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  • 2 days ago
After the birth of Ganesh, Parvati sees that her son is blessed with the powers of the Tridev. The disciples of Mahadev, meet Vishnu, who informs them that no one can defeat Gajasur. Meanwhile, Shani Dev learns about Parvati's son, Ganesh. He learns that the Devlok is eager to catch a glimpse of Ganesh. Shani Dev also wants to see Ganesh out of curiosity. What will happen when Shani Dev meets Ganesh?

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Transcript
00:00वो देखो बेर का वरिक्ष
00:22मा वो देखिए बेर
00:28आपको बेर पसंद होंगे ना
00:30मैं भी लेकर आता हूँ
00:31पुत्र, रुको, सुनो तो
00:32पुत्र
00:48खंधे से बालक ने माता के लिए
00:53प्रेम वश्ट कटनाई पून श्रम किये
00:57पुचे तरवर से बेर चुन लिए
01:01पुत्र, तुम ठीश को
01:03यह लीजे बेर मा
01:05प्रभु महादेव को बापस लेकर ही आएंगे हम
01:22प्रभु महादेव उसके उदर में स्थित
01:28गजासुर को युद्ध में कोई परास नहीं कर सकता
01:32इसलिए उससे युद्ध करने का
01:35कोई लाप नहीं है
01:36लाप भानी का विचार नहीं करूँगा मैं प्रभु
01:39बलकि अभी वहाँ जाकर
01:42उस गजासुर से युद्ध करके
01:44अपने महादेव को मुक्त कराऊंगा
01:46निश्णु देव ने जो कहा है
01:47आपने सुनानी नंदी
01:48अभी कजासुर को कोई भी पराजित नहीं कर सकता है
01:52उस महासुर से युद्ध के सिवाए
01:54और कौन सा उपाय हो सकता है
01:55उसकी सभा में जाकर उसके समक्ष
01:58निश्णु देव निश्णु देव निश्णु देव निश्णु देव निश्णु देव निश्णु देव निश्णु देव निश्णु देव निश्णु देव निश्णु देव निश्णु देव निश्णु देव निश्णु देव निश्णु देव निश्णु �
02:28को अच्छा कठोर तब छल कब से हो गया सूर्य दे तब किया है मैंने कठोर तब अब इसमें मेरा क्या दोश कि भगवान बिना सोचे विचारे किसी भीभाक्त को कोई भी वर्दान दे देते हैं
02:49गजासूर बस अब और विलाप नहीं सुनना चाहता मैं तुम्हारा देवगणो यहां मसरों के आनंद का समय है
03:19हमारे मनोरंजन की विवस्था की जाओ
03:25अधर्म का अनंद अधिक्ष समय तक शेष नहीं रहता गजासूर तुम्हारे उत्सव के आनंद में ही तुम्हारे अंद की युपती छुपी
03:49आशा है भ्राता श्री हरी शीखर मेरे स्वामी को लोटा लाएंगे
04:01मातर्त वफलत हो रहा है तुम पर हां उसके तेज से दमक रही हो तुम्हारे समान अपना सुक्त तुम्हें अन्यसक्यों के साथ भी बाटना चाहिए
04:16हाँ हमें सब को आमंत्रत करना चाहिए हां ये तो बहुत अच्छा होगा सभी देवियां के मेरे पुत्र को आशीश देंगी बहुत बड़ा उच्छ सब मनाएंगे हम कितना अनंद आएगा ना और हमें पूरी विवस्ता भी करनी हुए ये तो पता हूं कौन-कौन से वें�
04:46उत्र पाए आशीश सब से चाहिए मां स्नेहिल भेजे निमंत्रनों मां श्रीशार दाश चीव धजनी को प्रेशित पढ़कर निमंत्रन सब देवियां पुलकित
