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  • 3 days ago

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00:00प्रणावाचर जी, मेरा पहला सत्र है, मतलब ऐसे फेस टू फेस,
00:10सत्र में आपने एक उक्ती बोली कि जो जितना सेंटिमेंट्स पे चलेगा, उसको जीवन में उतना ही ज्यादा उल्जन होगी या कुछला जाएगा, कुछ अपने इस तरह से इस्तेमाल होगी,
00:25मुझे दो साल होगे सर, सत्रो में, मतलब जब तक सत्रो में नहीं था, जो चल रहा था, ऐसा लगता था कि जैसे परिवार में, सब भावनाओं पे चल रहा है, सब अच्छा चल रहा है, नौकरी में भी जैसा चल रहा था, उसमें भी ऐसा लगता था कि करियर में ग्रो कर रहा
00:55गरवालों के साथ या दोस्तों के साथ कहीं घूमने चले जाओ, कहीं पार्टी में चले जाओmand तो सब ऐसा लगता था कि ये तो आन वो सब ऐसा ही है भावनात्मक था
01:06तो सब नौर्माल लगता था उसके बाद जैसे जैसे सत्रों में आया तो ओल्ड गीता को समाजना सुरू किया
01:16bu आब एसा हो गया है कि मतलब जैसे जैसे सत्र है मतलब दिन गुजर्टे जा रहे हैं 253 लगल्स ayam
01:24तो अब तो जो अंदर द्वन्द है वो बढ़ता ही जा रहा है मतलब दिन प्रती दिन जैसे जहां पहले घूमने जाते थे वहां सब नॉर्मल नॉर्मल लगता था सब ग्लिटरी सब शाइनी अब वहां जाते हैं तो मतलब बहुत पता नहीं कॉन्फिक्ट होता है ऐसे घर मे
01:54मतलब कहां फस गए तो जिन्दकी के जिस भी वॉक में जाओ उसमें ऐसा लगता है कि कॉन्फिक्ट है एक जैसे एक ठोड़ा सा एक कॉर्परेट में काम करता हूं तो लिंक दिन पे जाता हूं तो लिंक दिन पे सब कुछ ऐसा लगता था पहले चनेरल एक एक आपजरबे�
02:24कि यार लगता है कि यह मतलूनब दो कियो जैसे साध में जा रहा हूं जैसे सत्र जैसे जैसे आगे जा रहे हैं जैसे जैसे
02:32आगे बढ़ता जा रहा हूं को हर जगह conflict है उन्दर भौत एस健še दोंद कि इसवा क्यों क्यों है यह वैसा क्यों है
02:40तो इस शत्र में अपने उकती बोली के भावनाओं से चलेंगे तो उल्जन होगी तो यहां तो यहां तो जैसे जैसे सत्रों में जाए टाइम गुजरता जा रहा है तो ऐसा लग रहा है कि यह खतम काये नहीं होता भी
02:58तो यह पता है अब लोकन है सवाल है पर यह दो अंद मतलब बढ़ता ही जा रहा है से पहानी है एक अंस के बच्चे की चंडा इधर उधर हो गया था तो कवों के बीच में पहुंच गया उसका तो पैदे हुआ कवों के बीच में बीच में तो वह अपने आपको
03:27कवों ही माने यह सब करे उसको उल्चंज रही आए कि मैं इनके जैसा हूँ नहीं पर अब परवरिश है संसकार है समाज है सब वैसे ही हैं वहीं पे उसने अपना घर भी बसा लिया है सब कर लिया है कवों के बीच में
03:43कहानी कहती है कि एक दिन उसको राजहंस मिल गया राजहंस कुछ होता नहीं
03:51राजहंस ने उड़के दिखाया का देखो यह होती है एक हंस की उड़ान गरिमा देखो भवेता देखो और वह होती है कवे की उड़ान यह होती है हंस की आवाज
04:12और वो होती है कववेगी काउं काउं
04:14और ये जो हंस था इसको
