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00:00तिर्फ मलाग की बात नहीं है और अगर ये हो रहा है तो ये मत कहिए कि पैट्रियार्की महिलाओं पर पुरुषों ने थोपी है
00:06महिलाओं का भी स्वारत है
00:07अभी फिल्म आई थी अनिमल वह बहुत अच्छी लगी उसमें जो इस्तरी पुरुष का रिष्टा था पूरा जंगल का था नामी अनिमल जब तक इस्तरी देह बनी हुई है तब तक पैट्रियार्की चलेगी
00:18मैंनी कहरा देह त्याग दो कि यह देह थी और इसको त्याग दिया यह त्यागी नहीं जाती देह को इसकी जगह पर रखा जाता है हर चीज की आउकात होती है रात में जब समय हो जाता है नौ बजे के बाद तो मुझे लगता है कि इस समय के बाद मुझे घर पे होना चाहि
00:48करेगा कूल में तो बोल रहा है पहले थैंट में मह्नत करके टॉब करूंगा फिर मैं तो बहुत महनत से इंट्रेंस एंटरेंस बास कर ओम तो चाई में थोड़ Soo 정 happiest के लिए अमีरेका जाएं गा फिर मैं
01:01फिर में इस्टैबलिश हो जाओंगा, फिर में घर बनाऊंगा, मैं यह सब करूँगा
01:04यह बता बता है यह तो बता तू क्या करेगी
01:09तू इतना कुछ करेगा तू मैं तू इससे शादी करूगी
01:12नमस्दे आचारेजी
01:20मेरा नाम चवी है
01:22मेरा प्रश्च यह है
01:24कि जो पैट्रियार्की है
01:27मुझे पहले लगता था कि वो समस्या है
01:30पर दीरे दीरे पता चल रहा है कि जो बंधन है
01:33वो मेरे मन में है
01:34और जब मैं उसको तोड़ने की कोशिश करती हूँ
01:38तो बहुत ज़ादे विरोध आता है
01:39जैसे कि रात में जब समय हो जाता है
01:42नौ बजे के बाद तो मुझे लगता है कि
01:45इस समय के बाद मुझे घर पे होना चाहिए
01:47तो जब एक सर्टेन टाइम हो जाता है
01:49तो अंदर से ही मन में विरोध आने लगता है
01:52इवन मेरे पैरंट्स कुछ नहीं कह रहे हैं
01:54बहार से कोई रोक नहीं रहा है
01:56और यह चीज में भूर मेरी मेर्ण कोशिश करती हूँ
02:16तो मेरी में समस्य धा Вид ॥ए उप्रे और मेरी कोशिश करती है
02:24और मैं कोशिश करते हूं कि मैं एक संस्कारी लड़की की तरह बिहेव करूं चुप रहा हूं जादे ना बोलूं लोगों के सामने ना आउं यह मेरी में समस्या है
02:35यह पैक्ट्रियार्की आपने दो तीन बार कहा पैक्ट्रियार्की क्या चीज़ है यह तो विचारधारा नहीं है
02:49कि आप बोलें पै्ट्रियार्की मैट्रियार्की अलग अलगतर है कि विचार धारा है
02:54जैसे पुझी वाद सामे वाद ये इज्म वो इज्म ये वो नहीं है
03:03मुल्तः पैट्रियार्की देह भाव है
03:10मैं कौन हूँ? मैं शरीर हूँ
03:17ठीक वैसे जैसे जानवर एक शरीर होता है
03:20जानवर से आप पुझें अपनी पहचान बताओ तो कहेगा जैसा दिख रहा हूँ वैसा हूँ
03:26खरगोश जैसा दिख रहा हूँ तो खरगोशी हूँ
03:29और दो खरगोश बहुत अलग-अलग नहीं हो सकते
03:32आपको कोई पापी और कोई पुझे अत्मा खरगोश नहीं मिलेगा
03:36कोई आपको जिराफ ऐसा नहीं मिलेगा जो कहे के
03:42मेरी गर्दन भले ही टंगी हुई है पर मैं भीतर से बहुत नमित हूँ
03:47जिराफ जिराफ एक जैसा होता है क्योंकि दोनों का शरीर एक जैसा होता है
03:52शेर और शेर एक जैसे होते हैं क्योंकि दोनों का शरीर एक जैसा होता है
03:55ये देह भाव है, देह भाव का मतलब होता है
03:58मेरी पूरी पहचान, मेरी हस्ती, मेरी जिंदगी, मेरा व्योहार, मेरी सोच, मेरे संबंध
04:04सब कुछ मेरी देह से निर्धारित होंगे, देह ही सब कुछ है
04:08प्रकृति ने अगर शेर की देह को संसकारित कर दिया है
04:14कि तू मास ही खाएगा तो आप उसको मास के अलावा कुछ नहीं खिला सकते, संभवी नहीं है, देह भाव हो, जो मेरी देह कह रही है, उसके अलावा मैं कुछ नहीं करूँगा,
04:28गायों को ब्रिटेन में उनके भूसे चारे में मिला करके मास खिला दिया गया, वहाँ इतना ज्यादा मास भक्षण होता है, कि कई बार जो मास के अवशिष्ट रह जाते हैं, रिमेंस, आफल जिसको आप बोलो, वो भूसे चारे से सस्ता पड़ जाता है,
04:56तो उन्होंने उसे मिला दिया, पर उन्होंने गायों को खिला दिया, जो मैट काउ डिजीज थी, उसमें उसका बड़ा योगदान था, क्योंकि गायों के शरीर ने उस मास को सुईकारी नहीं करा, उनको धोखा दे करके खिला तो दिया मास, पर उनके शरीर ने मास को सुई
05:26पिया उनी गायों का मास खाया
05:27तो मुनिश्यों में भी फैल गई
05:29कहने का मतलब यह है कि
05:30पशुओं में देह ही
05:33सब कुछ होती है
05:34बंदर के बच्चे को सिखाना नहीं
05:39पड़ता कि चलो एक टहनी