05:13बालक को सोच हुई भाव से विवो चल्दी देवियां सभी करनाश ओर
05:22मां चाहिए मुझसे मिलने आ रहा है हाँ पुत्रु मेरी सभी सखे आ रहे है वो सभी हमारी शुक्चिन तक है
05:41वो आकर तुमको अपना स्नियाशीश देंगी और अपनी अध्भुच शक्तियों का उपहर भी देंगी
05:46मेरी पुत्र पर कुद्रिश्टी डालने का साहस कोई नहीं कर सकते
05:52वो – अबला पालने का साहस कोई पालने का उनियाशी यूजवास
06:01झाल झाल
06:31स्वामी शनी देव, विध्वनसक है आपकी दृष्टी, विशाल काय परवतों को धूल में परिवर्तित कर देती है, बड़े बड़े पत्थरों को तोड़ सकती है, जिससे देखती है, उसको दुर्भागी से जकड़ कर उसका विनाश कर देती है
07:01तब तो फिर मेरे दरपण, मात्र दरपण है, वो आपकी दृष्टी का दुष्प्रभाव कैसे सहन कर सकते हैं, देवी मैं
07:14छोड़िये, जाने दीजिये, वैसे भी मेरा श्रिंगार लगभग पोर्ण हो चुका है, मैं देवी पार्वती के भवन जा रही हूँ, उस दिव्यबालक से मिलने
07:24देवी पार्वती का पुत्र, औहुर कौन, सभी देवी आएएंगी वहाँ, उसकी दिव्यता और रूप की सर्वत्र चर्चा है, सर्वत्र चर्चा है, तो फिर मुझे किसी नो कुछ क्यों नहीं बताया, मैं सोयम को उस दिव्यबालक के दर्शन से वन्चित कैसे रख सकता
07:54इसको आपकी शाप का इस्मरन दिलाना होगा, क्या?
07:56वक्यू्सरी विष्रावय नमाहा
08:07इसस्त्र honors का ऴंधे.
08:09थिस्त्र trillion नमाहा
08:16प्रेज विष्रावय नमाहा
08:18था रचा अव स्र्वल नमाहा
08:20अम्स्री विष्रावय नमाहा
08:23खाततततment
08:25स्वामी शनी देश
08:35स्वामी, मैं आपकी पत्नी हूँ शनी देव, आपकी द्रिष्टी मुझ पे कभी क्यों नहीं पड़ती?
08:59कितने समय से आप अपने ध्यान में मगने हैं, मैं आपकी पत्नी कबसे प्रतीक्षा में हूँ, आप आज आएंगे, मुझे देखेंगे, मेरे साथ थुड़ा समय व्यतीत करेंगे
09:13आपकी पत्नी हूँ मैं, सौंदर्य संपन्न हूँ, फिर भी मेरी ये उबेक्षा, मेरा ऐसा अपमान, मुझे अन देखा कर आप सदा ध्यान में ही रहते हैं, तो उचित है, मेरी बात नहीं सुनेंगे तो मैं आपको शाब देती हूँ,
09:41मेरे सिवा, जिस पर भी आपकी द्रिष्टी पड़ेगी, दुर्भाग्य और विपत्ती से घिर कर उसके जीवन का विनाश होगा।
09:48स्वामी शनी देव, ऐसा कुछ भी मत कीजिए, जिससे देवी पार्वती के पुत्र के जीवन पर कोई संकट आए, अपनी द्रिष्टी से उसे दूर रखिए।
10:07ठीक है, देवी।
10:37माँ
11:07स्वामी शनी पार्वती के जीवन का विनाश होगा।
11:12स्वामी शनी पार्वती के जीवन का विनाश होगा।
11:17स्वामी शनी पार्वती के जीवन का विनाश होगा।
11:22स्वामी शनी पार्वती के जीवन का विनाश होगा।
11:27लगयाराजने माता फखाने से नेकि पैके तु éta जा हुपThat सभी जा हुप
11:41डाल हुच्त जाम इए हुचिंदें, राल हुचिंजेगरि विया
11:46लुदरी सबस्ट जाल हुप
11:51हुपगा झाल हो लाय, हुड़ी लुदरी जाल
11:54जालshy湃 तल्हट जा, हुड़ी जाए
