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00:00प्रणामा चाहरे जी, मैं पूछना चाहती हूं कि आज आपने सत्र में शुरुआत में दाईरे की बात की थी
00:10तो उस दाईरे से जहां तक मैंने समझा है
00:14कि आपने नीम लड़नु किताब में भी यह बोला
00:17कि हम ही अधिकार देते हैं लोगों को
00:19कितनी सीमा तक अधिकार देना है
00:22कितनी सीमा तक नहीं देना
00:23नीम लडड़ू किताब में भी आपने यह
00:25मेंशिन किया है
00:26लेकिन कय वर क्या होता है
00:29कि लोग प्रेम और लगाव का नाम लेके
00:31अपना ही स्वार्थ सिद्ध करते हैं
00:33हम उनके लिए उनकी आपिक्षाय पूरी करने की कोशिश करते हैं,
00:36बहुत हद तक हम कर भी पाते हैं,
00:38जहां नहीं कर पाते हैं,
00:39वहां वो कहते हैं कि हमारी बाते पूरी नहीं हो रही हैं,
00:43तुम नहीं कर पा रहे हो,
00:45हम उनके प्यार के लायक नहीं है,
00:46जरा भी हम आवाज उठाते हैं तो ऐसी situation में हम क्या करें हम तेज आवाज उठाते हैं तो हम गलत प्रूव हो जाते हैं ऐसी situation में हम गीता को अपने जीवन में कैसे उठा रहे हैं खुद को शांत रखना सही है बोलना सही है नहीं समझा रहा है
01:02देखिए गीता को जीवन में उतारने का मतलब होता है
01:10पहले कचरे को सर से उतारना
01:16नेती नेती ही तो विधी है और तो कुछ हcke ही नहीं
01:19मामला बड़ा सरल है वहाँ पर पचास विधियां तो वेधांत बताता ही नहीं
01:22नहीं विदानत का काम है हर चीज को सरल करके एक कर देना इतना सरल है कि लोगों से उसकी सरलता बरदाश्ट नहीं होती लोग कहते हैं कुछ जटिल करो मामला थोड़ा फैलाओ और आयता कुछ तो लगे कि कुछ खास हो रहा है यहां कुछ ही नहीं यहां तो बज़ा यह सब र
01:52रखिये उम्मीदें रखिये उम्मीदें पूरी करने का जजबा रखिये सब रखिये पर उसको उच्चतम से जोड़ दीजिए बस सब रखो कुछ नहीं हटाना है ममत तो भी रख सकते हो अगर बच्चों की बात आप कर रही हैं तो ममत तो भी रख सकते हो सब रख सकते हो �
02:22आसमान ऐसी चीज़ है कि उससे जो जुड़ गया वही उड़ने लग जाता है
02:27पाद समझ रही हैं
02:32क्या बोलना चाहरा हूँ
02:45वो
02:45रिश्टे हैं हमारी उमीदें पूरी करो
02:48उमीदें नहीं पूरी कर रहे तो आप कह रहे हैं तो हमारे प्यार के लायक नहीं हो
02:51पहली उमीद याद रखनी है ना
02:58पहली उमीद क्या है
02:59मैं अपने जीवन को
03:03सार्थक कर पाऊंगी
03:06तो तुम्हारी उमीद
03:11मैं बेशक पूरी करूंगी बशर्ते तुम्हारी जो उमीद है मुझसे
03:16वो मेरे जीवन की सार्थकता से मेल भी तो खाती हो
03:22मैं आपसे यहां बात कर रहा हूँ ठीक है न तो यहां है
03:31श्रीमत भगवत गीता अब वो वहां बैठा है एक चुन्नू चुहा
03:35अधर वो कह रहा है कि मेरी उमीद यह है कि तुम मेरे साथ खेलो
03:45तो यह उमीद मैं थोड़े ही पूरी करूंगा
03:50बलकि तुम्हारे लिए भी यह अच्छा है कि मैं जो कर रहा हूँ तुम उसमें मेरे साथ
03:56शामिल हो जाओ
03:58मैंने आचारी जी यह बोल कर देखा है कि यह सब चीजे करो
04:03यह सब चीजे अच्छी है लाइफ में उन्ही चीजों में मत फस जाओ
04:06जो कर रहे हो जीवन वर्बाद हो रहा है तो कहते हैं चक्र व्यू है यह जिसमें तुम फस रही हो
04:11इन जब से बाहर निकलो गूमती रजोगी यहीं परी तो आप कुछ मत कहिए