05:41को पकड़ के पूछ जाओ
05:43दूसरी टहनी पे जूल जाओ
05:44उसे पता है
05:45यह उसकी प्रक्रती है
05:49खरगोश के छोटे छोटे बच्चे
05:52पैदा होते हैं
05:54मैंने इतने इतने देखे हैं से
05:55हथेली पे इसको रख लो
05:56और जरा सी
05:59अगर सरसराहट की आवाज हो
06:02तो तुरंट अपने कान खड़े कर लेता है
06:04इसको किसने सिखाया यह
06:05क्योंकि वो सरसराहट की आवाज का संबंध
06:09तुरंट किस से लगाता है
06:11साप से और साप खरगोशों का बड़ा दुश्मन होता है
06:14अब वो
06:16चार दिन पुराना खरगोश है
06:18भी चार दिन पहले पैदा हुआ है
06:19लेकिन उसके पास ऐसे उसको यहाँ पर रखा हुआ है
06:22मैंने हथे लीप है मैं बोलू
06:23तुरंट उसके कान खड़े हो जाएंगे
06:25मैं उससे और कुछ बोलू
06:26काखा गांगा आहम रहम आसमी
06:29मजा लेकि सुने
06:33लेकिन उस पूरा का पूरा देहा है
06:38जैसे ही उसको बोला
06:39कौन है किधर जाए
06:42यह देह भाव हो
06:46चेतना से कोई मतलब भी नहीं
06:49तो मुझे मंत्र सुनाओ
06:50श्लोक सुनाओ
06:51दोहा सुनाओ
06:52मैं कान नहीं धरूँगा
06:54पर जैसे ही तुम बोलोगे
06:55वैसे ही तुरंट मैं जग जाओंगा
06:58यह देह भाव है
06:59अपने आपको चेतना न मानना
07:02मात्र देह मानना
07:04खरगोश को आप कितने मंत्र सुना लो
07:06कान तो उसके
07:08परी खड़े होते हैं
07:10शेर को आप एक से
07:12एक रसीले
07:13रंगदार
07:15त्वादिष्ट फल दिखा दो
07:17ऐसे ताजे ताजे
07:20महेंगे फल
07:20जैसे आता है ना 500 रुपए का एक आम
07:23जो एक्सपोर्ट होता है
07:26वो आप शेर को दिखाओ
07:27बोलो यह देखना है तो यह
07:29अलफॉन्सो पाथ सुर रुपए का एक
07:32हजार रुपए का एक
07:34खेर असर
07:34बोले यह आम तो ठीक है
07:37पर जिस हाथ में आम पकड़ा हुआ है
07:40उस हाथ की तारीश में क्या कहूँ
07:44हूँ
07:45सिफ गबर थोड़ी
07:47बोलता है कि ठाकर यह हाथ मुझे दे दे
07:50तो बोले फिर शेर करेगा मैंने भी देखी
07:54बात समझ भी आ रही है
07:57तुम मुझे कोई भी उची से उची
07:59चीज देते रहो मैं तो वही करूँगा
08:02जो मेरी देह कहती है
08:04अच्छा मास में जो पोशक तत्तो होते हैं
08:11जो शेर का शरीर लेता है आप वो सब भी निकाल लो
08:13और उनको किसी और रूप में शेर को दो
08:17शेर वो भी नहीं लेगा
08:18मुश्किल होगा आप उसकी पैलेट्स वगयरा बना के शेर को देना चाहो
08:23और उसके साथ में आप मास रख दो
08:26तो शेर वरीता किसको देगा हो?
08:29मास को देगा
08:30क्यांका मास बहतर है
08:31कुछ नह मिले तो फिर गोली गाली खा लेंगे
08:33यह है देह भाव
08:37और यही देह भाव
08:39जब स्त्री पुरुष तंबंधों में आ जाता है
08:42तो इसको पैट्रियार की कहते है
08:44तू सिर्फ और सिर्फ
08:48त्री शरीर है
08:50तू और कुछ नहीं है
08:52मैं सिर्फ और सिर्फ
08:54पुरुष शरीर हूँ
08:55मैं और कुछ नहीं हूँ
08:56तू भी जानवर मैं भी जानवर
08:59हम दोनों का रिष्टा भी पशुता का
09:01ये पैट्रियार्की
09:03तू भी दे मैं भी दे
09:07और हम दोनों जानवर हमारा रिष्टा भी
09:09जैसे जानवर जानवर
09:10अब जब दोनों की देहें की बारी आती है
09:18तो एक की देह एक तरह की दूसरे की देह दूसरे तरह की इस्त्री पुरुष की एक सी तो होती नहीं
09:25और चुके हम दोनों देह हैं तो इसी लिए हम दोनों कि सब कामों का करतव्यों का सीमाओं का निर्धारन हो जाएगा हमारी देह के हिसाब से
09:35तो अब इस्तिरी के देह में कोक होती है
09:38और इस्तिरी सिर्फ देह है
09:40इस्तिरी तो सिर्फ देह
09:41देह भावी है यह न इस्तिरी सिर्फ देह
09:44और इस्तिरी के पास ही कैसी चीज़ पुरुष के पास नहीं है
09:46क्या गर्ब
09:47तो इस्त्री के पूरे जीवन का निधारण हम किस्से कर देंगे?
09:51उसके गर्व से
09:52तो हम इस्त्री को बोलेंगे
09:54तू बहुत अच्छी मा बन
09:55तू देश के लिए
09:57वीर सपूत जन
09:58उसको हम यह नहीं बोलेंगे
10:01तू सोयम वीरांगना है
10:02हम उसको बोलेंगे
10:03तेरा काम है देश के लिए
10:05वीरो को जनना
10:06और उनका सही पालन पोशन करना
10:08ठीक है न?
10:11तू किसी की भार्या है
10:13तू किसी की पत्नी है
10:14मनुष्य है नहीं
10:16तू क्या है? पत्नी है
10:18क्योंकि तू क्या है? देह है
10:20और जैसे तेरे पास एक चीज़ आतिरिक्थ है जो पुरुश के पास नहीं गर्ब, वैसे ही तेरे पास एक चीज़ की कमी भी है, क्या?
