All the ladies at Vaikunta Loka are left wondering as to how Punjiksthala had a vision of herself giving birth to Hanuman and Vishnu clarifies that Punjiksthala was having a vision of her next birth where she will be born as Anjana, and will be giving birth to a Vanar due to a curse. Vishnu reveals that Punjiksthala was initially given a boon that she will be having a baby although she is an Apsara. As days pass, Punjiksthala tries to forget about this boon, but one day she ends up getting a curse from a sage whose penance she destroys, by mistake. Will this curse too turn out to be a blessing in disguise for Punjiksthala.
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00:00कि यह कैसा सपना था नाथ कि आव शिशू अनुमान थी इन तो मुर्ली मानुवर्ट वर्की अबसर आप पानर को कैसे जन्न दे सकती है
00:24कि उसका नाम तो पुंजिक स्धलागा स्वामी परन्तु वपन वाली स्पीको तो अंजना पुकारा जा रहा है
00:32पुंजिक स्धलाग वापन में अपना भविश्य देख रही थी
00:39उसे पवन्द पुत्रानुमान की माता बनने के लिए अंजना नामक बानरी के रूप में जन्म लेना पड़ा
00:49एक श्राप के कारण
00:51किन्तू पुंजिक स्थला तो भगवन भोलेनात की अनन्य भक्त थी वो श्राप के भागे कैसे हो गए
00:59तो श्राप दिया भी तो किसनी और क्यों
01:06इस जगत में सौ भाग्य या दुरभाग्य श्राप या वरदान कुछ भी अकारण नहीं होता
01:16पुंजिक स्थला को एक महान दायत हुद दिया गया था
01:22उसके लिए उसे श्राप की देरी पर पाव रखना ही पड़ा
01:27पुंजिक स्थला की जैशी श्रद्धा भगवान भोलेनात में थी
01:34बैसी ही देव गुरु प्रिश्पती में भी
01:38तदा ही उनकी सेवा सतकार में लगी रहती एक बार गुरु को प्रसंद करने के लिए उसने एक रुद्राक्ष माला बनाए
01:49गुरु देव ये भीट स्वीकार कीजिए ये कैसी अनुपम माला है पुंजिक स्थला पुत्रवती भव
02:03गुरु देव ये कैसा अशिरवात दे दिया आपने
02:15मैं स्वयम चकित हूँ पुत्री के मेरे मुख से ऐसा वचन किस कारण में लिए
02:24मिश्चित ही ये देवी प्रणा से ऐसा हुआ है
02:28किन्तु गुरु देव मैं तो अपसरा हूँ और अपसराएं कभी मा नहीं बनते
02:37ये मैं नहीं जानता कि मेरे मुख से ये आशिरवात क्यों निकला
02:42किन्तु ये असंभव ही नहीं है
02:47तुम भी पगवान शंकर जगजननी माता पार्वती के आशिरवात से एक पुत्र की माता बनोगी
02:57तुम्हारा पुत्र, परमग्यानी, महाबनी, सर्वगुन संपन, अजय और अभय होगा
03:08तीनों लोकों में उसके यश और कीर्थी की गाथा गाई जाएगी
03:14इस रुद्राक्ष माला की यात्रा अभी आरम हुई है
03:22कुछ दिन बीद गए
03:27पुन्जिक्स्थला स्वर्ग के अपने जीवन में इस घटना को भूलने सी लगी थी
03:34फिर एक दिन पुन्जिक्स्थला अपनी सखियों के साथ जगन विहार करते हुए पृत्वी की ओर जाने के लिए
03:57सारा संसार स्वर्ग के अश्वर्य और विलास के स्वपन देखता है हमसे इर्श्या करता है किन्तु पृत्वी की सुन्दर ताकी कोई तुलना नहीं