04:19बात समझ में आने लगी
04:22कि हाँ मैं कववा तो नहीं हूँ
04:27हंस हूँ
04:29राज हंस अपना आगे उड़ गया
04:32उसको तो अपना पूरी दुनिया
04:35ये हंसों को चेताना था
04:38वो चला गया
04:38अब ये जो हंस है ये अभी भी
04:44कवों के बीच में ही भूँ रहा है
04:45उन्हीं के साथ खाता पीता है
04:47उन्हीं के साथ काउं काउं करता है
04:53उन्हीं की नौकरी करता है
04:55उन्हीं में पार्टी करता है
05:00क्या रहा है कि बेचैनी बढ़ती जा रही है
05:04द्वंद बहुत हो गया है
05:05तो क्या करें
05:07कह रहे हो
05:10पहले जिन जगों पर जाते थे
05:12तो नॉर्मल लगता था
05:13अब उन जगों पर जाते हैं
05:14तो द्वंद हो जाता है
05:15तो उन जगों पर आप जाते क्यों हो
05:17क्यों जाते हो
05:22क्या करने जाते हो
05:22तो पहले वहां जाते थे, क्योंकि पुरानी आदतें थी अंधेरा था, अब अगर समझ में आ रही है ये बात, तो नई जगहें जीवन में क्यों नहीं लेकिया है, कि इंद्र नया कैसे हो पाएगा, अगर आदतें, तरीके, व्यवहार सब पुराना ही रखोगे, तो कितनी ब
05:52भीतर ही भीतर हो जाए, बाहर किसी हो खबर नहीं लगनी चाहिए, भीतर बदल जाओगे, भाहर खबर नहीं लगने दोगे, तो ऐसी बात होगी, कि भीतर से तुम हो गए हो छे फुट के, और बाहर को खबर नहीं लगनी दी, तो बाहर की जो शर्ट है, वो पांच फुट �
06:22ना बदलूँ तो आप अपने लिए फिर एक भीतरी कंफ्लिक्ट द्वंद घर्शन तयार कर रहे हो
06:31क्या डर है अब ये पूछो क्यों बाहर बदलाव नहीं आने दे रहे
06:38दुनिया में जाने के लिए घूमने के लिए वही जगह हैं जहां पहले जाते थे
06:44मिलने जुलने के लिए वही लोग हैं सिर्फ जिन से पहले मिलते थे भीतर अगर कुछ बदला है तो बाहर बदलने दोना
06:51ये एक बात और इसी से दूसरी बात भी पता चलती है जिसकी हम कल चर्चा कर रहे थे
07:01कि अगर आप तक गीता पहुंची है तो औरों तक पहुंचा हो नहीं तो ऐसे ही अकेले रह जाओगे
07:11कि किससे बात करूँ पुराने लोगों से बात करी नहीं जाती और नया बात करने वाला कोई है नहीं
07:17पुरानों से बात करो
07:22तो उब होती है
07:23और नया मैंने कोई तयार ही नहीं करा
07:27मैं जिस से बात करूँ
07:28तो हमारे पास भी
07:31कम्यूनिटी पर बहुत चतुर चतुर लोग बैठे हैं
07:35वो कहरें चुपचाप मैं अपना भीतर भीतर कर लूँगा
07:37किसी को पता ही नहीं लगने दूँगा
07:39ना बाहर कोई बदलाव आने दूँगा
07:42ना बाहर किसी तक गीता पहुचाऊंगा
07:44पहली बात तो अपनी जिन्दगी में बाहर में कोई बदलाव
07:47आने नहीं दूँगा
07:49और दूसरा बाहर की दुनिया में किसी तक गीता मैं
07:51पहुचाओंगा नहीं
07:53मैं तो बस
07:54अपना भीतरी
07:57व्यक्तिगत उत्थान
07:59देख रहा हूँ
08:00मुझे मिल गई न गीता
08:02मैं सीख रहा हूँ, मैं बढ़ियां हो गया हूँ
08:04मैं बहतर हो गया हूँ
08:06ऐसे नहीं चलेगा, जो बहतर हो गया है
08:08उसे अब दुनिया भेतर बनानी पड़ेगी
08:10और ये कोई कर्तवे की बात नहीं
