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  • 5/4/2025
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00:00गरिब मन्जु अपने सिलाई मसीन पर लोगों की कपड़े सिल रही थी
00:10तब है उसकी तीनों ननत उसके पास आती है
00:13भाबी हम तीनों कॉलेग जा रही है
00:17सुनो ये कुछ पैसे हैं अपने पास रख लो तुम्हारे काम आएगा
00:23आरे नहीं नहीं भाबी इसकी क्या जुरूरत है तब है मन्जु की नजर अपने तीनों ननत के कपड़ों पर पड़ती है जो की फटे हुए थे
00:34मैं माजी की जगह तो नहीं ले सकती हूँ मगर फिर भी मेरे से जितना हो पाएगा मैं तुम तीनों के लिए करूँगी ये लो पैसे रख लो तुम्हारे काम आएगा
00:46धन्यवाद भाबी आप हमारे लिए कितना सोचती हो
00:51अपने तीनों ननत के जाने की बाद मन्जू फिर से लोगों के कपड़े सिलने लगती है
00:57मैं दिन रात मेहनत करके लोगों के कपड़े सिलती हूँ
01:01इसके बाद भी मेरे नन्दों ने फटा पुराना कपड़ा पहना था
01:06मैं एक अच्छी भाबी नहीं बन पाई
01:08तब ही मन्जू की नजर सिल रहे कपड़े पे पड़ती है जो खराब हो गई थी
01:15ए भगवान ये बलाउस तो खराब हो गई
01:18कितने भरोसे के साथ नन्दिनी ने मुझे ये बलाउस सिलने को दिया था
01:24अब मैं उसे क्या जबाब दूँगी ये तो ठीक भी नहीं हो सकती
01:28मन्जू उस बलाउस को देखकर दुखी और परेशान थी
01:32तब ही पड़ोस की एक औरत उसके पास अपना लेंगा लेकर आई
01:37अरे मन्जू बिटिया ये लो मेरी बेटी के लेंगे का कपड़ा इसे सिल दो
01:44अ लेकिन ध्यान से सिलना वो क्या है की बहुत ही मेंगा और मकमल का कपड़ा है
01:51तो इस पर ज़रा ध्यान देकर अच्छे से सिलाई करना
01:54जी काकी मैं आपको सिकायत का एक भी मौका नहीं दूँगी
01:59वैसे मैं एक बात कहना चाहती हूँ
02:03तुम्हारे ननत भी तो साधी के लाइक हो गई है
02:06तो तुम कब उनकी शादी कर रही हो
02:09यह बात सुनकर मन्जू खामोश हो गई
02:12मैं और रमेश जी अपने नन्दों के लिए लड़का ढूंड ही तो रहे है
02:17लेकिन इस महंगाई के जमाने में बिना देहे दिये अच्छा रिस्ता मिलता ही कहा है
02:24और मैं ठहरी गरीब दर जी दिन रात मेहनत करके कपड़े सिलती हूँ
02:29इसके जो पैसे मिलते हैं वो तो घर खर्च में ही निकल जाते हैं
02:35अरे मन्जू बिटिया तुम्हारे ननत तो देखने में बहुत ही खुबसूरत हैं
02:40उनके लिए तो फिरी में ही रिस्ता मिल जाएगा कहो तो मैं ढूंडूं
02:45जी काकी, आपका मुझ पर बहुत बड़ा उपकार होगा
02:50कुछी दिनों में विमला काकी मंजू के तीनो ननत के लिए एक अच्छे घर में रिष्टे की बात करती हैं
02:58गंगा देवी के तीन बेटे थे और उन्होंने तीनों बेटों की शादी मंजू के तीनों ननत से करने का मन बना लिया
03:07ये लो मंजू, आज पूरे दिन की कमाई, आज इस पूरे दिन में मैं मातर पचास रुपे ही कमा पाया हूँ
03:15लेकिन इस महंगाई के जमाने में इस पचास रुपे से हमारा क्या होगा
03:21क्या करूं मन्जू कोई पका का मिलता ही नहीं है
03:26मेरी तरह नजाने कितने गरीब काम के भूके बैठे हैं
03:31अच्छा वो छोड़िये विमला काकी ने आपकी तीनों बेहनों के लिए एक अच्छे घर का रिष्टा बताया है
03:39और वो लोग कर उन तीनों को देखने के लिए आ रहे हैं