10:26बहुबल, बहुबल, तेरा ये जो है, ये पुरुष की तुलना में दरा कमजोर है, तेरा कद भी थोड़ा छोटा है, तेरा चोड़ाई भी थोड़ी कम है, और मनुष्य बहुत समय तक, बहुत समय तक नहीं 99.9 प्रतिशत समय अपने विकास की, करम में, जंगल में ही रहा है
10:56पहले वो जीव विकसित होना शुरू हुआ जिसको आज हम अनुष्य बोलते हैं हजार घंटे पहले तो उसको सब भी हुए तो मुश्किल से कुछ मिनट बीते होंगे या शायद कुछ सेकेंड अपने अपनी विकास की पूरी प्रक्रिया में हम अधिकांचे तह जंगल में र
11:26अब आप जंगल में हो चाहिए आप खेती करते हो दोनों में ही उर्जा चाहिए बल चाहिए पावर चाहिए कि नहीं तहां से आएगा
11:37आपके पास कोई फॉसिल फ्यूल तो था नहीं कि कोईला जला करके उर्जा मिल जाएगी
11:45आपके पास electricity भी नहीं थी
11:48ये भी नहीं था कि जरना गिर रहा है
11:51और जरने से हम जाए हाइडल निकाल लेंगे
11:53और ये सब है, कुछ नहीं था
11:54कोई तरीका था, यही था
11:57और इसके बाद क्या था
11:59कि घोड़े को पकड़ लो, बैल को पकड़ लो
12:01उट को पकड़ लो, उनको पकड़ने
12:03के लिए भी क्या चाहिए
12:04तो energy का सरोत तो यही था ना
12:07muscular energy
12:08ये
12:09और ये इस तरीके पास
12:12कम है, और वो सिर्फ अपनी देह है
12:14और उसके पास ये कम है
12:16पुरुष के पास जादा है, तो इस तरी
12:18घर में बैठेगी पुरुष बाहर के काम करेगा
12:20क्योंकि बाहर का काम है ही क्या, ये
12:22बाहर कोई
12:24आज से दसजार साल पहले आप
12:26coding करने तो जाते नहीं थे
12:27या बाहर जाकर के आप
12:29software development करते थे
12:31बाहर जो करने जाते थे
12:34उसमें तो ये ही लगेगा, तो इस तरी कहां से करे, ये तो उसके पास
12:38कम है, और एक चीज़ उसके पास
12:40ज्यादा है, गर्भ
12:42और उसको भी सुरक्षा चाहिए होती है
12:44जब वो गर्भिड़ी होती है
12:46mortality rate, child mortality rate
12:48बहुत ज्यादा है, तो उसे बार बार
12:50pregnant होना पड़ेगा, क्योंकि बच्चे पैदा होते हैं
12:52तो माम तरह की बीमारियों से मर जाते हैं
12:54तो कुछ बच्चे भी जिन्दा रहें, इसके लिए इस तरी कम से कम
12:56दस बच्चे पैदा करें
12:57जब दस बच्चे पैदा करेंगी तो वो लगभग
13:00लगातार गर्भ होती रहेगी
13:02या फिर छोटे-छोटे बच्चे होंगे, उनका ख्याल रखना होगा घर में
13:06कोई ज़्यादा तर तो बीमार पड़े होंगे वो बच्चे
13:08उस समय कोई vaccination तो था नहीं
13:10ना और किसी तरीकी की कोई medical care थी
13:12पांच पैदा होते थे तो दो-तीन तो मरी जाते थे
13:16तो उसको बैठा दिया घर में क्योंकि वो सिर्फ क्या है?
13:20गर्भ है
13:21तेरा काम किसे संबंदे था? गर्भ यानि बच्चों से संबंदे था
13:24वो तु घर में देख
13:25पुरुष क्या है?
13:26तो तू बाहर और बाहर वाले काम कर
13:31क्योंकि हम दोनों क्या है देय है
13:33हम दोनों देय है
13:34पुरुष को भी अनुमती नहीं है उसमें
13:37कि पुरुष कहे कि भाई मुझे ये नहीं होना
13:39मुझे ये होना है
13:40पुरुष को भी अनुमती नहीं है
13:42जिनको ये होना था उनको तो समाज से एक तरह से निकाल दिया गया
13:47उनको बोल दिया गया तुम जाओ जंगल जाओ तुम सन्यासी हो
13:50वो भी पेट्रियार्खी कही हिस्सा है
13:53कि पुरुश अगर होगा
13:56तो पुरुश जैसे होना चाहिए
13:58पित्र सत्ता है भई
13:59अगर तुमको समाज में रहना है तो मर्द की तरह रहो
14:04मर्द का मतलब है केरगिवर, प्रोवाइडर
14:06तुमको अगर बैठके चिंतन मनन करना है
14:10रिशी बनना है, ध्यान लगाना है
14:13तो तुम समाज से बाहर निकलो, चलो जंगल जाओ
14:16ये भी पैट्रियार्की का हिस्सा है
14:18और महिला को तो ये भी नहीं था
14:21कि तुझे अगर चिंतन मरन करना तो समाज से बाहर जा
14:23उसके लिए कोई ऐसी जगह नहीं थी जहां वो जा सके
14:26पुरुष को तो फिर भी कहा गया कि तुझे
14:30जो हमने किरदार सौपा है, जो रोल एसाइन किया है
14:34उस रोल के अलावा अगर तुझे कुछ करना है
14:37तो एक प्रोविजन बना दिया गया
14:38कि उसको हमने बोल दिया सन्यासी या ब्रहमचारी या तपस्वी
14:42और उसको हमने कहा दिया
14:43साहब आप बाहर काई जंगल अंगल जा सकते हैं, वहाँ आप अपना काम करिये।
14:47पर इस्त्री को तो वो छूट भी नहीं मिली।
14:49इस्त्री को कहा कि तेरा जो बाडी डिफाइंड रोल है, वो यही है कि तू बच्चे पैदा गरेगी, तू पैदा ही हुई है बच्चे पैदा गरने के लिए, तू घर में रहेगी।
14:58तो पैट्रियार्की ऐसा नहीं है कि मातर पुरुष द्वारा इस्त्री पर तौपी गई या थोपी गई एक विवस्था है।
15:07वो पशुत्ता से जीने का एक तरीका है, मैं जानवर हूँ।
15:17वो अज्ञान से भरी हुई एक नजर है, कि जिसमें आप जब किसी को देखते हो, तो ऐसे देखते हो कि इसका लिंग क्या है।
15:28ये पैट्रियार्की है। और पैट्रियार्की तिर्फ पुरुष ते इस्त्री की और नहीं बहती है, कि इंपोजिशन नहीं है।
15:35वो इस्त्री द्वारा भी पूरी तरह सुईकार की गई एक बात है। और उसका प्रमाण हमें ये देखने को मिलता है, कि समाज में पित्रसत्ता पैट्रियार्की को चलाने वाली ज्यादा महिलाएं है।