04:02सारा संसार स्वर्ग के अश्वर्य और विलास के स्वपन देखता है हमसे इर्श्या करता है किन्तु पृत्वी की सुन्दर ताकी कोई तुलना नहीं
04:27यहां हर पल एक नया दृष्य नया रंग एक नया भाव अच्छा
04:35अरे यह क्या हुआ यह यान क्यों रुक्या
04:48हे यहान अगर आगे नहीं बढ़ सकते तो हमें नीचे ले चलो
05:06नीचे ले चलो
05:36हाल
05:37ने कंगरा
05:44कि बम्हां करता हम
05:52कंगर
05:55कि आँ
05:57पहाच आरियो
06:27पहाच आरियो
06:57पहाच आरियो
07:27मुझे क्षामा करदीचे
07:37मैं वो वानर आकरती देखकर
07:47मैंने आपकी तपस्या भंग की है
07:49मुझे नहीं पता था कि भीतर आप है
07:55मिट्टी की वांबी में मुझे वानर आकरती दिख रही थी तो
08:05वानर
08:07वानर बाहर नहीं तेरे भीतर है
08:13तुझ मैं ही है वानर जैसी चंचलता
08:17चाह
08:19तुभी वानरी हो जाएगी
08:41किन्तु प्रभू
08:43पुन्जिक स्दला तो बहुत ही शान्सुभाव की अपसरा थी
08:47उसके मन में इतने चंचलता कैसे ओक पन्न होगी
08:54चंचलता आई नहीं
08:56पुन्जिक स्दला के मन को चंचल कर दिया गया
09:01किसने कर दिया प्रभू
09:05पेरी योग माया
09:08किसे लोग महा माया या पराशक्ती भी कहते है
09:14किन्तु योग माया ने ऐसा क्यों किया प्राणना
09:17जब जब संसार में मेरे हस्तक शेप की अवशक्ता होती है
09:24तब तब योग माया मनिश्यों के मन को विचलित कर देती है
09:31मत्से गंदा को देखकर यदि मर्शी पराशर का मन विचलित ना होता
09:41तो मर्शी वेदव्यास का जन्म कैसे हो पाता
09:45तो द्वापर में वेदों का उधार करके उनका विभाजन कौन करता
09:55बहां भारत और श्रीमत भगवत की रचना कौन करता
10:00वो भी तो मेरा ही एक अवतार है
10:08इसी प्रकार
10:12माता कैकर ही वो तो श्री राम को भरत के समान ही प्रेम करती थी
10:20यदि उनका मन विचलित ना होता तो श्री राम को वनवास कैसे मिलता
10:26और यदि श्री राम मन को ना जाते तो ना सीताहरण होता और ना ही रावन का वत हो पाता
10:35इसलिए हनुमान के जन्द की स्थितिया बनाने के लिए पराशक्ती नहीं देव गुरु ब्रियस्पती के मुख से उत्रवती भव का आशिरवात दिया
10:50और तपस्या कर रहे मुनी के मुख से ऐसा श्राब दे डाला
10:55मुनीवर मुझे शामा करतीचे
11:02इतने वर्षों तक मौन रहने के पश्चात
11:09मेरी वाणी से जो वचन निकले वो मिध्या नहीं हो सकते
11:15मैं चाहकर भी से वापस नहीं ले सकता
11:21इसमें न कुछ दोश तुम्हारा है और न कुछ मेरा
11:26भगवान की प्रेरणा से ही ऐसा हुआ है
11:30तु शोक न कर पुत्री तुम्हें भगवान महादेव के अंश को जन देना होगा
11:36कि अजय मेरा मेरा उसके कुछ काल पश्चात तुम्हें अपना अपसरारुख पुनह प्राप्त हो जाएगा
11:41उसके कुछ काल पश्चात तुभे अपना अपसरारू पुना प्राप्त हो जाएगा
11:57और तुम सर्ग को लौट सकोगी
12:01हनुमान के जने नहीं हो सकती थी
12:18हाँ, तब ही तो पुनजिक ठला के ये सारे सदकुन हनुमान को भी प्राप्त हुए
12:24तो क्या हनुमान की संगीत में भी सद्धी है
12:28राम भक्त हनुमान जब गाते हैं, तो वो अपनी सुध्ध बुध्ध सब भूल जाते हैं.
12:36हनुमान जब गाते हैं, तो वो हनुमान नहीं रहते हैं.
12:42स्वयम बीथ हो जाते हैं.
12:47उनके गायन से जुड़ा एक बड़ा ही रोचक प्रसंग है.
