ना कि मचली के साथ क्या हुआ
45:25तो उसमें जो एक बात और नहीं सामने आती है
45:29वो यह है कि मचली के कारण
45:30ऐसी हजारों प्रजातियां
45:34या तो खत्रे में हैं या विलॉप्त हो गई जिन्हें खाया भी नहीं जाता ये बड़े बड़े ट्रॉलर्स होते हैं अब वो तो है नहीं कि मचवारा अपनी नाओ पे जाके जाल फेक रहा है और ये जो कुछ भी होता है सिर्फ सर्फेस पे नहीं ये बिल्कुल नीचे जाक
46:04है जिसको तुम खाओगे भी नहीं वो आ जाता है मर जाता है वो लाश बस फेक दी जाती है उसकी कितनी प्रजाती है बस ऐसे ही विलॉप्त हो गई क्योंकि वो मचली के साथ साथ वो भी फस जाती थी तो मचलियों का क्या हुआ वो तो अगर तुम इंसान हो पढ़ने बै�
46:34और ओशन्स में एकृटिक लाइफ का क्या हो रहा है उसको सबसे कम अटेंशन मिल रहा है या कोरल रीफ का क्या हो रहा है लोग नहीं बात करना चाहते है उसकी न लोगों को पता है कोरल रीफ में भी पिछले पढ़ रहा था
46:5050% से ज़्यादा जा चुका है
46:5690%
47:01इन सम रीजन 90% इवन जा चुका है
47:03और उसी से मचलियां भी जिन्दा रहती है
47:06उसी से अक्सीजन सारब प्रिदिश होता है
47:07हमारे यहां किसी पॉलिटिकल पार्टी के मैनिफेस्टो में
47:10climate change जैसा शब्द भी नहीं ना कोई बात करना चाहता
47:14फिर वह अंधेर नगरी चौपट राजा
47:18उल्टे यह लोग election के समय में और दिखाते हैं
47:21मैंने मचली खाई, मैंने मटन खाया, मैंने चिकन खाया
47:23कौन सी पुद्धी के लोग हैं यह
47:25extent of exploitation, extent of damage
47:33तो जितना धर्ती पे दिख रहा है, सिर्फ लैंड पर दिख रहा है
47:36वो इसका 20% biomass है
47:39और उस 80% biomass का 80% हम exploit कर चुके है
47:44इसके comparison में वो तो दिखी है
47:48जो NCRT के छटी आठवी के syllabus में होनी चाहिए
47:52इसको मैं साजिश क्यों न कहूँ कि यह सारी बात बच्चों से भी चुपाई जाती है
47:57उपरी तोर पे बता दिया हाँ climate change होता है
48:01पर उसके जो भयानक आकड़े है
48:04और जो उसका जान लेवा विस्तार है
48:09वो कहां बताया जा रहा है
48:10लोग को लगता है climate change ऐसा है कि
48:13थोड़ी गर्मी बढ़ जाएगी
48:14थोड़ी गर्मी नहीं बढ़ जाएगी
48:17mass extinction
48:19जो प्रत्वी पर पहले भी पांच बार हो चुका है
48:24और उसी वजह से हुआ था जिस वजह से आज हो रहा है
48:26पहले भी जब पांच बार हुआ था तो वजह carbon dioxide थी
48:28आज भी हो रहा है तो वजह carbon dioxide है
48:31बसंतर यह है कि पिछली पांच बार प्राक्रतिक कारणों से हुआ था
48:35इस बार मनुष्य ने किया है
48:37यह man made extinction है
48:41जिसमें man खुद extinct होने जा रहा है
48:44स्टार्टिंग में दो बाते होई थी
48:50एक तो होता कि we say
48:51it's a matter of my taste
48:52और दूसरी बात होई थी कि जो
48:54animals है उनको हम inject करते हैं
48:58वो फिर
48:58जो meat eaters खाते हैं तो उनको effect पड़ता है उससे
49:01लेकिन tertiary एक और study है कि
49:03क्योंकि 3-4th of the land has been used for