11:57देवी पार्वती आपका पुत्र तो मेरी कल्पना से भी अधेक संदर है
12:09कितनी मनमोहत मुस्कान है जैसे चारो दिशाओं को प्रकाशित कर रही हो
12:27इनकी नेत्र तो बिलकुल आप पे गया देवी पार्वती नहीं मेरे अनुसार नेत्र पिता के हैं किन्तु इनकी सौम्या और मन भावन मुस्कान
12:37आपकी है देवी पार्वती किन्तु मेरे अनुसार ये अपनी मा देवी पार्वती के प्रतिरूप है
12:44इतनी प्रशंसा मत किजिये इनकी
13:08इतनी प्रशंसा से कहीं किसी की
13:12कुद्रिश्ची ना लग जाए
13:14भाग्य पे नहीं मेरा वश
13:28इसी लिए मैं हूँ विवश
13:31जगत के कल्यान के लिए ये करना ही होगा
13:35चनिदेव की कुद्रिश्ची उस बालक पे पड़े
13:39ये संभव करना ही होगा
13:41नारायन नारायन
13:46अरे रे रे रे शनिदेव नारत भाई भी ये क्या अनर्द कर रहे हैं प्रभू
13:52यदि देखना ही है तो मुझे क्यों देख रहे हैं
13:55वहां कैलाश पर अद्भूत बालक को देखिये वहां अद्भूत बालक कौन सा बालक दिवर्शी
14:07पताया नहीं? नारत अजम्भित, नारायन, नारायन, सुभाग एसे कैलाश मेरे मार्ग में था, तुमाता पार्वती के उस अद्भुत बालक के दर्शन प्राप्थ हुए, आहा, मन मोहक, अनुपम, उसकी दिवेता के वखान करने के लिए शब्द नहीं है मेरे पास,
14:26उसके वो कमल नैन, देव्य मुस्कान, मधूर ध्वनी, सुन्दर, सुन्दर इतना कि सुन्दर शब्द कम पड़ जाए, किन्तु,
14:47किन्तु क्या देवर्शी, आप किस सोच में पड़ गए?
14:50नारद विचार करस्त, बालक अधिक किस पर गया है? महदेव पर? मातब पार्वती पर? या दोनों पर?
15:12प्रभू, आपका क्या विचार है? नारद शमा याचित, आपने कहां देखा है उस बालक को?
15:19समस्त देव लोक आनिद पा रहा है उसे देख कर, केवल आप इवंचित रह गए उसे ना देख कर.
15:26नारद नारद, नारद, नारद.
15:31शन देव, एक सुजाव दूँ. आप भी उस बालक को देख क्यों नहीं लेते?
15:46याप क्या कह रहे है दिवर्शी? मैं अपनी कुद द्रिष्टी लेकर कैलाश पड़ जाओं.
15:51ना, ना, ना, अधिक समय तक देखने का खाम दे रहा है सुजाव.
15:57ख्षान भर के लिए देख लीजिए, यही है नारद का भाव.
16:01ख्षानिक देख के गुमा लीजेगा अपनी द्रिष्टी. इसमें कहां गुमने वाली है श्रिष्टी?
16:07हाँ, यह उचित होगा. उस मालक की एक छोटी सी जलक लेकर मैं अपनी द्रिष्टी गुमा लूँगा.
16:26ताक, मेरे वाहन, श्री गुरु पस्तित हो.
16:32तीव रिवेक से ओड़कर मुझे कैलाश पहुचाओ. मैं देवी पार्वती के उस दिवी पुत्र की एक जलक पने को व्यकूल हो रहा हूँ.
16:46शनी देव की पत्नी ने उचित कहा, मेरे पुत्र पर किसी की भी कुद्रिष्टी नहीं पढ़नी जाहिए.
17:00सारी देवियां तुम्हें इतना आशरवात देंगी पुत्र की कोई भी तुम्हारा कुष्ट अनिश नहीं कर सकता.
17:07लीजे, अब इस काले टीके से मेरा पुत्र कुद्रिष्टी से सुरक्षित हो गया.
17:21कदाचित मैं व्यर्थी चिंता कर रही हूँ. मेरे स्वामी यहां आकर इस बालक को देखने की भूल कभी नहीं करेंगे.