15:47ऐसा नहीं है कि इस्त्री और पूरुष की लडाई है, तो पूरुष एक तरफ इस्त्री याँ एक तरफ और पूरुष कह रहे हैं पैट्रियार्की पैट्रियार्की और महिलाएं कह रहे हैं नो पैट्रियार्की, इंस्टेट मैट्रियार्की, ऐसा कुछ भी नहीं चल रहा
16:17बच्ची थी मेरी, बोलती तुम तो ऐसे ही, तुम्हें कुछ पता ही नहीं, लोग तरह तरह की बाते बना रहे हैं, लिलकी जवान हो गई है, जल्दी से हाथ पी ले करो, ये आम तोर पे मा ही होगी जो बाप को जागर के बोलेगी, बाप के लिए तो हो सकता हो, फिर भी बच
16:47ये भी जब आता है कि दहे जत्या अगरा होई, उसको मिट्टी का तेल डालके जला दिया है, जो भी कर दिया, तो उसमें यही सब जादा लगी होती है, देवरानी, जिठानी, सास, उसमें आम तोर पे ससुर जी कहीं हुका गुड़ा रहे होते हैं, भले ही उन्होंने जितर
17:17होगा कि जैसे नसलवाद जाम कहते हैं, इदा वाइट्स आ ट्राइं टॉमिनेट द ब्लैक्स, फुड़ा अंतर है, समानता भी है पर थोड़ा अंतर भी है, क्योंकि पेट्रियार की ऐसी चीज़ है जिसमें महिलाओं ने भी अपना स्वार्थ पूप देखा है, पेट्रिय
17:47और हम कहरे हैं, पशुको शोभा देता है, मनुष्यको शोभा नहीं देता कि मुझे मेरी देह ने जो बना दिया, मैं वही हूँ, अजीब सी बात है, कि किसी को उसकी देह के हिसाब से ही जान लो, वो बैठे emissions को, तिर्फ देह के حिसाब से आपको बलाऊ तो आपको कैसा रह
18:17सब्सक्राइब यह होगा जब आपको आपकी बॉड़ी से इंटिफाइब किया जाएगा इसा ही तो होगा यह भूरे कैसा लेगा आपको कि अपना कराग रूखे चिकनी
18:33अभी आप हस रहे हैं क्योंकि महाल ऐसा है नहीं तो अपमान लगेगा अपमान लगेगा बात सही है बिलकुल क्योंकि हमारी असली पहचान चेतना है देह नीचे की बात है और जो नीचे की चीज होती है उसमें अपमान लगना लाजमी है आपको आपकी देह से बुलाया जा�
19:03ये किसी के दो दात गिर गए ए ए तीस
19:08ये तरीका है बात करने का
19:14हाँ हम तब बुरा मान जाते हैं किसी के एक आख नो एक काणे तो कहेंगे काणिया बुरा बुरा लग रहा है
19:21उतना ही बुरा तब भी लगना चाहिए अगर कोई आपको दो आख वाला बोले
19:25क्योंकि एक आख हो या दो आख हो आख तो देह है ना
19:28एक आख का बोला तो भी आपको आपकी देह के नाम से पुकारा और दो आख का बोला तो भी आपको देह के नाम से पुकारा
19:35कि हम कहतें पैट्रियार की बुरी बात है लेकिन किसी की अगर तारीफ कर दो तो बहुत अपटी बात है वही मैलाएं जो पैट्रियार की को बुरा बुरा बुला बोलती nearly we
19:49yeah क्या हुसन है कि खुदा ने तुम्हें फुरसत में बनाया है
19:53अभी भी तुम्हें तुम्हारी देह की देखा जा रहा है
20:00वो तुम्हारी कोई चेतना का हुसन तो बता नहीं रहा है
20:04लेकिन क्या मौज आती है
20:07कोई कह दे कि यूनो आम अपैट्रियार्थ
20:11तो बहुत सारी लड़किया महिलाएं होंगी
20:14वेक्दम बिदक जाएंगी कहीं है पैट्रियार्थ उनका
20:16और वहीं उनको बुल दा
20:18वाव
20:20पच्छा डेंटी फिगर
20:22मज आगे वेक्दम खुश हो जाओगे
20:26देह भावा
20:28और अगर देह के इसाब से देखो तो पैट्रियार्थ की बिल्कुल सही है
20:33बिलकुल उनका तर्क भी यही रहता है
20:39वो कहते हैं
20:40क्या अगर महिलाएं
20:42बराबर हैं प�ुरुषों के
20:44तो पुरुषों की तरह महनत वाले काम करे दिखाएं ना
20:47और उनका मेहनत से क्या तात पर रहे होता है पत्थर उठाना वजन उठा के दिखाओ जा सरहत पे लड़के दिखाओ अभी ये अलग बात है कि अभी इसराइल ने इरान पर हमला करा तो उन्होंने जो एफ सोल आफ के 30 भेजे थे उसमें बहुत सारी जो फाइटर पाइलेट �
21:17एक करने वाली थी यून लड़किया थी लेकिन सरहत की बात इस तरीकेसर होती है जैसे सनी देवल वाली लड़ाइघ कि जहां शर्ट वर्ट उतार करके बन्याइन फाढ़ करके तो अबु लड़कियां वो कर नहीं सकती हैं कि बोलें ये जो ढ़ाई किलो का उनका ही नीढ�
21:47जब तक मनुश्य अपने आपको देह मान रहा है, तब तक पैक्ट्रियार्की बिलकुल सही है, आप अपने आपको बॉडी भी मानते हो, और ये भी काऊ साथ-साथ की इक्वालिटी इक्वालिटी, तो बात गलत हो गई, क्योंकि बॉडी तो इक्वाल, है यह नहीं, यहां स�
22:17बच्चा हो और मेरी बात बुरी ना लगे, हो नहीं सकता, और मेरी बात जिसे बुरी लगे, वो बच्चा नहो ये भी नहीं हो सकता,
22:32प्रश्यारी बात, तो एक तरफ तो वो लोग गलत फहमी में हैं, जो इनसान को सिर्फ उसकी देह बनाए हुए है, और दूसरी तरफ वो भी बराबर की गलत फहमी में हैं, जो अपने आपको देह मानते हुए भी एक्वालिटी का राग अलापते हैं,
23:00आम मैं बाड़ी, वो दिन भर अपने आपको बाड़ी की तरह ही सजाती सावारती है, बोलती है बट आइम एन इक्वल चो आल में, मैं बहुत तारकी तरीके से पूछ रहा हूँ, तुम अपने आपको सिर्फ देह मानती हो, तुम हर समय अपनी देह के ख्यालों में ही और द
23:30पैट्रियार्की सिर्फ तब पीछे हटेगी, जब सबसे पहले हमारी चेतना का स्तर उंचा उठे, जब तक पुरुष पुरुष ही बना हुआ है, और महिला महिला ही बनी हुई है, तब तक पैट्रियार्की बिलकुल जायज व्यवस्था है भाई, चलेगी, हमें बुरी ल