08:13ये नियम है
08:14तुम्हें भीतर कुछ मिल गया है
08:17और वो बाहर नहीं जाएगा
08:19तुम्हारी हालत खराब हो जाएगी
08:22आपको दिखाई निक पड़ रहा था साफ साफ
08:28आखों में मान लीजिए कुछ था
08:31और आप जहां बैठे हैं
08:32वहां भी अंधेरा था
08:33आप कचरा खा रहे थे
08:37गंदा खाना
08:37मौज में खा लोगे कि नहीं खा लोगे
08:40बो
08:41खा लोगे मौज में नहीं खा लोगे
08:44बस बद्बू नहीं आनी चाहिए
08:45बद्बू नहीं आ रही कोई खूँ मसाला वसाला डाल दिया है
08:48लेकिन खाना बिलकुल कच्रा है
08:50पर अपने बाद आख भी नहीं थी
08:53और प्रकाश भी नहीं था
08:54तो मस्त खा रहे थे
08:55अब अगर प्रकाश
08:58आ गया
09:00और आखें भी थोड़ा खुल गई
09:03तो वो खाना खाने में अब दौन्द होगा ना
09:06अब बुरा लगेगा
09:08तो अब दिम्मेदारी आ गई अपने उपर क्या
09:11जब साफ खाना तलाश हो
09:14भीतर बदलाव आया है
09:17तो बाहर भी बदलाव तलाश हो
09:19ये कोई
09:27शरीर की चिकित्सा नहीं हो रही है
09:30कि आप वो आपको समस्यत ही और आपका शरीर ठीक कर दिया जाएगा
09:34और आपका शरीर ठीक हो सकता है भले ही आपके घरवालों का शरीर खराब रहे
09:39बिल्कुल हो सकता है ना
09:40आपकी सेहत बिल्कुल बहतर करी जा सकती है
09:45आपके घरवालों की सेहत को ठीक करे बिना भी
09:49पर आपकी मानसिक हालत आपकी आध्यात्मिक प्रगते
09:58बाधित हो जाएगी अगर आप अपने बाहर के महौल को बहतर नहीं बनाओगे
10:04आप भीतर से ठीक नहीं हो पाओगे अटक जाओगे किसी जगह पे आके
10:15मैं कल्पना नहीं कर सकता हूँ कि मैं ऐसे लोगों के साथ जी रहा हूँ
10:25खा रहा हूँ ठवैट रहा हूँ
10:27जिनको ग्यान से कोई मतलब भी नहीं है
10:33और ऐसा होगा तो मेरे तो दम घुट जाए
10:42और अगर कभी अपने आपको पाओं कि हाँ कहीं डाली दिया है जेल वेल में
10:49जहां ऐसे ही लोग हैं बाहर भी नहीं निकल सकता
10:52तो फिर मैं कमर कसके उनको पढ़ाने में लग जाऊंगा
10:57मैं कहुंगा अगर इनी के साथ ही अब रहना है तो इनको पढ़ाऊंगा
10:59और नहीं तो फिर
11:06वो पढ़ने को भी नराजी हूँ
11:08और रहना भी वही है तो फिर तो यही करूँगा
11:10कि यह दिवाले हैं
11:12सलाखे हैं
11:14कोशिश करता रहूँगा कोशिश में अब जान
11:16चली जाय तो वही बहतर है
11:17पर इनके साथ जी तो नहीं सकता
11:21आप लोग
11:25ज्यान की जिम्मेदारी उठाने को तयार नहीं हो
11:28आप समझ ही नहीं रहे हो
11:29कि बोध करतब्वे के साथ आता है
11:33अंधेरे में भी करतब्वे रहता है
11:39कामना करतब्वे
11:40और बोध में भी करतब्वे रहता है
11:43करुणा करतब्वे
11:45जो बोध आया है तो अब कर्तव आ गया अब बच्चु भाग नहीं सकते बचकर अब कर्तव आ गया है अब पहुंचाओ सब तक
11:58बदलो दुनिया पहले बदलो अपने ढर्रे फिर बदलो दुनिया
12:09पहुत है न देखो
12:15अद्वैत में सत्य ही भगवान है सत्य ही गौड है ठीक है और यहां रहता है बाहर वाला भगवान कुछ नहीं भगवान यह है यहीं है ठीक है और अद्वैत का मतलब होता है कि तुम भी भगवान हो जाओ