03:43बेचारी मंजू उसके पास तो इतने पैसे ही नहीं थे कि वो अपने ननत के लिए नए ड्रिस खरीद कर ला सके
03:51वो रात भर जाक कर कपड़ों के कतरन से अपने तीनों ननत के लिए एक एक सुट सिला
03:58और अगले दिन उसके तीनों नंदे उसके बनाए हुए सूट पहन कर तैयार हो गई
04:04थोड़ी ही देर में लड़के वाले उन्हें देखने के लिए आ गए
04:08मन्जू हमें तुम्हारी तीनों नंदे बहुत पसंद आई
04:13विमला जी ने तुम्हारी गरीबी के बारे में मुझे पहले से ही बता दिया है
04:18इसलिए तुम्हें घबराने की जरुरत नहीं है
04:21हम तुमसे एक रुपिया भी देहेज नहीं लेंगे
04:24बस तुम बरातियों का अच्छे से खातिरदारी कर देना
04:28और अपनी नंदों को एक-एक जोड़ी कपड़ों में विदा कर देना
04:32हम इसी में खुश है
04:34ये सुनकर मंजु के चेहरे पर खुशी आई
04:38उसका मन थोड़ा सांथ हुआ
04:40आपका बहुत-बहुत धन्यवाद माजी
04:43मंजु के हाथों कपड़ा बिगड़ जाने के कारण
04:47अब गाउं की कोई भी महिला
04:49उसे कपड़ा सिलने के लिए नहीं दे रही थी
04:52इधर रमेश को भी कोई भी मजदूरी का काम नहीं मिल रहा था
04:57ऐसे ही देखते ही देखते
04:59साधी का दिन भी नजदीक आ गया
05:02ऐसे मैं मंजु अपना मन हलका करने के लिए
05:05फूलों के बाग में आ गई
05:07जहां वो अकसर आया करती थी
05:10हम गरीबों के जिंदगी में कितने परिशानिया है
05:13काश हम गरीबों के जिंदगी इन फूलों की तरह होती
05:18खुश्यों के रंगों से भरी हुई
05:20अगले दो दिनों में मेरे नंदो की शादी है
05:24और मेरे पास एक फूटी पाई तक नहीं है
05:27मंजु फूलों से बाते कर रही थी
05:30तभी उसकी नजर वहें पर रखी एक पोटली पे पढ़ती है
05:35अरे यहां पर ये पोटली कौन रख गया
05:38फिर मंजु जैसे हैं उस पोटली को खोलती है
05:42तो वह देखकर हैरान हो गई
05:44क्योंकि उस पोटली में नोटों के गड़ी भरे हुए थे
05:48ये भगवान इतने सारे पैसे
05:51यहां पर कौन रख गया
05:53लगता है किसी का गलती से गिर गया है
05:56मैं यहे पर उसका इंतजार करती हूँ
05:59उसने कितने मेहनत से कमाया होगा
06:01जब वो आएगा तो मैं उसके पैसे उसे लोटा दूंगी
06:06यह सोचकर मंजु उस पोटली को ले कर
06:09वहे पर उस वेक्ति के आने का इंतजार करने लगी
06:12देखते ही देखते
06:14थोड़े देर में मंजु की आँख लग गई
06:17फिर उसने सपने में देखा
06:19कि उसके सामने एक दिवी प्रकट हुई
06:22और उन्होंने उससे कहा
06:24मंजु बेटी ये सारे पैसे तुम्हारे हैं
06:29मैंने ही ये पोटली तुम्हारे बगीचे में रखी थी
06:33तुम्हारी ही वज़ा से यहाँ पर ये सारे रंग विरंगे फूल खिले हुए हैं
06:39इसलिए इन सभी पैसों की मालिक तुम हो
06:42मैंने ये पैसे तुम्हारे मेहनत और लगन को देख कर दिया है
06:47इतने में ही मंजू की आँख खुल गई
06:50और वह उन पैसों को लेकर खुसी खुसी अपने घर गई
06:55अरे भाबी आप कहां चले गई थी
06:58हम तिनों कितने परिशान थी आपके लिए
07:01अरे मेरी प्यारी ननेदरानी
07:04मैं आप तिनों को छोड़कर भला कहा जाऊंगी
07:07यही पर फूलों के बाग में बैठी थी
07:09उन पैसों से मंजू अपने ननत के शादी के लिए
07:14अच्छा सा टेंट लगवाती है
07:16और हल्दी की रश में सुरू हो जाती है