24:00आप जा रहे हो बाहर कहीं, बाजार में जा रहे हो, पार्टियों में जा रहे हो, आप खुद इस तरीके से सजबच के जा रहे हो, कि आपका स्तरीट तो और उभर कर आए, पार्टियों आले कपड़े अलग होते हैं और पार्टियों आले कपड़े सारे वही होते हैं जिसम
24:30सुपर सेक्शुलाइज करके जाते हो, जाते हो कि नहीं जाते हो,
24:34अब उसके बाद अगर पुरुष आपको देह की तरह देख रहा है,
24:37तो ये तो आप ही चाहते थे, वो तो आपकी एक्षा पूरी कर रहा है,
24:40पाखण नहीं करना है हमें, जो चीज जैसी हो ऐसे सुईकार करना है,
24:46जब तक इसतरी देह बनी हुई है, तब तक पैट्रियार्खी चलेगी,
24:51मैंने कहारा देह त्याग दो, कि ये देह थी और इसको त्याग दिया,
24:55देह त्यागी नहीं जाती, देह को उसकी जगह पर रख्था जाता है,
24:59हर चीज की आउकात होती है,
25:02तो आपकी प्लेस, हाँ मैं देह हूँ, पर देह वैसे ही है,
25:11जैसे कोई इंस्ट्रूमेंट, मैं अगर कार का ड्राइवर हूँ, तो देह कार है,
25:18वो मेरे उप्योग के लिए है, वो उपकरण है मेरा,
25:24वो मुझे मेरी मंजिल पर ले जाने के लिए है, वो पहचान नहीं है मेरी,
25:27वो सचाई नहीं है मेरी, कार का ड्राइवर इसलिए नहीं होता कि दिन रात कार की सेवा करता रहे,
25:32कार की थोड़ी बहुत सेवा निसंदेह करी जाती है
25:35पर कार का वाजिब उपयोग यह होता है
25:38कि वो आपको आपकी मनजिल तक पहुँचाए
25:40और सेवा भी इसी लिए करी जाती है
25:42और उतनी ही करी जाती है
25:44कि वो आपको आपकी मनजिल तक पहुँचा सके
25:46कैसा लगेगा वो driver
25:48जो कहे मेरा car से रिष्टा ही यही है
25:51कि मैं या तो इसकी
25:53servicing कराता हूँ या फिर refueling
25:55आपके पास एक car है
25:57और उस सिर्फ
25:58दो जगए जाती है या तो service station
26:00या fuel station
26:01तो कैसा लगेगा
26:03पूछे car को लेके कहां गए
26:05तो कहोगे service station
26:07या फिर fuel station
26:09तो कैसी है वो car
26:10जादा तर लोगों के लिए शरीर ऐसा ही होता है
26:12उनका पूरा जीवन बस
26:15शरीर की सेवा में भीता है और शरीर से मेरा आश है
26:17सिर्फ नींद
26:18प्यास भोग आदे नहीं है
26:21भावनाएं भी शरीर है
26:27विचारधाराएं भी शरीर है
26:30जिसको आप बोलते हो
26:31my feelings, my emotions
26:33वो सब भी तो
26:34शरीरिक emissions ही है न
26:38internal emissions
26:39भीतर तमाम तरीके के
26:43hormones, chemicals, उत्सरजित होते रहते हैं
26:45वह ही आपकी feelings बन जाते हैं
26:48जो लोग अपनी feelings के पीछे बहुत चल रहे हैं
26:50वो भी body centered
26:52जीवन ही तो जी रहे हैं न
26:53जो कहते हैं मेरी भावनाएं
26:56मेरे
26:58नाजो कोमल जजबात
27:00don't hurt my feelings
27:02ये सब बाते हैं वो भी तो
27:04पशू ही तो बने हुए है ना पशू वो जो
27:06शरीर पर चले
27:07भावनाएं भी तो शरीर से उठती है
27:10आप बोल दे अरे मेरी नारी
27:12इस सुलब
27:12कोमल भावनाएं ये क्या बोल रहे हो तो
27:16कोई आप से बोल दे
27:18आपका जो नारी जैसा कोमल शरीर है
27:21तो आपको बद्दी अशलील बात कर रहा है
27:22नारी
27:24कोमल अंगों की बात करो तो बात अशलील हो जाएगी
27:27पर वही नारिया कहती है हमारी
27:28कुमल कुमल भावनाएं तो वो बात अशलील क्यों नहीं है
27:31क्योंकि जो कुमल भावनाएं वो भी उसी
27:33कुमल शरीर से ही आ रही है
27:34कुमल शरीर के कुछ
27:39रसायन हटा तो सारी भावनाएं गायब हो जाएंगी
27:41सारे
27:43emotions का chemical basis होता है
27:45जब तक आप इन सब
27:49चीजों को पकड़े हुए हो तब तक
27:50पैट्रियार्की चलती रहेगी
27:52शिक्षा से
27:55नहीं जानी है
27:55scientific advancement से नहीं जानी है
27:58economic empowerment से भी नहीं
28:00जानी है
28:01एक बहुत अजीब चीज देखने
28:05को मिल रही है बहुत बहुत
28:07शिक्षित महिलाएं
28:08बहुत ज्यादा
28:10आधुनिक लड़कियां
28:11कहती है हमें ऐसे लड़के चाहिए
28:13जो हमारी care कर सके
28:15वो पूरी तरह educated है
28:18modern advance societies में रह रही है
28:20वो कहरी हैं नहीं
28:21हमको तो housewife का traditional role चाहिए
28:23ये एक नया trend निकला है
28:25बताओ technology ने
28:27economy ने और modernity ने
28:29patriarchy को हरा दिया क्या
28:30patriarchy नहीं हारेगी
28:33आप होंगी बहुत modern
28:35आप तब भी अपना
28:37traditional role ही निभाना चाहेंगी
28:39क्योंकि उस traditional role की
28:41सबसे पहले कोई वज़ा थी
28:42और वज़ा थी देह
28:44देह तो आज भी वही है न
28:46जब तक आप उस देह को पकड़ करके
28:49ही बैठी हुई है तब तक patriarchy
28:51चलेगी
28:51मुझे नहीं मालूँ अभी
28:55नाम नहीं आदा रहा शायद उदितने दिखाया था
28:57कौन सा है जो अमेरिका में
28:59वो podcast पगरा करती है लड़किया और
29:01बार बार बताती है कि देखो मैं सब काम दंदा
29:03चोड़के घर में बैठी हूँ और
29:04मेरा boyfriend या पती शाम को घर वापस आता