04:15जो मेरी बात नहीं सुनना चाहते मैं उन पर प्रयास करता हूँ बहुत पर जबरदस्ती थोड़े ही कर पाता हूँ और न करना चाहता हूँ
04:26और अगर बार-बार मुझे लगता है कि मुझे फिर भी किसी को खीच-खीच करी लाना है
04:36मेरा करतवी यह है कि मैं पूछ हूँ कि उसकी खातिर है अपनी खातिर
04:41दूसरे पर आप प्रयास करते हो एक प्रयास तो होता है निस्वार्थ निशकाम उसकी खातिर
04:51और आप आओ कि दूसरे के उपर जो मेहनत कर रहे हो
04:56वही आपका बंधन बन रहा है
04:58तो ये पूछना पड़ेगा कि मैं ये दूसरे की मदद के लिए
05:02उसको यहां ला रहा हूँ या दूसरे से मेरा कुछ स्वार्थ जुड़ा हुआ है
05:07अपना स्वार्थ लेकर के आप दूसरे की मदद करोगे
05:14तो दूसरा भी दुनियादारी में पारंगत है
05:16वो भी सूंख लेता है
05:18कि मेरी मदद नहीं करने आ रहे
05:20या मदद करने आ भी रहो तो उसमें तुम्हारा भी कुछ है
05:25ये बड़ी गजब बात है
05:31पर वास्तों में आप किसी की मदद तभी कर सकते हो
05:35जब उसकी मदद करके आपको कुछ ना हासिल होता हो
05:38पति को अगर ये लगता है या पत्नी को
05:46कि आप उनको गीता के पास ला रहे हैं
05:50ताकि उनके वेवहार में
05:54आपकी कामना अनुसार कोई बदलावा जाए
05:57तो कभी नहीं आएंगे
05:59वो कहेंगे हमें फसाया जा रहा है
06:04ये बोला करती थी कि मुझे ऐसे काम करने है
06:09वैसे काम करने है कई मैं अनुमतित तो देता नहीं था
06:12मुझे ठीक नहीं लगता तो ये सब करेगी कुछ भी है
06:14जो भी बात है
06:15तो अब ये गीता की आड़ ले करके
06:19मुझसे अपनी इच्छाएं पूरी करवाईगी
06:23मुझे ये गीता में ला रही है
06:26ताकि मैं अपना व्यवहार
06:28इसके हिसाब से बदल दूँ
06:32तो वो नहीं आएगा
06:35वो गहाएगा
06:36बुद्धू बनाया
06:38तो किसी पर बहुत प्रयास करना भी
06:43कई बार विपरीत परिणाम ला सकता है
06:47काउंटर प्रोड़क्टिव हो सकता है
06:48दुनिया ऐसी है
06:51किसी के पीछे बहुत जाओगे
06:52तो जान जाती है
06:57कि तुम्हारा स्वार्थ है वहाँ पर
06:58और स्वार्थ अक्सर होता भी है
07:00और जब स्वार्थ नहीं होता
07:05तो आप फिर किसी के
07:06पीछे उतना ही जाते हो जितना
07:08सही है जरूरी है
07:11उसके बाद यह नहीं सुन रहा
07:13तो छोड़ देते हो
07:14क्या करना है भाई
07:15जबरदस्ती का खेल थोड़े ही है
07:18बांध बांध के और हाथ पांग और बोरे में डालके थोड़ी तुम्हें
07:30मुक्ति दिलाईंगे
07:32ऐसे करें या पहरण करके इनको मुक्ति दिलाई जाए चलो
07:39और यह दुनिया है इसमें जब आप किसी के लिए
07:47बहुत ज़्यादा प्रयास करो तो संभावना यही है कि
07:49वहाँ आपका स्वार्थ है और उस्वार्थ दूसरा व्यक्ति सूंग लेता है
07:55वो फिर नहीं सुनेगा अपने स्वार्थ अटा दीजिए
07:58और फिर अपने आप अपके पीछे आएंगे आना होगा तो आएंगे नहीं तो फिर
08:03दुनिया है हर तरह के हर दिशा के लोग है
08:06हाँ मैं जानता हूँ एक टीस कसक सी रह जाती है कि मुझे कुछ अच्छा मिला है वो मैं
08:18अपने ही प्रिये लोगों तक क्यों नहीं पहुँचा पा रही
08:21तो वो जो रह जाती है न वो ही आपको याद दिलाएगी कि माया ही जीती हुई है
08:27देखो ये माया कैसी है कि मुझे यदि कृष्ण भी मिले तो उनको मैं अपने ही पती तक नहीं पहुचा पा रही
08:34वो ही जो हार है उसी की जो कसक है फिर वो आपको लगातार युद्धरत रखेगी