07:19ओफो मैं इस भाग दोर के चकर में तो भूली गई
07:23अपने तीनों ननत के लिए लेहंगा भी तो खरीदना है
07:26इतना सोचकर मंजू बैचे हुए पैसों को लेकर
07:31लेहंगे के शूरूं पे गई
07:33जहाँ पर उसने तीन बहुत ही संदर संदर लेहंगे देखे
07:37वो उसे बहुत पसंद आए
07:39भाई साब ये लेहंगे कितने का है
07:42एक लेहंगा बीस हजार का है मेडम
07:45तीन लेहंगे साथ हजार के हो गए
07:49लेकिन भाई साब मेरे पास तो अभी उतने पैसे नहीं है
07:53लेकिन मैं ये तीनों लेहंगा खरीदना चाहती हूँ
07:56मेरे पास ये कुछ पैसे हैं
07:59आप इन्हें रख लो और ये तीनों लेहंगा दे दो
08:02मैं धीरे धीरे करके आपके बाकी के पैसे भी चुका दूंगी
08:06मैं एक दरजी हूँ
08:08बदले में आप को होगे
08:10तो आपके दुकान के लेंगे भी सिल कर दे दूंगी
08:13अरे चल चल भाग यहां से
08:15पता नहीं कहा कहा से सड़क छाप यहां पर आ जाते हैं
08:19तुम्हें पता नहीं ये सड़क का दुकान नहीं ये हाई फाई शोरूम है और यहां पर तुम जेसु की कोई जरूरत नहीं है जाओ जाओ यहांसे
08:29इतना कहकर शोरूम का मालिक मनजु को धक्का दे कर अपने दुकान से बाहर कर देता है
08:35मन्जू आखों में आसू लिये हुए बाजार के दुकानों में गई
08:40जहां पर उसकी नजर कपड़े बेच रहे कुछ बेपारियों पर गई
08:45जो कपड़े के छोटे छोटे टुकड़े बेच रहे थे
08:48अरी वाह मैं तो इन कपड़ों से खुझ से ही लेंगा सिलकर तयार कर सकती हूँ
08:54धन्यवाद भगवान जी मुझे ये रास्ता दिखाने के लिए
08:58इसके बाद मन्जू ने महां से कुछ कपड़ी खरी दे
09:02और घर लाकर रात बर जाक कर अपने तीन ननत के लेंगे तयार कर दिये
09:08कपड़ों को सिलते सिलते मन्जू के हाथ कई जगा जखमी भी हो गए
09:13अगले दिन मन्जू के तीन ननत की शादी थी
09:17उसने सारे तयारियां बहुत ही अच्छे से की थी
09:20ये लो तुम्हारा सादी का लेंगा अब इसे जल्दी से पेहन कर तेयार हो जाओ
09:26अरे बाब भाबी आपने कितना सुन्दर लेंगा खरीदा है पैसे बाबी ये लेंगा तो बहुत मेंगा होगा ना
09:35अरे नहीं नहीं ये मैंने खरीदा नहीं है
09:39मैंने अपने हाथों से इनने सिलकर बनाया है
09:43अच्छा जल्दी करो नहीं तो अब बारात आने ही वाली होगी
09:47थोड़ी देर में मंजु की सिलिवे लेंगे पहन कर
09:51उसके तीनों ननत तेयार हो गई
09:54मन्जु के तीनों ननित की शादी बहुत ही अच्छे से हो गई
09:58भावी अब बहुत अच्छी हो आपने हम तीनों को मा की कमी कभी मैसूस नहीं होने दी
10:06मेरी तो भगवान से यहीं दुआ है तुम तीनों जहां भी रहो हमेशा खुस रहो
10:13इसके बाद मंजू को बहुत ही अच्छे अच्छे लेंगे सिलने की ओर्डर मिलने लगे
10:19जिससे वो बहुत ही अच्छे पैसे कमाने लगी
10:23और देखते ही देखते थोड़े ही दिनों में उसकी गरीबी दूर हो गई
10:29मन्जू ने अपने मेहनत और लगन से सब कुछ हासिल कर लिया
10:34चलो आज पहली बार मेरे जीवन में खुशिया आने वाली है
10:38आज मैं बड़े ही सुकुन से अपना मन पसंद खाना बनाऊंगी
10:42मोना अपने मन में सोच कर खुश होते हुए किचन में गई
10:47लेकिन वहाँ जाकर उसने कुछ ऐसा देखा
10:50जिससे उसे तो क्या किसी को भी उमीद नहीं होगी
10:54वहाँ उसने देखा कि किचन में तो चूला ही नहीं है