29:07मैं उसकी सेवा करती हूँ वो बाकाइदा
29:09इस चीज का परचार कर रही है हम कहेंगे
29:10यह तो भारत में होता है यह अमेरिका में हो रहा है
29:12जो आज की जनरेशन है जिसको आप
29:17जन जी या जन अलफा बोलोगे
29:18वो उसकी लड़कियां यह काम कर रही है और
29:20बाकाइदा डिस्प्ले कर रही है परचार कर रही है
29:23इस बात का कि दिस इस वाट वी शुट डू
29:24इस वाट दे फीमेल बाड़ी
29:27और लाइफ इस फॉर
29:28वी एग्जिस्स तो टेक कियर अफ दे मैं
29:31उसका काम है घर के भार का
29:33समहलना और हमारा काम है जब वो घर पे आये तो उसकी सेवा करना
29:37उसके बच्चे पालना कौन है
29:39एंटी फेमिनिस मूव्मेंट के नाम से बहुत सारे लोग इस तरह गंटेंट बनाता है
29:43यह एंटी फेमिनिस मूव्मेंट है उसमें एक विशेश तुमने चैनल भी दिखाया था
29:47तो यह चल रहा है
29:51तो पैट्रियार्की कोई ऐसा नहीं है कि
29:53पुराने जमाने की पिछड़ी हुई बात है
29:56वो ना पुराने जमाने की ना पिषडी हुई है, वो इसकी बात है, इसकी माने दे की, जब तक दे रहेगी तब तक पैट्रियार्गी चलेगी, दे रहेगी माने दे भाव रहेगा, चाहे पिछडी कर रखी हो, चाहे वो हजारों डॉलर महीने की सैलरी कमाती हो, सीधे यूए
30:26आप पैट्रियार्की के खिलाफ हो पर आपको एक ऐसी फिल्म अच्छी लगती है जिसमें दो पुरुष एक महिला के लिए लड़ रहे हैं, ठीक है?
30:42हॉलिवुड में भारत में भी बनती हैं, और यह बहुत कॉमन थीम है, आम तोर पर थीम यह नहीं होती है कि दो महिला एक पुरुष के लिए लड़ रही है, आम तोर पर थीम यही होती है कि दो पुरुष या बीस पुरुष एक महिला के लिए लड़ गए, ठीक है? यही होती
31:12प्रोग्रिसेव हो। लेकिन आपको फिल्म बहुत अच्छी लगी। यह आपको जो अच्छा लगा है। यह आपको जंगल काईदा अच्छा लगा। यह जंगल में उगा आ करता था।
31:19कि जितने पुरुष होते थे, वो आपस में रडाई करते थे, जितने नर होते थे, और में जो जीत जाता था, वो मादा से संभोग करता था, ताकि जो संतान पैदा हो, वो एकदम मजबूत बल्वान हो.
31:31The highest quality human must impregnate the woman.
31:34आपको इस फिल्म बहुत अच्छी लगी, उधारन के लिए शारुक खान की डर, उसमें यही तो था, दो पुरुष एक इस्त्री पर लगे हुए हैं, अभी फिल्म आई थे अनिमल, वो भौतों को बहुत अच्छी लगी है, उसमें जो इस्त्री पुरुष का रिष्टा था,
32:04कै रहे वहा क्या बात है, मज़ा आगया, मज़ा आगया, उसके बाद तुम्हें यह भी कहना है, कि मैं मौडन हूं, प्रोग्रेसिव हूं और पैट्रियार्टी हाय हाय, पैट्रियार्की हाय हाय कैसे हो जाएगी? होई नहीं सकती? कैसे हो जाएगी? आप यहां बैठे हो, �
32:34पर ना आप अपने अपों कॉंशेसनेस मानते हैं, ना ये अपने अपों कॉंशेसनेस मानते हैं, तो कहां से equality आ जाएगी, जब बरदस्ती का नारा लगा रखा, equality, equality, रहना body है, चाहिए equality, नहीं हो सकता, फिर लड़के हसते हैं, कहते हैं, ये पांच फुटिया, ये equal है हमार
33:04हाँ, वो science में equal हो सकती है, वो maths में भी equal हो सकती है, वो दुनिया के हर उस काम में equal हो सकती है, जहां मनुष्य देह नहीं चेतना है, वो बिलकुल equal है, वो more than equal में हो सकती है, तुमसे कहीं आगे भी निकल सकती है,
33:18fighter plane मनुष्य के दिमाग की उपज है, तो fighter plane की एक बहुत अच्छी pilot हो सकती है, वो जबरदस bombing कर सकती है, वो ace pilot हो सकती है, वो best fighter pilot हो सकती है, पर तुम उससे काओ नहीं तुम्हें दुश्मन की सीवा में घुस करके मुक्कों से मारना है, तो ये नहीं कर पाएगी, equality नहीं हो
33:48वो दिमाग है, तिर्फ एक तल है जहां पर स्त्री पुरुष बराबर है, भूलना नहीं, वो तल है शेतना का, तो जिन महिलाओं को डब कर नहीं रहना है, क्याद होकर नहीं रहना है, वो फिर सबसे पहले अपनी देह में क्याद भोना छोड़ें, जब तक महिला अपनी द
34:18समझ लिजिए कि इसका मूल कारण यह है कि सरप्रथम आप अपनी देह में कैद है, आरी बात समझे, अध्यात्म जितना पुरुषों के लिए जरूरी है, उसे कहीं कहीं कहीं ज्यादा महिलाओं के लिए जरूरी है, और पढ़ी विडम बनाई ये रही है, कि धर्म का जो स�
34:48अध्यात्म का काम ही है, मुक्त देना,
35:18मुक्ति की जरूरत सबसे ज्यादा उसी को तो होगी न, जो सबसे ज्यादा बंधन में होगा, सबसे ज्यादा बंधन में तो महिलाई है, उसका पहला बंधन तो उसकी देह ही है, और जब देह बंधन होता है, तो फिर नजाने कितने और बंधन खड़े हो जाते, वो सारे ब
35:48जिसको आप बोलते हो पेट्रियार्की जो मेरी दृष्टी में तिर्फ देह भाव का दूसरा नाम है उसको हटाने का तरीका ध्यातने है
36:01पेट्रियार्की फेमिनिज्म से नहीं हटने वाले पेट्रियार्की आत्मग्यान से हटेगी यह फेमिनिज्म वगएरा सब ऐसे ही है आती जाती चीजे थोड़ी बहुत इनसे तरक्की हो सकती है नारे बाजी ज्यादा होगी
36:18सचमुच अगर पूरी मनुश्यता का ही इस्तर उठाना है स्ट्री का भी पुरुष का भी तो तुम्हें कोई विचारधारा नहीं चाहिए तुम्हें आत्मग्यान चाहिए सेल्फ नॉलेज
