kanpur government school students now can watch and listen toutorials of perticular book
अपनी बदहाली और कम संसाधनों से जूझने वाले उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूल कुछ मायनों में अब कान्वेंट स्कूलों को टक्कर देंगे। इन स्कूलों की पढ़ाई अब डिजिटल होने जा रही है। ऐसा मुमकिन होगा प्राइमरी कक्षाओं की किताबों में छपे क्यूआर कोड के कारण। बच्चे स्मार्ट फोन पर इस कोड को स्कैन करेंगे और पूरे चैप्टर के ऑडियो-वीडियो को देख सुन सकेंगे। इस तरह सरकारी स्कूल की किताबों में क्यूआर कोड का इस्तेमाल देश में पहली बार यूपी में होगा। कानपुर के बेहद पिछड़े इलाके शंकरपुर सराय के इस प्री-हायर सेकेण्डरी स्कूल की इमारत और कक्षाओं की दीवारों को देखकर कोई नहीं की सकता कि यहां किसी बड़े और महंगे कॉनवेंट स्कूल की तरह डिजिटल एजुकेशन शुरू हो चुकी है। क्लास में टीचर जो कुछ पढ़ाती है, उसे दोहराने के लिये या और अच्छे से समझने के लिये बच्चों को ट्यूशन नहीं लेनी पड़ती, बल्कि वे किताब के हर चैप्टर पर बने क्यूआर कोड को किसी स्मार्ट फोन पर स्कैन करते हैं और घर जाकर पूरा चैप्टर का ऑडियो सुन सकते हैं या वीडियो क्लास देख सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाय तो कॉन्वेंट की महॅगी "बुक्स" को सरकार की मुफ्त किताबों ने कसकर पटखनी दी है।
अपनी बदहाली और कम संसाधनों से जूझने वाले उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूल कुछ मायनों में अब कान्वेंट स्कूलों को टक्कर देंगे। इन स्कूलों की पढ़ाई अब डिजिटल होने जा रही है। ऐसा मुमकिन होगा प्राइमरी कक्षाओं की किताबों में छपे क्यूआर कोड के कारण। बच्चे स्मार्ट फोन पर इस कोड को स्कैन करेंगे और पूरे चैप्टर के ऑडियो-वीडियो को देख सुन सकेंगे। इस तरह सरकारी स्कूल की किताबों में क्यूआर कोड का इस्तेमाल देश में पहली बार यूपी में होगा। कानपुर के बेहद पिछड़े इलाके शंकरपुर सराय के इस प्री-हायर सेकेण्डरी स्कूल की इमारत और कक्षाओं की दीवारों को देखकर कोई नहीं की सकता कि यहां किसी बड़े और महंगे कॉनवेंट स्कूल की तरह डिजिटल एजुकेशन शुरू हो चुकी है। क्लास में टीचर जो कुछ पढ़ाती है, उसे दोहराने के लिये या और अच्छे से समझने के लिये बच्चों को ट्यूशन नहीं लेनी पड़ती, बल्कि वे किताब के हर चैप्टर पर बने क्यूआर कोड को किसी स्मार्ट फोन पर स्कैन करते हैं और घर जाकर पूरा चैप्टर का ऑडियो सुन सकते हैं या वीडियो क्लास देख सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाय तो कॉन्वेंट की महॅगी "बुक्स" को सरकार की मुफ्त किताबों ने कसकर पटखनी दी है।
Category
🗞
News