08:41माया ये बड़ी से बड़ी चोट देती है
08:46हम लोग तो हम ही हैं बड़े से बड़े ग्यानी भी अक्सर पाते हैं कि दुनिया को समझा लिया
08:57नहरवालों को नहीं बता पाते हैं
09:01और यही जो चोट है ये उनको लगातार याद दिलाती रहती है कि अभी जंग जारी है
09:10और ऐसा उसने तमाचा मारा है
09:16कि तिल्मिलाहट बनी रहती है तो तिल्मिलाहट अच्छी है एक तरह से
09:23तो पहली बात कह रहा हूँ किसी के पास भी जाईए
09:31उसे गीता में लाने है तो तो अपना कोई स्वार्थ रखकर मत जाईए
09:36कि जा रहे हैं और किराने की दुकान वाले को अन्रोल करा दिया
09:47कि अब इस से उधारी लंबी खिचेगी
09:50वहाँ पे अन्रोल करा दिया उसके आदो किया रहा है अच्छा भी अब
10:03पंदरा दिन का आपका बकाया है तो करें आया है सो जाएगा राजा रन पकीर
10:08तो गीता पढ़ रहा है उसके बाद भी तू हिसाब किताब रखता है
10:15देख लीजिए कि जिसको लाना चाह रहे हैं उससे कोई स्वार्थ तो नहीं है
10:23क्योंकि दुनिया वैसे तो मुरक है पर कुछ चीजों में बड़ी प्रवीन होती है
10:30दुनिया माने जो दुनियादारी के विशेशक यह है सब हमने का सूंग लेते हैं तो आप उनके पास जारो आपकी आँखों में देख लेते हैं कि स्वार्थ है
10:40क्योंकि उन्हें जिन्दगी पर खेली यही खेला है स्वार्थ का वो बिल्कुल ताड़ लेते हैं
10:45एक साधारण साभी जो विक्रेता होता है बने जो दुकान पर ही नहीं बैठता यह जो गली महलों में कई बार बेचने के लिए आ जाते हैं या कि ठेले वाले भाई लोग या रिक्षे वाले
11:03ये तक मनो विज्ञान में पारंगत होते हैं ये भी जानते हैं कि या कि जो छोटे मोटे बाजार होते हैं जहां पर आप जाते हैं तो किसी चीजी कीमत पूछते हैं और धाई हजार तो शुरू होती है और धाई सो रोपे तक आ जाती है ऐसा थोड़ी है कि वो धाई हजार
11:33ये दुनिया है, ये लालच, स्वार्थ, बेईमानी, अनाडी पन, इनको पढ़ना खूब जानती है, आप ये सब चीजे लेके किसी के पास जाओगे, तो भले ही उसको गीता दिखाओ, वो हसेगा कहेगा, गीता दिखा करके, कुछ और हासिल करने आई है तू,
11:56तो ये पहली बात कही, और दूसरी क्या कही, जरूरी नहीं है कि सब को आना ही हूँ, हार मिलेगी, हार मिलेगी,
12:14क्या करें, उसका दंश रहेगा, जैसे शूल एक छाती में भुसा हुआ हो, क्या करें,
12:27कि जिनके साथ एक ही घर में रह रहे हैं, खा रहे हैं, पी रहे हैं, उनको उस चीज की खवीर ही नहीं, जो हमारा दिल बन चुकी है,
12:40जिस, जिस, जिसके आगे हम बिक गए हैं, जो धड़कन हो गया हमारी,
12:56उसकी खवर हम उस तक पहुँचा ही नहीं पा रहे हैं, जिस से सबसे करीबी सांसारिक रिष्टा है,
13:06यह बड़ी वेदना की बात होती है, यह जो बगल में ही बैठा हुआ है,
13:18उसको अपने दिल का हाल नहीं बता सकते, उस वेदना के साथ जीएं, हार है, इस हार को याद रखें,
13:30क्या होगा याद रखने से, कम से कम दूसरों को बचा पाएंगे,
13:36प्रयास निसंदेह करें, और मैं कहा रहा हूँ, पहली बात निस्वार्थ प्रयास करें,
13:52निस्वार्थ होता है प्रयास, तो सफलता की संभावना बढ़ जाती है, लेकिन कितनी भी बढ़ जाए सफलता की संभावना, ज्यादा तर मामलों में सफलता नहीं मिलेगी,
14:06जब ना मिले
14:08तो अंधा दुंद प्रयास मत करते रहिए
14:11अंधा दुंद प्रयास का रथ जानती है क्या होगा
14:16फ़ड़ समझीएगा