49:06you know growing
49:07food for the animals
49:10तो उसमें क्या हो रहा कि because they want कि बहुत जल्दी से वोग जाए
49:14तो बहुत सारा
49:15growth hormones मारते है उनको
49:17fertilizers pesticide use होते है
49:19तो वो बाकी flow होके
49:22तो जो नहीं भी कर रहे है
49:24consume तो उनकी life भी जा रही है
49:25तो 3-4th उसका
49:28मतलब यह है कि आप यह नहीं कहा सकते
49:30कि साहब मेरा प्रोसी मासाहारी है
49:33यह उसका निजी मसला है
49:35private matter है मैं कैसे दखल दे सकते
49:36आपका प्रोसी एकर मासाहार कर रहा है
49:39तो यह आपकी निजी समस्या है
49:42और आपको पूरा हक है
49:44कि आप उसमें intervene करें
49:46उसी महले वाले उदाहरण पर वापस जाओ
49:49महले में एक आदमी
49:51बिलकुल धुहा फेकने वाला जनरेटर
49:53अपने घर में लगाए हुए है
49:54तो क्या महले के बाकी लोगों का हक नहीं बनता है
49:57कि उससे जाकर गहें कि बंद करो साहब
49:58यह आपका निजी मसला
50:00private matter नहीं है कि आप क्या खा रहे हो
50:02यह एक public matter है
50:03and the public has the right to intervene
50:05at least the public has the right to inquire
50:07and the public has the responsibility to educate
50:11before you intervene
50:14you must educate
50:16or you could say
50:18the intervention has to be by way of education
50:22this may a bit digress from the whole thing
50:29I was surprised to read
50:30कि अभी तक हमने गाए की बात की
50:33goat milk भी होता है
50:34even camel milk, donkey milk
50:37यह बिलकुल mainstream में आगे
50:39आप थोड़ा सा
50:40South East Asia की और जाएंगे
50:42और चाइना की और जाएंगे
50:44तो कौन-कौन सी प्रजाती हो
50:46कि कौन-कौन से अंग
50:48और उनको किस-किस तरीके से खाया जाता है
50:50यह सब आप जानके बिलकुल
50:52हैरत में पढ़ जाएंगे
50:53बिलकुल सिट्टी-पिट्टी कुम हो जाएगी आपकी
50:56यह बहुत
51:00एक स्वाद की
51:03और नफासत की बात समझी जाती है
51:06संस्कृत की
51:07कि कुछ जानवर तो जिन्दा ही खाने है
51:11कुछ चीजें तो ऐसी हैं
51:17जो जिन्दा ही मुँ में लेकर डालना है
51:19जिन्दा ही खाएंगे
51:20लेकिन फिर अब इस पर आओगे
51:25तो यह मुद्दा
51:26फिर चला जाता है
51:28एनिमल राइट्स पर
51:30एनिमल राइट्स ही बात करो तो लोगों
51:33कि बहुत तरह कुतरक आ जाते हैं
51:35तो उसकी बात कभी और कर लेंगे
51:36अभी जब
51:39बात शुरू हुई तो हमने
51:41क्लाइमिट चेंज पकड़ा है
51:42तो उसी पर टिक कर रहा हूँ
51:44मेरा सवाल है क्लाइमिट चेंज की
51:46एजूकेशन को लेकर था
51:47कि जो क्लाइमिट चेंज को लेकर
51:49इशूस अपक्रेट हो रहे हैं
51:50यह महसूस हर कोई कर रहा है
51:53और हर कोई समझना चाहता है हो के हो रहा है
51:55पर उसको अब इसकी असली वज़ा
51:58कहीं से भी एजुकेट नहीं की जा रही है
51:59में इंस्ट्रीम मीडिया में भी देखता हूँ
52:01मैं तो कोई इसकी बात नहीं करता है
52:02इविन अकर मैं यूट्यूब की विया सच बात करूँ
