जैसलमेर. यह केवल भावना नहीं, यह सरहदी ज़मीन का स्वाभिमान है। यहां देशप्रेम किताबों से नहीं, जीवन से सीखा जाता है। जैसलमेर की यह माटी जानती है कि जब बात भारत की हो, तो हर घर एक चौकी बन जाता है और हर दिल एक सिपाही। पाकिस्तान से सटे रेगिस्तान की तपती रेत पर देशभक्ति की बयार बह रही है। सीमा पार हुई भारत की एयर स्ट्राइक के बाद जैसलमेर जिले के करड़ा, पोछीना, सोनू, रामगढ़, मोहनगढ़, नाचना और तनोट जैसे गांवों में देशप्रेम का ज्वार ऐसा उफना कि हर चौपाल, हर गलियारा तिरंगे की भावना से सराबोर हो गया।
गांवों की हवाओं में भारत माता की जय के स्वर गूंज रहे हैं। ढोल की थाप पर युवा थिरक रहे हैं, तो वृद्ध जन आंखों में गर्व की नमी लिए देश के पराक्रम को नमन कर रहे हैं। रामगढ़ की चौपालों पर रात देर तक चर्चा का दौर चला—अब दुश्मन को जवाब मिल गया और इसी चर्चा में उभरती है एक पुरानी भावना—हम सरहद के बेटे हैं, देश की रक्षा हमारे रोम-रोम में है। ग्रामीणों ने जवानों के सम्मान में दीप जलाए। तनोट माता के मंदिर में विशेष पूजा कर लोगों ने वीर सैनिकों की सुरक्षा की कामना की। करड़ा और पोछीना के सीमावर्ती गांवों में ग्रामीणों ने सेना के समर्थन में रैलियां निकालीं। महिलाओं ने मंगल गीतों की शैली में भारत के शौर्य की कहानियां गाईं। सोनू गांव की एक बुज़ुर्ग महिला ने कहा—हमारे बेटे सीमा पर हैं, और हम यहां उनका हौसला बनकर खड़े हैं।
गांवों की हवाओं में भारत माता की जय के स्वर गूंज रहे हैं। ढोल की थाप पर युवा थिरक रहे हैं, तो वृद्ध जन आंखों में गर्व की नमी लिए देश के पराक्रम को नमन कर रहे हैं। रामगढ़ की चौपालों पर रात देर तक चर्चा का दौर चला—अब दुश्मन को जवाब मिल गया और इसी चर्चा में उभरती है एक पुरानी भावना—हम सरहद के बेटे हैं, देश की रक्षा हमारे रोम-रोम में है। ग्रामीणों ने जवानों के सम्मान में दीप जलाए। तनोट माता के मंदिर में विशेष पूजा कर लोगों ने वीर सैनिकों की सुरक्षा की कामना की। करड़ा और पोछीना के सीमावर्ती गांवों में ग्रामीणों ने सेना के समर्थन में रैलियां निकालीं। महिलाओं ने मंगल गीतों की शैली में भारत के शौर्य की कहानियां गाईं। सोनू गांव की एक बुज़ुर्ग महिला ने कहा—हमारे बेटे सीमा पर हैं, और हम यहां उनका हौसला बनकर खड़े हैं।
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