• 5 months ago
सहज सुभाव परयौ नवल किशोरी जू कौ, मृदुता, दयालुता, कृपालुता की रासि हैं। नैकहूं न रिस कहूं भूले हू न होत सखि, रहत प्रसन्न सदा हियेमुख हासि हैं। ऐसी सुकुमारी प्यारे लाल जू की प्रान प्यारी, धन्य, धन्य, धन्य तेई जिनके उपासिहैं । हित ध्रुव ओर सुख जहां लगि देखियतु, सुनियतु जहां लागि सबै दुख पासि हैं। - श्री ध्रुवदास, श्रृंगार शत, बयालीस लीला

Category

🎵
Music

Recommended