52:04तो इस प्लाटफॉर्म पर मैंने आपके लवा
52:05किसी और की वीडियो दिखी नहीं है इन मुद्दों पर
52:07तो अगर हमें दुनिया के इतनी बड़ी अबाधिते के बातें पहुंचानी है
52:12और कोई इस मुद्दे को उठाने को तियार नहीं है
52:15तो मतलब उसका फिर एजुकेट लने का तरीका क्या होगा
52:17देखो सबसे जो अच्छा तरीका है आधर्श आइडियल
52:22वो तो यही है कि जो लोगों के पास मंच हैं बड़े और माइक हैं बड़े
52:26वो करें इसलिए बार बार बार बोल रहा हूँ कि
52:28पुलिटिकल पार्टीज के एजेंडे में होना चाहिए था
52:30मैनिफस्टों में होना चाहिए था
52:32दे आव दरीच
52:33उन्हें करना चाहिए था
52:36तो वो करें वो अगर नहीं कर रहे है
52:39तो आम आद्मियों करना पड़ेगा हमारे तुम्हारे से लोगों करना पड़ेगा हम कर भी रहे हैं
52:44संस्था हमारी करती भी है पूरा वो सब कुछ
52:46ठीकिन हमारे पास वो रीच तो नहीं हो सकती
52:48जो किसी नैशनल पार्टी के पास है
52:50और रीच अगर सोशल मीडिया पर
52:54की बात करोगे तो रीच
52:56सोशल मीडिया पर उस चीज को मिलती है
52:58जो चीज लोगप्रिय हो
52:59कोई धंग की चीज तो ट्रेंडिंग करती नहीं
53:04मनुरंजन हो, अशलीलता हो, संसनी हो
53:07कुछ भी सस्ती सामगरी हो
53:09वही आगे बढ़ती है इनके अल्गॉरिधम से
53:11अपने आप सोशल मीडिया के
53:12आप क्लाइमिट चेंज ऐसा मुद्दा लाओगे
53:16तो वो अगर वीडियो है तो अपने आप तो नहीं आगे बढ़ने हो ला
53:19अभी आप हम बात कर रहे हैं
53:20यह रिकॉर्डिंग भी हो रही है यह पब्लिश भी होगी
53:22रिकॉर्डिंग
53:23तो वीडियो को अपने आप तो नहीं ट्रेंडिंग में चला जाएगा
53:27तो हमें फिर क्या करना पड़ेगा
53:28हम इसको प्रमोट करते हैं
53:31जो ऐसे वीडियो हैं जो बिलकुल पब्लिक
53:34interest के हैं, हम उनको
53:36promote करते हैं, क्योंकि
53:38public उन्हें खुद नहीं देखेगी, तो हम कहते हैं
53:40ये वीडियो तुम्हें देखना पड़ेगा, और हम
53:42उस पर अंधा धुंद पैसा खर्च करते हैं
53:44कि public वो वीडियो देखे, क्योंकि
53:46वो वीडियो अगर नहीं देखोगे, तो प्रत्वी कहीं नहीं बचने वाली
53:48यही तरीका है
53:52लेकिन इस तरीके में फिर obvious जो
53:54bottleneck है, वो resources का है
53:56आप
53:58promote तो कर सकते हो
53:59पर आपको उसको करोड़ लोग तक पहुंचाना है
54:02तो उसमें बहुत बहुत पैसा लगता है
54:04तो वो एक
54:05सीधी-सीधी
54:07वहाँ पर
54:09handicap बनती है
54:11इसमें भी आचरजी आपने बात की थी कि
54:17दुवा को एकर फैकता है तो उसको हम जाकर
54:19question करते हैं तो वैसे ही animal agriculture
54:21से ammonia emissions जो होते है
54:23तो जो total ammonia emissions है
54:25उसका 64%
54:27तो सिरफ animal agriculture से ही होता है
54:29और ammonia health issue भी
54:31create करता है और साथ में ऐसी ड्रेंज होती है
54:33उसमें भी उसका रोल होता है
54:35तो ये बात शायद मतलब
54:37मुझे भी पहली बार पता चली कि अमोनिया
54:39के 64% emissions तो इस खारण से ही हो रहा है
54:42ये सब बहुत जरूरी