12:53सुनाइए न मुर्लीधर
12:55हनुमान की संगीत प्रतिभा की बातें
12:58जब देव गंधर्व नारत ने सुनी
13:01तो उन्होंने हनुमान को गायन प्रतियोगिता की चुनौती दे डाली
13:06देव मुनी नारत तो संगेत चासर के महापंडे थे
13:09और उनके आगे वो गंधर्व भी कही नहीं धहरते
13:15तो फिर क्या हुआ स्वामी कौन जीता
13:21दीरच रखो प्रियतमा तब पताता हूँ
13:25नारायन नारायन और जब मैंने गायन आरंब किया
13:30तो मेनका रंबा और उर्वशी स्वयम को रोक ना सकी
13:34सारी अपसराएं एक साथ महादेव या द्रिश्य था
13:40पूरा इंद्र लोग तेरे संगीत से जू उटा था
13:46आप भी वहाँ होते तो बड़ा अनंदात है
13:51उस भोग विरास के संसार में
13:58मेरे जैसे विरागी का क्या काम देम हो
14:01कि तुम भग्या से आप यहां चले आया है
14:05आज आप के लाश को अपने सुर में रंग दे तो कैसा रहे आप तो जानते ही हैं महादेव
14:13कि मैं तो हर पल जब ब्रह्म में लीन रहता हूं
14:17पर स्वर्ग लोग जैसी दिव्य संगत भी तो होनी चाहिए तब आनंदाएगा
14:25यदि ऐसा है तो राम दूथ अनुमान को बुला लेते हैं
14:31आप ही की तरह वे भी भगबान के अनन्य भक्त हैं
14:35और उत्तम कोटी के संगीत अग्य भी अनुमान?
14:39संगीत अग्य?
14:41वो तो थोड़ा बहुत खरताल मंजीरा बजा लेते हैं
14:46इस ते अधिक तो कुछ और नहीं ना रहे हैं
14:51वजरंग बली बड़े मरमक्य हैं
14:54वो जब गाते हैं
14:56तो कुछ भी परवावित हुए वेना नहीं रह सहता
14:59क्या आप उने नहीं बड़ा गायक मानते हैं
15:01कि वो मेरे साथ संगत कर सके
15:04तो बुला लेजे उने
15:07आज कैलाश में
15:09मेरी और उनकी प्रत्योगिता वो ही जाए
15:11अवश्य दिवर्शी
15:21परमप्री एहमान
15:27जय श्री राँ
15:29जय श्री राँ
15:31जय श्री राँ
15:33जय श्री राँ
15:35सति खुलोक पुजागर
15:37भूत अतुलित बलधामा
15:39रंजन पुत्र पवन सुतनामा
15:41भीर विकरम बज रंगी
15:43उमति मिवार सुमति के संगत
15:47भुजंग भूशान
15:49भगवान शशी शेखर
15:51और जगत जन्नी माता भवानी के चर्लों में
15:54राम भक्त हनुमान का
15:56प्रणाम
15:58सदार हो रगुपति के दासा
16:04प्रणाम
16:06मुनिवर
16:18प्रिया आंजने
16:22आज के लास आपके संगीत को सुनना चाहता है
16:28आपके गीतों को गुनना चाहता है
16:30आपके गीतों को गुनना चाहता है
16:34देखे संगीत शेरुमणी नारजी भी आता
16:38दिवी आपके साथ सुर्विलाने के चुक है
16:44कहा नारजी का गीत संगीत
16:48भगवान नडराज और कहा मैं
16:54संगीत के नाम पर तो बस
16:58कुछ खड़ताल मंजीरा खड़का लेता हूं
17:04वगीत के नाम पे केवल अपने प्रभू
17:08श्री राम के नाम का जाप करता हूं
17:11उसी रस के तो हम भी प्यासे हैं अनुमान
17:15काई ये भग्ष रुमन
17:17प्रभू करता हूं
17:19उसान
17:22तो नच्च करता हूं
17:23झाल
17:24झाल झाल
17:54राम राम जै राजाराम, राम राम जै सीताराम, रशरत नंदन राजाराम, असुर निकंदन सीताराम
18:04राम राम जै राजाराम, रगुपति राघव राजाराम, राम राम जै राजाराम, राम जै राजाराम, राम जै सीताराम
18:24प्रेवाल नियान निया साग्य निया पपी से तिक लोगे पुचाने