10:59अरे ये क्या इस किचन में तो चूला ही नहीं है
11:03मैं बिना चूले के खाना के से बनाऊंगी
11:07अच्छा तो ये बात है इन लोगों को लगा होगा कि मैं बिना चुले के खाना ही नहीं बना पाऊंगी
11:15लेकिन अब मेरा कमाल देखो मैं बिना चुले के कैसे खाना बनाती हूँ
11:21मोना ने जल्दी से हरी सब्जियों को एक साथ मिला कर काट लिया
11:26चलो ये तो डाइटिंग वाला खाना बनकर त्यार हो गया
11:30मगर इसे खाएंगे कैसे इन लोगों को लग रहा होगा कि मैं तो रोटी बना ही नहीं सकती
11:37लेकिन इसका भी इलाज है मेरे पास
11:39मोना जल्दी से बाजार में गई और वहां से धेर सारा ब्रेट खरीद कर लाई
11:45सासुमा, ससुर जी, मनोज आजे ये आप तीनों खाना बनकर त्यार है
11:52ये सुनकर तीनों हैरान हो गए क्योंकि तीनों एक ही कमरे में बैठ कर अपनी बहु के हार का इंतिजार कर रहे थे
12:01हैं, खाना बन गया, लेकिन बीना चूले के बहु ने खाना कैसे बनाया
12:08हाँ, सान्ती, मैं भी वही सोच रहा हूँ, आखिर बहु ने बीना चूले के खाना कैसे बना दिया
12:17मम्मी पापा, ये तो हमें बाहर जाकर ही पता चलेगा कि आखिर खाना बना कैसे
12:24जब तीनों नीची आए, तो वह देखकर हैरान रहे गए
12:30हरी भरी सबजियों से बना हुआ, सलाद रखा हुआ था, और उसके साथ ही कुछ ब्रेड भी रखे हुए थे
12:38उफ, मेरा ये प्लैन भी काम नहीं किया, लेकिन अच्छा है, कम से कम अब ये सास बहु लेड़ेंगी तो नहीं, चूले के लिए
12:49वैसे बिना आग के इस्तिमाल किये हुए, ये खाना बहुत स्वादिश्ट लग रहा है, और हमारे सिहत के लिए अच्छा भी है
12:58आप सभी सोच रहे होंगी, कि ये सब हो क्या रहा है, आखिर उस घर में, रसुई में चूला क्यों नहीं है, दुनिया का ऐसा कोई भी किचन नहीं है, जहां पर बिना चूले की खाना बनाया जा सके
13:13क्या अब उस घर की किचन में, कभी भी चूला नहीं रखा जाएगा, या फिर कोई और बात है, इसके लिए आपको कहानी को पूरा देखना होगा, और हम आपको इस कहानी में थोड़ा सा पेछे लेकर चलते हैं
13:30मौना पहली बार ब्याकर जब अपने ससुराल आई, तो वह अपने साथ बहुत ही सुन्दर चूला लेकर आई
13:38देख बहु, तू तो जानती ही है, कि हम दहेज के सक्त खिलाप हैं, लेकिन इसके बाद भी तू अपने साथ ये चूला लेकर आई
13:48चल ठीक है ले आई तो, लेकिन इसे चुपचाप उठा कर स्टोर रूम में रख दे, क्योंकि किचन में तो वहें चूला इस्तिमाल होगा, जो मुझे दहेज में मिला था
13:58ठीक है माजी, कोई बात नहीं, आपका चूला जब तक ठीक है, तब तक मैं उसे जलाऊंगी, लेकिन जब वह खराब हो जाएगा, तो मैं अपना वाला चूला इस्तिमाल करूंगी
14:10इतना केकर मोना ने अपना चूला ले जाकर स्टोरूं में रख दिया, और अपने सास के चूले पर वह सब के लिए खाना बनाने लगी
14:21थोड़ी दिर में खाना बना कर, वह सब को लाकर डाइनिंग टेबल पर परोस देती है
14:27खाने के टेबल पर पहले सी हैं उसके सास सुसुर और उसका पती बैठकर इंतिजार कर रहे थे
14:35बहु, तेरी मा ने तुझे खाना बनाना नहीं सिखाया था क्या? इतना बक्त लगता है भला खाना बनाने में
14:42मा जी, आपको जो मुझे कहना है सो कह लेजिए, लेकिन मेरे माई के वालों के बारे में कुछ भी कहने के जरूरत नहीं है