36:32पूर्थ मत बांधो देह से इस तरीकी बड़ी ये समस्या है कि उसकी देह सुनने में कड़वा लगेगा भद्दा लगेगा बिकाओ बहुत होती है
36:51और जब बाजार में बिकने लायक एक माल आपको बिना महनत करे ही मिल गया है जन्म से ही मिल गया है तो महनत करने की न बहुत इच्छा नहीं बचते
37:04मत बांदो स्वारत अपने शरीर को न तो अपनी पूंजी मानो न अपना हथियार और महिलाएं शरीर भाव में इसी लिए जीती हैं क्योंकि उस शरीर को पूंजी भी मानती है और शरीर को हथियार भी मानती है
37:34मुझ में आ रही है यह बाती है
37:36फिर कहा रहा हूँ
37:38सुनने में जैसा भी लग रहा हो
37:40पर सुन लो
37:41दुनिया का जानते हो न
37:42सबसे पुराना धंधा क्या है
37:44वेश्या वृत्ति
37:46एक जैन बोध कता है
37:51एक लड़की यह थी
37:53बहुत सुन्दर थी
37:54आकर्श
37:55इस हैँ
38:01उसमें ज्यान की ललक उठी
38:03सइध रश्टी से सुनना
38:06वरना अगर दूसरे दिशा से
38:08सुनोगए तो कह गए यह तो ना इनसाफी है
38:10उसमें ज्यान की ललक उठी
38:12तो वो एक के बाद एक गुरूओं के पास
38:16मास्टर्स होते हैं
38:18उनके पास जाने लगी
38:25पुरुश ही होते थे
38:27अब पुरुश तो पुरुश ठहरा
38:29और वो भी अभी शिश्य ही है
38:32कौन सा दिक्षित हो गया है
38:34तो वो इतनी आकरशक थी
38:38कि जब वो जाए मास्टर्स के पास
38:40कि आप मुझे भी अपने साथ दे लीजिए
38:42मुझे भी ग्यान चाहिए
38:44तो सब मास्टर्स उससे हाँ जोड़के
38:47माफी मांग लें बोले अगर तुझे हमने
38:49स्विकार कर लिया
38:50तो हमारे आश्रम में
38:53अनाचार फैल जाएगा
38:54मैं अपने इन चेलों को जानता हूँ
38:57इन्हें दो दिन नहीं लगेंगे
38:59बहकने में
39:00तो उसको कोई स्विकार न करे
39:03वो जहां जाए सब उससे कहें
39:05कि हम बहुत कदर करते हैं
39:07तेरी ग्यान पर पासा की
39:08और काश की किसी तरह तुझे ग्यान उपलब्द हो जाए
39:11लेकिन हम तुझे स्विकार नहीं कर सकते
39:13तुझे स्विकार किया तो बड़ी गड़ बड़ो जाएगी
39:14तो कहान ही कहती है कि
39:19उसने एक गरम सलाख ली
39:21और अपने चेहरे पर एक बार इधर निशान लगा लिया
39:24एक बार इधर निशान लगा लिया
39:25पुली ग्यान शरीर से बहुत उची बात है
39:32अगर मेरा शरीर ग्यान के आड़े आ रहा है
39:34तो मैं शरीर को सुन्दर ही नहीं रहने दूँगी
39:36अगर ग्यान पाने की शर्त यही है
39:40कि शरीर सुन्दर नहो तो मैं शरीर को सुन्दर रहने ही नहीं दूँगी
39:45अब बात ना इंसाफी की है
39:48लफंगे थे वो चेले चपाटे गुरुजी के
39:52और सजा मिल रही है इस लड़की को
39:54बात तो ना इंसाफी की है
39:56पर लड़की की दृष्टी सजे खोते हो
39:58कह रही है मैं इंसाफी क्या बात करो
39:59मेरे पास एक जनम है
40:00और मुझे जानवर की तरह नहीं जीना है
40:03मुझे उची बाते जाननी है
40:04और उची बाते मैं इसने नहीं जान पा रही
40:06क्योंकि यह देह बड़ी आकरशक है
40:07बोली मैं इस देह को नहीं रहने दूँग आकरशक
40:09यह मैं कोई सुझाओन नहीं दे रहा हूँ
40:20बात सुझ मैं आ रही
40:21पैट्रियार्की में
40:25फसे इसी लिए हो क्योंकि देहे के साथ
40:28तुमने स्वार्थ जोड रखा है
40:29देहे के फाइदे तो होते है
40:31देहे के बहुत फाइदे होते है
40:34मजाक मजाक में
40:36वो छोटे छोटे शौट वीडियो चलते है
40:38कि लड़का लड़की दोस्त है
40:40लड़की उससे पूछती है, अच्छा बता तू क्या करेगा, फूल में, तो बोल रहा है, मैं न पहले, पहले 10th में महनत करके टॉप करूँगा, फिर मैं 12th में महनत करके टॉप करूँगा, उसके बाद मैं बहुत महनत से entrance exam पास करूँगा, उसके बहुत महनत से college टॉप कर�
41:10पास अब ये तो बता तू क्या करेगी, बलती है तू इतना कुछ करेगा तो मैं तूसे सादी करूँगी, तिर्फ मलाट की बात नहीं है, ये होता है, ये होता है, और अगर ये हो रहा है, तो ये मत कहिए कि पैट्रियार की महिलाओं पर पुरुशों ने थोपी है, महिला�
41:40सारा फल लाकरके उसे कदमों में रख देता है, वो रानी बन जाती है, किस बात की रानी है, मुझे कभी समझ नहीं आया, मेरे साथ तो बच्पन से ही अत्याचार होता रहता था, मैं ऐसे सवाल पूछ देता था, 26 जनवरी की परेड, उसमें दूसरे जगों से सब राष्ट
42:10वो खड़े हुए हैं और जितने, जब वो सब्सी करें, जब उनके सामने से सइनिग निकलते थे, तो अधर यह खड़े हुए हैं, उपर मँच पे, शिनि एक ऐसे आह रहा हैं, मार्च करते हुए, तो यहाँ पर आते थे, और ऐसे मुड़ते हैं, अश कर एप भड़ते हैं
42:40इनका तो समझ में आया
42:41ये राश्वती महोदे हैं इनको सलूट कर दिया
42:44पर उनके साथ जो खड़ी है
42:46उन्होंने ऐसा क्या करा है कि उनको सलाम करा जा रहा है
42:49तो कोई जवाब न दे
42:52जब कोई जवाब न दे तो मैंने कुछ ऐसा बोल दिया
42:54जो भोंडा आशलील माना गया
42:56मैंने का इन्होंने एक ही काम करा है जिसनाते इनको सलाम मिल रहा है
42:58लालाया लफंगा
43:03क्या गलत बोला उन्होंने एक ही तो काम करा है जिसनाते उनको सलाम मिल रहा है
43:09तुम किस हक से अपने आपको फर्स्ट लेडी बोल रही हो
43:12तुमने किया कराय?