14:20मेरे पती है
14:22या मेरा बच्चा है
14:23या मेरे पिता है
14:24या कोई मेरी बहन है
14:25दोस्त है
14:26कोई है
14:27इनको तो मैं गीता तक लाकरी मानूंगी
14:33बताईए इसकी पीछे आपकी माननेता क्या है
14:36यह तो है कि मेरे अपने है यह है
14:41माननेता क्या है
14:43मैं एतनी बड़ी मूरक नहीं थी
14:48कि मैंने बिलकुल ही कचरा भर लिया अचारों और
14:51और जबकि ये सत्य ये है कि रिष्टे तो हमने
14:57पर में मानना ही नहीं चाहते
15:05कि कार की जगे साइकल ले आए हैं घर में
15:11और अब जान लगा कर कोशिश कर रहे हैं कि
15:16कि इसको भी बीएस फाइव बना दे
15:20साइकल में एसी फिट करने की कोशिश चल रही है
15:27लाद भी दिया है पीछे केरियर पे
15:31ये प्रयास बंद करो चुप चाप सर जुखा के विनमरता से मांग लो न
15:38कि जिन्दगी में कार समझ गे साइकल ले आए हो
15:44तब तो बोले थे हाए क्या बड़े बड़े पहिए हैं इसके दो-दो कार के इतने थोड़ी होते हैं बड़े
15:53अब उस पर अब उस पर बितहाशा प्रयास करने से क्या होगा कुछ होगा क्या
16:09कुछ होगा तो प्रयास पूरा करो पर एक बिंदु पर आकर ये समझ जाओ
16:19कि इस जीव को कितना भी घिसो ये इनसान नहीं बनने वाला
16:23ये परजाती ही दूसरी है
16:28और ये सब जो चुन्नु मुन्नुए हाइब्रेड है ये
16:33पता नहीं क्या
16:35पूड़ो
16:38ये मैं आपको किसी को ताना कसने की समगरी नहीं दे रहा हूँ
16:46कि जा करके बोलना शुरू कर दो कि तू तो औरंगुटान है
16:51मैं पहली बात बोल रहा हूँ पूरा प्रयास करो
16:55और अपने माही टटोल जहां करके देखो कि कहीं स्वार्थवश तो नहीं किसी से
17:01कह रहे कि आओ गीता में आओ गीता में हो पहले अपना साफ करो मामला
17:06स्वार्थ को ले करके किसी ओ गीता में भी लाओगे तो ये पराजय ही है
17:11ठीक है? बहुत अवे वहारिक बात लगी कुछ कर नहीं सकते इसका
17:20मैं क्या करूँ और
17:28आप जिस अर्थ में वहारिक बात चाहते हो मैं ओ कहां से लाओं?
17:31आप चाहते हो मैं कोई आपको मंतर दे दूँ, सूत्र दे दूँ, कुछ गंडा तावीज कूरियर कर दूँ
17:40जब पती सो रहे हूँ
17:43उस वक्दीरे से जा करके
17:47उनके पाउं के पास
17:52हल्दी, हींग, धनिया, मिथी, पुदीना
18:00और अपने कुछ बाल काट करके
18:03उसमें ये सब बांध करके
18:06पती परमेश्वर के चरणों के नीचे रख देना
18:11जब वो सो रहे हो
18:12और सुबह उठते ही वो बोलेंगे
18:16यदा यदा ही धर्मत से करके
18:18आ गए गीता में
18:21मैं ये कैसे आपको नुस्खा बताऊं
18:27मेरे पास नहीं है
18:30जो है वो बताया
18:37वही करिए
18:39दर्द के साथ ही जीना होता है
18:44और ये बड़े से बड़ा दर्द है
18:48कि उच्चतम आपको मिल रहा है
18:50और आप उसको बांट नहीं सकती
18:52उसके साथ जीना पड़ता है कई बार
18:56मेरी शकल देखिए न
18:58मैं आपको दे पा रहा हूँ क्या जो मेरे पास है
19:01मैं भी तो दिन रात इसी दर्द में जी रहा हूँ
19:04आपके पास तो बस घर है
19:06मेरे पास तो संस्था है इतनी बड़ी और इतना पहला दिया
19:09और दे में उनको कुछ नहीं पा रहा
19:12मेरा दर्द समझिये
19:14वाटर वाटर एव्रिवेर
19:22बट नॉट ड्रॉप टू ड्रिंक
19:24इतने लोग इतने चेहरे
19:26दे में किसी यो कुछ नहीं पा रहा हूँ
19:29क्लिए इतना रहा
19:34इतना चाहा है
19:38हुड़
19:40कि रहा हुड़ी