12:30अद्वयत का तो मतलब यही हुआ ना
12:32दो नहीं
12:34तो मुझसे अलग नहीं
12:36अहंकार कोई आत्मा होना पड़ेगा
12:37और भगवान को हम कहते हैं
12:41परमपिता है उसने सब बनाया है
12:42कहते हैं ना
12:44तो वैसे ही जिस तक
12:47सच्चाई पहुँचने लगती है ना
12:48अब उस पर एक नई दुनिया
12:51बनाने की जिम्मेदारी आ जाती है
12:52जैसे भगवान ने कहते हैं दुनिया बनाई है
12:54उसको भगवान होना पड़ता है
12:57अद्वयत का मतलब यही है अब तो में भगवान होना पड़ेगा
13:00और अगर भगवान को जैसे कहते हो उसमें दुनिया रची है तो अब तुम भी एक नई दुनिया रचो
13:04और तुम चाहते हो कि तुम अपनी पुरानी दुनिया में बैठे रहो तुम बात कैसे बनेगी
13:11अब नई दुनिया रचो
13:14भस गए तुम
13:17यह सब मैं बताता नहीं हो शुरुआत में
13:21शुरू में तो लगता है ऐसे ही है आजाओ बढ़ियां कुछ हैसे ही थोड़ा बहुत कुछ करके अपना चल जाएगा
13:30यह तो मैं दो साल बात बताता हूं कि
13:33अब किस करताओ में डाल दिया है तुमको
13:38अरे सब नहीं लोगों ने सुन लिया होगा तुम्हीं उच्चतम हो कम से कम संभावना ने तुम्हीं अगर उच्चतम हो तो अब उच्चतम का दाइत तो भी निभावना
14:04तुम्हें किसका डर
14:08करो करके दिखाओ
14:11यही बात तो मुझे
14:14जीत गई थी
14:16गज़ा हो गया
14:19यह है दर्शन
14:21जो कहता है तुम ही हो
14:25सारी बात उठा के मेरे उपर डाल दी
14:27तुम ही हो तो करने वाले भी
14:34तुम ही हो
14:35अब यह थोड़ी होगा कि हम तो जाते हैं
14:39वहां बस ऐसे ही
14:40चौपाटी पर गए थे
14:42छोड़ी चाट खाकर आ गए
14:45पर अब अच्छा नहीं लगता
14:48तुम्हें इस लाया की नहीं छोड़ा है
14:53मैंने कि तुम्हें अभी चोटी टुची चीज़ें अच्छी लगें
14:57तुम्हें समझ में क्यों नहीं आ रहा है
15:00आइविल लीव यू इनकेपिबल ऑफ पिटिनेस
15:03तुम चाहोगे भी
15:06तो टुच्चे यह तुम्हें पसंदब नहीं आएगी
15:09यह खत्रा है मेरे साथ रहने का थंस बन रहे हो यह आनंद की बात है या ऐसे कैसे मजबूरी का चाहरा क्या बताए का आँ भस गए
15:36जैसा चेहरा बनाओगा तो मैं मझे लूँगा मैं कूँगा ठीक है भस गए तो भाग जाओ
15:45और मुझे पता अब भाग सकते नहीं
15:48भाग सकते हो तो भाग क्या दिखा दो
15:56जिने भागना हो तो पहले मेने भाग जाते
16:06मालूम है हर महीने जो भागते हैं उसमें से बहुत
16:10ज्यादा है एक तम ही ज्यादा वही रहते हैं जिनके गीता
16:14सत्रों में एक दो महीने वह होते हैं
16:16दो तरह के लोग भागते हैं एक जन्होंने कोई सत्र
16:22नहीं करा, एक जिन्होंने सारे सतर करें और समझ में आ गया कि
16:27बात निकलेगी तो फिर दूर ता लग जाएगी
16:33अब कुछ नहीं कर सकते, अब नई दुनिया रचो, मेरे साथ लगो
16:53वही धुमिल की बात हो रही थी नँ
17:13पुरानी आदते हैं औपुरानी सीमाएं अब इनसे कोई काम नहीं
17:18कर दो

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