43:15तुम किस हक से अपने आपको
43:16First Lady बोल रही हो?
43:21वैसे ही
43:21सरकारी अफसरों में होता है
43:24Mrs. Officer
43:25Mrs. Brigadier
43:27Hello
43:28तुमने ऐसा क्या कराय कि
43:31तुम स्विमती Brigadier हो गई
43:35तुमने क्या क्या कराय
43:36तुमने बस एक काम कराय
43:38और मैं बोल दू तो मैं
43:39पाख़ण करना हो तो कर लो बोल दो नहीं नहीं उसने अपना दिलो जान अर्पित करा है भावनाओं का रिष्टा होता है
43:53हमें पता नहीं है है हम तो आसमान से उत्रे हैं तैसे हमें तो जमीन की कोई खबर ही नहीं है जैसे
44:09कोई आपको अगर बंधक बना रहा है तो बंधन में कहीं न कहीं आपका भी स्वार्थ है
44:22कोड़ी बहुत रजामंदी तो आपकी भी है वो स्वार्थ छोड़ दीजिए देह का आसरा छोड़ दीजिए न वो आपका एसेट है न वैपन है
44:32मैं यह भी नहीं कह रहा हूँ कि लाइबिलिटी है मैं कहा रहा हूँ रिसोर्स कि तरह इस्पिमाल करो
44:41रिसोर्स, इससे काम करवाना है, काम, इसको बेच के नहीं खाना, इससे काम करवाना है.
44:55नमस्ति � easiest अजयी, बेरियो अब भी मुढ शबनी करते हैं.
44:58महीं नमस्ति हम चारिजी, अब मेरी मातर जी हैं, मैं अमो अमीहें बोलू तो, ऑपा को सिम्मान नहीं करते तो
45:11वो सार्ग की आसपास की है,
45:13कुझे भो़ दीते है,
45:13मन में गुछ सा आता है,
45:17कहां समान निकरता,
45:19कि मम्मी पड़ी लीखी नहीं है,
45:21बड़ी लीखी भी चोड़ो,
45:22कि खुड़ के पैरों पे नहीं है,
45:24तो मम्मी कैसे आ गे भड़े,
45:28अब मम्मी यह गीता है,
45:28कि मैंने उन्य खिश करेंब्स लिक्तव घ्राइए जिम के रहें हुछ
45:37विरोड करते है वो गता हूं और ये वे वह ऍटना जो रहते हुछ
45:49कि मुझे मेरी कमी लगते हैं किसी होग्षिर के क्या करो
45:54तेक के वारो शक्तिमान न तुम हो 90 में
45:58जो कर सकते हो वो करो न, जहां अभी जमीन में थोड़ी जान बाकी हो, खल चलाने की महनत वहां करी जाती है न,
46:13होशिश पूरी कर लो, तो मा भी जगें सुनें, समझें, पर 60-70 की उमर इस उमर में, अब इस उमर में आ करके इसको बरदाश्ट करना तो बहुत मुश्किल हो, सोज आती है कोई ताज़व नी है मुझे, और जो उन्होंने अपनी पुरानी आदते बना ली है, उनको तोड़
46:43हो जाए तो बहुत अच्छा है, प्रयास पूरा करना चाहिए, लेकिन ये भी याद रखो कि जैसा कहा सर शक्तिमान नहीं हो तो तुम्हारे प्रयास की सीमा है, तो प्रयास बहतर है वहां करो जहां प्रयास में कुछ सफल हो सको, मा से बहतर है कि अब बहन की जिंदगी ब�
47:13पर मुक्ति कोई जबरदस्ती किसी पर थोपी जाने वाली चीज नहीं है, जिसके भीतर स्वयम जरा भी आतुरता ना हो, आग्रह ना हो, खुलापन ना हो, आप उसको जबरन थोड़ी मुक्त कर दोगे, बलकि ये हो सकता है कि प्रयास कर करके आपका उत्साह बहुत थंडा
47:43माँ से बात करते रहिए, उनके सामने किताबे रखते रहिए, उनके सामने सत्र रखते रहिए, उनसे पूछती रहिए कि तुम्हारा घर में इतना अपमान होता है, तुम्हें थोड़ा भी नहीं लगता, ये करते रहिए, लेकिन जबरदस्ती तो नहीं कर सकते, आपकी बह
48:13कि इससे आगे कोई मैं व्यक्तिकत राय दे नहीं पाऊंगा पिर धानता जो कह सकता था बता दिया
48:23पर दीदियों के सफलता देख करके मा को कुछ प्रेड़ना मिल जाए
48:43झाल