Skip to playerSkip to main contentSkip to footer
  • today
किसान पूरे साल करते इंतजार, शगुन के हिसाब से जमाने की करते आस
अक्षय तृतीया का त्योहार धरतीपुत्रों के लिए दिवाली से कम नहीं होता, क्योंकि इस साल जमाना कैसा रहेगा इसके शगुन इस दिन देखे जाते हैं। इसके चलते किसान मानसून से पहले अक्षत तृतीया पर शगुन देख किसान खेती-किसानी में लाभ-हानि का लेखा-जोखा करते हैं। आज अक्षत तृतीया है जिस पर व्यापारी, किसान और आमजन शगुन विचार करेंगे।अक्षय तृतीया का पर्व पूरे जिले में उत्साह और उमंग से मनाया जाएगा। घरों में खींच और गुलवानी बनेगी।
सात धान की ढेरियों से अच्छे जमान की आस
अक्षय तृतीया पर गेहूं, चना, तिल, जौ, बाजरी, मूंग और मोठ आदि सात खाद्यानों की पूजा करके शीघ्र बारिश होने की प्रार्थना की जाती है कि आगामी साल भी अच्छी फसल वाला हो यह कामना की जाती है। इन ढेरियों पर पानी के कुल्हड़ रखे जाते हैं। इसके बाद जब पक्षी धान चुगते हैं तो पता चलता है कि इस बार खरीफ की इस फसल में तेजी रहेगी। के आगे बाजरी, मूंग, मोठ आदि की ढेरियां बनाकर इसमें हरे फल आदि रखकर इसे आकर्षक रूप से सजाया जाता है। वहीं बुजुर्ग ढेरियों में से अनाज के कुछ दाने उठाते हैं, यह दाने विषम संख्या में आते हैं तो लोगों को सुकाल की संभावना रहती है। इसमें बारिश के चार महीनों ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रवण, भाद्रपद में बारिश होगी या नहीं। इसको लेकर बच्चों को भी ज्ञान दिया जाता है। यह भी परंपरा सदियों से आ रही है। मुख्य सगुन जो हर गांव में विचारे जाते है उनका आधार वैज्ञानिक भी रहता है।
अक्षय तृतीया के पर्व पर किसान रूपी हाळियों के हल जुताई के बाद घर, गुड़ाळो में आने पर बड़े बुजुर्गों तिलक लगा, मोळी बांध एवं गुड़ खिलाकर मुंह मीठा करते हैं।- गणपत भंवराणी, पूनियों का तला

Category

🗞
News
Transcript
00:00well
00:04yeah
00:10yeah
00:13yeah
00:17yeah
00:18yeah
00:22yeah
00:25yeah

Recommended