14:50और हाँ, मैं आपके जानकारी के लिए बता दूँ कि खाना मेरी वज़ज़ से लेट नहीं बना है
14:57वो तो आपके चूले की वज़ज़ से लेट से बना है
15:00आपका चूला इतना धीरे-धीरे जलता है कि पूछो ही मत
15:05अरे ये मेरे चूले के बारे में उल्ता सुल्ता कह रही है
15:12और तू क्या है है कर रहा है
15:15अरे तो इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात है
15:20बहुत सही ही तो कह रही है
15:22तुम्हारा चूला बहुत पुराना हो चुका है
15:25हम तो उसे कई बार रिपैर भी करवा चुके हैं
15:29अब तुम अपना चूला स्टोर में रखवा दो
15:32खेर ये तो रोज का था
15:35कभी न कभी सास बहु में
15:37चूले को लेकर लडाया होती ही रहती थी
15:40ऐसे ही एक दिन
15:42अरे बेटा क्या तुम मेरे लिए एक कप चाए बना दोगी
15:47हारे हाँ हाँ पिता जी आप ऐसा क्यों कह रहे हैं
15:51मैं आपके लिए चाए भी बना कर लाती हूँ
15:54आपको तो मुझे और्डर देना चाहिए
15:57लेकिन आप तो मायूस होकर मिसे चाए बनाने के लिए बोल रहे हो
16:01मैं आपके लिए ही क्या
16:03पूरे परिवार के लिए चाए बना देती हूँ
16:06आप माजी को नीचे बुला लीजिए
16:08तब तक मैं चाए बना कर लाती हूँ
16:10इसके बाद मोना रसोई में गई
16:13पतीले को चूले पर रहकर गेस जलाने लगी
16:17लाग कोशिश करने के बाद भी चूला जलने का नाम ही नहीं ले रहा था
16:22तब ही किचन से गेस की महक आने लगी
16:26लगता है सासु मा के चूले से गेस लिख हो रहा है
16:30कभी कभी तुम मन करता है इसे उठा कर ले जाकर कच्रे में फैक दू
16:34इतने में ही मोना की सास वहाँ पर टपक पड़ी
16:39क्या कहा तुने मेरे चुले को ले जाकर कच्रे में फैकेगी
16:45अगली बार से धियां रखना मेरे चुले के बारे में अगर तुमने ऐसी बात कही न
17:00आईए इसमें मैं क्या करूँ, आप ही महक कर देखिये, पूरे किचन से गेस की महका रही है, उन दोनों की आवाज सुनकर, मोना का ससर वहां पर आए, अरे क्या हो गया भाग्यवान, तुम दोनों बच्चों की तरह क्यों लड़ रही हूँ, आजी देखिये न, आपकी बहु
17:30कैस चलने का नाम ही ने ले रहा है, तो बताएए मैं क्या करूँ, मैं अभी इस चूले को ले जाकर स्टोरूम में रख देती हूँ, और यहाँ पर अपना वाला चूला लगा लेती हूँ, अच्छा, तो ये चूला पुराना हो चुका है, आरे अब मैं भी तो पुरानी हो �
18:00कुछ दिनों तक तो ऐसा ही चलता रहा, मगर एक दिन, मैं खाना केसे बनाओं, ये भगवान, मैं कहां के फस गई, लो, अब फिर से ये चूला जलने का नाम नहीं ले रहा, ये भगवान, एक घंडा तो मेरा ऐसे ही चूले को जलाने में निकल जाता है, ऐसे ही चूले को ज
18:30पती ने उसे आवाज लगाई, मोना, मोना, अरे कहा हो भई, अपने पती की आवाज सुनकर, मोना किचन से बाहर आई, जी, आपने भुलाया मुझे, आरे हाँ हाँ भाग्यवान, कल सुबह मुझे अपिस जल्दी पहुचना है, और रात के दस बज गे हैं, मगर अभी तक �
19:00जल्ने का नाम ही नहीं ले रहा, और मेरा नया चूला, स्टूरूरूम में रखा हुआ है, मैंने कितनी बार कहा है, कि माजी, आपका चूला पूराना हो चुका है, आप इसे हटा कर मेरा वाला चूला लगने दीजिए, लेकिन वो हैं, कि मानने का ही नाम नहीं लेती, अब �
19:30चलने लगा खासकर मेरा चूला आरे जब तुम लोगों को मुझसे और मेरे चूले से इतनी ज्यादा प्रोब्लम है तो मैं ही अपने चूले के लेकर इस घर से बाहर निकल जाती हूं