54:44बाते हैं पर ये
54:45समझ में आने में कोई मुश्किल बाते नहीं है
54:47मुश्किल से 50-100 पन्नो की एक किताब में ये सारी बाते समा जाएंगी
54:54वो research करनी है तो उसका तो कोई अंत नहीं है
54:56पर जितना एक informed opinion बनाने के लिए जानकारी चाहिए
55:01उतनी जानकारी 50-100 पन्नो के document में आ जानी है
55:06और वैसे document उपलब्द भी है
55:10लेकिन वो mainstream नहीं हो रहे क्योंकि mainstream सिर्फ नशा है
55:16हमें ये
55:18महसूस ही नहीं करने दिया जा रहा है
55:22जानने नहीं दिया जा रहा है कि जमीन पर इस वक्त हकीकत क्या चल रही है
55:25कभी हमें चुनावों का नशा दे देते हैं
55:28entertainment का नशा है IPL का नशा है
55:30तुम इन नशों में लगे रहो
55:31और तुम extinct हो रहे हो
55:34तुम सदा के लिए मिट रहे हो
55:35अजर जी अभी जो आकटे डिसकस हूँ है
55:39उन्हीं के बेसिस पे मैंने भी चैट जी पीटे पे दो क्वेरीज फायर करी
55:43पहला लिखा कि जो जितना नॉन वेज कंजम्शन होता है
55:47वो जो एनिमल्स है केटल्स है वो कितना पानी कंज्यूम करती है
55:53तो उसका यर्ली कंजम्शन निकला 871 बिलियन लीटर्स इन दिली और यह देखा कि दिली में पर यर वाटर कंजम्शन कितना होता है वाइव हूमिन्स तो वह निकला है
56:081.66 ट्रिलियन तो दाट मेंज 52 परसेंट ओफ दी वाटर यह दिस कंजूम्ड अभी हम वाटर शॉटेज की बात कर रहे हैं मतलब 50 परसेंट से ज्यादा जो पानी है वो मासाहार को खेला भी और हम कहते हैं दिली में पानी नहीं है अगर यह आखड़े सही है तो दिली का आ
56:38जानक तथे सामने आएंगे पर इन तथेओं को सामने आने नहीं दिया जा रहा है
56:47पर हमने बहुत सारे तथेओं की बात करी हम इन सभी तथेओं से वंचित रहते हैं अल्दो हम एक information एरा में रहते हैं
56:56बढ़ वो हमारे कहीं काम नहीं आ रहा है लेकिन आज से सेकोरो साल पहले कवीर सहब
57:06कह रहे थे कि कहता हूँ कहीं जात हूँ कहा जो मान हमार जाका गला तुम काटी हो तो फिर काट तुमहार तो यह वही हो रहा है
57:14वही हो रहा है हमारे साथ
57:16वही हो रहा है
57:18एक
57:20अंग्रेजी में कहावत है
57:23कि
57:23टेक इट उन फेथ
57:26और डू दा मैथ
57:28अभी तक हमने मैथ की भाषा में
57:30बात करी थी, तुमने अन्त आते
57:32आते फेथ की भाषा में भात कर दी
57:34अगर
57:38थोड़ा सा विजडम की दृष्टी से
57:40देखोगे, तो बिना आकणों के ही
57:42पता है कि
57:44कि किसी जिन्दा प्राणी को काट कर
57:46उसको खाना
57:47गिरे से गिरा काम है
57:49वहां मैथ की जरूवत नहीं
57:53वहां विजडम काफी है
57:54पर विजडम चुकी लोगे पास होती
57:57नहीं से लिए अभी हम लोगों ने आकणों की भाषा में बात करी
57:59मैथ की भाषा में बात करी
58:00अब तो समझ जाओ
58:01और अभी नहीं समझे तो अब
58:04ऐसा नहीं कि समझने के लिए दूसरा मौका मिलने वाला है
58:07हम गए तो गए जिनका कोई कसूर नहीं था बिलकुल बेगोनने पास्ट गूरा
58:37ना थे हमने उनको भी प्रत्वी से सदा के लिए विलुप्त कर दिया

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