17:27देवी पार्वती, आप अपने पुत्र पर अपना सेह वो डेलती रहेंगी. हमें भी थो उसे स्नेहाशीष देने की अनुमती दीजिये.
17:40आओ पुत्र, यहां आओ, मैं तुमारा जीवन धन्धान्य से संपन्न कर दूंगी.
17:57सर्व दुख हरे हरे महालक्ष्मी नमोस्तु देखा तुमने पुत्र, आओ मेरे पास.
18:14अपनी मा की आचल की छाओ में, उनके स्नेहाश का सवभाध्य प्राप्त्र मुझे.
18:20तो मुझे धन्धान्य की क्यालाल सा?
18:22धन्य है देवी पार्वती, अध्भुद है उनका पालक, जिसको कोई लालसा ही नहीं.
18:29मेरी लालसा तो बढ़ती ही जा रही है, उस पालक के दर्शन के लिए.
18:33अच्छा, मेरे पास आओ. मैं तुमें इस रिष्टी का समस्त ग्यान दूंगी. आओ.
18:52नहीं माता, जो ग्यान मुझे चाहिए, वो मेरी मा मुझे देंगी. फिर और ग्यान की मुझे क्या आवाशकता है?
19:07इसके लिए तो इसकी माता ही सर्वोच ग्यान सरिता है. इसलिए इसे लुभाना का धिन है. इतने अद्भूत बालक पर कुद्रिष्टी का प्रभाव शेखर बढ़ता है.
19:19अद्भूत बालक, मैं आ रहा हूँ. बस, तुम्हारी एक जलक के लिए.
19:23मैं देवराज इंद्र की पत्नी हूँ, पोत्र. सची. मेरे फास आओ, मैं तुम्हें संसार का सबसे सुन्दर बालक बना दूँगी.
19:41मेरी मा के लिए तो मैं सबसे सुन्दर बालक हूँ.
19:49फिर मुझे और सुन्दर था कि क्या हुआ शक्ता? जितना सुन्दर रूप है, उतने ही मदूर बोल है इसके. धन्य है ये पार्वती पुत्र. इसका सब शुप हो. आशुप इसका सपर्श पिना कर सके.
20:01सब तुम्हारे रूप से प्रभावित हैं, फिर मैं क्यों अंचित्रा हूँ. पुत्र, मैं तुम्हें अपनी स्वामी की पास लेचरू.
20:07वो देखो, आस्मान में सिथ है मेरी स्वामी चंद्र. उन पर आरोड हो, तुम समझ संसार को निहार सकते हो.
20:18जब मेरी मा ही मेरा संसार है, तब मैं और संसार को देखकर क्या करूँगा?
20:30अपनी माता की प्रति, ऐसी अद्बुत अपार निष्ठा है इस बालक की, माता और बुद्र दोनु सुरक्षित रहें, किसी की कुद्रुष्टी न पड़े इस बालक पर.
20:38अपनी द्रिष्टी हटा लूँगा उस अद्बुत बालक से, जिससे मेरी कुद्रिष्टी का कुप्रभावन अपड़े उसमेर.
20:45मेरे निकट आओ पुत्र, मैं तुम्हें ऐसा आशीस दूँगी, कि किसी की भी कुद्रुष्टी का तुम पे कोई प्रभाव ना हूँ.
21:09आशीश के लिए धन्यवाद, किन्तु मुझे किसी की बुरी दृष्टी कैसे लग सकती है?
21:19पस लीक छरफ पाना चाहता हूँ उस दिव्यवालब की.
21:22क्योंकि मेरी मातर सदेव मेरी रक्षा करेंगी, और मैं भी उनके साथ रहूँगा, और उनकी रक्षा करूँगा.
21:35सत्य है पुत्र, मैं सदेव तुम्हें अपनी आचर की छाओं में सुरक्षित रखूंगी.
21:41सत्य है ओढ़ेशा ऑढ़ेशा, अजय को देविए तुम्हें आचर की čाओं में सुरक्षित रखूंगा, और मैं सेचर की छीवालब की छीवालब की छीवालब तुम्हें उनकी।

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