19:41आरे मा अप एक चूले को लेकर इतना क्यों हाइपर हो रही हो आरे नहीं नहीं बेटा तुम लोग मेरे लिए कश्ट क्यों उठा रहे हो मैं ही अपने चूले को लेकर इस घर से बाहर निकल जाती हूं फिर तुम लोग अराम से अपने ने चूले पर खाना बनाना फिर तो को�
20:11पुरूमें सजाकर रख देंगे आपका जब जी चाहे आप जाकर उसके दर्शन कर लेना
20:17हे भगवान तुम दोनों जब देखो तब एक चूले को लेकर लड़ाई करती रहती हो
20:27तुम बहु के चूले को रखना नहीं चाहती और बहु तुम्हारे पुराने चूले पर खाना नहीं बनाना चाहती
20:34मैं क्या करूँ तुम दोनों का
20:36मैं तो इस घर से परेशान हो चुका हूँ
20:39सासुमा, ससूर जी
20:41आगे से इस बात को लेकर कोई लडाई नहीं होगी
20:44मैं उसी चुले पर खाना बना लिया करूँगी
20:47देखा बहू, आखिर जीत मेरी और मेरे चुले की ही हुई
20:52इसलिए मैं कहती हूँ, मुझसे पंगा मत लिया करो
20:56इसके बाद मोना किचन में आकर
20:59फिर से उस खटारे चुले को जलाने की कोशिश करने लगी
21:03काफे देर कोशिश करने की बाद भी
21:06वा चुला नहीं जला
21:08मगर उस चुले से गैस लीक होने की कारण
21:10उस किचन में आग पकड़ लेता है
21:13और मोना की साड़े जलने लगती है
21:16ओ, आग, मनोश, पिता जी, मचाईया मोझे
21:20किचन में आग लग गया है, माह
21:23मोना की आवाज सुनते ही
21:26उसका पते बालती में पाने लेकर
21:29भागते हुए उसके पास गया
21:31और जैसे तैसे करके
21:33उसने आग को बज़ा दिया
21:35इसके बाद मोना की हारत
21:36बहुत कंभीर हो गई
21:38वो लोग उसे ले जाकर
21:40अस्पताल में भरती कर देते हैं
21:43कुछ देर की इलाज के बाद
21:44मोना डिस्चार्ज होकर घर आई
21:47पढ़ गई न तुम्हारे कलेजो को ठंडक
21:49ये तो अच्छा हुआ
21:51कि वक्त पर मनोज ने आग को बुझा दिया
21:53नहीं तो पता नहीं क्या हो जाता
21:56आरे मम्ता
21:57अब तो कम से कम सुधर जाओ
21:59या फिर बहु को उपर ही पहुचा कर मानोगी
22:02बहु
22:04मुझे माफ कर दे
22:05मुझे अपने चुले को लेकर
22:07कुछ जादा ही एहिंकार हो गया था
22:09आज जो हादसा तेरे साथ हुआ है
22:12वो कल को मेरे साथ भी हो सकता है
22:14मुझे माफ कर दे बेटा
22:16मुझे एक चुले को लेकर
22:19ऐसी जिद नहीं पकरनी चाहिए थी
22:21किसी के जिंदगी के साथ
22:23खिलवार करने का
22:25मेरा कोई अथिकार नहीं है
22:26मनोज बेटा
22:28तुए मेरा चुलार स्टोरू में रखदे
22:31और बहु का नया चुला
22:32किच्छन में लगा दे
22:34इसके बाद मनोज ने
22:37अपने मा का चुला
22:38स्टोरू में रखदिया
22:40और नया वाला चुला किचिन में लगा दिया
22:43अब उन सास बहों में कभे वे नय और पुराने चुले को लेकर कभे वे लड़ाई नहीं होती
22:49पर ऐसे वे सभी एक शाथ हसी खुशी रहने लगे
22:53आप सभी दर्शुकों से एक जरूरी बात
22:56आप में से 99% लोग ऐसे हैं जो हमारी वीडियोस को तो देखते हैं
23:02मगर हमारी वीडियोस को लाइक और चैनल को सब्सक्राइब नहीं करते
23:05तो आप सभी से हमारी एक विंती है कि आप हमारी वीडियोस को लाइक और चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें
23:12आपका धन्यवाद